Mitti Ki Paribhasha मिट्टी की परिभाषा

मिट्टी की परिभाषा



GkExams on 12-05-2019

मिट्टी स्त्रीलिंग

  1. 1. ज़मीन के ऊपरी भाग में पाया जानेवाला भुरभुरा और मुलायम तत्त्व (जैसे—मिट्टी में पौधा लगाना, मिट्टी का घर बनाना)।
  2. 2. विशिष्ट स्थान पर पाया जानेवाला उक्त पदार्थ (जैसे—पीली मिट्टी, बलुई मिट्टी)।
  3. 3. सभी प्राणियों का शरीर जो मूलतः मिट्टी का ही बना है (जैसे—शरीर के पंच तत्त्व में एक तत्त्व मिट्टी भी है)।
  4. 4. मृत शरीर (जैसे—मिट्टी में शामिल होना)।
English
  1. 1. soil
  2. 2. marl
  3. 3. mitti
  4. 4. the clod
noun
  1. 1. clay
  2. 2. dirt
  3. 3. earth
  4. 4. earthenware
  5. 5. foulness
  6. 6. glebe
  7. 7. dirtiness
  8. 8. mess
  9. 9. cinder
  10. 10. clearcole
  11. 11. grubbiness
पृथ्वी ऊपरी सतह पर मोटे, मध्यम और बारीक कार्बनिक तथा अकार्बनिक मिश्रित कणों को मृदा (मिट्टी / soil) कहते हैं। ऊपरी सतह पर से मिट्टी हटाने पर प्राय: चट्टान (शैल) पाई जाती है। कभी कभी थोड़ी गहराई पर ही चट्टान मिल जाती है। मृदा विज्ञान (Pedology) भौतिक भूगोल की एक प्रमुख शाखा है जिसमें मृदा के निर्माण, उसकी विशेषताओं एवं धरातल पर उसके वितरण का वैज्ञानिक अध्ययन किया जाता हैं। पृथऽवी की ऊपरी सतह के कणों को ही ( छोटे या बडे) soil कहा जाता है

नदियों के किनारे तथा पानी के बहाव से लाई गई मिट्टी जिसको कछार मिट्टी कहते हैं, खोदने पर चट्टान नहीं मिलती। वहाँ नीचे के स्तर में जल का स्रोत मिलता है। सभी मिट्टियों की उत्पत्ति चट्टान से हुई है। जहाँ प्रकृति ने मिट्टी में अधिक हेर-फेर नहीं किया और जलवायु का प्रभाव अधिक नहीं पड़ा, वहाँ यह संभव है कि हम नीचे की चट्टानों से ऊपर की मिट्टी का संबंध क्रमबद्ध रूप से स्थापित कर सकें। यद्यपि ऊपर की सतह की मिट्टी का रंग-रूप नीचे की चट्टान से बिलकुल भिन्न है, फिर भी दोनों में रासायनिक संबंध रहता है और यदि प्राकृतिक क्रिया द्वारा, अर्थात् जल द्वारा बहाकर, अथवा वायु द्वारा उड़ाकर, दूसरे स्थल से मिट्टी नहीं लाई गई है, तब यह संबंध पूर्ण रूप से स्थापित किया जा सकता है। चट्टान के ऊपर एक स्तर ऐसा भी पाया जा सकता है जो चट्टान से ही बना है और अभी प्राकृतिक क्रियाओं द्वारा पूर्णत: मिट्टी के रूप में नहीं आया है, सिर्फ चट्टान के मोटे-मोटे टुकड़े हो गए हैं, जो न तो मिट्टी कहे जा सकते हैं और न चट्टान। इन्हीं की ऊपरी सतह में मिट्टी की बनावट पाई जाती है। इसी स्तर की मिट्टी में हमें नीचे की चट्टान के रासायनिक और भौतिक गुणों का संचय मिल सकता है। यदि चट्टान क्रिस्टलीय है, तो इसकी संभावना शत प्रतिशत पक्की है। नीचे की चट्टान के अत्यंत निकटवर्ती, पार्श्व भाग में चट्टान के समान रासायनिक और भौतिक गुण प्राप्त हो सकते हैं। जैसे-जैसे ऊपर की ओर दूरी बढ़ती जाएगी चट्टान की रूपरेखा भी बदलती जाएगी। अंत में हम वह मिट्टी पाते हैं, जो कृषि के लिये अत्यन्त अनुकूल सिद्ध हुई है और जिसपर आदि काल से कृषि होती आ रही है तथा मनुष्य फसल पैदा करता रहा है। कोई-कोई मिट्टी दूसरी जगह की चट्टानों से बनकर प्राकृतिक कारणों से आ जाती है। ऐसे स्थानों में यह सम्भावना नहीं है कि ऊपर की मिट्टी का भौतिक तथा रासायनिक सम्बन्ध नीचे के संचय से स्थापित किया जाय, पर यह निश्चित है कि मिट्टी की उत्पत्ति चट्टानों से हुई है। खेतों की मिट्टी में चट्टानों के खनिजों के साथ-साथ, पेड़ पौधों के सड़ने से, कार्बनिक पदार्थ भी पाए जाते हैं।


