मूत्राशय क्या है : इसे सरल शब्दों में कहें तो यह वह स्थान जहां पेशाब एकत्रित होता है। इसमें संक्रमण या खून के ज्यादा होने से सूजन आ जाती है जिससे रोगी को पेशाब करने में कष्ट, दर्द और जलन (urinary bladder problems) होती है। और इसके साथ ही रोगी में पेशाब बूंद-बूंद करके आना जैसे लक्षण प्रकट होते हैं।
पेशाब कंट्रोल न होना :
इस प्रकार की समस्या में जब किसी भी कारण के चलते यूरिन को कंट्रोल करने वाले स्फिंक्टर (Sphincter) कम हो जाते हैं, खराब हो जाते हैं या पूरी तरह नष्ट हो जाते हैं तो इस स्थिति में यूरिन लीक होने की समस्या
(Urinary Incontinence In Hindi) का सामना करना पड़ता है।
आमतौर पर चिकित्सक बताते है की Urinary Incontinence की समस्या में रोज सुबह खजूर का सेवन करने से यूरिन लीकेज में आराम मिलता है। इसके अलावा अंकुरित और उबले हुए मूंग का सेवन करना चाहिए। तथा ब्रेकफास्ट, लंच और डिनर में एक चम्मच देसी घी का सेवन जरूर करना चाहिए।
पेशाब की नली में सिकुड़न :
चिकित्सक बताते है की पुरुषों की मूत्र नली में सिकुड़न का रोग मूत्र नली में संक्रमण और चोट के कारण होता है। इसके चलते पेशाब का रुकना, बार-बार आना अथवा नहीं आना होता है। जिस कारण मरीज के पेट में चीरा लगा कर नली के जरिये पेशाब बाहर निकाला जाता है। ऐसा भी बताया गया है की जो लोग कम पानी पिटे है उन्हें भी इस तरह की समस्या
(urinary bladder pain) देखी गईं है।
अगर इस प्रकार की समस्या
(urinary bladder function) पर समय पर ध्यान नही दिया जाता है तो ये समस्या आगे चलकर गम्भीर बन जाती है जिसके कारण कई रोग उत्पन्न हो सकते है. जैसे - मूत्राशय और गुर्दे की क्षति, मूत्र प्रवाह में बाधा के कारण संक्रमण और पुरुषों में खराब स्खलन और बांझपन शामिल हैं।
पेशाब की नली में सिकुड़न आयुर्वेदिक उपचार :
आपको बता दे की आयुर्वेद एवं घरेलू उपायों के द्वारा पेशाब की नली में रुकावट का सफलतापूर्वक इलाज किया जा सकता है, यहाँ हम आपको कुछ उपाय बता रहे है जिन्हें आप अपना सकते है...
आंवले का इस्तेमाल :
भारतीय आंवला मूत्राशय के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए लोक चिकित्सा में लंबे समय तक इस्तेमाल किया जाने वाला एक हर्बल आयुर्वेदिक उपचार है और मूत्रमार्ग की कठोरता से संबंधित कुछ दर्द या सूजन को कम करने में मदद कर सकता है। भारतीय आंवला एक घरेलू उपचार है जो मूत्रमार्ग संबंधी सख्त लक्षणों से संबंधित कुछ लक्षणों से छुटकारा दिला सकता है।
पत्थरचट्टा का इस्तेमाल :
पत्थरचट्टा में bryophyllum pinnatum के गुण पाये जाते है जो मूत्र से संबंधित समस्याओं को दूर करने में सक्षम होता है। पाषाणभेद में कई प्रकार के प्राकृतिक तथा आयुर्वेदिक गुण होने के कारण यह Urethral Stricture से छुटाकारा दिलाने में सहायक होता है।
मूत्रमार्ग के संक्रमण को रोकने के लिए यदि आप इन घरेलू उपायों का किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक की देखरेख में करते है तो आपको इसके परिणाम अति शीघ्र मिलगे और किसी भी प्रकार की कोई समस्या नही होगी।
धनिया का उपयोग :
धनिया का चूर्ण शक्कर व तृण पंचमूल क्वाथ के साथ लेने पर मूत्राक्षय नष्ट होता है।
अपील : GKEXAMS की आपसे यहीं अपील है की आप कोई भी उपाय अपने शरीर के लिए लेते तो तो इससे पहले एक बार किसी अनुभवी डॉक्टर की सलाह जरूर ले। क्योंकि कई-कई बार कोई भी बताया गया आम उपाय आपके लिए हानिकारक भी साबित हो सकता है।