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इंदिरा आवास योजना
परिचय: विभाजन के पश्चात शरणार्थी पुनर्वास मंत्रालय द्वारा शरणार्थियों के पुनर्वास हेतु एक आवास कार्यक्रम बनाया गया था जो 1960 तक चला, जिसके अंतर्गत मुख्यता: उत्तरी भारत में स्थित विभिन्न केन्द्रों में लगभग 5 लाख परिवारों को बसाया गया था। स्थित विभिन्न केन्द्रों में लगभग 5 लाख परिवारों को बसाया गया था। मानव के जीवन निर्वाह के लिए आवास बुनियादी जरूरतों में से एक है। एक साधारण नागरिक के लिए आवास उपलब्ध होने से उसे महत्वपूर्ण आर्थिक सुरक्षा और समाज प्रतिष्ठा मिलती है। एक बेघर व्यक्ति को आवास उपलब्ध हो जाने से उसके अस्तित्व में सामाजिक परिवर्तन आता है तथा उसके पहचान बनती है और इस प्रकार, वह शीघ्र ही अपने सामाजिक वातावरण से जुड़ जाता है।
स्वतंत्रता के बाद पहले 25 वर्षों में सरकार ने ग्रामीण आवास की समस्या पर कभी गम्भीरता से ध्यान नहीं दिया। विभाजन के पश्चात शरणार्थी पुनर्वास मंत्रालय द्वारा शरणार्थियों के पुनर्वास हेतु एक आवास कार्यक्रम बनाया गया था जो 1960 तक चला, जिसके अंतर्गत मुख्यता: उत्तरी भारत में स्थित विभिन्न केन्द्रों में लगभग 5 लाख परिवारों को बसाया गया था। स्थित विभिन्न केन्द्रों में लगभग 5 लाख परिवारों को बसाया गया था। सामुदायिक विकास आन्दोलन के एक भाग के रूप में 1957 में एक ग्राम आवास योजना भी शुरू की गई थी, जिसके अंतर्गत मुख्यत: उत्तरी भारत में स्थित विभिन्न केन्द्रों में लगभग 5 लाख परिवारों को बसाया गया था। सामुदायिक विकास आन्दोलन के भाग के रूप में 1957 में एक ग्राम आवास योजना भी शुरू की गई थी, जिसके अंतर्गत व्यक्तिगत और सहकारी समितियों को प्रति आवास 5000/- रूपये की अधिकतम राशि का ऋण मुहैया कराया गया था। तथापि, इस योजना के तहत 5वीं योजना के अंत तक (1980) केवल 67,000 मकान मकान बनाए गए थे। 1972-73 में लोक सभा की प्राक्कलन सीमित ने अपने 37वीं रिपोर्ट में उल्लेख किया था की “समिति को यह जानकर खेद हुआ है की हालाँकि भारत की 83% जनसंख्या गांवों में रहती है और लगभग 73% ग्रामीण जनसंख्या असंतोषजनक कच्चे ढांचों में रहती है, फिर भी सरकार ने ग्रामीण आवास की समस्या पर गम्भीरता से ध्यान नहीं दिया है।” इसके उपरांत सरकार ने कुछ कदम उठाए जिसमें आवास स्थल और निर्माण सहायता योजना चलाना शामिल है जो चौथी योजना में एक केन्द्रीय योजना के रूप में शुरू हुई और जिसे राष्ट्रीय विकास परिषद की सिफारिश पर 1974 से राज्य क्षेत्र को हस्तांतरित कर दिया गया था।
