दो या अधिक धात्विक तत्वों के आंशिक या पूर्ण ठोस-विलयन को मिश्रातु या मिश्र धातु (Alloy) कहते हैं। इस्पात
एक मिश्र धातु है। प्रायः मिश्र धातुओं के गुण उस मिश्रधातु को बनाने वाले
संघटकों के गुणों से भिन्न होते हैं। इस्पात, लोहे की अपेक्षा अधिक मजबूत
होता है। काँसा, पीतल, टाँका (सोल्डर) आदि मिश्रातु हैं।
मिश्रधातु (Alloy) व्यापक रूप में एक ऐसा शब्द है जिसका प्रयोग किसी भी धात्विक वस्तु के लिये होता है, बशर्ते वह रासायनिक तत्व न हो। मिश्रधातु बनाने की कला अति प्राचीन है। सत्य तो यह है कि काँसे का महत्व एक युग में इतना अधिक था कि मानव सभ्यता के विकास के उस युग का नाम ही कांस्य युग पड़ गया है। यद्यपि शुद्ध धातुओं के कई उपयोगी गुण हैं, जैसे ऊष्मा और विद्युत् की सुचालकता, तथापि यांत्रिक और निर्माण संबंधी कार्यों में साधारणतया शुद्ध धातुएँ उपयोग में नहीं लाई जातीं, क्योंकि इनमें आवश्यक मजबूती नहीं होती। धातु को अधिक मजबूत बनाने की सबसे महत्वपूर्ण विधि धातुमिश्रण (alloying) है।
इस दिशा में 19वीं शताब्दी में बहुत अधिक प्रयास हुआ, उसी का फल है कि अनेक उपयोगी कार्यों के लिये आज पाँच हजार से भी अधिक मिश्रधातुएँ उपलब्ध हैं और नई मिश्रधातुएँ तैयार करने के लिये नित्य नए नए प्रयोग किए जा रहे हैं। आज किसी विशेष उपयोग के लिये इच्छित गुणोंवाली मिश्रधातुएँ बनाई जाती है।
धातुएँ जब किसी सामान्य विलयन, जैसे अम्ल, में घुलती है तब वे अपने धात्विक गुणों को छोड़ देती हैं और साधारणतया लवण बनाती हैं, किंतु पिघलाने पर जब वे परस्पर घुलती हैं तब वे अपने धात्विक गुणों के सहित रहती हैं। धातुओं के ऐसे ठोस विलयन को मिश्रधातु कहते हैं। अनेक मिश्रधातुओं में अधातुएँ भी अल्प मात्रा में होती हैं, किंतु संपूर्ण का गुण धात्विक रहता है। अत: 1939 ई0 में अमरीका वस्तु परीक्षक परिषद् ने मिश्रधातु की
निम्नलिखित परिभाषा की-मिश्रधातु वह वस्तु है जिसमें धातु के सब गुण होते हैं। इसमें दो या दो से अधिक धातुएँ, या धातु और अधातु होती है, जो पिघली हुई दशा में एक दूसरे से पूर्ण रूप से घुली रहती हैं और ठोस होने पर स्पष्ट परतों में अलग नहीं होती।"
सब मिश्रधातुओं को साधारणतया लौह तथा अलौह मिश्रधातुओं में विभाजित किया गया है। जब मिश्रधातु में लोहा आधार धातु रहता है, तब वह लौह तथा जब आधार धातु कोई अन्य धातु होती है, तब वह अलौह मिश्रधातु कहलाती है।
कुछ मुख्य अलौह मिश्रधातुएँ निम्नलिखित हैं:
(1) ऐल्युमिनियम-पीतल (Aluminimum-brass) - इसके संगठन में ताँबा, जस्ता और ऐल्युमिनियम हैं, जो क्रमश: 71-55, 26-42 तथा 1-6 प्रतिशत तक होते हैं। इसका उपयोग पानी के जहाजों तथा वायुयान के नोदकों (propeller) के निर्माण में होता है।
(2) ऐल्युमिनियम-कांसा - इसमें ताँबा 99-89 तथा ऐल्युमिनियम 1-11 प्रतिशत तक होता है। यह अति कठोर तथा संक्षारण अवरोधक होता है। इसके बरतन बनाए जाते हैं।
(3) बबिट (Babit) धातु - इसमें टिन, ऐंटीमनी तथा ताँबा की प्रतिशत मात्रा क्रमश: 89, 7.3 तथा 3.7 होती है। इसका मुख्य उपयोग बॉल बियरिंग बनाने में होता है।
(4) घंटा धातु (Bell metal) - इसमें ताँबा और टिन की प्रतिशत मात्रा क्रमश: 75-80 और 25-20 तक होती है। इससे घंटे आदि बनाए जाते हैं।
(5) पीतल - इसमें ताँबा 73-66 तथा जस्ता 27-34 प्रतिशत तक होता है। इसका उपयोग चादर, नली तथा बरतन बनाने में होता है।
(6) कार्बोलाय (Carboloy) - यह टंग्स्टन कार्बाइड तथा कोबल्ट की मिश्रधातु है। इससे रगड़ने और काटने वाले यंत्र बनाए जाते हैं।