सूक्ष्मदर्शी द्वारा तथा रासायनिक विश्लेषण से पता चलता है कि चट्टानों की छीजन क्रिया प्रकृति में पाए जानेवाले रासायनिक द्रव्यों के प्रभाव से धीरे-धीरे होती है। चट्टानों के रासायनिक अवयव बदल जाते हैं और मिट्टी की रूपरेखा बिलकुल भिन्न प्रतीत होती है। यदि चट्टान का छीजना ही मिट्टी के बनने में एक प्रधान क्रिया होती तो हम आज खेतों की मिट्टी को पौधों के पनपाने के लिये अनुकूल नहीं पाते। मिट्टी की तुलना पीसी हुई बारीक चट्टान से नहीं की जा सकती। यद्यपि चट्टानों के खनिज मिट्टी के ऊपरी भाग में बहुत पाए जाते हैं और उनके टुकड़े भी बड़े परिमाण में वर्तमान रहते हैं, फिर भी मिट्टी में जीव-जंतु क्रियाएँ होती रहती हैं, जो कृषि के लिए महत्वपूर्ण साबित हुई हैं। जीवजंतु तथा उनसे संबंध रखनेवाले पदार्थो के, जैसे पेड़ पौधों की सड़ी हुई वस्तुओं और सड़े हुए जीव जंतुओं के, प्रभाव से कलिल अवस्था में प्राप्त चट्टानों के छोटे छोटे कणों पर प्रतिक्रिया होती रहती है और मिट्टी का रंग रूप बदल जाता है। यह रूप चट्टानों के सिर्फ कणों का नहीं रहता, मिट्टी का एक नवीन प्रणाली की भूषा से सुसज्जित हो जाती है। हम सूक्ष्मदर्शी से मिट्टी के एक टुकड़े की परीक्षा करें और फिर उसी यंत्र द्वारा इन चट्टानों के कणों की परीक्षा करें तो हम दोनों में जमीन आसमान का अंतर पावेंगे। यह अंतर उन अकार्बनिक पदार्थों के सम्मिश्रण से होता है जो जीव-जंतु और पौधों से प्राप्त होते हैं।


प्राकृतिक क्रियाओं द्वारा चट्टानों का छोटे-छोटे कणों में परिवर्तन होने से मिट्टी के बनने में जो सहायता होती है, उस क्रिया को अपक्षय (westhering) कहते हैं। यह क्रिया महत्वपूर्ण है और इसके कारण ही हम पृथ्वी पर मिट्टी को कृषि के अनुकूल पाते हैं। इस क्रिया में जल, हवा में स्थित ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड, जीवाणुओं तथा अन्य अम्लीय रासायनिक द्रव्यों से बहुत सहायता मिलती है।



Comments Priyanshu rawal on 08-11-2022

Mitti kisha kahate hai

Arunima Singh on 28-04-2022

Mitti ka paribhasha de

Narendra kumar on 24-04-2022

Mitti ke parts


Rohit Shahi Munda on 06-02-2022

मिट्टी किसे कहते हैं।

Piyush on 17-09-2020

मिट्टी मानव जीवन क्यूँ उपयोग है





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