Parithviraj Raso Pramanikta पृथ्वीराज रासो प्रमाणिकता

पृथ्वीराज रासो प्रमाणिकता



GkExams on 22-12-2018

'' पृथ्वीराज रासो '' एक ऐसा महाकाव्य है जिसे साहित्य का सर्वाधिक प्राचीन महाकाव्य माना जाता हैं | अब तक कई प्रतिया प्रकाश में आई हैं | इसकी कई प्रतियाँ उदयपुर राज्य के पुस्तकालय में सुरक्षित रखा गया हैं | इसकी सभी उपलब्धियाँ प्रतियाँ संवत 1750 बाद लिपिबद्ध की गई है |




वैसे नागरी प्रचारिणी सभा वाले संस्करण का आधार संवत 1642 की प्रति बताया जाता हैं | इसमें 16306 छंद है |



इसकी कुछ प्रतियाँ '' अबोहर '' के '' बीकानेर '' के '' जैन ज्ञान भण्डार '' और '' श्रीयुत अगरचन्द नाहटा '' के पास सुरक्षित हैं | तथा इसकी सभी उपलब्ध प्रतियाँ संवत 1700 के बाद लिपिबद्ध की गई है |



इसकी तीन प्रतियाँ बीकानेर के राजकीय पुस्तकालय '' अनूप संस्कृत पुस्तकालय '' में सुरक्षित हैं | यह 19 सर्गो में विभाजित हैं | श्लोकों की संख्या 3500 हैं |



यह संस्करण '' श्री अगरचन्द नाहटा '' द्वारा खोजै गया था | इसमें अध्यायों का विभाजन नहीं हैं | तथा इसमें श्लोको की संख्या 1300 हैं | '' डॉ0 दशरथ शर्मा '' ने इसी संस्करण को प्रामाणिक माना हैं |



रासो के उद्धरण कार्य में तीन व्यक्तियों का नाम लिया जाता हैं - ( 1 - झल्लर , 2 - चंद्रसिंह , 3 - अमरसिंह ) | झल्लर कवि चंदबरदायी के पुत्र थे | गजनी जाते समय चंदबरदायी अपने पुत्र झल्लर को रासो को पूरा करने के लिए आदेश दिए थे | '' चंदसिंह '' '' सूरजसिंह '' के पुत्र थे |





पृथ्वीराज रासो की प्रमाणिकता



प्रारम्भ में '' रासो '' को एक प्रमाणिक ग्रन्थ समझा गया था | फ्रांस के विद्वान् '' गार्सा द तासी '' ने भी इसे प्रामाणिक माना था | बंगाल की '' रॉयल एशियाटिक सोसाइटी '' ने तो इसका प्रकाशन भी शुरू कर दिया था , किन्तु इसी बिच सन 1875 ई0 में '' प्रो0 बूलर '' को कश्मीर में '' जयानक '' द्वारा रचित '' पृथ्वीराज विजय '' नामक संस्कृत काव्य उपलब्ध हुआ |




ऐतिहासिकता की दृष्टि से इस ग्रन्थ में वर्णित घटनाएं उन्हें '' पृथ्वीराज रासो '' की अपेक्षा शुद्ध प्रतीत हुई | ऐसी स्थिति में '' प्रो बूलर '' को रासो की प्रमाणिकता पर संदेह हुआ और उन्होंने इसका प्रकाशन कार्य रुकवा दिया |



'' गौरीशंकर हीराचंद ओझा '' अकाट्य युक्तियों से '' पृथ्वीराज रासो '' को अप्रमाणिक सिद्ध करने का प्रयास किया हैं | सच यह है कि हिंदी साहित्य में '' पृथ्वीराज रासो '' प्रमाणिकता का प्रश्न आज तक उलझा हुआ हैं | कुछ आलोचक '' पृथ्वीराज रासो '' को नितान्त अनैतिहासिक मानते हैं , जबकि कुछ विद्वान इसे प्रामाणिक मानते हैं |





पृथ्वीराज रासो के अप्रामाणिकता के कारण



1 - इसमें परमार , चालुक्य और चौहान क्षत्रिय अग्निवंशी माने गए हैं , जबकि प्राचीन ग्रंथों और शिलालेखों के आधार पर ये सूर्यवंशी प्रमाणित होते हैं |




