द्विसदनात्मक विधान मण्डल (Bicameral Legislature)
राज्य
का विधान मण्डल राज्यपाल तथा सदन(एक या दो) से मिलकर बनता है। जिस राज्य
में विधान मण्डल के दो सदन हैं वहां पहला सदन विधान सभा और दूसरा सदन विधान
परिषद है। वर्तमान में बिहार, महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, कर्नाटक,
आन्ध्रप्रदेश, तेलंगाना तथा जम्मू-कश्मीर में द्विसदनात्मक विधान मण्डल है
अर्थात इन सातो राज्यों विधान सभा के अलावा दूसरा सदन विधान परिषद भी मौजूद
है । आइये जानते है कि इन सातो राज्यों को कैसे आसानी से याद रखा जा सकता
है –
युक्ति
स्पष्टीकरण
क्रम | युक्ति | राज्य |
---|
1 | K | कर्नाटक |
2 | U | उत्तर प्रदेश |
3 | M | महाराष्ट्र |
4 | B | बिहार |
5 | J | जम्मू कश्मीर |
6 | A | आन्ध्र प्रदेश |
7 | T | तेलंगाना |
महत्वपूर्ण-
जानते हैं कुछ तथ्य इन दोनों सदनों के बारे में –
- राजस्थान में अधिकतम विधानपरिषद की संख्या 66 हो सकती है।
- राज्यों
में विधान परिषद् की रचना तथा उत्सादन भी किया जा सकता है। इसके लिए राज्य
की विधान सभा एक विशेष बहुमत द्वारा एक संकल्प पारित करेगी जिसके अनुकरण
में संसद अधिनियम बनाएगी। - विधान परिषद् संख्या विधानसभा कि सदस्य संख्या के एक-तिहाई से अधिक नहीं हो सकती तथा न्यूनतम संख्या 40 होगी।
- राज्यपाल
द्वारा साहित्य, कला, विज्ञान, सहकारी आन्दोलन एवं सामाजिक सेवा के
सम्बन्ध में विशेष ज्ञान या व्यावहारिक ज्ञान रखने वाले व्यक्तियों को
विधान परिषद् में नामित यह सदस्य 1/6 होते है किया जाता है। - विधान परिषद् एकस्थायी सदन है तथा इसका विघटन नहीं होता हैं।
- विधान परिषद् के 1/3 सदस्य प्रत्येक दो वर्ष पश्चात् अवकाश ग्रहण कर लेते है और उनके स्थान पर नये सदस्यों का चुनाव होता है।
- विधान
परिषद् की कुल सदस्य संख्या के 1/6 सदस्य राज्यपाल द्वारा मनोनित किए जाते
हैं। शेष 5/6 सदस्य अप्रत्यक्ष रूप से निर्धारित होते है। - निर्वाचित
सदस्यों में परिषद् के कुल सदस्यों के 1/3 सदस्य स्थानीय निकायों जैसे-
नगरपालिका, बोर्ड आदि से मिलकर बने निर्वाचकमण्डल द्वारा निर्वाचित होते
है। - विधान परिषद् के कुल सदस्यों के 1/3 राज्य की विधान सभा द्वारा
निर्वाचित होते है तथा कुल सदस्यों के 1/12 सदस्य कम से कम तीन वर्ष के
स्नातकों से मिलकर बने निर्वाचक मण्डल द्वारा निर्वाचित होते हैं। - विधान
परिषद् के कुलसदस्यों के 1/12 सदस्य माध्यमिक विद्यालयों से निचे के स्तर
के न हो, से मिलकर बने निर्वाचक मण्डल से निर्वाचित हेाते है तथा इनके
सदस्यों का कार्यकाल छः वर्ष होता है। - विधान सभा में कुल सदस्य संख्या अधिक से अधिक पांच सौ तथा कम से कम साठ हो सकती है।
- विधान सभा में राज्यपाल एक सदस्य एग्लो इण्डियन समुदाय से मनोनीत कर सकता है।