इंदिरा आवास योजना की उत्पति ग्रामीण रोजगार कार्यक्रमों से हुई है, जो 1980 के शुरू पर प्रारंभ हुई। 1980 में शुरू होने वाले राष्ट्रिय ग्रामीण रोजगार कर्यक्म्र और 1983 में शुरू होने वाले ग्रामीण भूमिहीन रोजगार गारंटी कार्यक्रम के अंतर्गत मुख्य गतिविधियों में से एक गतिविधि आवासों का निर्माण था। हालाँकि, राज्यों में ग्रामीण आवास के लिए कोई समरूप नीति नहीं थी। जैसे कुछ राज्यों ने राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम/ ग्रामीण भूमिहीन रोजगार गारंटी कार्यक्रम की निधियों में से निर्माण लागत का एक हिस्सा देना ही मंजूर किया और शेष राशि की पूर्ति लाभार्थियों द्वारा अपनी बचत अथवा स्वयं हासिल किए गए ऋणों से की जाती है। इसके विपरीत अन्य राज्यों ने सम्पूर्ण खर्च को एन.आर.ई.पी./ आर.एल.ई.जी.पी. की निधियों में से पूरा करना मंजूर किया। कुछ राज्यों ने मात्र ने आवासों के मरम्मत की मंजूरी दी।
जून 1985 में केन्द्रीय वित्त मंत्री ने के घोषणा की जिसमें ग्रामीण भूमिहीन रोजगार गारंटी कार्यक्रम की निधियों के एक हिस्से को अनुसूचितजातियों/अनुसूचित जनजातियों तथा मुक्त बंधुवा मजदूरों के लिए मकानों का निर्माण करने हेतु अलग रखा गया। इस घोषणा के परिणामस्वरूप ग्रामीण भूमिहीन रोजगार गारंटी कर्यक्रम की एक उप-योजना के रूम में इंदिरा आवास योजना 1985 – 86 में शुरू हुई थी जो अप्रैल, 1989 से शुरू हुए जवाहर रोजगार योजना की एक की एक उपयोजना के रूप में जारी रही। जवाहर रोजगार योजना की कूल निधियों का 6% इंदिरा आवास योजना के कार्यान्वयन के लिए आबंटित किया जाता था। वर्ष 1993-94 से इंदिरा आवास योजना के क्षेत्र को बढ़ाकर ग्रामीण क्षेत्र के गरीबी रेखा से नीचे रहने वाली गैर अनुसूचितजातियों/जनजातियों के लोगों को भी शामिल कर लिया गया तथा इस योजना के कार्यान्वयन के लिए इधियों के आबंटन को राष्ट्रिय स्तर पर जवाहर रोजगार योजना के अंर्तगत उपलब्ध कुल संसाधनों में से 6% से बढ़ाकर 10% का दिया गया, परंतु शर्त यह थी कि गैर –अनुसूचितजातियों/जनजातियों के गरीबों को दिया जाने वाला लाभ जवाहर रोजगार योजना के कूल आबंटन का 4% से अधिक न हो। इंदिरा आवास योजना से अलग कर 1 जनवरी 1996 से एक योजना बना दी गई है।
इंदिरा आवास योजना का मुख्य उद्देश्य अनुसूचित जाति/अनुसूचितजनजाति, मुक्त बंधुआ मजदूरों के सदस्यों द्वारा मकानों के निर्माण में मदद करना तथा गैर – अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के गरीबी रेखा से नीचे के ग्रामीण लोगों को अनुदान मुहैया कराकर मदद करना है।
इंदिरा आवास योजना के अंतर्गत मकानों के लिए लक्ष्य समूह में ग्रामीण क्षेत्र में गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति तथा मुक्त बंधुआ मजदूर वर्ग के लोग और गैर- अनुसूचित जनजाति के लोग हैं बशर्ते कि उनको मिलने वाला लाभ उस वित्तीय वर्ष के लिए इंदिरा आवास योजना के अंतर्गत कुल आबंटन के 40% से ज्यादा नहीं हो।
वर्ष 1995-96 से इंदिरा आवास योजना के लाभ को भूतपूर्व सैनिकों, युद्ध में मरे गए रक्षा कर्मचारियों की विधवाओं या उनके संबंधियों के लिए उनकी आय संबंधी मानदंड पर विचार किए बिना शर्तों के साथ लागू किया गया है:-
