Gobar Gas Se Bijli Banane Ki Vidhi गोबर गैस से बिजली बनाने की विधि

गोबर गैस से बिजली बनाने की विधि



GkExams on 25-02-2019


जैवगैस या बायोगैस (Biogas) वह गैस मिश्रण है जो आक्सीजन की अनुपस्थिति में जैविक सामग्री के विघटन से उत्पन्न होती है। यह सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा की तरह ही नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है। बायोगैस स्थानीय उपलब्ध कच्चे पदार्थों एवं कचरा से पैदा की जा सकती है। यह पर्यावरण-मित्र और CO2-न्यूट्रल है।

बायोगैस जीवाश्म ईंधन से बनाया जा सकता है या मृत जैवसामग्री से। बायोगैस अधिकांशत: जीवाश्म ईंधनों से अधिक पसंद किया जाता है। कम मात्रा में कार्बन वातावरण के लिए स्वस्थ होता है, लेकिन अधिक होने पर यह तकलीफदेह बन जाता है। जीवाश्म ईंधनों में कार्बन इतने समय से मौजूद है कि वह अब कार्बन साइकिल का हिस्सा ही नहीं रह गई। जीवाश्म ईंधन के जलने पर कार्बन का स्तर बढ़ता है।


बायोगैस हालिया मृत ऑर्गेनिज्म से बनता है, इसलिए यह वातावरण में कार्बन स्तर को नहीं बिगाड़ती। बायोगैस जीवाश्म ईंधन के बजाय इसलिए भी बेहतर है क्योंकि यह सस्ता और नवीकृत ऊर्जा है। विकासशील देशों के लिए यह फायदेमंद है क्योंकि इसे छोटे संयंत्रों में बनाया जा सकता है, लेकिन कुछ लोगों का कहना है फसलों से प्राप्त किए जाने वाले ईंधन से खाद्य पदार्थो की कमी हो जाएगी और इससे वन कटाव, जल व मिट्टी में प्रदूषण, या तेल उत्पादक देशों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।


बायोगैस प्लांट में पशुओं के व्यर्थ पदार्थ या एनर्जी क्रॉप्स के उपयोग से बायोगैस बनाई जाती है। एनर्जी क्रॉप्स को भोजन के बजाय बायोफ्यूल्स के लिए उगाया जाता है। बायोफ्यूल बायोमास कहे जाने वाले मृत ऑर्गेनिक तत्वों से बनाया जाता है और यह तरल, गैसीय या ठोस रूप में हो सकता है। एक बायोगैस प्लांट में एक डाइजेस्टर और गैस होल्डर होता है जो ईंधन निर्माण करता है। प्लांट का डाइजेस्टर एयरटाइट होता है जिसमें व्यर्थ पदार्थ डाला जाता है और गैस होल्डर में गैस का संग्रहण होता है।

जैव संयंत्र का सरल चित्र
अति सरल डिजाइन जिसे स्वयं बनाया जा सकता है।

बायोगैस प्लांट का निर्माण गैस की जरूरत और व्यर्थ पदार्थ की उपलब्धता पर निर्भर करता है। साथ ही डाइजेस्टर के बैच फीडिंग या लगातार फीडिंग पर भी। बायोगैस प्लांट जमीन की सतह या उसके नीचे बनाया जाता है और दोनों मॉडलों के अपने फायदे-नुकसान हैं। सतह पर बना प्लांट रख-रखाव में आसान होता है और उसे सूरज की गर्मी से भी लाभ होता है, लेकिन इसके निर्माण में अधिक ध्यान देना होता है क्योंकि वहां डाइजेस्टर के अंदरूनी दबाव पर ध्यान देना होता है। इसके विपरीत सतह के नीचे स्थित प्लांट निर्माण में आसान लेकिन रख-रखाव में मुश्किल होता है।




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Comments Amol mule on 07-02-2022

50kg gobar se gas kitni banegi

Ashok Kumar chhipa on 20-07-2021

Ghobar ki ges se bijali ka niman kis parkar kar sakte hai

Kaushlendra Singh on 31-07-2020

Gobar se bijli kaise banaye project children






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