राठोड़ों की प्राचीन तेरह खापें थी | राजस्थान में आने वाले सीहाजी राठोड दानेश्वरा खाप के राठोड़ थे | सीहाजी के वंशजो से जो खांपे चली वे निम्न प्रकार है |
1. इडरिया राठोड़ :- सोनग ( पुत्र सीहा ) ने इडर पर अधिकार जमाया | अतः इडर के नाम से सोनग के वंशज इडरिया राठोड़ कहलाये |
2. हटूकिया राठोड़ :- सोनग के वंशज हस्तीकुण्डी ( हटुंडी ) में रहे | वे हटूंडीया राठोड़ कहलाये | जोधपुर इतिहास में ओझा लिखते हे की सीहाजी से पहले हटकुण्डी में राष्ट्र कूट बालाप्रसाद राज करता रहा | उसके वंशज हटूंणडीया राठोड़ हे | परन्तु हस्तीकुण्डी शासन करने वाले राष्ट्रकूटों ( चंद्रवंशी ) का कोई वंशज नजर नहीं आता है | ( दोहठ ) राठोड़ - सीहा राठोड़ के बाद कर्मशः सोनग , अभयजी , सोहीजी , मेहपाल जी , , भारमल जी , व् चूंडारावजी हुए चूंडाराव अमरकोट के सोढा राणा सोमेश्वर के भांजे थे | इनके समय मुसलमान ने जोर लगाया की अमरकोट के सोढा हमारे से बेटी व्यवहार करें | तब चूंडाराव जो उस समय अमरकोट थे | इनकी सहायता से मुसलमान की बारातें बुलाई गयी एवं स्वयं इडर से सेना लेकर पहुंचे सोढों और राठोड़ों ने मिलकर मुसलमानों की बरातों को मार दिया | उस समय वीर चूंडराव को दू:हठ की उपाधि दी गयी थे अतः चूंडराव के वंशज दोहठ कहे गए | ये राठोड़ , अमरकोट , सोराष्ट्र , कच्छ , बनास कांठा , जालोर , बाड़मेर , जैसलमेर , बीकानेर जिलों में कहीं - कहीं निवास करते रहे है |
3. बाढ़ेल ( बाढ़ेर ) राठोड़ :- सीहाजी के छोटे पुत्र अजाजी के दो पुत्र बेरावली और बीजाजी ने द्वारका के चावड़ो को बाढ़ कर ( काट कर ) द्वारका ( ओखा मंडल ) पर अपना राज्य कायम किया | इसी कारन बेरावलजी के वंशज बाढ़ेल राठोड़ हुए | आजकल ये बाढ़ेर राठोड़ कहलाते है | गुजरात में पोसीतरा , आरमंडा , बेट द्वारका बाढ़ेर राठोड़ों के ठिकाने थे |
4. बाजी राठोड़ :- बेरावल जी के भाई बीजाजी के वंशज बाजी राठोड़ कहलाये है | गुजरात में महुआ , वडाना, आदीइनके ठिकाने हे| बाजी राठोड़ आज भी गुजरात में हि बसते है |
5. खेड़ेचा राठोड़ :- सीहा के पुत्र आस्थान ने गुहिलों से खेड़ जीता | खेड़ नाम से आश्थान के वंशज खेड़ेचा राठोड़ कहलाते है |
6. धुहड़ीया राठोड़ :- आस्थान के पुत्र धूहड़ के वंशज धुहड़ीया राठोड़ कहलाये |
7 . धांधल राठोड़ :- आस्थान के पुत्र धांधल के वंशज धांधल राठोड़ कहलाये | पाबूजी राठोड़ इसी खांप के थे | इन्होने चारणी को दीये गए वचनानुसार पणीग्रहण संस्कार को बीच में छोड़कर चारणी के गायों को बचाने के प्रयास में शत्रु से लड़ते हुए वीर गति प्राप्त की| यही पाबुजी लोक देवता के रूप में पूजे जाते है |
8. चाचक राठोड़ : - आस्थान के पुत्र चाचक के वंशज चाचक राठोड़ कहलाये |
9 . हरखावत राठोड़ :- आस्थान के पुत्र हरखा के वंशज
10. जोलू राठोड़ :- आस्थान के पुत्र जोपसा के पुत्र जोलू के वंशज
11 . सिंधल राठोड़ :- जोपसा के पुत्र सिंधल के वंशज | ये बड़े पराक्रमी हुए | इनका जेतारण पाली पर अधिकार था | जोधा के पुत्र सूजा ने बड़ी मुश्किल से उन्हें वहां से हटाया |
12. उहड़ राठोड़ :- जोपसा के पुत्र उहड़ के वंशज
13 . मुलु राठोड़ :- जोपसा के पुत्र मुलु के वंशज
