Paudhon Ke Vibhinn Bhag पौधों के विभिन्न भाग

पौधों के विभिन्न भाग



Pradeep Chawla on 22-10-2018


पौधे के अंग

बच्चों को पौधे के अंग दिखाने के लिये प्रत्येक बच्चे को कक्षा के बाहर जाकर घास या अन्य कोई छोटा पौधा उखाड़ कर लाने को कहें। अब उन्हें लाये गये पौधों में जड़, तना, पत्ती, फूल आदि दिखायें। इसके बाद पौधे के अंगों का चित्र बोर्ड पर बनायें और सभी बच्चों से उनके व्दारा लाये गये पौधे का चित्र अपनी-अपनी कापी में बनाकर चित्र पर पौधे के अंगों के नाम लिखने को कहें।

बीजों की संरचना

बच्चों को चना अथवा मटर तथा मक्का अथवा गेहूं या धान के बीज दिखायें। इन बीजो को तोड़कर दिखायें कि चना या मटर के बीजों को आसानी से दो हिस्सों में तोड़ा जा सकता है जो एक समान होते हैं, परंतु मक्का, गेहूं या धान के बीज में दो हिस्से नहीं होते हैं और इन्हें दो एक समान हिस्सों में नहीं तोड़ा जा सकता। अब इन बीजों को पानी में भिगोकर रख दें और अगले दिन इन्हें खोलकर दिखायें। चना या मटर के बीच आसानी से दो हिस्सों में खुल जायेंगे। इनके दो हिस्सों के बीच में ठीक पौधे की आकृति का एक अंकुर दिखेगा। इस अंकुर में जड़ एवं तना तथा पत्तियां आदि सभी दिखते हैं। यदि आपके पास मैगनिफाइंग लैंस हो तो उसका उपयोग करें। बच्चों को बतायें कि अंकुर का जड़ वाला हिस्सा मूलांकुर तथा तने वाला हिस्सा प्रांकुर कहलाता है। इसी प्रकार गेहूं, मक्का एवं धान के बीजों में भी अंकुर दिखाने का प्रयास करें। इन बीजों में अंकुर दिखाना कुछ कठिन होगा। इसके लिये इनके अंकुरित होने के लिये 1-2 दिन इंतज़ार करना पड़ सकता है। अब ब्लैकबोर्ड पर बीज का चित्र बनाकर दिखायें और बच्चों से अपनी कापी में बीजों के चित्र बनाकर उनके अंगों के नाम लिखने को कहें। इसके बाद प्रत्येक बच्चे को एक गमला देकर बच्चे से कहें कि वे कुछ बीज गमलों में बो दें। बच्चों से प्रतिदिन गमलों में पानी डालने को कहें। प्रतिदिन एक बीज गमले से निकाल कर बच्चें को दिखायें जब तक कि बीज पूरी तरह अंकुरित होकर पौधा न बन जाये। इस प्रकार निकाले गये बीजों का चित्र बच्चों से अपनी कापी में प्रतिदिन बनाने को कहें और बच्चों को अंकुरण की प्रक्रिया समझायें।



जड़ तंत्र

बच्चों के साथ कक्षा के बाहर जाकर विभिन्न प्रकार के छोटे पौधे उखाड़कर लायें। पौधें इस प्रकार उखाड़ें कि उनकी जड़ें टूटें नहीं। अब बच्चों को क्क्षा में ले जाकर मूसला जड़ और झकड़ा जड़ के उदाहरण दिखायें और उनके चित्र कापी में बनवायें। यदि कक्षा के बाहर से पौधे लाना संभव न हो तो एक गिलास में चना और गेहूं के कुछ बीच बोकर उनका अंकुरण कर पौधे तैयार कर लें। इन पौधों को उखाड़कर चने में मूसला जड़ और गेहूं में झकड़ा जड़ दिखाई जा सकती है।

