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चार धाम की स्थापना किसने की - Char Dham Ki Sthapanaa Kisne Ki -29673 Join Telegram

Char Dham Ki Sthapanaa Kisne Ki चार धाम की स्थापना किसने की

चार धाम की स्थापना किसने की




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Pradeep Chawla on 12-05-2019

हिंदू धर्म का संत समाज द्वारा नियुक्त चार मठों के अधीन है। हिंदू धर्म की एकजुटता और व्यवस्था के लिए चार मठों की परंपरा को जानना आवश्यक है।









चार मठों से ही गुरु-शिष्य परम्परा का निर्वाह होता है। चार मठों के संतों

को छोड़कर अन्य किसी को गुरु बनाना हिंदू संत धारा के अंतर्गत नहीं आता।









शंकराचार्य जी ने इन मठों की स्थापना के साथ-साथ उनके मठाधीशों की भी

नियुक्ति की, जो बाद में स्वयं शंकराचार्य कहलाए जाते हैं। जो व्यक्ति किसी

भी मठ के अंतर्गत संन्यास लेता हैं वह में से किसी एक सम्प्रदाय पद्धति की साधना करता है। ये चार मठ निम्न हैं:-









वेदान्त ज्ञानमठ

वेदान्त ज्ञानमठ भारत के दक्षिण में

में स्थित है। वेदान्त ज्ञानमठ के अन्तर्गत दीक्षा प्राप्त करने वाले

संन्यासियों के नाम के बाद सरस्वती, भारती तथा पुरी सम्प्रदाय नाम विशेषण

लगाया जाता है जिससे उन्हें उक्त संप्रदाय का संन्यासी माना जाता है।









इस मठ का है तथा मठ के अन्तर्गत को रखा गया है। इस मठ के प्रथम मठाधीश आचार्य सुरेश्वरजी थे, जिनका पूर्व में नाम था।









गोवर्धन मठ

गोवर्धन मठ भारत के पूर्वी भाग में राज्य के

में स्थित है। गोवर्धन मठ के अंतर्गत दीक्षा प्राप्त करने वाले सन्यासियों

के नाम के बाद आरण्य सम्प्रदाय नाम विशेषण लगाया जाता है जिससे उन्हें

उक्त संप्रदाय का संन्यासी माना जाता है।









इस मठ का महावाक्य है तथा इस मठ के अंतर्गत को रखा गया है। इस मठ के प्रथम मठाधीश आदि शंकराचार्य के प्रथम शिष्य हुए।









शारदा मठ

शारदा (कालिका) मठ में

में स्थित है। शारदा मठ के अंतर्गत दीक्षा प्राप्त करने वाले सन्यासियों

के नाम के बाद तीर्थ और आश्रम सम्प्रदाय नाम विशेषण लगाया जाता है

जिससे उन्हें उक्त संप्रदाय का संन्यासी माना जाता है।









इस मठ का महावाक्य है तथा इसके अंतर्गत को रखा गया है। शारदा मठ के प्रथम मठाधीश (पृथ्वीधर) थे। हस्तामलक शंकराचार्य जी के प्रमुख चार शिष्यों में से एक थे।









ज्योतिर्मठ

के

में स्थित है ज्योतिर्मठ। ज्योतिर्मठ के अंतर्गत दीक्षा प्राप्त करने वाले

संन्यासियों के नाम के बाद गिरि, पर्वत एवं ‘सागर’ सम्प्रदाय नाम

विशेषण लगाया जाता है जिससे उन्हें उक्त संप्रदाय का संन्यासी माना जाता

है। इस मठ का महावाक्य है। इस मठ के अंतर्गत को रखा गया है। ज्योतिर्मठ के प्रथम मठाधीश बनाए गए थे।









उक्त चार मठों के अलावा में स्थित को भी शंकराचार्य द्वारा स्थापित किया हुआ माना जाता है किंतु यह विवादित माना गया है। वर्तमान में इस मठ के मठाधीश स्वामी है।









उक्त मठों तथा इनके अधीन उपमठों के अंतर्गत संन्यस्त संतों को गुरु बनाना

या उनसे दीक्षा लेना ही हिंदू धर्म के अंतर्गत माना जाता है। यही हिंदुओं

की संत धारा मानी गई है।



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