3% निधियां गरीबी की रेखा से नीचे के अपंग लोगों के लिए निर्धारित की गई है। इंदिरा आवास योजना के अंतर्गत गरीबी के रेखा से नीचे के अपंग लोगों के लिए यह 3% का आरक्षण समस्तरीय आरक्षण हॉग, अर्थात, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति तथा अन्य वर्गों के अपंग व्यक्ति अपने वर्गों के अंतर्गत सम्मिलित होंगे।
जिला ग्रामीण विकास एनेंसियों/ जिला परिषदें किए गए आबंटनों तथा निर्धरित लक्ष्यों के आधार ओर एक विशिष्ट वित्तीय वर्ष के दौरान इंदिरा आवास योजना के अंर्तगत बनाये जाने वाले मकानों की पंचायतवार संख्या का निर्धारण करेंगी तथ इसकी सूचना ग्राम पंचायत को देंगी। इसके बाद, ग्राम सभा निर्धारित प्राथमिकताओं के अनुरूप तथा इंदिरा आवास योजना के दिशा-निर्देशों के अनुसार पात्र परिवारों की सूची में से आबंटित लक्ष्यों तक लाभार्थियों का चयन करेंगी। इसे पंचायत समिति के अनुमोदन की आवश्यकता नहीं होगी। हालाँकि, पंचायत समिति के चुने गए लाभार्थियों की एक सूची सूचनार्थ भेज देनी चाहिए।
गरीबी की रेखा से नीचे के लक्ष्य समूह में से लाभार्थियों के चयन के लिए प्राथमिकता का क्रम इस प्रकार हैं:-
(i). मुक्त बंधुवा मजदूर।
(ii). अनुसूचित जाति/जनजाति परिवार, जो अत्यचारों से पीड़ित हैं।
(iii). अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति परिवार, जिनकी मुखिया विधवाएँ तथा अविवाहित महिलाएं हैं।
(iv). अनुसूचित जाति/जनजाति परिवार, जो बाढ़, आगजनी, भूकंप, चक्रवात, तथा इसी प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं से पीड़ित हैं।
(v). अनुसूचित जाति/जनजाति के अन्य परिवार
(vi). गैर-अनुसूचित जाति/जनजाति परिवार।
(vii). शारीरिक रूप से विकलांग।
(viii). युद्ध में मारे गए सुरक्षा सेवाओं के कार्मिक. अर्द्धसैनिक बलों की विधवाएँ/परिवार।
(ix). विकासात्मक परियोजनाओं के कारण विस्थापक हुए व्यक्ति, खानाबदोश, अर्ध खानाबदोश तथा निर्धिष्ट आदिवासी, विकलांग सदस्यों वाले परिवार और आन्तरिक शरणार्थी, बशर्ते कि ये परिवार गरीबी की रेखा से नीचे हों।
मकानों का आबंटन लाभार्थी परिवार के महिला सदस्य के नाम होना चाहिए। विकल्पत: इसे पति एवं पत्नी दोनों के नाम आबंटित किया जा सकता है।
इंदिरा आवास योजना के मकानों का स्थान
इंदिरा आवास योजना के अंतर्गत मकान सामान्यता: गाँव की मुख्य बस्ती में निजी भूखंडों पर बनाया जाना चाहिए। इन मकानों को छोटी बस्ती के रूप में या समूहों में भी बनाया जा सकता है जिससे कि अंदरूनी सड़कों, नालियों, पेयजल की आपूर्ति आदि जैसी तथा अन्य समान्य सुविधाओं के लिए विकासात्मक ढांचे की सुविधा प्रदान की जा सके। इस बात पर भी सदैव ध्यान दिया जाना चाहिए कि इंदिरा आवास योजना के अंर्तगत मकान के नजदीक हों न कि काफी दूर जिससे कि सुरक्षा, कार्यस्थल से नजदीकी तथा सामाजिक सम्पर्क सुनिश्चित किया जा सके ।
