Roman Samrajy Ki Samajik Sanrachana रोमन साम्राज्य की सामाजिक संरचना

रोमन साम्राज्य की सामाजिक संरचना



Pradeep Chawla on 09-10-2018


रोमन साम्राज्य (Roman empire) की कहानी थोड़ी-बहुत विदित है। वह सामंतों और गुलामों की कहानी है। वहाँ नरबलि भी दी जाती थी। रोमन सभ्यता में एक यवन साधु और सिंह की गाथा है, जिसे बर्नार्ड शा ने अपने प्रसिद्घ नाटक 'आंद्रकुलिस और सिंह' (Androcles and the Lion) में चित्रित किया। यह कथा रोमन सभ्यता का प्रतिरूप है और रोमन साम्राज्य के अंतर्गत प्रथम तीन शताब्दियों में ईसाइयों पर अत्याचार भी दिखाती है।





ईसाई शहीदों की आखरी प्रार्थना

आंद्रकुलिस नामक ईसाई साधु को एक बार जंगल में एक सिंह मिला। अगले पैर में काँटा गड़ जाने के कारण वह लंगड़ाता था और पीड़ा से कराह उठता था। आंद्रकुलिस डर गया; पर जब उसे बार-बार पंजा चाटते और उस क्रिया में गड़ा कांटा दुखते देखा तो साहस कर कांटा निकाल दिया। कालांतर में ईसाइयों के विरूद्घ अभियान में वह पकड़ा गया और गुलामों की टोली में रोम लाया गया। यहाँ रोमन सम्राट, सामंतगण तथा अधिकारी बैठकर शस्त्रों से गुलामों की लड़ाई, रक्त की धार बहते, जीवित अंग-अंग कटते तथा मानव तड़पन पर क्रूरता की पैशाचिक लीला देखने, गुलामों के रक्त-पसीने से निर्मित सीढ़ीनुमा भवन (stadium) में इकट्ठा होते थे। इस प्रकार क्रूरतापूर्ण प्राण-हरण के विकृत खेल (sport) का मजा लूटते थे। जो लड़ने से इनकार करता, जैसे श्रद्घालु ईसाई, उन्हें अखाड़े में भूखे शेर के समक्ष छोड़ दिया जाता और लोग शेर को मनुष्य पर झपटते और चिथड़े कर खाते देखते। दुबले-पतले आंद्रकुलिस के लड़ने से इनकार करने पर उसे भूखे सिंह के समक्ष ढकेला गया। दहाड़कर सिंह अखाड़े में कूदा। लोगों में हिंसक स्फुलिंग की अतीव उत्सुकताएँ जागीं। पर सिंह ने अपने उपकारक की एकाएक पहचान कर उसे खाने के स्थान पर अपने नाखून सिकोड़कर पंजा उसकी ओर बढ़ा दिया। कहते हैं, इस पर आंद्रकुलिस और सिंह दोनों को जंगल की राह पर स्वतंत्र छोड़ दिया गया।


साम्राज्य, युद्घ और गुलाम, इनका कार्य-कारण संबन्ध है। रोम पर उत्तर की बर्बर जातियों ने आक्रमण किया। रोमन साम्राज्य के दो टुकड़े-पूर्व (अनातोलिया तथा यूनान आदि) और पश्चिम (शेष यूरोप) हो गए। बाद में सेना में विदेशियों की भरती और देश में गुलामों की संख्या बढ़ने के कारण रोम का पतन हो गया। यह होते हुए भी रोम की यूरोप में बपौती विधि के क्षेत्र में वैसी ही है जैसे विज्ञान, दर्शन और साहित्य के क्षेत्र में यूनान की। लैटिन भाषा, जो संस्कृत से निकली, ने भी आधुनिक यूरोपीय विज्ञान को शब्दावली दी। विक्रम संवत् की छठी शताब्दी में रोमन सम्राट जस्टिनियन (Justinian) ने, जिसका स्थान कुस्तुनतुनिया (Constantinople) था, अपनी संहिता (Code Constitutionum) प्रवर्तित की, जो आधुनिक यूरोपीय विधि का एक स्त्रोत बनी। इसकी मनु के धर्मशास्त्र से तुलना करें तो लगता है, कितना पीछे ढकेल दिया गया मानव जीवन। रोमन विधि लगभग निर्बाध अधिकार (patria potesta) घर अथवा कुटुंब के मुखिया (pater familias) को देती थी। वही सभी जायदाद का और गुलामों का स्वामी था; उस जायदाद का भी जो उसकी पत्नी एवं पुत्र की थी। पुत्री भी विवाह तक उसके अधिकार में थी और विवाह के बाद पति के अधिकार में चली जाती थी। दूसरा था गुलाम वर्ग, जिनको कुछ अधिकार न थे और जो अपने स्वामी की संपत्ति थे। यह मनु की मूल धारणाओं के बिलकुल विपरीत था, जहाँ पुत्र को संयुक्त परिवार की संपत्ति में स्वत्व प्राप्त होता था और स्त्री-धन की व्यवस्था थी; सभी नागरिक थे। रोमन विधि सामंती या सम्राट-रचित थी; न कि ऋषि-मुनियों या विद्वानों (स्मृतिकारों) द्वारा प्रणीत, जैसा मनु का धर्मशास्त्र।