14 बरजोर राठोड़ :- जोपसा के पुत्र बरजोड के वंशज
15. जोरावत राठोड़ :- जोपसा के वंशज
16. रेकवाल राठोड़ :- जोपसा के पुत्र राकाजी के वंशज है | ये मल्लारपुर , बाराबकी , रामनगर , बड़नापुर , बहराईच उतरापरदेश में है |
17. बागड़ीया राठोड़ :- आस्थान जी के पुत्र जोपसा के पुत्र रैका से रैकवाल हुए | नोगासा बांसवाड़ा के ऐक स्तम्भ लेख बैसाख वदी1361 में मालूम होता हे की रामा पुत्र वीरम सवर्ग सिधारा | ओझाजी ने इसी वीरम के वंशजों को बागड़ीया राठोड़ माना है | क्यूँ की बांसवाड़ा का क्षेत्र बागड़ कहलाता था |
18. छप्पनिया राठोड़ :- मेवाड़ से सटा हुआ मारवाड़ की सीमा पर छप्पन गाँवो का क्षेत्र छप्पन का क्षेत्र है | यहाँ के राठोड़ छप्पनिया राठोड़ कहलाये | यह खांप बागदीया राठोड़ों से निकली है | उदयपुर रियासत में कणतोड़ गाँव की जागीरी थी |
19. आसल राठोड़ :- आस्थान के पुत्र आसल के वंशज आसल राठोड़ कहलाये |
20. खोपसा राठोड़ :- आस्थान के पुत्र जोपसा के पुत्र खीमसी के वंशज |
21. सिरवी राठोड़ :- आस्थान के पुत्र धुहड़ के पुत्र शिवपाल के वंशज |
22. पीथड़ राठोड़ :- आस्थान के पुत्र पीथड़ के वंशज |
23. कोटेचा राठोड़ :- आस्थान के पुत्र धुहड़ के पुत्र रायपाल हुए | रायपाल के पुत्र केलण के पुत्र कोटा के वंशज कोटेचा हुए |बीकानेर जिले में करनाचंडीवाल , हरियाणा में नाथूसरी व् भूचामंडी , पंजाब में रामसरा आदी इनके गाँव है |
24. बहड़ राठोड़ :- धुहड़ के पुत्र बहड़ के वंशज |
25. उनड़ राठोड़ :- धुहड़ के पुत्र उनड़ के वंशज |
26. फिटक राठोड़ :- रायपाल के पुत्र केलण के पुत्र थांथी के पुत्र फिटक के वंशज फिटक राठोड़ हुए |
27. सुंडा राठोड़ :- रायपाल के पुत्र सुंडा के वंशज |
28 . महीपाल राठोड़ :- रायपाल के पुत्र महीपाल के पुत्र वंशज |
29. शिवराजोत राठोड़ :- रायपाल के पुत्र शिवराज के वंशज |
30. डांगी :- रामपाल के पुत्र डांगी के वंशज ढोलिन से शादी की अथवा इनके वंशज ढोली हुए |
31. मोहनोत :- रायपाल के पुत्र मोहन ने ऐक महाजन की पुत्री से शादी की | इस कारन उसके वंशज मुह्नोत वेश्य कहलाये मुह्नोत नेंणसी इसी ख्यात से थे |
32. मापावत राठोड़ :- रायपाल के वंशज मापा के वंशज
33. लूका राठोड़ :- रायपाल के वंशज लूका के वंशज
34. राजक:- रायपाल के वंशज रजक के वंशज
35. विक्रमायत राठोड़ :- रायपाल के पुत्र विक्रम के वंशज |
36. भोंवोत राठोड़ :- रायपाल के पुत्र भोवण के वंशज |
37. बांदर राठोड़ :- रायपाल के पुत्र कानपाल हुए | कानपाल के जालण और जालण के पुत्र छाडा के पुत्र बांदर के वंशज बांदर राठोड़ कहलाये | घड़सीसर ( बीकानेर ) राज्य बताते है |
38. ऊना राठोड़ :- रायपाल के पुत्र ऊडा के वंशज |
39. खोखर राठोड़ :- छाडा के पुत्र खोखर के वंशज | खोखर ने सांकडा , सनावड़ा आदी गाँवो पर अधिकार किया | और खोखर गाँव ( बाड़मेर ) बसाया | अलाऊधीन खिलजी ने सातल दे के समय सिवाना पर चढ़ाई की तब खोखर जी सातल दे के पक्ष में वीरता के साथ लड़े और युद्ध मे काम आये |
