Golkunda Ka Kila Kisne Banvaya Tha गोलकुण्डा का किला किसने बनवाया था

गोलकुण्डा का किला किसने बनवाया था



naresh nigam on 22-07-2020

काकाती वंश


Comments manoj sharma on 26-07-2020

गोलकुंडा किला – Golconda फोर्ट गोलकुंडा किले को आर्कियोलॉजिकल ट्रेजर के “स्मारकों की सूची” में भी शामिल किया गया है । असल में गोलकुंडा में 4 अलग-अलग किलो का समावेश है जिसकी 10 किलोमीटर लंबी बाहरी दीवार है,आठ प्रवेश द्वार है और 4 उठाऊ पुल है । इसके साथ ही गोलकुंडा में कई सारे शाही अपार्टमेंट और हॉल,मंदिर,मस्जिद,पत्रिका,अस्तबल इत्यादि है । इसके सबसे न इच्ले भाग में एक फ़तेह दरवाजा भी है (इसे विजयी द्वार भी कहा जाता है),इस दरवाजे के दक्षिणी-पूर्वी किनारे पर अनमोल लोहे की किले जड़ी हुई है । फ़तेह दरवाजे में आप ध्वनिक आभास का अनुभव भी कर सकते हो,यह गोलकुंडा के मार्बल की मुख्य विशेषता है । बाला निसार रंगमंच पर भी आप दर्शको के तालियों की गूंज को सुन सकते हो। कहा जाता है की प्राचीन समय में आपातकालीन परिस्थितियों को बताने के लिये इन तालियों का उपयोग किया जाता था। पूरा गोलकुंडा कॉम्प्लेक्स 11 किलोमीटर के विशालकाय क्षेत्र में फैला हुआ है । गोलकुंडा परिसर में हम प्राचीन भारतीय काला,शिल्पकला और वास्तुकला का सुन्दर दृश्य देख सकते है यहाँ बहुत से प्राचीन रंगमंच,प्रवेश द्वार और विशाल हॉल है । गोलकुंडा


Sanju Majumdar on 26-07-2020

गोलकोंडा किला – Golconda Fort गोलकोंडा किले को आर्कियोलॉजिकल ट्रेजर के “स्मारकों की सूचि” में भी शामिल किया गया है। असल में गोलकोंडा में 4 अलग-अलग किलो का समावेश है जिसकी 10 किलोमीटर लंबी बाहरी दीवार है, 8 प्रवेश द्वार है और 4 उठाऊ पुल है। इसके साथ ही गोलकोंडा में कई सारे शाही अपार्टमेंट और हॉल, मंदिर, मस्जिद, पत्रिका, अस्तबल इत्यादि है। इसके सबसे न इच्ले भाग में एक फ़तेह दरवाजा भी है (इसे विजयी द्वार भी कहा जाता है), इस दरवाजे के दक्षिणी-पूर्वी किनारे पर अनमोल लोहे की किले जड़ी हुई है। फ़तेह दरवाजे में आप ध्वनिक आभास का अनुभव भी कर सकते हो, यह गोलकोंडा के मार्बल की मुख्य विशेषता है। बाला निसार रंगमंच पर भी आप दर्शको के तालियों की गूंज को सुन सकते हो। कहा जाता है की प्राचीन समय में आपातकालीन परिस्थितियों को बताने के लिये इन तालियों का उपयोग किया जाता था। पूरा गोलकोंडा कॉम्प्लेक्स 11 किलोमीटर के विशालकाय क्षेत्र में फैला हुआ है। गोलकोंडा परीसर में हम प्राचीन भारतीय काला, शिल्पकला और वास्तुकला का सुन्दर दृश्य देख सकते है यहाँ बहोत से प्राचीन रंगमंच, प्रवेश द्वार और विशाल हॉल है। गोलकोंडा


