सूर्यातप (Insulation)
सूर्यातप सूर्य की किरण का वह भाग है जो पृथ्वी को प्राप्त होता है। इसको निम्नलिखित प्रकार से समझ सकते हैं।
लघु तरंगों के रूप में आने वाली सूर्य की किरणें जो 3 लाख किलो मीटर/सेकण्ड या 1 लाख 86 हजार मील से0 की गति से पृथ्वी की सतह पर पहॅुचती है सूर्यातप कहलाती है। इसी को सौर्य ऊर्जा या सौर्यिक विकिरण कहतें हैं। पृथ्वी को सूर्य की कुल ऊर्जा का 1/2 अरबवां भाग ही प्राप्त होता है जो 23 खरब हार्स पावर ऊर्जा के बराबर है।
सूर्य से प्रथ्वी की दूरी 14 करोड़ 96 लाख किमी0 है। सूर्य को प्रकाश पृथ्वी तक अपने प्रकाश को पहुॅचाने में 8 मि0 3 से0 का समय लगता हैै।
सूर्य की किरणें पृथ्वी पर लघु तरंगो के रूप मे आती हैं।
इसको ¼ Solar Radiation ½ कहा जाता है। और जब पृथ्वी से विकिरण होता जिसे पार्थिव विकिरण कहतें है जो दीर्घ तरंगों के रूप में होता है।
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पृथ्वी पर तापमान और सौर विकिरण का प्रभाव
प्राकृतिक प्रक्रियाओं में Solar Vikiran और Temperature का महत्वपूर्ण योगदान होता है। पृथ्वी के तापमान में परिवर्तन अक्षांशीय और अक्षांशीय कारकों के कारण होता है, जो कि ऊर्जा स्थानांतरण प्रक्रियाओं द्वारा नियंत्रित किया जाता है।
Solar Vikiran का महत्व
Solar Vikiran का प्रभाव पृथ्वी के सभी हिस्सों पर एक समान नहीं होता है। यह ऊर्जा असमानता अक्षांशीय और अनुदैर्ध्य क्षेत्रों के बीच तापमान वितरण को प्रभावित करती है। उदाहरण के लिए, January में उत्तरध्रुवीय क्षेत्रों में Solar Vikiran की मात्रा कम होती है, जबकि दक्षिणी क्षेत्रों में यह अधिक होती है। इसके विपरीत, July में स्थिति उलटी होती है।
Temperature का महत्व
पृथ्वी पर Temperature का महत्व केवल Solar Vikiran से मिलने वाली ऊर्जा तक ही सीमित नहीं है। बल्कि यह स्थान के प्रकार और वहां के जलवायु कारकों से भी प्रभावित होता है। उदाहरण के लिए, समुद्री स्थानों पर मिलने वाली Solar Vikiran की मात्रा और भूमि पर मिलने वाली Solar Vikiran की मात्रा में अंतर होता है। समुद्री स्थानों में तापमान आमतौर पर स्थिर रहता है, जबकि स्थलीय स्थानों में तापमान में अधिक उतार-चढ़ाव देखा जाता है।
Paravartit Vikiran और Urja Santulan
Paravartit Vikiran और Urja Santulan प्राकृतिक प्रक्रियाओं के बीच एक महत्वपूर्ण संतुलन को बनाए रखते हैं। Paravartit Vikiran वह ऊर्जा है जो पृथ्वी द्वारा वापस आकाश में भेजी जाती है, और Urja Santulan उस संतुलन को बनाए रखता है जो Solar Vikiran और Paravartit Vikiran के बीच होता है।
Vaishvik Tapvardhi और Ozone Parat
वर्तमान समय में सबसे बड़ी समस्या Vaishvik Tapvardhi की है। वैज्ञानिकों का मानना है कि वायुमंडल में Ozone परत का पतला होना और Carbon Dioxide का बढ़ना इसका प्रमुख कारण है। यदि Ozone परत और पतली हो जाती है, तो पृथ्वी का तापमान काफी बढ़ सकता है, जिससे महासागर का जल स्तर बढ़ने और तटीय क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा हो सकता है।
January और July के महीने
January और July के महीने विभिन्न स्थानों पर विभिन्न प्रकार की तापमान स्थितियों को दर्शाते हैं। January में उत्तर और दक्षिणी क्षेत्रों में तापमान में अधिक अंतर देखा जाता है, जबकि July में यह अंतर घटता है।
आखिरकार, Solar Vikiran और Temperature प्राकृतिक प्रक्रियाओं के संतुलन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन दोनों के बीच का संतुलन पृथ्वी की जलवायु पर गहरा प्रभाव डालता है और इसे समझना हमारे पर्यावरण के संरक्षण के लिए अत्यंत आवश्यक है।