खोखर जिन गाँवो में रहते है :- जैसलमेर जिले में , निम्बली , कोहरा , भाडली , झिनझिनयाली , मूंगा , जेलू , खुडियाला , आस्कंद्र, भादरिया , गोपारयो, भलरीयो , जायीतरा, नदिया बड़ा , अडवाना, सांकडा ,पालवा ,सनावड़ा , खीखासरा , कस्वा चुरू - रालोत जोगलिया
बाड़मेर में - खोखर शिव , खोखर पार जोधपुर में - जुंडदिकयी, खुडियाला , खोखरी पाला , बिलाड़ा | नागोर में खोखरी पाली - बाली , गंदोग , खोखरी पाला , बिलाड़ा | विक्रमी 1788 में अहमदाबाद पर हमला किया गया | तब भी खोखारों ने नी वीरता दिखाई थी |
40. सिंहकमलोत राठोड़ :- छाडा के पुत्र सिंहमल के वंशज | अलाऊदीन के सातेलक के समय सिवाना पर चढ़ाई की थी |
41. बीठवासा उदावत राठोड़ :- रावल टीडा के पुत्र कानड़दे के पुत्र रावल के पुत्र त्रिभवन के पुत्र उदा की बीठवास जागीर में था |अतः उदा के वंशज बीठवासिया उदावत कहलाये | उदाजी के पुत्र बीरम जी बीकानेर रियासत के साहुवे गाँव से आये | जोधाजी ने उनको बीठवसिया गाँव के जागीर दी | इस गाँव के आलावा वेग्डीयो और धुनाड़ीया गाँव भी इनकी जागीरी में थे |
42. सलखावत राठोड़ :- छाडा के पुत्र टीडा के पुत्र सलखा के वंशज सल्खावत राठोड़ कहलाये
43. जैतमालोत :- सलखा के पुत्र जैतमाल के वंशज जैत्मालोत राठोड़ कहलाये |बीकानेर में कहीं कहीं निवास करते है |
44. जूजाणीया :- जैतमाल के पुत्र खेतसी के वंशज है | गाँव थापाणा इनकी जागीर में था |
45.राड़धरा राठोड़ :- जैतमाल के पुत्र खिंया ने राड़धरा पर अधिकार किया | अतः इनके वंशज राड़धरा कहलाये |
46 . महेचा राठोड़ :- सलखा राठोड़ के पुत्र मल्लिनाथ बड़े प्रसिद्ध हुए | बाड़मेर का महेवा क्षेत्र सलखा के पिता टीडा के अधिकार में था | विक्रमी संवत 1414 में मुस्लिम सेना का आक्रमण हुआ | सलखा को केद कर लिया गया | केद से छूटने के बाद विक्रमी संवत1422 में आपने श्वसुर राणा रूपसी पड़िहार की सहायता से महेवा को वापिस जीत लिया | विक्रमी संवत 1430 में मुसलमानों का फिर आक्रमण हुआ | सलखा ने वीर गति पायी |सलखा के स्थान पर ( माला ) मल्लिनाथ राज्य का स्वामी हुआ | इन्होने मुसलमानों से सिवाना का किला जीता और अपने आपने छोटे भाई जैतमाल को दे दिया | व् छोटे भाई वीरम को खेड़ की जागीरी दे दी| नगर व् भिरड़ गढ़ के किले भी मल्लिनाथ ने अधिकार में किये | मलिनाथ शक्ति संचय कर राठोड़ राज्य का विस्तार करने और हिन्दू संस्कृति की रक्षा करने पर तुले रहे | उन्होंने मुसलमानों के आक्रमण को विफल किया | मल्लिनाथ और उनकी राणी रुपादें , नाथ संप्रदाय में दिक्सीत हुए और ये दोनों सिद्ध माने गए | मल्लिनाथ के जीवन काल में हि उनके पुत्र जगमाल को गादी मिल गयी |जगमाल भी बड़े वीर थे | गुजरात का सुल्तान तीज पर इक्कठी हुयी लड़कियों को हर ले गया | तब जगमाल अपने योधाओं के साथ गुजरात गए और सुल्तान की पुत्री गीन्दोली का हरण कर लाया तब राठोड़ों और मुसलमानों में युद्ध हुआ | इस युद्ध में जगमाल ने बड़ी वीरता दिखाई | कहा जाता हे की सुल्तान के बीबी को तो युद्ध में जगह - जगह जगमाल हि दिखयी दिया
करमसोत राठौर कोनसी शाखा म आता ह
Rathour ki suriti
rathore ka gotra kya h
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RAO AKERAVJI KI FAGVEL TAK KI VANSAVALI BATA SAKTEHO