Bhumi Sanrakhshan Ke Upay भूमि संरक्षण के उपाय

भूमि संरक्षण के उपाय



GkExams on 17-01-2021



भू-संरक्षण का अर्थ है उन सब उपायों को अपनाना और कार्यान्वित करना जो पृथ्वी की उत्पादकता को बढ़ा दे और बनाए रखे, मिट्टी को अधोगति अथवा कटाव क्षय से सुरक्षित रखे, अपरदित मिट्टी को पुनर्निर्मित और पुनरुद्धार कर दे, फसलों के इस्तेमाल हेतु मिट्टी नमी को सुरक्षित कर दे और जमीन की आमदनी को बढ़ा दें । इस तरह लाभ युक्त जमीन-प्रबंध प्रोग्राम को भू-संरक्षण बोल सकते हैं ।


भारतवर्ष में भू-संरक्षण के बिना योग्य मृदा आवरण का वृहत क्षय हो जाता है । इसकी वजह ये है कि इस देश के भूमि संसाधन और भूसंपत्ति का अज्ञान और निर्धनता के संग ही बिना मुनासिब व्यवहार अथवा प्रबंध की वजह से विनाश होता रहा है । दिन प्रतिदिन खाद्य, ईंधन और इमारती लकड़ी की बढती मांग की पूर्ति के लिये गहन कृषि और जंगलों की व्यापक कटाई की वजह से भूमि के सर्वाधिक दोहन ने कटाव को हमारी खेती हेतु एक बड़ा खतरा बना दिया है ।


खेती हमारी राष्ट्रीय इकोनॉमी की रीढ़ है अत: वो सब उपाय जो मृदा की उत्पादन क्षमता को बढ़ाने हेतु किए जाएं, हमारी सम्पन्नता का आधार बनते हैं । कृषि-भूमि की रक्षा और उसकी उच्च उत्पादन क्षमता को बनाए रखना न केवल हमारा दायित्‍व है अपितु एक महत्वपूर्ण आवश्यकता बन गया है । भू-संरक्षण के उपायों पर पंचवर्षीय योजनाओं के अंतर्गत करोड़ों रुपए व्यय हुए हैं और हो रहे हैं । सब उपाय जो खेती भूमि की रक्षा और मृदा की उत्पादन क्षमता के विकास हेतु किए जाते हैं वो भू-संरक्षण कार्यक्रम की रचना करते हैं । इन कार्यक्रम के अंतर्गत अग्रलिखित उपाय प्रमुख रूप से सम्मिलित किए जाते हैं-