somveer Gurjar on 25-07-2020

गोलकुंडा किला – Golconda फोर्ट गोलकुंडा किले को आर्कियोलॉजिकल ट्रेजर के “स्मारकों की सूची” में भी शामिल किया गया है । असल में गोलकुंडा में 4 अलग-अलग किलो का समावेश है जिसकी 10 किलोमीटर लंबी बाहरी दीवार है,आठ प्रवेश द्वार है और 4 उठाऊ पुल है । इसके साथ ही गोलकुंडा में कई सारे शाही अपार्टमेंट और हॉल,मंदिर,मस्जिद,पत्रिका,अस्तबल इत्यादि है । इसके सबसे न इच्ले भाग में एक फ़तेह दरवाजा भी है (इसे विजयी द्वार भी कहा जाता है),इस दरवाजे के दक्षिणी-पूर्वी किनारे पर अनमोल लोहे की किले जड़ी हुई है । फ़तेह दरवाजे में आप ध्वनिक आभास का अनुभव भी कर सकते हो,यह गोलकुंडा के मार्बल की मुख्य विशेषता है । बाला निसार रंगमंच पर भी आप दर्शको के तालियों की गूंज को सुन सकते हो। कहा जाता है की प्राचीन समय में आपातकालीन परिस्थितियों को बताने के लिये इन तालियों का उपयोग किया जाता था। पूरा गोलकुंडा कॉम्प्लेक्स 11 किलोमीटर के विशालकाय क्षेत्र में फैला हुआ है । गोलकुंडा परिसर में हम प्राचीन भारतीय काला,शिल्पकला और वास्तुकला का सुन्दर दृश्य देख सकते है यहाँ बहुत से प्राचीन रंगमंच,प्रवेश द्वार और विशाल हॉल है । गोलकुंडा


Kamlesh Malviya on 25-07-2020

गोलकोंडा किला – Golconda Fort गोलकोंडा किले को आर्कियोलॉजिकल ट्रेजर के “स्मारकों की सूचि” में भी शामिल किया गया है। असल में गोलकोंडा में 4 अलग-अलग किलो का समावेश है जिसकी 10 किलोमीटर लंबी बाहरी दीवार है, 8 प्रवेश द्वार है और 4 उठाऊ पुल है। इसके साथ ही गोलकोंडा में कई सारे शाही अपार्टमेंट और हॉल, मंदिर, मस्जिद, पत्रिका, अस्तबल इत्यादि है। इसके सबसे न इच्ले भाग में एक फ़तेह दरवाजा भी है (इसे विजयी द्वार भी कहा जाता है), इस दरवाजे के दक्षिणी-पूर्वी किनारे पर अनमोल लोहे की किले जड़ी हुई है। फ़तेह दरवाजे में आप ध्वनिक आभास का अनुभव भी कर सकते हो, यह गोलकोंडा के मार्बल की मुख्य विशेषता है। बाला निसार रंगमंच पर भी आप दर्शको के तालियों की गूंज को सुन सकते हो। कहा जाता है की प्राचीन समय में आपातकालीन परिस्थितियों को बताने के लिये इन तालियों का उपयोग किया जाता था। पूरा गोलकोंडा कॉम्प्लेक्स 11 किलोमीटर के विशालकाय क्षेत्र में फैला हुआ है। गोलकोंडा परीसर में हम प्राचीन भारतीय काला, शिल्पकला और वास्तुकला का सुन्दर दृश्य देख सकते है यहाँ बहोत से प्राचीन रंगमंच, प्रवेश द्वार और विशाल हॉल है। गोलकोंडा


