कृषि खेती और उद्यानिकी >> अनार की खेती

अनार की खेती क्या आप अनार की खेती के बारे में सोच रहे हैं और इण्डिया में Pomegranate फार्मिंग business शुरुआत करना चाहते हैं ? यकीन मानिये अनार कि ऑर्गेनिक खेती से आप अच्छा खासा व्यापार बना सकते है

अनार खेती कि शुरुआत कैसे करे

अनार खेती कि शुरुआत कैसे करे
How to start Pomegranate Farming
अगर आपमें अनार की खेती करने की इच्छा है और इसे एक नयी मुकाम पर ले जाना चाहते हैं तो निचे दी गयी जानकारी को ध्यान से पढ़े और इसे आगे ले जाये


भूमि का चयन (soil selection)
अनार की खेती करने से पहले आपको सावधानी पूर्वक भूमी का चयन करना होगा जिससे आपको अच्छे फल की प्राप्ति हो सके । वैसे तो सभी प्रकार के भूमि पर अनार की खेती की जा सकती है लेकिन अच्छे परिणाम और अच्छे फल की प्राप्ति के लिए आप दोमट मिट्टी वाली भूमि का उपयोग करें । यह अनार की खेती के लिए उपयुक्त मानी जाती है ।



जलवायु (Climate)

जलवायु (Climate)
जब आप किसी भी चीज़ की खेती करने का सोच रहे हो तो सबसे पहले उसके उपजाव के सही मौसम का पता लगा ले। अनार के फल उगने हेतु सामान्य ठंड का मौसम अच्छा होता है। कम तापमान वाले गर्मी के मौसम में भी अनार की खेती की जा सकती है। अच्छे फल की प्राप्ति हेतु कम से कम 4.0 से.ग्रैड. तक का तापमान उपयुक्त होता है ।



अनार की प्रजातियाँ (types of Pomegranate)

अनार की प्रजातियाँ (types of Pomegranate)
अनार की कई प्रजातियाँ होती है :-
गणेश:- इस प्रजाति के फलो का उत्पादन अधिक मात्रा में होती है। गणेश किस्म के फलो का आकार सामान्य (normal) होता है। इस किस्म के फल ज्यादा तर महाराष्ट्र प्रांत में उगाया जाता है ।
मसकित :- इस किस्म में पाए जाने वाले फलो का आकार छोटा होता है और इसके ऊपरी छिलके मोटे होते है।इसके बिज कोमल और रस बहुत ही मीठे होते है ।
ढोलका:- ढोलका प्रजाति के फल एक साथ बहुत ही अधिक मात्रा में फलते है। इसके छिलके का रंग ज्यादातर सफ़ेद / हरा होता है । इसके दाने का रंग गुलाबी और सफ़ेद जैसे दिखते है ।
जालोर/बेदाना :-इस प्रजाति में पाए जाने वाले फलो के आकार बड़े होते है। इसके छिलके dark red color के और बिज बहुत ही soft होते है ।
इन सब के अलावा अनार के और भी कई प्रजातियाँ होते है जैसे :- बेसिन बेदाना जो ज्यादातर कर्णाटक में उगाये जाते है, : रूबी, मृदुला आदि ।



पौधे का रोपण

पौधे का रोपण
पौधा रोपने से पहले लगभग 50 से 60 से.मि. गहरा गड्ढा खोद लेना चाहिए।
फिर उस गड्ढे में पौधा रोपने की प्रक्रिया को शुरू करे ।
पौधे को रोपने समय दो पौधों के बिच कम से कम 5 मीटर की दूरी छोड़ना चाहिए।



अनार की खेती के लिए खाद तैयार करे

अनार की खेती के लिए खाद तैयार करे
अनार की खेती करते समय एक साल में कम से कम दो बार आर्गनिक खाद के साथ गाय की सड़ी हुई गोबर की खाद मिला कर पौधे को देनी चाहिए। जैविक खाद (Organic manure) को तैयार करने का तरीका है :-