(7) कॉन्स्टैंटेन (Constantan) - इसमें तांबा 60-45, निकल 40-55, मैगनीज 0-1.4, कार्बन 0.1 प्रतिशत तथा शेष लोहा होता है। इसका उपयोग वैद्युत-तापमापक यंत्रों तथा ताप वैद्युत-युग्म (thermocouple) बनाने में होता है, क्योंकि यह विद्युत् का प्रबल प्रतिरोधक होता है।
(8) डेल्टा धातु (Delta metal) - इसमें ताँबा 56-54, जस्ता 40-44, लोहा 0.9-1.3, मैंगनीज 0.8-1.4 और सीसा 0.4-1.8 प्रतिशत तक होता है। यह मृदु इस्पात के समान मजबूत है, किंतु उसकी तरह सरलता से जंग खाकर नष्ट नहीं होती। इसका उपयोग पानी के जहाज बनाने में होता है।
(9) डो धातु (Dow metal) - इसमें मैग्नीशियम 90-96, ऐल्युमिनियम 10-4 प्रतिशत तक तथा कुछ अंशों में मैंगनीज़ होता है। इसका उपयोग मोटर तथा वायुयान के कुछ हिस्सों को बनाने में होता है।
(10) जर्मन सिलवर- इसमें ताँबा 55, जस्ता 25 और निकल 20 प्रतिशत होता है। कुछ वस्तुओं को बनाने में चाँदी के स्थान पर इसका उपयोग करते हैं, क्योंकि इससे बनी वस्तुएँ चाँदी के समान ही होती हैं।
(11) हरित स्वर्ण (Green gold) - इसमें सोना, चाँदी और कैडमियम, क्रमश: 75, 11-25 तथा 13-0 प्रतिशत तक, होते हैं। इसके आभूषण बनाए जाते हैं।
(12) गन मेटल (Gun metal) - इसमें ताँबा 95-71, टिन 0-11, सीसा 0.-13, जस्ता 0-5 तथा लोहा 0-1.4 प्रतिशत तक होता है। इससे बटन, बिल्ले, थालियाँ तथा दाँतीदार चक्र (gear) बनाए जाते हैं।
(13) मैग्नेलियम (Magnalium) - इसमें ऐल्युमिनियम 95-70 प्रतिशत तथा मैग्नीशियम 5-30 प्रतिशत तक होता है। यह मिश्रधातु हल्की होती है। इसका उपयोग विज्ञान संबंधी यंत्रों तथा तुलादंड बनाने में होता है।
(14) नाइक्रोम (Nichrome) - इसमें निकल 80-54, क्रोमियम 10-22, लोहा 4.8-27 प्रतिशत तक होते हैं। ऊँचे ताप पर इसका संक्षारण नहीं होता तथा इसका वैद्युत प्रतिरोध अधिक होता
है। इसका उपयोग ऊष्मक (heater) बनाने में होता है।
(15) पालौ (Palau) - इसमें सोना 80 तथा पैलेडियम 20 प्रतिशत होते हैं। मूषा (crucibles) और थाली बनाने में प्लैटिनम के स्थान पर इसका उपयोग किया जाता है।
(16) पर्मलॉय (Permalloy) - इसमें निकल 78, लोहा 21, कोबल्ट 0.4 प्रतिशत तथा शेष मैगनीज, ताँबा, कार्बन, गंधक और सिलीकन होते हैं। इससे टेलीफोन के तार बनाए जाते हैं।
(17) सोल्डर (Solder) - इसमें सीसा 97 तथा टिन 33 प्रतिशत होते हैं। यह धातु दो धातुओं को आपस में जोड़ने के काम आती है।
(18) शॉट धातु (Shot metal) - इसमें सीसा 99 तथा आर्सेनिक 1 प्रतिशत होता है। इससे बंदूक की गीली तथा छरें बनाए जाते हैं।
(19) टिन की पन्नी (Tin foil) - इसमें टिन 88, सीसा 8, ताँबा 4 और ऐंटिमनी 0.5 प्रतिशत होते हैं। यह पन्नी सिगरेट और खाद्य वस्तुओं को सुरक्षित रखने के लिये उनके ऊपर लपेटी जाती है।
(20) उड की धातु (Wood metal) - यह मिश्रधातु सर्वप्रथम उड ने बनाई थी। इसमें बिस्मथ 50, सीसा 25, टिन 13 और कैडमियम 13 प्रतिशत होते हैं। इसका गलनांक बहुत कम होता है। आग को पानी छिड़क कर बुझानेवाले, स्वचालित यंत्रों में, जो प्लग (plug) लगा रहता है वह इस मिश्रधातु का बना होता है।