jyoti mahendra on 24-07-2020

1512 ई. में यह कुतुबशाही राजाओ के अधिकार में आया और वर्तमान हैदराबाद के शिलान्यास के समय तक उनकी राजधानी रहा। फिर 1687 ई. में इसे औरंगजेब ने जीत लिया। यह ग्रेनाइट की एक पहाड़ी पर बना है जिसमे कुल आठ दरवाजे है और पत्थर की तीन मील लंबी मजबूत दीवार से घिरा है । यहाँ के महलों तथा मस्जिदों के खंडहर अपने प्राचीन गौरव गरिमा की कहानी सुनाते है । मुसी नदी दुर्ग के दक्षिण में बहती है । दुर्ग से लगभग आधा मील उत्तर कुतुबशाही राजाओ के ग्रेनाइट पत्थर के मकबरे है जो टूटी फूटी अवस्था में अब भी विद्यमान है । गोलकुंडा किले – Golconda Fort को 17 वी शताब्दी तक हीरे का एक प्रसिद्ध बाजार माना जाता था। इससे दुनिया को कुछ सर्वोत्तम हीरे मिले,जिसमे कोहिनूर शामिल है । इसकी वास्तुकला के बारीक़ विवरण और धुंधले होते उद्यान,जो एक समय हरे भरे लॉन और पानी के सुन्दर फव्वारों से सज्जित थे,आपको उस समय की भव्यता में वापिस ले जाते है । तक़रीबन 62 सालों तक कुतुब शाही सुल्तानों ने वहाँ राज किया। लेकिन फिर 1590 में कुतुब शाही सल्तनत ने अपनी राजधानी को हैदराबाद में स्थानांतरित कर लिया था।


rumjum bhau on 24-07-2020

1512 ई. में यह कुतुबशाही राजाओ के अधिकार में आया और वर्तमान हैदराबाद के शिलान्यास के समय तक उनकी राजधानी रहा। फिर 1687 ई. में इसे औरंगजेब ने जीत लिया। यह ग्रेनाइट की एक पहाड़ी पर बना है जिसमे कुल आठ दरवाजे है और पत्थर की तीन मील लंबी मजबूत दीवार से घिरा है। यहाँ के महलो तथा मस्जिदों के खंडहर अपने प्राचीन गौरव गरिमा की कहानी सुनाते है। मुसी नदी दुर्ग के दक्षिण में बहती है. दुर्ग से लगभग आधा मील उत्तर कुतुबशाही राजाओ के ग्रेनाइट पत्थर के मकबरे है जो टूटी फूटी अवस्था में अब भी विद्यमान है। गोलकोंडा किले – Golconda Fort को 17 वी शताब्दी तक हीरे का एक प्रसिद्ध बाजार माना जाता था। इससे दुनिया को कुछ सर्वोत्तम हीरे मिले, जिसमे कोहिनूर शामिल है। इसकी वास्तुकला के बारीक़ विवरण और धुंधले होते उद्यान, जो एक समय हरे भरे लॉन और पानी के सुन्दर फव्वारों से सज्जित थे, आपको उस समय की भव्यता में वापिस ले जाते है। तक़रीबन 62 सालो तक कुतुब शाही सुल्तानों ने वहा राज किया। लेकिन फिर 1590 में कुतुब शाही सल्तनत ने अपनी राजधानी को हैदराबाद में स्थानांतरित कर लिया था।


Dinesh Gurjar on 23-07-2020

निर्माण मराठा साम्राज्य के समय में हुआ था। शहर और किला ग्रेनाइट की पहाड़ी से 120 मीटर (480) की ऊंचाई पर बने हैं और एक विशाल चारदीवारी से घिरे हैं। काकतीय के प्रताप रुद्र ने इसकी मरम्मत कराई।


Shivani Jain on 23-07-2020

निर्माण मराठा साम्राज्य के समय में हुआ था। इस शहर और किले का निर्माण ग्रेनाइट हिल से 120 मीटर (480) ऊंचाई पर बना हुआ है और विशाल चहारदीवारी से घिरा हुआ है। ककाटिया के प्रताप रूद्र ने उसकी मरम्मत करवाई थी।




Debendra Sutradhar on 22-07-2020

kakati vansh



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