2 - पृथ्वीराज और जयचंद्र की शत्रुता तथा संयोगिता स्वयंवर की बात को भी अनैतिहासिक कहा हैं |




3 - इतिहास के अनुसार '' अनंगपाल '' उस समय दिल्ली का राजा नहीं था और न ही पृथ्वीराज को उसने गोद लिया था | पृथ्वीराज अजमेर का राजा था , न कि दिल्ली का | वीसलदेव पहले से ही दिल्ली राज्य में सम्मिलित कर चुके थे |




4 - पृथ्वीराज के माँ का नाम '' कर्पूरदेवी '' था , '' कमला '' | पृथ्वीराज रासो में कमला बताया गया है |





5 - पृथ्वीराज की बहन का विवाह मेवाङ के राजा '' समरसिंह '' हुआ था , क्योकि शिलालेखों से यह प्रामाणिक हो चूका है कि समरसिंह पृथ्वीराज के बाद 109 वर्ष तक जीवित रहे |




6 - गुजरात के राजा '' भीमसिंह '' का '' पृथ्वीराज '' द्वारा वध भी अनैतिहासिक हैं ,क्योकि राजा भीमसिंह पृथ्वीराज के बाद 50 वर्ष तक जीवित रहे थे | भीमसिंह पृथ्वीराज के समय बालक ही थे |




7 - '' पृथ्वीराज रासो '' में पृथ्वीराज के 11 वर्ष से लेकर 36 वर्ष आयु तक 14 विवाहों का वर्णन हैं , जबकि इतिहास के अनुसार पृथ्वीराज की मृत्यु 30 वर्ष की अवस्था से पहले ही हो गई थी | अतः इतने विवाह असंभव है |




8 - '' आबू '' पर '' भीम चालुक्य '' का आक्रमण , '' शहाबुद्दीन '' साथ '' पुराडोर '' युद्ध आदि तिथियाँ भी गलत हैं |




9 - '' पृथ्वीराज रासो '' के अनुसार शहाबुद्दीन संवत 1249 में पृथ्वीराज के द्वारा मारा गया था , परन्तु इतिहास के अनुसार संवत 1263 में '' गक्खरों '' के द्वारा उसका वध किया गया |





उक्त विवेचन के आधार पर यह कहा जा सकता हैं कि '' पृथ्वीराज रासो '' एक मनमाना ग्रन्थ हैं | जिसका कोई ठीक से प्रमाण ही नहीं मिलता है |






सम्बन्धित प्रश्न



Comments Dipti on 25-11-2023

Pruthavi raso ke rudhiyo k bare me bataiye

Neelam on 27-10-2023

Prithviraj raso ki pramaniktta pr vichar kre

Ramesh parangi on 28-08-2023

इनके बारे में ये भी मिलता है कि पृथ्वीराज ने मोहमद गौरी को लगभग 200fit की ऊंचाई पर शाब्दिक बाण से मारा था और बाद में पृथ्वी राज को कतार से चंदबरदाई ने और चंदबरदाई को पृथ्वीराज ने मारा था ये कहा तक सत्य है कृपया बताना


Nisha nath on 09-01-2023

Raso ki apromamik ka mul fal

Nisha nath on 21-11-2022

Raso ki apromamik ka mul pall

M.choudhary on 29-06-2022

पृथ्वीराज रासो की प्रमाणिकता अथवा अप्रमाणिकता को तर्क सहित सिद्ध कीजिए

M. H. D hindi on 04-12-2021

Prithvi raj raso ka parichay dete hue uski pramanikta pr prakash daliye.


भरत on 16-11-2021

कबीर के निगुण बहा



Deepika on 27-02-2020

पृथ्वीराज रासो की प्रामाणिकता के बारे में कोई दो तर्क

Chhagan lal on 17-05-2020

पृथ्वीराज रासो की प्रामाणिकता के कोई दो तर्क दीजिए

इतिहास on 13-05-2021

पृथ्वीराज रासो की प्रामाणिकता के बारे में कोई दो तर्क दीजिए

Chetan ram on 29-09-2021

पृथ्वीराज रासो की प्रामाणिकता के बारे में कोई दो तर्क दीजिए ।


Dilraj on 13-11-2021

Tulsi ki bhakti Bhavna ka sodaharan sahit spasht kijiye

Kaimasbadh kabye sudhrye on 13-11-2021

Prithviraj raso mekaimas badh kabhiye saudharye



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