Jantu Jagat Ka Vargikarann जंतु जगत का वर्गीकरण

जंतु जगत का वर्गीकरण



Pradeep Chawla on 11-10-2018

स्टोरर व् युसिंजार के अनुसार जंतुओं का वर्गीकरण–


1. संघप्रोटोजोआ


प्रमुख लक्षण


1. इनका शरीर केवल एक कोशिकीय होता है।
2. इनके जीवद्रव्य में एक या अनेक केन्द्रक पाये जाते है।
3. प्रचलन पदाभो, पक्षमों या कशाभों के द्वारा होता है।
4. स्वत्रंत जीवी एवं परजीवी दोनों प्रकार के होते है
5. सभी जैविक क्रियाएं एककोशिकीय शरीर के अन्दर होती है।
6. श्व्सन एवं उत्सृजन कोशिका की सतह से विसरण के द्वारा होते है। प्रोटोजोआ एंड अमीबा हिस्टोलिटिका का संक्रमण मनुष्य में 30-40 वर्षो के लिए बना रहता है।


2. संघपोरिफेरा: इस संघ के सभी जंतु खारे जल में पाए जाते है।


प्रमुख लक्षण


1. ये बहुकोशिकीय जंतु है, परन्तु कोशकाएं नियमित ऊतकों का निर्माण नही करती है।
2. शरीर पर असंख्य छिद्र पाए जाते है।
3. शरीर में एक गहा पायी जाती है, जिसे स्पंज गुहा कहते है।


3. संघसीलेन्ट्रेटा


प्रमुख लक्षण


1. प्राणी जलिय द्विस्तरीय होते है।
2. मुख के चारों और कुछ धागे की तरह की संरचनायें पायी जाती है, जो भोजन आदि पकड़ने में मदद काती है।


4. संघप्लैटीहेल्मिंथिस


प्रमुख लक्षण


1. तीन स्तरीय शरीर परंतु देहगुहा नही होते।
2. प्रष्ट आधार तंत्र से चपड़ा शरीर।
3. पाचन तंत्र विकसित नहीं होता है।
4. उत्सर्जन फ्लेम कोशिकाओं द्वारा होता है।
5. कंकाल, श्वसन, अंग, परिवहन अंग आदि नहीं होते।
6. उभयलिंगी जन्तु है।


5. संघएस्केलमिंथिज


प्रमुख लक्षण


1. लम्बे, बेलनाकार, अखण्डित क्रमी।
2. शरीर द्विपाश्र्व सम्मित,त्रिस्तरीय।
3. आहारनाल स्पष्ट होती है, जिसमे मुख तथा गुदा दोनों ही होते है।
4. परिवहन अंग तथा श्वसन अंग नहीं होते, परन्तु तंत्रिका तंत्र विकसित होता है।
5. एकलिंगी होते है।


6. संघऐनेलिडा


प्रमुख लक्षण


1. शरीर लम्बा, पतला, द्विपाश्र्व सम्मित तथा खंडों में होता है।
2. प्रचलन मुख्य्त: कैंटीन के बने सिटी द्वारा होता है।
3. श्व्सन प्राय: त्वचा के द्वारा, कुछ जंतुओं में क्लोम के द्वारा होता है।
4. रुधिर लाल होता है व तांत्रिका तंत्र साधरण होता है।


7. संघआर्थोपोडा


प्रमुख लक्षण


1. शरीर तीन भागों में विभक्त होता है– सर, वक्ष एवं उदर।
2. इनके पाद संधि युक्त होते है।
3. रुधिर परिचारी तंत्र खिले प्रकार के होते है।
4. इनकी देह गुहा हिमोसिल कहलाती है।
5. यह प्राय: एकलिंगी होते है एवं निषेचन शरीर के अंदर होता है।


8. संघमोलस्का


प्रमुख लक्षण


1. शरीर तीन भागों में विभक्त होता है सर, अंतरंग तथा पाद।
2. इनमे कवच सदैव उपस्थित रहता है।
3. इनमे श्व्सन गिल्स या दिनीडिया द्वारा होता है।
4. आहारनाल पूर्ण विकसित होता है।
5. रक्त रंगहीन होता है।
6. उत्सर्जन वृक्कों के द्वारा होता है।


9. संघइकाइनॉयमेंटा


प्रमुख लक्षण


1. इस संघ के सभी जंतु समुंद्री होते है।
2. जल संवहन तंत्र पाया जाता है।
3. प्रचलन भोजन ग्रहण करने हेतु नाल पाद होते है जो संवेदी अंग का कार्य करते है।
4. तंत्रिका तंत्र में मस्तिक विकसित नहीं होता।
5. पुनरुत्पादन की विशेष क्षमता होती है।


10. कोर्डेटा


प्रमुख लक्षण


1. इनमें नोकोकार्ड उपस्थित होते है।
2. इनमे क्लोम छिद्र अवश्य पाये होते है।
3. इनमें नालदार तंत्रिका रज्जु अवश्य पाया जाता है।





Comments Jantu jagat ka vargikarn on 20-10-2023

Questions answer most

कमलेश तंवर on 28-05-2023

Janu jag at notes

rashmi yadav on 10-09-2022

taxonomy systam ko bar-2 kyo change karte hai






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