बहुत से विद्युत या इलेक्ट्रॉनिक घटकों या अवयवों को जोड़कर विद्युत परिपथ बनते हैं। परिपथों में घटक दो प्रकार से जोड़े जा सकते हैं: श्रेणीक्रम और समानांतरक्रम में। जिस परिपथ में सभी घटक श्रेणीक्रम में जुड़े हों, उसे श्रेणी परिपथ और जिस परिपथ में सभी घटक समानांतर क्रम में जुड़े हों उसे समानांतर परिपथ कहा जा सकता है। श्रेणी परिपथ में हरेक घटक से समान धारा प्रवाहित होती है, जबकि समानांतर परिपथ में हरेक घटक पर समान वोल्टता उपलब्ध होती है। श्रेणी परिपथों में प्रत्येक घटक का कार्यरत रहना आवश्यक है, अन्यथा परिपथ टूट जायेगा। श्रेणीक्रम परिपथों में कोई भी घटक खराब होने पर भी शेष घटक कार्य करते रहेंगे, किन्तु किसी भी घटक को शॉर्ट सर्किट होने पर पूरा परिपथ शॉर्ट-सर्किट हो सकता है।
यदि किसी परिपथ में किसी स्थान पर 10 ओम के प्रतिरोध की आवश्यकता है किन्तु वह उपलब्ध नहीं है किन्तु 5-5 ओम के दो प्रतिरोध सुलभ हैं तो इनको श्रेणीक्रम में जोड़कर लगाया जा सकता है। इसी प्रकार यदि 20-20 ओम के दो प्रतिरोध उपलब्ध होने पर उन्हें समान्तरक्रम में जोड़ देने से 10 ओम का तुल्य प्रतिरोध प्राप्त हो जाता है। डेढ़-दो वोल्ट सहन कर सकने वाले सैकड़ों बल्बों को श्रेणीक्रम में जोड़कर 230 वोल्ट से घरेलू बिजली से उनको जगमगाया जाता है। कहीं पर 24 वोल्ट की जरूरत हो तो 12 वोल्ट वाली दो बैटरियों को श्रेणीक्रम में जोड़कर 24 वोल्ट प्राप्त किया जा सकता है। परिपथों में भिन्न प्रकार के अवयव भी श्रेणीक्रम या समान्तरक्रम में जुड़े हो सकते हैं उदाहरण के लिये डायोड की रक्षा के लिये उसके श्रेणीक्रम में उपयुक्त मान का फ्यूज लगा दिया जाता है या पंखे को चालू/बंद करने के लिये उसके श्रेणीक्रम में एक स्विच डाला जाता है। इसी तरह किसी विद्युत-अपघट्टीय संधारित्र में उल्टी दिशा में वोल्टता न लग जाये इसके लिये उसके समान्तरक्रम में एक डायोड (उचित पोलैरिटी में) डाल दिया जाता है। किसी स्थान पर 2 अम्पीयर धारा वहन कर सकने वाला डायोड लगाना हो तो 1 एम्पीयर धारा वहन कर सकने वाले दो डायोड समान्तरक्रम में लगा देने से भी काम चल सकता है।
अनुक्रम
1 श्रेणीक्रम
1.1 प्रतिरोध में
1.2 प्रेरकत्व (इंडक्टर्स) में
1.3 संधारित्रों में
2 समानांतर क्रम
2.1 प्रतिरोधों में
2.2 इंडक्टर्स में
2.3 संधारित्र
3 इन्हें भी देखें
4 सन्दर्भ
5 बाहरी कड़ियाँ
श्रेणीक्रम
जब विद्युत के दो या अधिक घटक इस प्रकार जोड़े जाते हैं कि सबमें एक ही धारा प्रवाहित हो तो इसे श्रेणीक्रम कहते हैं। अर्थात, श्रेणीक्रम में जुड़े सभी अवयवों में प्रत्येक क्षण एक समान धारा प्रवाहित होती है। किन्तु उन अलग-अलग घटकों के सिरों के बीच का विभवान्तर उन घटकों के विद्युतीय गुणों (प्रतिरोध, प्रेरकत्व, धारिता, या V-I गुणधर्म) पर निर्भर होती है। उदाहरण के लिये यदि 10 ओम, 20 ओम और 50 ओम के तीन प्रतिरोधों को श्रेणीक्रम में जोड़ा गया हो और 10 ओम वाले प्रतिरोध में 2 एम्पियर धारा बह रही हो तो 20 ओम एवं 50 ओम वाले प्रतिरोधों में भी 2 एम्पीयर धारा प्रवाहित हो रही होगी। किन्तु इन तीनों प्रतिरोधकों के विभवान्तर अलग-अलग (क्रमश: 20 वोल्ट, 40 वोल्ट तथा 100 वोल्ट) होंगे।
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प्रतीरोध के प्रकार
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6 प्रतिरोध के प्रति प्रतिरोध का मान 2 ओम है। इसका तुल्य प्रतिरोध क्या होगा तथा इसे किस क्रम में संयोजित करे