व्यक्तियों तथा समूहों को मानव अधिकार शिक्षा देने का उद्देश्य यह है कि इससे मानव अधिकारों की अवमानना करने के दृष्टिकोण में परिवर्तन होगा, साथ ही, समाज की सोच भी बदलेगी। सभी मानव अधिकारों का आदर होगा उअर सभ्य समाज शांतिपूर्ण साझेदारी के आर्दश में रूपांतरित हो जाएगा। मानव अधिकारों के विषय में शिक्षा प्राप्त करना ही अपने-आप में काफी नहीं है बल्कि निश्चय ही मानव अधिकारों के हनन की समाप्ति तथा लोकतंत्र, विकास सहिष्णुता और आपसी आदर पर आधारित शान्ति की संस्कृति का निर्माण करने का एक साधन है। मुलभूत उद्देश्य, मानव अधिकारों की संस्कृति का निर्माण करना उअर लोकतांत्रिक समाज का विकास करना है जो प्रत्येक व्यक्ति और समूहों को अहिंसक एवं सौहार्दपूर्ण तरीकों का उपयोग करते हुए उनके भेड़ों एवं विवादों का समाधान करने में सक्षम बनाए। परिणामस्वरूप, प्रत्येक व्यक्ति द्वारा दूसरों के मानव अधिकारों का आदर करना समाज की संस्कृति बन जायेगी तथा विकसित समाज का मार्ग प्रशस्त होगा।
हमें हमेशा यह ध्यान में रखना होगा कि मानव अधिकारों का संरक्षण एवं संवर्धन मुलभूत उद्देश्य है तथा यह मनुष्य की भलाई के लिए है। समाज को सुग्राहीकरण की संपूर्ण प्रक्रिया से एवं मानव अधिकारों संबधी जागरूकता फैलाने से पूर्ण लाभ प्राप्त करना चाहिए। महाविद्यालय स्तर को प्रतिपादित करने समय हमने इस दृष्टि से भी ध्यान दिया है।
इस सन्दर्भ में, पाठ्यक्रम के एक भाग के रूप में क्षेत्रीय-दौरों तथा विभिन्न मानव अधिकार के विषयों जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा, दलितों, जनजातियों, किसानों, महिलाओं, बच्चों आदि के बारे में कॉलेज स्तर के विद्यार्थियों द्वारा प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करने पर बल दिया गया है। ये विषय विभिन्न करेंगे तथा उन्हें समाज के कमजोर वर्गों के समक्ष पेश आ रही गरीबी, शोषण, भेदभाव आदि जैसे जीवन की कठोर सच्चाइयों से सामना करने का अवसर मिलेगा। इस प्रकार के वास्तविक जीवन के अनुभव् छात्रों को मानव अधिकारों के सिद्धातों के साथ भावनात्मक रूप से जुड़ने तथा उन्हें संवेदनशील बनाने में लंबे समय तक साथ देंगे। उनेक क्षेत्र –अध्ययन के परिणामों को समय-समय पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यू जी सी) के सामने रखना चाहिए। आयोग को उच्चाधिकार प्राप्त समिति गठित करनी चाहिए जो नोडल एंजेंसी के रूप में सहायता प्रदान करें। यह एजेंसी सभी अध्ययन रिपोर्टों को संकलित करके उनका विशेश्लेष्ण करे तथा ये रिपोर्ट सरकार को सौंपे, जो शासन की नीतियों के प्रतिपादन में अथवा कानून निर्माण या कानूनों की समीक्षा करने में आधारभूत सूचना का काम करेंगी। छात्रों द्वारा जिज्ञासावश की गई पूछताछ निष्पक्ष होगी और उत्तर देने वालों द्वारा दिए गए प्रत्युत्तर सच्चे होंगे तथा रिपोर्ट एक वास्तविक तस्वीर प्रस्तुत पाएगी। ये रिपोर्ट सरकार के लिए नीतियों के प्रतिपादन में सहायक सामग्री होंगी। उदाहरण के लिए किसी खास राज्य में किसी विश्वविद्यालय विशेष के छात्रों को किसानों द्वारा की जाने वाली आत्महत्याओं का विषय सौंपा जा सकता है। छात्र उन क्षेत्रों का दौरा करेंगे जहाँ पर फसल की कटाई के मौसम से लेकर फसल की बिक्री तक अवधि के दौरान किसानों द्वारा की जाने वाली आत्महत्याएं अधिक थीं तथा उन तत्थों का अवलोकन करेंगे जिनके कारण उन्हें आत्महत्या जैसा कठोर कदम उठान पड़ा।