- विधान सभा का कार्यकाल पांच वर्ष है।
- विधान सभा का विघटन पांच वर्ष से पूर्व भी राज्यपाल कर सकता है।
- विधान
सभा की 5 वर्ष की अवधि को जब आपात की उद्घोषणा प्रवर्तन में है। संसद विधि
द्वारा ऐसी अवधि के लिए बढ़ा सकेगी, जो एक बार में एक वर्ष से अधिक नहीं
होगी और उद्घोषणा के प्रवर्तन में न रह जाने के पश्चात् किसी भी दशा में
उसका विस्तार 6 माह की अवधि से अधिक नहीं होगा। - विधान सभा के अपने अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष विधान परिषद् के अपने सभापति तथा उपसभापति निर्वाचित होते है।
- विधान मण्डन के किसी सदस्य की योग्यता एवं अयोग्यता सम्बन्धि विवाद का अन्तिम विनिश्चय राज्यपाल चुनाव आयोग के परामर्श से करता है।
- विधान
परिषद् धन विधेयकों को 14 दिन तक रोक सकती है तथा साधारण विधेयकों को केवल
तीन मास तक रोक सकती है। विधेयक को पुनर्विचार के लिए केवल एक मास तक रोक
सकती है। - किसी विधेयक पर यदि विधान सभा तथा विधान परिषद् में
गतिरोध उत्पन्न हो जाए, तो दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन का प्रावधान
नहीं है। ऐसी स्थिती में विधान सभा की इच्छा मान्य होती है। - परिषद्
में कोई विधेयक प्रस्तुत किया जाता है तथा पारित करके विधान सभा को
प्रेषित किया जाता है और यदि विधान सभा उसे पारित नहीं करती है। तो वह वही
समाप्त हो जाता है।
विधान सभाविधान परिषदअनुच्छेद 171अनुच्छेद 170प्रथम/निम्न सदनऐच्छिक स्थायी सदनसदस्य संख्या- अधिकतम 500सदस्य संख्या – अधिकतम उस राज्य की विधानसभा के एक तिहाई सदस्यन्यूनतम – 60 से कम नहींन्यूनतम – 40 से कम नहींअधिकतम – 403सर्वाधिक – यू. पी. – 100 वर्तमानन्यूनतम पाण्डिचेरी – 30, सिक्किम – 32 राजस्थान – 200न्यूनतम – जम्मू-कश्मीर – 36(अपवाद)29 राज्य व 2 केन्द्र शासित राज्य7 राज्य में कर्नाटक, यूपी महाराष्ट्र, बिहार, आन्घ्रप्रदेश, जम्मू-कश्मीर, तेलंगानाकार्यकाल – 5 वर्षकार्यकाल
-स्थायी सदन होने के कारण अनिश्चित (सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्ष है तथा
प्रत्येक 1/3 प्रति 2 वर्ष में अपना कार्यकाल पूरा कर लेते हैं)।कोरम( विधानसभा कार्यवाही चलाने के लिए आवश्यक सदस्य)/गणापूर्ति सदन का 1/10 भागगणापूर्ति सदन का 1/10 हिस्सा या न्यूनतम 10 सदस्यपदाधिकारी
– अध्यक्ष और उपाध्यक्ष अध्यक्ष और उपाध्यक्ष बहुमत के आधार पर बनाये जाते
है नवनिर्वाचित विधानसभा की पहली बैठक की अध्यक्षता अस्थाई स्पीकर द्वारा
करवाई जाती है।
इसे राज्य पाल नियूक्त करता है। इसे निर्णायक मत देने का अधिकार है। राजस्थान का पहला विधानसभा अध्यक्ष – नरोत्तम लालजोशीपदाधिकरी – सभापति व उपसभापति उसे सदन के सदस्य होते है। साधारण विधेयक को 4