G एक समानुपाती नियतांक है
g उस पिंड का गुरुत्वजनित त्वरण (acceleration due to gravity) है,
कोई भी वस्तु ऊपर से गिरने पर सीधी पृथ्वी की ओर आती है। ऐसा प्रतीत होता है, मानो कोई अलक्ष्य और अज्ञात शक्ति उसे पृथ्वी की ओर खींच रही है। इटली के वैज्ञानिक, गैलिलीयो गैलिलीआई ने सर्वप्रथम इस तथ्य पर प्रकाश डाला था कि कोई भी पिंड जब ऊपर से गिरता है तब वह एक नियत त्वरण से पृथ्वी की ओर आता है। त्वरण का यह मान सभी वस्तुओं के लिए एक सा रहता है। अपने इस निष्कर्ष की पुष्टि उसने प्रयोगों और गणितीय विवेचनों द्वारा की है।
इसके बाद सर आइज़क न्यूटन ने अपनी मौलिक खोजों के आधार पर बताया कि केवल पृथ्वी ही नहीं, अपितु विश्व का प्रत्येक कण प्रत्येक दूसरे कण को अपनी ओर आकर्षित करता रहता है। दो कणों के बीच कार्य करनेवाला आकर्षण बल उन कणों की संहतियों के गुणनफल का (प्रत्यक्ष) समानुपाती तथा उनके बीच की दूरी के वर्ग का व्युत्क्रमानुपाती होता है। कणों के बीच कार्य करनेवाले पारस्परिक आकर्षण को गुरुत्वाकर्षण (Gravitation) तथा उससे उत्पन्न बल को गुरुत्वाकर्षण बल (Force of Gravitation) कहा जाता है। न्यूटन द्वारा प्रतिपादित उपर्युक्त नियम को न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण नियम (Law of Gravitation) कहते हैं। कभी-कभी इस नियम को "गुरुत्वाकर्षण का प्रतिलोम वर्ग नियम" (Inverse Square Law) भी कहा जाता है।
उपर्युक्त नियम को सूत्र रूप में इस प्रकार व्यक्त किया जा सकता है : मान लिया m1 और संहति वाले m2 दो पिंड परस्पर d दूरी पर स्थित हैं। उनके बीच कार्य करनेवाले बल F का मान होगा :
यहाँ G एक समानुपाती नियतांक है जिसका मान सभी पदार्थों के लिए एक जैसा रहता है। इसे गुरुत्वीय स्थिरांक (Gravitational Constant) कहते हैं। इस नियतांक की विमा(dimension) है और आंकिक मान प्रयुक्त इकाई पर निर्भर करता है। सूत्र (1) द्वारा किसी पिंड पर पृथ्वी के कारण लगनेवाले आकर्षण बल की गणना की जा सकती है। मान लीजिए पृथ्वी की संहति M है और इसके धरातल पर m संहति वाला कोई पिंड पड़ा हुआ है। पृथ्वी की संहति यदि उसके केंद्र पर ही संघनित मानी जाए और पृथ्वी का अर्धव्यास r हो तो पृथ्वी द्वारा उस पिंड पर कार्य करनेवाला आकर्षण बल :
न्यूटन के द्वितीय गतिनियम के अनुसार किसी पिंड पर लगनेवाला बल उस पिंड की संहति तथा त्वरण के गुणनफल के बराबर होता है। अत: पृथ्वी के आकर्षण के प्रभाव में मुक्त रूप से गिरनेवाले पिंड पर कार्य करनेवाला गुरुत्वाकर्षण बल:
जहाँ g उस पिंड का गुरुत्वजनित त्वरण (acceleration due to gravity) है, अत:
अर्थात g= पिंड की इकाई संहति पर कार्य करनेवाला बल।
किंतु समीकरण (2) से
अतएव गुरुत्वजनित त्वरण g को बहुधा ‘पृथ्वी’ के गुरुत्वाकर्षण की तीव्रता भी कहते हैं।
G यथा g में अंतर
G tatha g me Antar likhiye
Gravitation kitani hight tak hai?
गुरुत्व आकर्षण बल का मान सबसे यादा कहा होता है
बड़ा G और g में क्या अंतर है
G or g me diphrens
Gurutha
G or g mai antar batoo
g tatha G me sambandh
Physicas ko.kisne banaya
Prokaryotic Kay do udharan
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G or g me antar