विषय को दार्शनिक मोड़ देने के लिए भी मुझे क्षमाँ करें। सभी मनुष्य जन्मजात निष्कपट, ईमानदार, अनुरागी, दयालु और उदात्त होते हैं। जीवन की कठोर वास्तविकताएँ और परिस्थितियां कभी-कभी उन्हें उनके मूल चरित्र से पथभ्रष्ट कर देती है तथा अपने आप को जीवित और संपोषित रखने के लिए अवांछित गुणों और मार्गों को अपना लेते हैं। फिर इच्छा और लालच उन्हें घेर लेते हैं और जीवित रहने और संपोषित होने के लिए फिर प्रांरभ में अपनाए गये अवांछनीय गुण मनुष्य को उलझा देते हैं तथा मनुष्य अपनी इंद्रियों और अपने द्वारा सृजित भौतिक संसार का गुलाम बना जाता है। यह हमारा कर्त्तव्य है कि हम नौजवान पीढ़ी, जो इस समय स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में शिक्षा ग्रहण कर रही है, को अपने अंतनिर्हित अच्छे संस्कारों और गुणों की मूल प्रकृति से जुड़े रहने के लिए प्रोत्साहित व प्रेरित करें। उन्हें इसके लिए साहस और शक्ति प्रदान करें तथा उन्हें यह विश्वास दिलाएं कि जीवन में उनकी आपनी ख़ुशी, अपने बंधुजनों की ख़ुशी पर निर्भर है और यही मानव अधिकारों की आधारशिला भी है। यदि विद्यार्थियों को अपने बंधुजनों की जीवन की वास्तविक दयनीय स्थिति से अवगत कराया जाता है तो उनके ह्रदय का द्रवित होना स्वाभाविक है और जो उन्हें उनके जीवन में नजर आने वाले प्रत्येक गरीब, दलित व्यक्ति को निश्चित रूप से सहायता और समर्थन करने की शपथ लेने के लिए मजबूर करेगा। विद्यार्थियों को पंडित जवाहरलाल नेहरु के शब्दों का स्मरण कराना अनिवार्य है
हमारी पीढ़ी के महान लोगों की यही आकांक्षा रही है कि प्रत्येक व्यक्ति की आँख का आँसू पोंछा जाए। सम्भवतः यह हमारी ताकत से बाहर हो, परन्तु जब तक लोगों की आँखों में आँसू और पीड़ा है तब तक हमारा कार्य सम्पूर्ण नहीं होगा।
एक अन्य अज्ञात लेखक का ख़ुशी और अन्य लोगों की सेवा करने के सन्दर्भ में एक उद्धरण स्मरण आता है
ख़ुशी व्यक्तिगत वस्तु नहीं है। जब आप किसी व्यक्ति को राहत पहुँचाते है तो इससे उस व्यक्ति के चेहरे पर फिर से मुस्कान आती है, ऐसे में केवल वही व्यक्ति ही इससे लाभाविन्त नहीं होता है बल्कि इससे आपको भी लाभ होता है अर्थात आप भी उसकी ख़ुशी में भागीदार बनते हैं। सबसे बड़ी ख़ुशी हमें तब प्राप्त होती है जब हम दूसरों के कष्टों का निवारण करते हैं। इसलिए यदि हमें शान्ति में रहने की आदत है तो यह हमारी स्वाभाविक प्रकृति होगी कि हम मन में सेवाभाव रखें। शांतिपूर्ण वातावरण का आनन्द, उत्पीड़न से मुक्ति का आनन्द, चिंताओं से मुक्ति, भूख से मुक्ति ख़ुशी की ऐसी वास्तविक आधारशिलाएँ हैं जिनसे व्यक्ति पर सेवा के मार्ग पर चलने की प्रेरित होता है।
व्यक्तियों तथा समूहों को मानव अधिकार शिक्षा देने का उद्देश्य यह है कि इससे मानव अधिकारों की अवमानना करने के दृष्टिकोण में परिवर्तन होगा, साथ ही, समाज की सोच भी बदलेगी। सभी मानव अधिकारों का आदर होगा उअर सभ्य समाज शांतिपूर्ण साझेदारी के आर्दश में रूपांतरित हो जाएगा। मानव अधिकारों के विषय में शिक्षा प्राप्त करना ही अपने-आप में काफी नहीं है बल्कि निश्चय ही मानव अधिकारों के हनन की समाप्ति तथा लोकतंत्र, विकास सहिष्णुता और आपसी आदर पर आधारित शान्ति की संस्कृति का निर्माण करने का एक साधन है। मुलभूत उद्देश्य, मानव अधिकारों की संस्कृति का निर्माण करना उअर लोकतांत्रिक समाज का विकास करना है जो प्रत्येक व्यक्ति और समूहों को अहिंसक एवं सौहार्दपूर्ण तरीकों का उपयोग करते हुए उनके भेड़ों एवं विवादों का समाधान करने में सक्षम बनाए। परिणामस्वरूप, प्रत्येक व्यक्ति द्वारा दूसरों के मानव अधिकारों का आदर करना समाज की संस्कृति बन जायेगी तथा विकसित समाज का मार्ग प्रशस्त होगा।
