स्वामी विवेकानंद ने कहा कि सफलता के पीछे दो पहलू होते हैं, आत्म प्रेरणा और समर्पण। "जब आप अपना लक्ष्य निर्धारित करते हैं, तो उन सभी भावनाओं को संबद्ध करें जो आपको निर्देशात्मक तरीके से प्रोत्साहित करती हैं। पूर्ण आत्मविश्वास होने से आप 75% सफलता तक पहुंचने के लिए बिल्कुल आगे बढ़ेंगे। अवशेष बस आप पर निर्भर हैं, आप कितना कठिन प्रयास कर रहे हैं । " हालाँकि हमें 75 मिले, फिर भी 25% इतना आसान नहीं है
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कृपया मुझे बताएं, भाई, आपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कितनी मेहनत की है, जिसे आप पूरी तरह से भाग्य में विश्वास करने लगे हैं।
कृपया मुझे बताएं, भाई, आपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कितनी मेहनत की है, जिसे आप पूरी तरह से भाग्य में विश्वास करने लगे हैं।
आप जो मनहूस कह रहे हैं वो जानते हैं कि वे आपसे ज्यादा मेहनत करते हैं, यह उनकी अपनी नज़रिया है । भगवान नजर किसी के पास मनहूस और किसी और के पास आता है । बुत मेहनत का कोई टोड नहीं।
आप जो मनहूस कह रहे हैं वो जानते हैं कि वे आपसे ज्यादा मेहनत करते हैं, यह उनकी अपनी नज़रिया है । भगवान नजर किसी के पास मनहूस और किसी और के पास आता है । बुत मेहनत का कोई टोड नहीं।
भाई मेरे ......मेरा भी यही मानना है की ज़िन्दगी की फ़िल्म के हम बस एक्टर है ; डायरेक्टर तो वो उपर वाला ही है लेकिन ज़िन्दगी इतनी आसानी से समझ में नहीं आती है । .इसलिए कुछ अनुभव तो जरूर लो आप किसी भी काम में इतनी लगन से लगो की अपना सब कुछ झोंक दो आप कुछ न कुछ तो जरूर पा जाओगे...जो आपको मिलेगा वह आपकी महनत होगी और जो छूट जाएगा उसको यह सोच कर भूल जाना की वो नसीब में ही नहीं था। आप बस महनत में कोई कसर मत छोड़ो पूरी जिद और जूनून से लग जाओ लगन ऐसी हो की सिवा लक्ष्य के और कुछ नजर ना आये और यही होती है एकाग्रता और एकाग्रता आएगी सच्चे समर्पण से एक स्थिति की कल्पना कीजिये की किसी इंसान को तैरते नहीं आता.....अब अगर कोई उसे पानी में फेंक दे तब वह क्या करेगा या तो यह सोच के डूब जाएगा की मुझे तो तैरना ही नहीं आता मेरा नसीब ही ख़राब है और दूसरा काम वह करेगा की जी जान लगा देगा हाथ पैर छटपटाने में उसके दिमाग में सिवाए बचने के और कोई दूसरी बात आएगी भी नहीं उसको नसीब भाग्य इन सब के बारे में सोचने तक की फुरसत नहीं होगी तब इस बात की सम्भावना बढ़ जाएगी की वह पार लग जाएगा तो आप भी बस अपनी क्षमताओ का सम्पूर्ण द
भाई मेरे ......मेरा भी यही मानना है की ज़िन्दगी की फ़िल्म के हम बस एक्टर है ; डायरेक्टर तो वो उपर वाला ही है लेकिन ज़िन्दगी इतनी आसानी से समझ में नहीं आती है । .इसलिए कुछ अनुभव तो जरूर लो आप किसी भी काम में इतनी लगन से लगो की अपना सब कुछ झोंक दो आप कुछ न कुछ तो जरूर पा जाओगे...जो आपको मिलेगा वह आपकी महनत होगी और जो छूट जाएगा उसको यह सोच कर भूल जाना की वो नसीब में ही नहीं था। आप बस महनत में कोई कसर मत छोड़ो पूरी जिद और जूनून से लग जाओ लगन ऐसी हो की सिवा लक्ष्य के और कुछ नजर ना आये और यही होती है एकाग्रता और एकाग्रता आएगी सच्चे समर्पण से एक स्थिति की कल्पना कीजिये की किसी इंसान को तैरते नहीं आता.....अब अगर कोई उसे पानी में फेंक दे तब वह क्या करेगा या तो यह सोच के डूब जाएगा की मुझे तो तैरना ही नहीं आता मेरा नसीब ही ख़राब है और दूसरा काम वह करेगा की जी जान लगा देगा हाथ पैर छटपटाने में उसके दिमाग में सिवाए बचने के और कोई दूसरी बात आएगी भी नहीं उसको नसीब भाग्य इन सब के बारे में सोचने तक की फुरसत नहीं होगी तब इस बात की सम्भावना बढ़ जाएगी की वह पार लग जाएगा तो आप भी बस अपनी क्षमताओ का सम्पूर्ण द
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