माइक्रो फर्टी सिटी कम्पोस्ट- 40 kg
माइक्रो सुपर पावर -50 kg
सुपर गोल्ड कैल्सी फर्ट- 10 kg
माइक्रो नीम-20kg
अरंडी कि खली- 50kg
इन सब अच्छे से मिला कर इनका खाद तैयार कर ले ।
जब आपको लगे की पौधों में फुल आने वाले है तो उससे 10-15 दिन पहले 500 ml माइक्रो झाइम और 2 kg सुपर गोल्ड के साथ मैग्नीशियम को पानी में घोल ले फिर पम्प से उसका छिड़काव खेत में लगे सभी पौधों पर करे ऐसा करने से भरपूर मात्रा में फुल की प्राप्ति होगी। फिर जब लगे की फल लगने वाला है तो फिर से उस घोल का छिड़काव करे। उसके बाद हर 20 दिन में छिड़काव करते रहना चाहिए ऐसा करने से अच्छे और सुन्दर फल की प्राप्ति होगी।



सिंचाई

सिंचाई
अनार की खेती में नियमित रूप से सिंचाई करते रहना चाहिए।इससे अच्छे फल की प्राप्ति होती है । गर्मी और ठंड के मौसम में हर 10 से20 दिन के अन्दर सिंचाई करते रहना चाहिए। अनार के खेती के लिए जिस भूमि का चयन किया गया हो उस भूमि में गीलापन (moisture) का सामान्य दरजा (level) बनाये रखना चाहिए। गीलेपन के स्तर में अगर तेज़ी से उतार चढ़ाव होता है तो फल के फटने कि संभावना होती है ।



कीट पतंग से बचाव

कीट पतंग से बचाव
नुकसान पहुँचने वाले किट :-
फल भेदक
ये एक ऐसा तितली के प्रजाति होते है जो फले हुए फलो को नष्ट कर देते है। इस तितली के अंडो से निकली हुई तित्त्लियाँ फलो के अन्दर प्रवेश कर के सरे बीजो को खा जाती है। जिसकी वजह से फल अन्दर से सड़ जाते है।
इससे बचने का उपाय ये है की आप नीम का पानी या उसका काढ़ा तैयार कर ले और पीर उसका छिड़काव पौधों पर करे ।
माहू
माहू नमक किट नए उगने वाले पत्तियों और फूलों के सरे रस चूस जाते है । जिसकी वजह से पत्तियां टेढ़ी मेढ़ी होकर झड़ जाती है। अतः इससे बचने के लिए नीम का पानी या काढ़ा का छिड़काव है करे ।
इंडर/बिला
इंडर/बिला नमक कीड़े अनार के पेड़ कि छाल में छेद करके अन्दर घुस जाते है और अन्दर से पेड़ को खोकला कर देते है । अगर पेड़ अन्दर से खोखला हो जाये तो उसमें फल नहीं लगते है। इससे बचने के लिए खोखले जगह की अच्छे से साफ़ सफाई करके इंजेक्सन द्वारा मिट्टी का तेल या फिर पेट्रोल छेद में भरकर गीली मिटटी से छेद को बंद कर देना चाहिए।इससे सरे कीड़े छेद के अन्दर ही मर जाते है ।
निमेटोड
निमेटोड किट अक्सर अनार के पौधों कि जड़ों में लगते है। इसकी वजह से फल छोटे और इसके उपजाव कम हो जाते है। इससे बचने के लिए नीम कि खली या माइक्रो नीम कि खाद और अरंडी कि खली का खाद का प्रयोग करना चाहिए



उपज और तुड़ाई

उपज और तुड़ाई
अलग अलग अनार के पौधों कि उपज अलग अलग तरह की होती है, जो कि मिट्टी के प्रकार, जलवायु और किसानो की मेहनत पर depend करता है। अगर अनार का पौधा 10 साल पुराना है तो उस पौधे से कम से कम 90 से 120 फलों के उत्पादन होते है। अनार के पौधे से लगभग 25-30 वर्ष तक फलो का उत्पादन होता है। अनार के फल 5 से 6 महीने में पक के तैयार हो जाते है। पके हुए अनार के फल हल्के पीले रंग के और कभी कभी लाल रंग के होते है। अनार के फलो को सेक्रोटियर कि सहायता से ही तोड़ना चाहिए।
अनार के पौधों को सही आकार देने के लिए starting year में इसकी कटाई छंटाई कि जाती है।



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