हमें हमेशा यह ध्यान में रखना होगा कि मानव अधिकारों का संरक्षण एवं संवर्धन मुलभूत उद्देश्य है तथा यह मनुष्य की भलाई के लिए है। समाज को सुग्राहीकरण की संपूर्ण प्रक्रिया से एवं मानव अधिकारों संबधी जागरूकता फैलाने से पूर्ण लाभ प्राप्त करना चाहिए। महाविद्यालय स्तर को प्रतिपादित करने समय हमने इस दृष्टि से भी ध्यान दिया है।
इस सन्दर्भ में, पाठ्यक्रम के एक भाग के रूप में क्षेत्रीय-दौरों तथा विभिन्न मानव अधिकार के विषयों जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा, दलितों, जनजातियों, किसानों, महिलाओं, बच्चों आदि के बारे में कॉलेज स्तर के विद्यार्थियों द्वारा प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करने पर बल दिया गया है। ये विषय विभिन्न करेंगे तथा उन्हें समाज के कमजोर वर्गों के समक्ष पेश आ रही गरीबी, शोषण, भेदभाव आदि जैसे जीवन की कठोर सच्चाइयों से सामना करने का अवसर मिलेगा। इस प्रकार के वास्तविक जीवन के अनुभव् छात्रों को मानव अधिकारों के सिद्धातों के साथ भावनात्मक रूप से जुड़ने तथा उन्हें संवेदनशील बनाने में लंबे समय तक साथ देंगे। उनेक क्षेत्र –अध्ययन के परिणामों को समय-समय पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यू जी सी) के सामने रखना चाहिए। आयोग को उच्चाधिकार प्राप्त समिति गठित करनी चाहिए जो नोडल एंजेंसी के रूप में सहायता प्रदान करें। यह एजेंसी सभी अध्ययन रिपोर्टों को संकलित करके उनका विशेश्लेष्ण करे तथा ये रिपोर्ट सरकार को सौंपे, जो शासन की नीतियों के प्रतिपादन में अथवा कानून निर्माण या कानूनों की समीक्षा करने में आधारभूत सूचना का काम करेंगी। छात्रों द्वारा जिज्ञासावश की गई पूछताछ निष्पक्ष होगी और उत्तर देने वालों द्वारा दिए गए प्रत्युत्तर सच्चे होंगे तथा रिपोर्ट एक वास्तविक तस्वीर प्रस्तुत पाएगी। ये रिपोर्ट सरकार के लिए नीतियों के प्रतिपादन में सहायक सामग्री होंगी। उदाहरण के लिए किसी खास राज्य में किसी विश्वविद्यालय विशेष के छात्रों को किसानों द्वारा की जाने वाली आत्महत्याओं का विषय सौंपा जा सकता है। छात्र उन क्षेत्रों का दौरा करेंगे जहाँ पर फसल की कटाई के मौसम से लेकर फसल की बिक्री तक अवधि के दौरान किसानों द्वारा की जाने वाली आत्महत्याएं अधिक थीं तथा उन तत्थों का अवलोकन करेंगे जिनके कारण उन्हें आत्महत्या जैसा कठोर कदम उठान पड़ा।
विषय को दार्शनिक मोड़ देने के लिए भी मुझे क्षमाँ करें। सभी मनुष्य जन्मजात निष्कपट, ईमानदार, अनुरागी, दयालु और उदात्त होते हैं। जीवन की कठोर वास्तविकताएँ और परिस्थितियां कभी-कभी उन्हें उनके मूल चरित्र से पथभ्रष्ट कर देती है तथा अपने आप को जीवित और संपोषित रखने के लिए अवांछित गुणों और मार्गों को अपना लेते हैं। फिर इच्छा और लालच उन्हें घेर लेते हैं और जीवित रहने और संपोषित होने के लिए फिर प्रांरभ में अपनाए गये अवांछनीय गुण मनुष्य को उलझा देते हैं तथा मनुष्य अपनी इंद्रियों और अपने द्वारा सृजित भौतिक संसार का गुलाम बना जाता है। यह हमारा कर्त्तव्य है कि हम नौजवान पीढ़ी, जो इस समय स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में