लॉक के राजनीतिक दर्शन का सार प्राकृतिक अधिकारों कि अवधारणा है | प्राकृतिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए ही समझौते द्वारा राजनीतिक समुदाय का निर्माण होता है | लॉक के अनुसार शासन और सरकार का प्रमुख कार्य अधिकारों कि रक्षा करना है | लॉक के प्राय: सभी सिद्दांत-सामाजिक समझौता शासन और विद्रोह आदि किसी न किसी रूप से उसके प्राकृतिक अधिकारों के सिद्दांत से सम्बंधित है | जैसे सेबाइन ने कहा है “व्यक्ति के जीवन, स्वतन्त्रता तथा सम्पदा पर उसी सीमा तक नियंत्रण स्थापित किया जा सकता है, जिस सीमा तक कि इस कार्य से दूसरे व्यक्तियों के ऐसे ही अधिकारों कि रक्षा करने में सहायता मिलती है |”
जॉन लॉक कि प्राकृतिक अधिकारों कि अवधारणा को निम्नलिखित प्रकार से प्राकृतिक अधिकारों का चित्रण प्राकृतिक नियमों के आधार पर विश्लेषित किया जा सकता है |
जॉन लॉक ने प्राकृतिक नियमों को प्राकृतिक अधिकारों का आधार माना- इनके आधार पर ही प्राकृतिक अधिकारों का वर्णन किया है| ये प्राकृतिक नियम ही प्राकृतिक अधिकारों के अस्तित्व को व्यावहारिक बनाते है | लॉक मानते थे कि प्राकृतिक नियमों की अधीनता में रहने वाले सभी मानव स्वतन्त्रता तथा सामान है | सभी मनुष्य को समान रूप से प्राकृतिक अधिकार प्राप्त है |
जॉन लॉक ने प्राकृतिक अधिकारों को विश्लेषित करने के लिए जीवन, स्वतन्त्रता और सम्पदा आदि शब्दावली का प्रयोग किया है |
नैसर्गिक अधिकारों का आधार प्राकृतिक अधिकार- जॉन लॉक ने प्राकृतिक अधिकारों को नैसर्गिक अधिकारों कि संज्ञा दी है| नैसर्गिक अधिकार जन्मजात है तथा राज्य द्वारा इस पर नियंत्रण नहीं हों चाहिए| अतः जन्म से ही प्राप्त अधिकार एवं प्राकृतिक अधिकार है |
3. शासन या सरकार कि स्थापना के पूर्व के अधिकार- जॉन लॉक के अनुसार ये प्राकृतिक अधिकार, मानव को प्राकृतिक अवस्था से प्राप्त थे जिससे उनका जीवन सुखद व सुंदर था और वह इस अवस्था के सबसे महत्वपूर्ण अधिकार है| हॉब्स के अनुसार आदिकलीन अवस्था मे प्रकरातिक अधिकार मानव जीवन की रक्षा के लिए अत्यंत उपयोगी थे , जो व्यक्ति मे स्वभावतः निहित थेI रुसो की प्रक्रतिक अवस्था एसी स्वर्णिम युग-सी थी जिसमे व्यक्ति एक भोले और निर्दोष पक्षी के तरह प्रकरातिक सौन्द्र्य का उपभोग करता हुआ मस्त के साथ रहता था I अतः हॉब्स, लॉक तथा रूसो तीनो ने ही प्रकरातिक अधिकारो का अनुमोदन किया है
4. मानव कि प्राकृतिक अवस्था में इस अधिकारों का उपयोग करने कि स्वतन्त्रता – जॉन लॉक के अनुसार मानव को प्राकृतिक अवस्था से ही इन अधिकारों को प्रयोग करने कि शक्ति प्राप्त थी | नैसर्गिक अथवा जन्मजात अधिकारों के भरपूर प्रयोग के द्वारा ही उसकी स्थिति सुन्दर व सुखदायक बनी है |
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नैसर्गिक अधिकारों का विचार पर टिप्पणी?
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Lock ka teen parakratik adikar es parkar ha
1 Jivan ka adhikar (Right to life)
2. svatantrata ka adikar (Right to liberty)
3. sampati ka adikar (Right to property)