जड़ के कार्य

हम बच्चों को दिखा सकते हैं कि जड़ का एक कार्य पौधे को सहारा देना होता है। यदि हम जड़ को तोड़ दें तो पौधा भूमि पर ठीक प्रकार से खड़ा नहीं हो सकता, गिर पड़ेगा। जड़ का दूसरा कार्य पोषक तत्व मिटटी से खींचकर पौधे के सभी अंगों तक पहुंचाने का होता है। इसे दिखाने के लिये एक प्रयोग करें। एक पौधे को सावधानीपूर्वक इस प्रकार उखाड़ें कि उसकी जड़ें न टूटें। एक गिलास में लाल रंग मिला पानी रखकर पौधे को इस गिलास में इस प्रकार रख दें कि उसकी जड़ें पानी में डूबी हों। अब गिलास को धूप में रख दें। लगभग एक घंटे बाद बच्चों को दिखायें कि लाल रंग पौधे की पत्तियों तक पहुंच गया है। यह प्रयोग हम यदि ऐसे पौधे में करें जिसमें सफेद फूल लगें हो तो रंग का फूल तक पहुंचना दिखाना आसान होगा। बच्चों को और अच्छी तरह समझाने के लिये सफेद फूल लगे कई पोधों को अलग-अलग रंग के पानी भरे गिलासों में रखकर भी दिखाया जा सकता है।

प्ररोह तंत्र

प्ररोह तंत्र के बारे में बताने के लिये सबसे अच्छा तरीका बच्चों को कक्षा के बाहर ले जाकर पेड़-पौधों में प्ररोह तंत्र दिखाना है। हम बच्चों को पर्व और पर्व संधि के बारे में बता सकते हैं। इसी प्रकार हम बच्चों को तना, शाखा, पत्तियों, फूलों और फलों के बारे में भी बता सकते हैं। बच्चों को कक्षा के बाहर ले जाकर यह सब दिखाने के बाद उन्हें इनके चित्र अपनी कापी में बनाने को कहें। इसी प्रकार प्ररोह तंत्र के विभिन्न अंगों का पोस्टर और कोलाज भी बच्चों से बनवाया जा सकता है।

तने के कार्य

हम बच्चों को बता सकते है कि तने का कार्य भी पौधे के अन्ये अंगों को जैसे पत्तियों, फूल, फल आदि को सहारा देना होता है। साथ ही जड़ व्दारा अवशोषित पोषण पदार्थ तने से होकर ही अन्य, अंगों तक पहुंचता है।

पत्ती की संरचना

बच्चों को पत्तियां दिखाकर बतायें कि पत्ती की ऊपर की सतह चिकनी और नीचे की खुरदुरी होती है। बच्चों को यह भी दिखायें कि पत्तियों के डंठल से लेकर उसकी नोक तक बहुत बारीक नलियों का एक जाल फैला होता है तो पत्ती के हर कोने तक पोषण पहुंचाता है और पत्ती व्दारा बनाये गये भोजन को अन्य अंगों तक ले जाता है। पत्ती ही पौधे के लिये उसमें मोजूद हरे रंग के क्लोहरोफिल का उपयोग करके सूर्य की रोशनी और पानी से भोजन बनाती है। इस प्रक्रिया को प्रकाश संश्लेषण (फोटोसिंथेसिस) कहते हैं। पत्ती के भीतर नलियों के जाल को अच्छी तरह दिखाने के लिये हम पत्ती के खुरदुरे भाग के ऊपर कागज रखकर पेंसिल से रगड़कर इस जाल का चित्र बना सकते हैं। पत्ती को सूर्य की रोशनी की ओर रखकर देखने से यह जाल स्पष्ट दिखता है। को इसी प्रकार यदि हम पत्ती को कुछ दिन के लिये अखबार के कागज़ में दबाकर रख दें तो पत्ती के अंदर नलियों का जाल स्पष्ट दिखने लगता है। इसे हर्बेरियम बनाना कहते हैं।

पत्तियों की निचली सतह पर सूक्ष्म छिद्र होते हैं हमें बच्चों को बताना चाहिये कि पत्तियों की निचली सतह पर सूक्ष्म छिद्र होते हें जिनसे पत्तियां सांस लेती हैं और इन्हीं छिद्रों से पत्तियों के अंदर से पानी भाप बनकर उड़ जाता है जिसके कारण पत्ती में कम दाब उत्पन्न‍ होता है और पत्ती एक प्रकार के पंप का काम करती है। इसी पंप के कारण जड़ों और तने से होकर पानी पौधे में ऊपर तक पहुंचता है। इसे दिखाने के लिये एक छोटा सा प्रयोग किया जा सकता है। कुछ पत्तियां तोड़कर लायें। उनमें से कुछ पर वेसलीन लगा दें और अन्य पर कुछ न लगायें। अब इन पत्तियों को कुछ देर के लिये धूप में रखें। जिन पत्तियों पर वेसलीन लगाई गई थी वे नहीं कुम्हलाती हैं परंतु अन्य पत्तियां कुम्हला जाती हैं। इसका कारण यह है कि वेसलीन से पत्तियों के छिद्र बंद हो गये और उनका पानी भाप बनकर बाहर नहीं जा सका।

