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Asahyog Andolan Ka Arth Vistar Se Batayein असहयोग आन्दोलन का‌ अर्थ विस्तार से बताएं

असहयोग आन्दोलन का‌ अर्थ विस्तार से बताएं



Rahul Mahershi on 24-01-2019

सही भाई


Comments Sam Kanwar on 28-01-2019

असहयोग आंदोलन का अर्थ ये था कि किसी भी रूप में अंग्रेजो को सहयोग न देना जैसे कि कोई कर ना देना,उनके द्वारा छलए जा रहे स्कूलों में शिक्षा न लेना,उनकी वस्तुए न खरीदना इत्यादि इस आंदोलन का तात्पर्य ये था कि ब्रिटिश सरकार को जड़ से खत्म करना क्युकी अगर कोई भी भारतीय इस सब बातों का ढंग से पालन करता तो ब्रिटिश सरकार का कोष खाली हो जाता जिसके वजह से उनका हौसला पस्त हो जाता और उन्हें ये समझ मे आ जाता कि यहा शासन करना नामुमकिन है।


Bhupinder Gyol on 28-01-2019

असहयोग आंदोलन का अर्थ किसी भी तरह से अंग्रेजों को सहयोग नहीं देना था, जैसे कि कोई टैक्स नहीं देना, उनके द्वारा ठगे जा रहे स्कूलों में शिक्षा न लेना, उनका सामान न खरीदना आदि। क्योंकि अगर किसी भारतीय ने इसका पालन किया होता ये सब बातें ठीक से होती तो ब्रिटिश सरकार के पैसे खाली हो जाते, जिससे उनका मनोबल गिरा होता और वे समझ जाते कि यहां शासन करना नामुमकिन है ।


salim khan on 27-01-2019

Bhai aapki baat to thik hai pr iska arth kya hai


SHUBHAM Gupta on 27-01-2019

भाई आप सही कह रहे हैं लेकिन इसका क्या मतलब है

Suresh Kumar Meena on 26-01-2019

रॉलेट सत्याग्रह से ही गाँधी जी एक सच्चे राष्ट्रीय नेता बन गए। इसकी सफ़लता से उत्साहित होकर गाँधी जी ने अंग्रेजी शासन के खिलाफ़ असहयोग आंदोलन की माँग कर दी। जो भारतीय उपनिवेशवाद का ख्त्म़ करना चाहते थे उनसे आग्रह किया गया कि वे स्कूलो, कॉलेजो और न्यायालय न जाएँ तथा कर न चुकाएँ। संक्षेप में सभी को अंग्रेजी सरकार के साथ ;सभी ऐच्छिक संबंधो के परित्याग का पालन करने को कहा गया। गाँधी जी ने कहा कि यदि असहयोग का ठीक ढंग से पालन किया जाए तो भारत एक वर्ष के भीतर स्वराज प्राप्त कर लेगा। अपने संघर्ष का और विस्तार करते हुए उन्होंने खिलाफत आन्दोलन‎ के साथ हाथ मिला लिए जो हाल ही में तुर्की शासक कमाल अतातुर्क द्वारा समाप्त किए गए सर्व-इस्लामवाद के प्रतीक खलीफ़ा की पुनर्स्थापना की माँग कर रहा था। इस तरह गांधी जी द्वारा असहयोग आंदोलन की शुरुआत 1अगस्त 1920 से की गयी।


Shashi Thakur on 26-01-2019

रॉलेट सत्याग्रह से ही गाँधी जी एक सच्चे राष्ट्रीय नेता बन गए। इसकी सफ़लता से उत्साहित होकर गाँधी जी ने अंग्रेजी शासन के खिलाफ़ असहयोग आंदोलन की माँग कर दी। जो भारतीय उपनिवेशवाद का ख्त्म़ करना चाहते थे उनसे आग्रह किया गया कि वे स्कूलो,कॉलेजो और न्यायालय न जाएँ तथा कर न चुकाएँ। संक्षेप में सभी को अंग्रेजी सरकार के साथ ; सभी ऐच्छिक संबंधो के परित्याग का पालन करने को कहा गया। गाँधी जी ने कहा कि यदि असहयोग का ठीक ढंग से पालन किया जाए तो भारत एक वर्ष के भीतर स्वराज प्राप्त कर लेगा। अपने संघर्ष का और विस्तार करते हुए उन्होंने खिलाफत आन्दोलन‎ के साथ हाथ मिला लिए जो हाल ही में तुर्की शासक कमाल अतातुर्क द्वारा समाप्त किए गए सर्व-इस्लामवाद के प्रतीक खलीफ़ा की पुनर्स्थापना की माँग कर रहा था। इस तरह गांधी जी द्वारा असहयोग आंदोलन की शुरुआत 1 अगस्त 1920 से की गयी।


Rajeev vishva on 24-01-2019

Right bro




Rajeev vishva on 24-01-2019

Right bro



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