लॉक के प्राकृतिक अधिकार -
1. जीवन का अधिकार
2. स्वतन्त्रता का अधिकार
3. सम्पत्ति का अधिकार
जीवन का अधिकार- जॉन लॉक के अनुसार मानव का सबसे बड़ा लक्ष्य अपने जीवन की रक्षा करना है तथा अपने तथा अपने जीवन को सुरक्षित करने के लिए उसे सभी प्रकार के तर्कसंगत व विवेकपूर्ण कार्यो को करने का अधिकार मिलना चाहिए|
2. स्वतन्त्रता का अधिकार- जॉन लॉक के अनुसार प्राकृतिक नियमों द्वारा स्थापित नैतिक नियमों के अनुरूप आचरण करना ही स्वतन्त्रता है| व्यक्ति नैतिकता कि सीमाओं में रहकर ही अपनी स्वतन्त्रता या उपयोग कर सकता है| लॉक ने प्राक्रतिक नियमों के अस्तित्व का प्रतिपादन करके हाब्स के उन विचारों का खण्डन किया है जिसमें प्राकृतिक अवस्था पूर्णरूपेण अवस्था तथा अराजकता कि व्यवस्था थी | अपने नैसर्गिक अधिकारों की धरना के आधार पर ही उसने इंग्लैण्ड की 1688 ई. की गौरवपूर्ण क्रान्ति का समर्थन किया|
3. सम्पत्ति का अधिकार – लॉक ने अपने ग्रन्थ ‘ट्रीटाइज’ में इस बात पर सर्वाधिक बल दिया| राज्य के निर्माण का मुख्य उद्देश्य ही नागरिकों के जीवन, उनकी स्वतन्त्रता और सम्पत्ति में उन प्राकृतिक अधिकारों को सुरक्षित करना है जिनका उपयोग वे प्राकृतिक अवस्था में करते थे| लॉक का सम्पत्ति का अधिकार उसके प्राकृतिक अधिकारों में जीवन तथा स्वतन्त्रता के बाद में आता है परन्तु उसने इसे सबसे महत्वपूर्ण अधकार बताया है| लॉक का विचार था कि प्राकृतिक अवस्था में भी संपत्ति का अधिकार सुरक्षित था तथा क्रियान्वित होता था| उस युग में संपत्ति इस अर्थ में समझी जाती थी कि प्रत्येक व्यक्ति प्रकृति से अपने जीवन निर्वाह की सामग्री प्राप्त करता था |
4. लॉक के विचार से सम्पत्ति का अधिकार राज्य की उत्पत्ति से पहले विधमान था| राज्य ने संपत्ति का अविष्कार नहीं किया है बल्कि सम्पत्ति के संरक्षण के लिए ही राज्य का अविष्कार हुआ है| इस अधिकारों की पूर्ति करने के लिए राज्य की स्थापना एक व्यास या धरोहर के रूप में की जाती है | राज्य केवल उन्ही अणुविधायों और कठिनाइयों को दूर करने का प्रयास करता है जो प्राकृतिक अवस्था में थी | वह केवल सुरक्षा, सुव्यवस्था और न्याय के तीन कार्य कर सकता है |
वह नीति सम्पत्ति को व्यक्ति के अधिकारों का सारत्व मानता था| प्रकृति के नियम law of Nature पर आधारित थे | प्रकृति के किसी भी अवयव या तंत्र पर प्रयोग करके किये गये प्रेक्षणों पर आधारित ‘सामान्यीकरण’ भौतिकी नियम (physical law) वैज्ञानिक नियम कहलाते हैं| इन्हें ‘प्रकृति के नियम’ (law of nature) भी कहते हैं राज्य को यह अधिकार नहीं कि वह किसी की सहमती के बिना उसकी सम्पत्ति छीन, यहाँ तक कि प्रजा की सहमती के बिना उस पर टैक्स भी नहीं लगाया जा सकता है| लॉक ने सम्पति के अधिकार को कानूनी अधिकार भी बना दिया है| परन्तु सम्पत्ति के बारे में लॉक के इस दावे को स्वीकार करते समय यह ध्यान रखना जरुरी है कि लॉक में सम्पत्ति को मूलतः व्यक्ति के ‘श्रम का फल’ माना है|
इस तरह लॉक के अनुसार ‘सम्पत्ति कि सुरक्षा’ का विचार ही मनुष्यों को यह प्रेरणा देता है कि वह प्राकृतिक दशा का त्याग करके नागरिक समाज की स्थापना करे चूँकि सम्पत्ति का अधिकार एक प्राकृतिक अधिकार है इसलिए शासन या सरकार को इसका उल्लंधन करने का अधिकार नहीं है | लॉक का तात्पर्य यह था कि नागरिक समाज में व्यक्ति को आर्थिक गतिविधियों में भाग लेने का पूरा अधिकार है|
मैक्फर्सन ने कहा,
“ लॉक के अनुसार मनुष्य को अपने शरीर पर स्वामित्व प्राप्त है। अतः अपने शरीर या अपने हाथों से व जो काम करता है उसके साथ उसका अपना नाम जुड जाता है। प्राकृतिक संसाधनों के साथ अपना श्रम मिलाने से वह जो कुछ अर्जित करता है वह उसकी निजी सम्पत्ति बन जाती है। इस तरह की वस्तुओं को अधिकार में लेने के लिए किसी तरह की सहमति की आवश्यकता नहीं होती है।“
मैक्फर्सन ने इस तर्क के साथ जुड़े हुए विचार को ‘स्वत्वमूलक व्यक्तिवाद’ Possessive Individualism संज्ञा दी है। जिसका तात्पर्य है कि व्यक्ति वस्तुतः अपने शरीर और अपनी क्षमता का स्वामी है और इनके लिए वह समाज के प्रति किसी भी तरह के ॠणी नहीं है ।
Adhikaro ke Siddhant answer mein
Doo talwaar qa h
Muje kitab ki Bhasa samj m nhi ata h
What do you think of the concept of John Lock?
Rajmal or tasty and main antar
lock ke prakriti adhikar sidhant me kis adhikar ki sthan nhi hy
lock ka
Prakrutik Adhikar kya hai
Mera question hai ki John Locke ke prakritik kanun kya hai
Lock ke anusar parkritik adikar kya hai
State of nature par Locke ke kya vichar the
Lock ke anusar prakrutik raja kya tha
Parakatik adikar ke samaband me lok ke visar isapast kijiye
लॉक के प्राकृति नियम
लॉक के प्राकृतिक कानून के प्रति विचार क्या थे ?
जाॅन लाॅक के अधिकार
John lock ke sampatti ke Adhikar per vichar
John lock
Johnlock dwara diye Gaye prakrutik adhikaron ke Siddhant ka varnan Karen
Locke s State of Nature was
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Mera javab he mughe sail lengvig me samgh aata he kitabi lengvig me naho