शिक्षा ग्रहण कर रही है, को अपने अंतनिर्हित अच्छे संस्कारों और गुणों की मूल प्रकृति से जुड़े रहने के लिए प्रोत्साहित व प्रेरित करें। उन्हें इसके लिए साहस और शक्ति प्रदान करें तथा उन्हें यह विश्वास दिलाएं कि जीवन में उनकी आपनी ख़ुशी, अपने बंधुजनों की ख़ुशी पर निर्भर है और यही मानव अधिकारों की आधारशिला भी है। यदि विद्यार्थियों को अपने बंधुजनों की जीवन की वास्तविक दयनीय स्थिति से अवगत कराया जाता है तो उनके ह्रदय का द्रवित होना स्वाभाविक है और जो उन्हें उनके जीवन में नजर आने वाले प्रत्येक गरीब, दलित व्यक्ति को निश्चित रूप से सहायता और समर्थन करने की शपथ लेने के लिए मजबूर करेगा। विद्यार्थियों को पंडित जवाहरलाल नेहरु के शब्दों का स्मरण कराना अनिवार्य है
हमारी पीढ़ी के महान लोगों की यही आकांक्षा रही है कि प्रत्येक व्यक्ति की आँख का आँसू पोंछा जाए। सम्भवतः यह हमारी ताकत से बाहर हो, परन्तु जब तक लोगों की आँखों में आँसू और पीड़ा है तब तक हमारा कार्य सम्पूर्ण नहीं होगा।
एक अन्य अज्ञात लेखक का ख़ुशी और अन्य लोगों की सेवा करने के सन्दर्भ में एक उद्धरण स्मरण आता है
ख़ुशी व्यक्तिगत वस्तु नहीं है। जब आप किसी व्यक्ति को राहत पहुँचाते है तो इससे उस व्यक्ति के चेहरे पर फिर से मुस्कान आती है, ऐसे में केवल वही व्यक्ति ही इससे लाभाविन्त नहीं होता है बल्कि इससे आपको भी लाभ होता है अर्थात आप भी उसकी ख़ुशी में भागीदार बनते हैं। सबसे बड़ी ख़ुशी हमें तब प्राप्त होती है जब हम दूसरों के कष्टों का निवारण करते हैं। इसलिए यदि हमें शान्ति में रहने की आदत है तो यह हमारी स्वाभाविक प्रकृति होगी कि हम मन में सेवाभाव रखें। शांतिपूर्ण वातावरण का आनन्द, उत्पीड़न से मुक्ति का आनन्द, चिंताओं से मुक्ति, भूख से मुक्ति ख़ुशी की ऐसी वास्तविक आधारशिलाएँ हैं जिनसे व्यक्ति पर सेवा के मार्ग पर चलने की प्रेरित होता है।
Manav Adhikar ki mahatva aur samadhan topic wise
रायगढ़ जिले में मानवाधिकार आयोग की भूमिका एवम महत्व
मानव अधिकार के बारे में 10 लाइन
नीचे दिए गए विषय पर सवाल जवाब के लिए टॉपिक के लिंक पर क्लिक करें Culture Question Bank International Relations Security and Defence Social Issues English Antonyms English Language English Related Words English Vocabulary Ethics and Values Geography Geography - india Geography -physical Geography-world River Gk GK in Hindi (Samanya Gyan) Hindi language History History - ancient History - medieval History - modern History-world Age Aptitude- Ratio Aptitude-hindi Aptitude-Number System Aptitude-speed and distance Aptitude-Time and works Area Art and Culture Average Decimal Geometry Interest L.C.M.and H.C.F Mixture Number systems Partnership Percentage Pipe and Tanki Profit and loss Ratio Series Simplification Time and distance Train Trigonometry Volume Work and time Biology Chemistry Science Science and Technology Chattishgarh Delhi Gujarat Haryana Jharkhand Jharkhand GK Madhya Pradesh Maharashtra Rajasthan States Uttar Pradesh Uttarakhand Bihar Computer Knowledge Economy Indian culture Physics Polity
सयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा मानवाधिकारों की घोषणा का वर्णन कीजिए?