1- भूमि और इसके उत्पादों के निक्षेपण को रोकने और नियंत्रित करने हेतु मुनासिब भू-संरक्षण प्रणालियों और इंजीनियरी ढांचों का प्रयोग करना ।
2- खेतों में खुण्टी और ठूंठ छोड़ना और मृदा पर वनस्पतियों अथवा घास का सघन आवरण को बनाए रखना ।
3- मृदा नमी की रक्षा करना और हानियों को रोकने हेतु जुताई, गुड़ाई का विकसित ढंग, मल्च और फसलोत्पादन की विकसित प्रणालियों का इस्तेमाल ।
4- अपवाह और अपरदन कटाव हानि को कम करने हेतु कन्टूर पट्टी, फसलोत्पादन और कंटूर कृषि के तंत्र का इस्तेमाल करना । ढाल की लम्बवत कंटूर रेखा पर निर्मित पट्टियों पर फ़सल उपजाने से जल के बहाव में रुकावट आती है । ऐसा होने से जल भूमि पर ज्यादा वक्त तक रुकता है और अंत: पानी संभरण बढ़ जाता है ।
5- अत्यधिक बारिश के समय में पानी को ठिकाने लगाने हेतु और मृदा नमी को सुरक्षित रखने हेतु सीढ़ीनुमा खेतों का निर्माण करना । सीढ़ीनुमा खेतों का निर्माण भूसंरक्षण की एक स्थिर और संतोषजनक तरीका है, यद्यपि ये अधिक महंगा है ।
6- भूसंरक्षण हेतु मुनासिब फसलचक्र का इस्तेमाल करना । फसलचक्र अथवा सस्यावर्तन का अर्थ है उसी खेत पर एक तय समय में फसलों की दल को नित्य तरीके से एक के बाद एक उगाना । कम वनस्पतियों वाली फसलों को निरंतर उपजाने से कटाव ज्यादा होता है । मृदा संरक्षण कार्य में ऐसे फ़सल चक्र का चयन करना चाहिए जिससे ज्यादा से ज्यादा वक्त तक घास एवं दाल वाली फसलें भूमि को आवृत रखें ।
7- सिंचन एवं पानी निकास का मुनासिब प्रबंध करना ।
8- खेती योग्य भूमि तक सिंचन की सुविधा की वृद्धि करना ।
9- अपरदित क्षेत्रों में वनस्पतियों, घासों अथवा वृक्षों को रोपना । इनकी छतरी वर्षा-जल से मृदा पर होने वाले संघात को रोकती है और जड़ों का विन्यास मृदा कणों को बांधता है, पानी अंत: प्रसारण को बढ़ा देता है और मृदा की विभिन्न भौतिक गुणों को विकसित कर देता है । पेड़ सरिताओं और सरिताओं में जल के बहाव को नियंत्रित रखते हैं ।
10- मृदा की उत्पादिता को बढ़ाने हेतु जैविक पदार्थ खाद, उर्वरक, चूना वगैरह का मुनासिब इस्तेमाल करना ।
11- अवनालिका भूक्षरण को नियंत्रण करना । मशीनी ढांचों का निर्माण अथवा सीढ़ीनुमा खेतों का निर्माण करके सतह अपवाह को बीच-बीच में रोककर सुरक्षित क्षेत्रों में मोड़ना । ये कार्य अवनालिकाओं को भरने में उपयोगी होता है ।
12- ऐसा उथली मोड़ नालियों की उपयोग, जिनके विषय में अत्यधिक बारिश के समय में पानी की अधिक मात्रा को बहाया जा सके ।
13- थाले बनाकर, इसमें एक मुख्य यंत्र बेसिन लिस्टर की मदद से कंटूर रेखा की समानांतर 4 से 20 फीट की अंतर पर थालों की निर्माण करते हैं । पानी की ज्यादा मात्रा को रोककर, अंतःसंचरण कराकर और पूर्ण इलाके में पानी की एक बराबर डिलीवरी करके ये थाले कटाव को विलंबित करते हैं ।
14- वायुरोधियों का इस्तेमाल करना और साथ ही ऐसे मृदा प्रबंध तरीकों का इस्तेमाल करना जो मृदा समुच्चय के स्वरूप में विकास कर दें । वायुरोध झाड़ियों की ऐसी पंक्तियां होती है जो पवन की गति को कम करने के लिये पवन की दिशा के आड़े लगाई जाती हैं ।
15- नदी तट कटाव का नियंत्रण - इस कटाव में नदी और सरिताओं के किनारे, अथवा उनके आसपास की खेती भूमियों की अपरदन होता है । जब नदी का जल उच्च वेग के साथ बहता है तब ये अपने तटों को काटता जाता है जिससे उसके आसपास की खेती योग्य भूमि ढहती जाती है । समय-समय पर नदियों में बाढ़ भी आती रहती है । जिससे रेत और सिल्ट भी भूमि में निक्षेपित होते रहते हैं और भूमि खेती के योग्य नहीं रह जाते । नदी नालों के तटों पर वनस्पतियां उगाकर अथवा पत्थर पंक्तिबंधन करके तटों के अपरदन और बाढ़ को रोका जा सकता है ।
16- सम्पूर्ण वाटरशेड का नियोजन- जब तक ऊपरी अपवाह क्षेत्र सुरक्षित न हो, तब तक निचले अपवाह क्षेत्रों में किए गए भूसंरक्षण उपाय व्यर्थ हो जाते हैं । क्योकि ये ऊपरी क्षेत्र से अनियंत्रित बहाव की वजह से नष्ट हो जाते हैं । ऊपरी अपवाह क्षेत्र को सुरक्षा देने से बाढ़ से खतरों में कमी आ जाती है । पनधारा तक पहुँच भूसंरक्षण का व्यापक पहलू है जिसके भू-संरक्षण कार्यक्रम बनाते वक्त ध्यान रखा जाना चाहिए ।



Comments Neha on 30-01-2024

Bumhi sarkchan ke upaye
10

Kajal on 21-07-2023

Bhumi sanrakshan ke upay ka vivaran kijiye

Bhumi sanrakshan ke upaaye on 13-05-2023

Bumi sanrakshan ke upaaye likho


Manoj Kohli on 13-04-2023

bhumi shanrakshan ke ipay btaiye

Anoop on 03-04-2023

Bhumi sanrakshan ki vidhi

Kareena on 08-01-2023

Samoch jutaee bhumi sanrakshan me kis Prakar madadgar ho Sakthi hai ? Karan bataiye

Rimsha on 27-10-2022

Bharat me bhoo upyog praroop


Disha Singh on 26-09-2022

Hme yh psnd aaya isk liye thank you



Sohana khatun on 11-02-2020

Bhumi sarkshan ki upay

Aanchal Mishra on 18-02-2020

Bhumi sanraksharn ke update bataye

Jafsr on 20-02-2020

Bhoomi Sanrakshan ke upay

Deepak on 16-04-2020

Bhoomi sanraksan ka upaya


सि on 21-08-2020

भूमि संसाधन के संरक्षण के किन्हीं तीन उपायों का उल्लेख कीजिए

Ankit on 31-12-2020

Bhoomi Sanrakshan ke upay ko samjhaie

Suyash on 03-01-2021

Bhumi sanrakshan ke upay

Abhishek kumar on 24-03-2021

Bhumi sanrakshan ke kya upay hai

Parshuram pandey on 06-08-2021

Bakshi bhumi dusare me nam par chadh Gaya hai 1970me

Mantasha on 16-08-2021

Bhumi sanrakshan ke upay in hindi


Prem mandal on 26-08-2022

Bhoomi Sanrakshan ke upay bataen in Hindi

Avika on 13-09-2022

Bhumi sarakshan me upay likho



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