सही उत्तर : कैरोटीन के कारण
व्याख्या :
गाय के दूध में पीला रंग कैरोटीन की उपस्थिति के कारण होता है। दरअसल, गाय के दूध में कैल्शियम के साथ साथ प्रोटीन भी पाया जाता है। और इसी प्रोटीन का नाम कैरोटीन है। इसी के कारण गाय का दूध हल्का पीला होता है। वैसे दूध में पीले रंग की मात्रा गायों को दिए जाने वाले हरे चारे की मात्रा पर निर्भर करती है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि पौधों में विटामिन A नहीं होता है, लेकिन इसके पूर्ववर्ती (प्रोविटामिन A), कैरोटीनॉयड होते हैं।
गाय के बारें में (About Cow In Hindi) :
गाय एक पालतू जानवर है जो दुनिया में हर कहीं पर पाई जाती है। इसका वैज्ञानिक नाम
बॉस इंडिकस (Boss indicus) है। और यह फ़ाइलम कॉर्डेटा, स्तनधारी वर्ग और बोविडे परिवार (उपपरिवार- बोविना) से संबंधित हैं।
इस जीव का गर्भकाल 279-285 दिनों (cow essay in hindi) का होता है। एवं गाय का जीवन काल 18-22 वर्ष होता है। आपको बता दे की एक वयस्क गाय का औसत वजन लगभग 720 किलोग्राम तक होता है।
विशेषज्ञ बताते है की गाय का दूध भैस के दूध से अधिकतर पोष्टिक होता है। जिससे पीने वाले लोग अपने आप का फुर्ती को महसूस करते है। भारत में सबसे ज्यादा गाय की पूजा की जाती है। भारत में धामिक दृष्टि से भी गाय काफी चर्चा में रहती है। ऐसा माना जाता है की गाय का दूध, मूत्र, गोबर के अलावा दूध से निकला घी, दही, छाछ, मक्खन आदि अन्य जानवरों के मुकाबले बहुत ही उपयोगी है।
गाय की नस्ल का नाम :
यहाँ हम आपको भारत में आमतौर पर पाई जाने वाली गाय की प्रमुख नस्लों
(Cow Types) के नामों से अवगत करा रहे है, जो इस प्रकार है...
अमृतमहल (कर्नाटक) बचौर (बिहार) बर्गुर (तमिलनाडु) डांगी (महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश) गिर (गुजरात) हल्लीकर (कर्नाटक) कंगायम (तमिलनाडु) केनकथा (उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश) गओलाओ (महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश) खेरिगढ़ (उत्तर प्रदेश) कृष्णा वैली (कर्नाटक) मालवी (मध्य प्रदेश) मेवाती (राजस्थान, हरयाणा और उत्तर प्रदेश) नागोरी (राजस्थान) निमरी (मध्य प्रदेश) अंगोल (आंध्रप्रदेश) पोंवर (उत्तर प्रदेश) पुन्गानुर (आंध्रप्रदेश) राठी (राजस्थान) रेड कंधारी (महाराष्ट्र) साहीवाल (पंजाब और राजस्थान) सीरी (सिक्किम और भूटान) गंगातीरी (उत्तर प्रदेश और बिहार) थारपारकर (राजस्थान) उम्ब्लाचेरी (तमिलनाडु) वेचुर (केरल) मोतू (उड़ीसा,छत्तीसगढ़ और आंध्रप्रदेश) घुमुसरी (उड़ीसा) बिन्झार्पुरी (उड़ीसा) खरिअर (उड़ीसा) कोसली (छत्तीसगढ़) बद्री (उत्तराखंड)गाय का पाचन तंत्र :
जैसा की हम सब जानते है की गाय एक शाकाहारी है जो केवल पौधे सामग्री खाती है। और इसका पेट चार भागों में विभाजित होता है, अगर हम मानव से इसके पाचन तंत्र की तुलना करें तो गाय और मानव की पाचन प्रणाली में दांत, मुंह, अन्नप्रणाली, पेट, छोटी और बड़ी आंत शामिल हैं। मुख्य अंतर गाय और मानव के बीच पाचन तंत्र है गाय एक अग्रगामी किण्वक पाचन का प्रदर्शन करती है, जबकि मानव एक सरल मोनोगैस्ट्रिक पाचन का प्रदर्शन करता है।
गाय चारा-सानी के समय गाय जल्दी-जल्दी आहार को पेट में भर लेती है और बाद में इसे वापस मुँह में लाकर चबाती है। ध्यान रहे की इस प्रक्रिया को आम भाषा में
"जुगाली" कहते हैं और इसकी अवधि 6 से 8 घंटे तक होती है। गाय के पाचन तंत्र के अंगों के नाम इस प्रकार है...
आहार-नाल मुखगुहा ग्रसनी ग्रसिका आमाशय छोटी आंत बड़ी आंत मलाशय मलद्वारगर्भवती गाय के लक्षण :
दोस्तों वैसे तो गाय / भैंस का गर्भ की जांच करना एक बहुत बड़ी चुनौती है। वर्तमान समय में गाय / भैंस के गर्भ का पता लगाने के लिए 60 से 70 दिनों
(cow pregnancy) तक इंतजार करना पड़ता है। यह एक बहुत बड़ी प्रक्रिया है। यदि इस दौरान गाय / भैंस गर्भवती ना हुई तो पशुपालकों
(cow semens for sale in india) को काफी नुकसान उठाना पड़ता है और उन्हें फिर से 21 दिन तक पशुपालकों को इंतजार करना पड़ता है।
इसका मतलब ये हुआ की आगामी कुल पिछले 4 महीनों के इंतजार करना पड़ता है वो भी बेवजह। और इस निराशा से दोस्तों सच आजकल ये भी हो गया है की लोग गाय / भैंस पालना भी कम कर रहे है। इसका परिणाम ये हो रहा है की हमारे देश में डेयरी उत्पादों का आयात भी बढ़ गया है, जिसका सीधा असर हमारे देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है।
यहाँ हम निम्नलिखित बिन्दुओं द्वारा जो गाय गर्भवती
(Signs a Cow Is Pregnant) नही होती है उसके लक्षण बता रहे है इन्हें समझकर आप जान सकते है, की गाय गर्भवती है या नही....
बार-बार चीखना शरीर के तापमान में मामूली सी वृद्धि होना दूध कम हो जाना भूख कम हो जाना बेचैन मालूम पड़ना दूसरी गाय के ऊपर चढ़ना बार-बार पेशाब करना भगोष्ठ में सूजन आनायदि आपको उपरोक्त लक्षणों में से कोई भी लक्षण अपनी गाय में दिखता है तो आपको अपनी गाय को फिर से सिमन लगवाने या सांड के पास ले जाने की जरूरत है ताकि वह समय पर दूध देने के लायक बन जाए।
गाय का गर्भाधान कब कराएं?
ध्यान रहे की गाय या भैंस सुबह में गर्म होती है तो उसी दिन शाम में गर्भाधान कराना चाहिए। अगर कोई गाय या भैंस एक दिन से ज्यादा गर्म रहती है तो उसे करीब बारह घंटे के अंतर पर दो बार गर्भाधान कराना लाभदायक होता है।