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Raidas Ka Jeevan Parichay रैदास का जीवन परिचय

रैदास का जीवन परिचय



GkExams on 16-05-2022


रैदास का जीवन परिचय (Biography of Poet Ravidas) : इनका असली नाम "संत रविदास" था। जो आगे चलकर "रैदास" के नाम से प्रसिद्द हुए थे। रैदास का जन्म चंवर जाति परिवार में सन् 1388 को बनारस में हुआ था। आपकी बेहतर जानकारी के लिए बता दे की रैदास कबीर के समकालीन हैं।


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इनकी शिक्षा की बात करें तो रविदास (ravidas in hindi) बचपन से ही बुद्धिमान, बहादुर, होनहार और भगवान के प्रति चाह रखने वाले थे। रविदास जी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने गुरू पंडित शारदा नन्द की पाठशाला से शुरू की थी। लेकिन कुछ समय पश्चात उच्च कुल के छात्रों ने रविदास जी को पाठशाला में आने का विरोध किया। हालाँकि उनके गुरू को पहले से ही आभास हो गया था कि रविदास को भगवान ने भेजा है।


रविदास जी के गुरू इन उंच-नीच में विश्वास नहीं रखते थे। इसलिए उन्होंने रविदास को अपनी एक अलग पाठशाला में शिक्षा के लिए बुलाना शुरू कर दिया और वहीं पर ही शिक्षा देने लगे। गुरू रविदास जी पढ़ने में और समझने में बहुत ही तेज थे, उन्हें उनके गुरू जो भी पढ़ाते थे वो उन्हें एक बार में ही याद हो जाता था।


बताया जाता है की रैदास की ख्याति से प्रभावित होकर सिकंदर लोदी ने इन्हें दिल्ली आने का निमंत्रण भेजा था। वैसे मध्ययुगीन साधकों में रैदास का विशिष्ट स्थान है। यहाँ हम आपको निम्नलिखित बिन्दुओं द्वारा रैदास के जीवन के बारें में बता रहे है, जो इस प्रकार है...


  • रैदास का पूरा नाम - गुरु रविदास जी
  • रैदास के पिता का नाम - श्री संतोख दास जी
  • रैदास की माता का नाम - कलसा देवी
  • रैदास के दादा का नाम - कालू राम जी
  • रैदास की दादी का नाम - लखपति जी
  • रैदास के गुरु का नाम - पंडित शारदा नन्द
  • रैदास की पत्नी का नाम - लोना देवी
  • रैदास के बेटे का नाम - विजय दास
  • रैदास की मृत्यु - 1540 AD (वाराणसी)



  • रैदास के दोहे और उनके अर्थ (Great Poet Ravidas) :




    रविदास’ जन्म के कारनै, होत न कोउ नीच,
    नर कूँ नीच करि डारि है, ओछे करम की कीच


    हिन्दी अर्थ - रविदास जी कहते है की सिर्फ जन्म लेने से कोई नीच नही बन जाता है लेकिन इन्सान के कर्म ही उसे नीच बनाते है।


    मन चंगा तो कठौती में गंगा


    हिन्दी अर्थ - रविदास जी कहते है की यदि आपका मन और हृदय पवित्र है साक्षात् ईश्वर आपके हृदय में निवास करते है।


    जाति-जाति में जाति हैं, जो केतन के पात,
    रैदास मनुष ना जुड़ सके जब तक जाति न जात


    हिन्दी अर्थ - जिस प्रकार केले के तने को छिला जाये तो पत्ते के नीचे पत्ता फिर पत्ते के नीचे पत्ता और अंत में कुछ नही निकलता है। लेकिन पूरा पेड़ खत्म हो जाता है। ठीक उसी प्रकार इंसान भी जातियों में बाँट दिया गया है। इन जातियों के विभाजन से इन्सान तो अलग अलग बंट जाता है और इन अंत में इन्सान भी खत्म हो जाते है। लेकिन यह जाति खत्म नही होती है इसलिए रविदास जी कहते है जब तक ये जाति खत्म नही होंगा तबतक इन्सान एक दुसरे से जुड़ नही सकता है या एक नही हो सकता है।


    हरि-सा हीरा छांड कै, करै आन की आस
    ते नर जमपुर जाहिंगे, सत भाषै रविदास


    हिन्दी अर्थ – रविदास जी कहते है की हीरे से बहुमूल्य हरी यानि ईश्वर को छोड़कर अन्य चीजो की आशा करते है उन्हें अवश्य ही नर्क जाना पड़ता है। अर्थात प्रभु की भक्ति को छोडकर इधर उधर भटकना व्यर्थ है।


    करम बंधन में बन्ध रहियो, फल की ना तज्जियो आस
    कर्म मानुष का धर्म है, सत् भाखै रविदास


    हिन्दी अर्थ – रविदास जी कहते है की हमे हमेसा अपने कर्म में लगे रहना चाहिए और कभी भी कर्म बदले मिलने वाले फल की आशा भी नही छोडनी चाहिए क्युकी कर्म करना हमारा धर्म है तो फल पाना भी हमारा सौभाग्य है।




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