पत्तियों से पानी भाप बनकर बाहर निकलता है यह दिखाने के लिये कक्षा के बाहर किसी बड़े पत्ते वाले पौधे के कुछ पत्तों को एक पालीथीन में बंद कर दें। पौधे को धूप में रखें और उसमें पानी डालते रहें। कुछ देर बाद देखें। पालीथीन की अंदरूनी सतह पर पानी की भाप और पानी की बूंदे जमा हो चुकी होंगी।

फूल

बच्चों को कक्षा में कुछ फूल लाकर दें और उन्हें इन फूलों को तोड़कर इनके अंगों के बारे में बतायें। प्रत्येक अंग के बारे में बताकर उसके कार्य भी बतायें। परागकोष, पुंकेसर, स्त्रीकेसर, पंखुड़ी, आदि सभी के बारे में विस्तार से बतायें और आवश्य्कता होने पर मैगनिफाइंग लैंस का उपयोग करें। वैसे तो यह अंग किसी भी फूल में दिखाये जा सकते हैं, परंतु गुड़हल का फूल, गुलमोहर का फूल, अमलतास का फूल जैसे बड़े फूल इसके लिये अधिक उपयुक्त हैं। अब बच्चों से फूलों के अंग अपनी कापी में बनाने को कहें। इसका भी पोस्टर बनवाया जा सकता है।

पौधों में रूपांतरण

पौधों के अंग अनेक कारणों से रूपांतरित हो जाते हैं। भोजन को एकत्रित करना इसका प्रमुख कारण हैं। इसके अतिरिक्त पौधे को सहारा देना आदि भी इसके कारण हो सकते हैं।

जडों में रूपांतरण

बच्चों को मूली, गाजर, शलजम, शकरकंद आदि दि‍खाकर बतायें कि यह जड़ें भोजन एकत्रित करने को कारण मोटी हो गई हैं।

इसी प्रकार बच्चों को कक्षा के बाहर ले जाकर बरगद का पेड़ दिखायें और उन्हें बरगद की जड़ें दिखकर बतायें कि शाखाओं को सहारा देने के लिये यह जड़ें तने के समान मोटी हो गई हैं। इसी प्रकार मक्का, गन्ना, बांस आदि के पोधों मे सहारा देने वाली जड़ें दिखायें।

तनों के रूपांतरण

बच्चों को आलू दिखायें और बतायें कि भोजन को एकत्रित करने के करण आलू का तना मोटा हो गया है। इसी प्रकार बच्चों को प्याज दिखाकर बतायें कि प्याज भी भोजन एकत्रित करने के कारण रूपांतरित तना है। इसी तरह बच्चों को अदरक,अरबी आदि भी दिखायें।

पत्तियों के रूपांतरण

शाला के बगीचे में आप पत्तियों के रूपांतरण दिखा सकते हें। यदि शाला में बगीचा न हो तो रूपांतरित पत्तियां कक्षा में लाकर दिखाई जा सकती हैं।



सभी प्रकार के रूपांतरणों के बारे में बच्चों से पोस्टर तथा कोलाज आदि बनवाये जा सकते हैं।



Comments पतंग on 04-09-2022

पौधे का उपयोग पौधे पौधे का उपयोग का उपयोग

Dharammangar on 11-08-2021

Anna pretty busy paudhon kab do pahchan karne ki visheshtaon ko likho nibandh visheshtaon ki jo Peene ke Sharir Mein Hai Uske Aadhar per jaati ka naam likho

Priyanka on 25-01-2021

Paudho ke vibhinn bhago ke rupantard ba unke upyog


Abhavya sharma on 19-05-2020

में यह पूछने वाली हु की पेडोंके आंगऊ के नाम





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