कांसटेंटाइन की अर्धप्रतिमा

विक्रम संवत् की चौथी शताब्दी में रोमन सम्राट कांसटेंटाइन () ने ईसाई पंथ अंगीकार कर लिया। तब तक चर्च की मशीन खड़ी हो चुकी थी। साम्राज्यवादी रंग जमाकर ऊपरी तौर पर ईसा की प्रेम, अहिंसा की वाणी को जोर-जबरदस्ती से तथा छल-कपट से ठूसने की वृत्ति आ चुकी थी। इसके बाद का 'चर्च' साम्राज्यवाद का पोषक बना, वही ढंग अपनाए। हर प्रकार का बल-प्रयोग और जाल-फरेब की नीति अपनाकर भी धर्मांतरण, स्वतंत्र विचारों का हनन और पंथाचार्यों का कठोर नियंत्रण तथा इसके लिए सभी तरह के उपायों का सहारा उनके तौर-तरीके बने। जिस प्रकार के अत्याचार सहन कर ईसाई संतों ने गौरव प्राप्त किया वैसे ही अत्याचार राज्य द्वारा ईसाईकरण में हुए। चर्च और पंथाधिकरण, उसके 'पापमोचक' प्रमाण पत्र तथा उनके कठोर नियंत्रण ने ईसा की मूलभूत शिक्षा पर ग्रहण लगा दिया। उस समय राजाश्रय में किए गए बल प्रयोग और छल-कपट के कारण श्री पी.एन.ओक ने सम्राट कांसटेंटाइन को 'कंसदैत्यन' कहा है। उसके बाद यूरोप का चर्च द्वारा अनेक संदिग्ध तरीकों से ईसाईकरण हुआ। राज्य तथा ईसाई पंथ एकाकार हो गए। नया सिद्घांत प्रतिपादित हुआ-'साम्राज्य, चर्च का 'सेकुलर' शस्त्र-सज्जित शासन तंत्र है, जिसे पोप ने गढ़ा और जो केवल पोप के प्रति उत्तरदायी है।' यूरोपीय उपनिवेशवाद और ईसाई पंथ का एक गहरा नाता है।




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Comments Vikram Kumar on 13-10-2023

रोमन साम्राज्य में सामाजिक श्रेणियों पर प्रकाश डालिए

Mehak zahid on 20-08-2023

ROM Samrajya ki Shreni ka varn kijiye

Aamir on 22-05-2023

रोमन साम्राज्य की सामाजिक संरचना का विस्तार पूर्वक वर्णन कीजिए


Rupal chouhan on 02-05-2023

Roma samrajy ki aadhunik sakcharta tatha samajik sarchna par praksh daliye

Abhishek gupta on 29-03-2023

Roman samrajya ki samajik visheshta ki vivechna kijiye

Maaaaas on 12-03-2023

Rguh

Kartik singh thakur on 20-02-2023

Rome samrajya ki samajik sanrachna ke vishay mein aap kya jante Hain


Room saam on 04-02-2023

Room saamraye ki samajik sunrachna ke viseye me aap kya jaante he



Aanandi meghwal on 14-08-2020

Women samrajya ki samajik sanrachna ka varnan

Deepanshu raj on 25-11-2020

Roman sanrajye ki samajik visheshta ki vivechna lijiye

garima on 03-01-2021

roman samrajya me senet kaise ek saktishali sanstha thi

Aarti on 21-01-2021

Roman Samrajya ka aarambhik kal per project


Sonu on 29-04-2021

रोम साम्राज्य में सामाजिक एवं आर्थिक विशेषताओं का वर्णन करें?

Karan Singh Yadav on 21-05-2021

Rom ki raj dhani kasise bani

Vikram on 10-09-2021

रोमन साम्राज्य की सामाजिक व्यवस्था पर लेख लिखिए

Aysha on 27-09-2021

Roman samrajya ki samajik visheshta

Santosh baiga on 17-10-2021

On samaj samajik ka varnan kijiye Uttar

Khushbu on 22-12-2021

Roman samrajya ki samajik sanrachna ki do visheshtaen likhiye


Dishant on 20-01-2022

Mesopotamia sabhyata mein yuddh ki devi Kaun thi

Ashwani Mangal on 26-01-2022

Banking vayavastha ke praman kis samrajya me mile

Brajesh Singh Raghuwanshi on 07-03-2022

वाणिज्य एवं बैंकिंग व्यवस्था के प्रमाण किस साम्राज्य में मिले

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Savitri on 21-09-2022

Roman sarjay ki samajik vyvatha phr lhekh likhye? In hindi

Priya on 29-09-2022

Roman samarajay ki salmajik Sheniya project file

Rk on 20-12-2022

रोम की सामाजिक संरचना



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