आधुनिक युग में लौहमिश्र धातुओं का अधिकतम महत्व है। इसके अंतर्गत इस्पात और ढलवाँ लोहा (cast iron) तथा पिटवाँ लोहा (wrought iron) लोहा आते हैं। जब शुद्ध गलित लोहे को ठंडा करते हैं, तब 1,535˚ सें0 पर तरल लोहे से क्रिस्टलीय रूप में इस प्रकार का लोहा निकलता है। इसको डेल्टा लोहा (δ-लोहा) कहते हैं। यह लोहा दूसरे प्रकार के क्रिस्टल में 1,404˚ सें पर परिवर्तित हो जाता है। इसको गामा लोहा (γ-लोहा) कहते हैं। यह 900˚सें0 के ऊपर स्थायी रहता है और इस ताप पर ऐल्फा लोहा में परिवर्तित हो जाता है, जो साधारण ताप पर स्थायी रहता है। लोहा और कार्बन का एक यौगिक बनता है, जिसमें कार्बन की प्रतिशत मात्रा 6.67 होती है। इस मिश्रधातु को सेमेंटाइट (Sementite) कहते हैं। यह मिश्रधातु गामा लोहा (y-लोहा) के साथ ठोस विलयन बनाती है, जिसको ऑस्टेनाइट (Austenite) कहते हैं। इस्पात में कार्बन की मात्रा 0.5 से लेकर 1.5 प्रतिशत तक रहती है। जब गलित इस्पात ठोस होता है, तब ऑस्टेनाइट के ठोस विलयन-क्रिस्टल प्राप्त होते हैं। ये क्रिस्टल मुलायम होते हैं और इनसे चद्दरे, छड़ तथा तार सरलता से बनाए जाते हैं। मोटर गाड़ियों के विकास के साथ साथ वे तत्व, जिनको केवल रसायनज्ञ ही जानते थे, इस्पात के साथ मिश्रधातु बनाने के उपयोग में लाए गए। ये इस्पात मिश्रधातुएँ मोटर गाड़ियों के इंजिनों के हिस्से बनाने तथा ये हिस्से जिन यंत्रों से बनाए जाते हैं, उनको बनाने में काम आती हैं। उदाहरणार्थ, मैंगनीज से इस्पात की मजबूती बढ़ती है और यह ऑक्सीजन और गंधक को, जो इस्पात को दुर्बल तथा भंगुर बना देते हैं, इस्पात में से अलग कर देता है। निकल इस्पात की मजबूती को बिना उसकी भंगुरता बढ़ाए बढ़ा देता है। क्रोमियम की कम मात्रा इस्पात को कठोरता प्रदान करती है और इसकी अधिक मात्रा इस्पात को संक्षारण से बचाती है। स्टेनलेस स्टील में क्रोमियम होता है। वैनेडियम-इस्पात (vanadium-steel) आघातसह (shock proof) होता है और मोलिब्डेनम्-इस्पात (molybdenum-steel) अधिक कठोर तथा ऊष्मा अवरोधक होता है। इस्पात-मिश्रधातुएँ केवल कार्बन-इस्पात से अधिक महँगी पड़ती हैं।
मिश्रित धातु: | संघटक |
1. पीतल: | तांबा (75 प्रतिशत) + जस्ता (25 प्रतिशत) |
2. घंटा धातु (Bell metal): | तांबा (75 प्रतिशत) + टिन (25 प्रतिशत) |
3. कांसा: | तांबा (75 प्रतिशत) + टिन (25 प्रतिशत) () |
4. जर्मन सिल्वर: | तांबा (50 प्रतिशत) + जस्ता (25 प्रतिशत) + निकेल (25 प्रतिशत) |
5. एल्युमीनियम कांसा: | तांबा (50 प्रतिशत) एल्युमीनियम (40 प्रतिशत) + लोहा (10 प्रतिशत) |
6. गन मेटल: | तांबा (88 प्रतिशत) + जस्ता (2 प्रतिशत) + टिन (10 प्रतिशत) |
8. स्टेनलेस स्टील: | लोहा + क्रोमियम + निकेल () |
9. हिंडालियम: | एल्युमीनियम (91 प्रतिशत) + मैग्नीशियम (9 प्रतिशत) |
10. डेल्टा धातु: | तांबा (55 प्रतिशत) + जस्ता (41 प्रतिशत) + लोहा (4 प्रतिशत) |
11. डच मेटल: | तांबा (80 प्रतिशत) + जस्ता (20 प्रतिशत) |
12. मोनल धातु: | तांबा (27 प्रतिशत) + निकिल (70 प्रतिशत) + लोहा (3 प्रतिशत) |
13. टांका (solder): | टिन (67 प्रतिशत) + सीसा (33 प्रतिशत) |
14. बुड्स धातु: | बिस्मथ (33.5 प्रतिशत) + सीसा (33 प्रतिशत) + टिन (19 प्रतिशत) + कैडमियम (14.5 प्रतिशत) |
15. कांस्टैटन: | तांबा (60 प्रतिशत) + निकिल (40 प्रतिशत) |
16. मुट्ज धातु: | तांबा (60 प्रतिशत) + जस्ता (40 प्रतिशत) |
8%and18% किस मिश्रधातु का नम्बर होता है
Mishdhatu ke name or avyav
Mishra Dhatu kya hai uske sanghatak ke teen upyog bataiye
10 Mishra dhatu ka nam
मिश्रा धातु के बारे में बताया।
और इसके गुण को।
तथा कौन कौन धातु से मिल कर बना है
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