निर्माण सहायता के लिए अधिकतम सीमा
इस समय इंदिरा आवास योजना के अंतर्गत निर्माण सहायता की सीमा निम्नानुसार हैं:-
मैदानी क्षेत्र | पहाड़ी/दुर्गम क्षेत्र |
|
स्वच्छ शौचालय और धुवाँ रहित चूल्हा सहित मकान का निर्माण | 17,500/- रू | 19,500/- रू. |
ढाँचा और सामान्य सुविधाएँ प्रदान करने की लागत | 2,500/- रू. | 2.500/- रू. |
कुल | 20.000/- रू. | 22.000/- रू. |
यदि मकानों का निर्माण समूहों/ छोटी बस्ती के के रूप में नहीं हुआ है, तो ढाँचागत और सामान्य सुविधाओं के लिए निर्धारित 2,5000/- रू. अपने मकान के निर्माण के लिए लाभार्थी को दिया जाना चाहिए।
मकानों का निर्माण शुरू से ही लाभार्थियों द्वारा स्वयं किया जाना चाहिए। लाभार्थी निर्माण के लिए अपने व्यवस्था स्वुन कर सकते हैं। अपने आप ही कुशल श्रमिकों को लगा सकते हैं तथा पारिवरिक श्रम का भी योगदान कर सकते हैं। लाभार्थियों को मकान के निर्माण के संबंध में पूरी स्वतंत्रता होगी क्योंकि यह उसका अपना है। इससे लागत कम आयेगी. निर्माण अच्छी गुणवत्ता का होगा, लाभार्थियों को संतोष होगा और वे मकान को आसानी से स्वीकार कर लेंगे। इस प्रकार मकान के उचित निर्माण का उत्तरदायित्व स्वयं लाभार्थियों पर ही होगा। इस कार्य का समन्वय करने के लिए लाभार्थियों की एक समिति बनायी जानी चाहिए।
इंदिरा आवास योजना के मकानों के निर्माण में किसी ठेकेदार को लगाने की अनुमति नहीं है। यदि ठेकेदारों के माध्यम से निर्माण का कोई मामला प्रकाश में आता है, तो भारत सरकार को अधिकार होगा कि वह इन इंदिरा आवास योजना के मकानों के लिए राज्य को किए गए आबंटन को रद्द कर दे। मकान किसी सरकारी विभाग द्वारा भी नहीं बनाया जाना चाहिए। परन्तु सरकारी विभाग अथवा संगठन लाभार्थियों के चाहने पर उन्हें तकनीकी सहायता दे सकते हैं अथवा सीमेंट, लोहा या ईंट जैसी कच्ची सामग्रियों की समन्वित आपूर्ति की व्यवस्था कर सकते हैं। इंदिरा आवास योजना के मकानों का निर्माण किसी बाहरी एजेंसी द्वारा नहीं होना चाहिए, वरन इसके विपरीत मकान का निर्माण मकान के मूल स्वामी द्वारा किया जाना चाहिए।
तकनीकी विनिर्देशों का निर्धारण करते समय विभिन्न संस्थाओं द्वारा विकसित की गई स्थानीय सामग्रियों एवं किफायती प्रौद्योगिकियों का यथासम्भव अधिकाधिक उपयोग करने का प्रयास किया जाना चाहिए। क्रियान्वयन एंजेंसी को अभिनव प्रौद्योगिकियों, सामग्रियों, डिजाइनों तथा विभिन्न संगठनों/संस्थाओं से संपर्क करना चाहिए जिससे टिकाऊ और किफायती मकान बनाने में लाभार्थियों की सहायता की जा सके। राज्य सरकारें भी ब्लाक/ जिला स्तर पर किफायती और पर्यावरण के अनुकूल प्रौद्योगिकियों, सामग्रियों, डिजाइनों इत्यादि पर जानकारी उपलब्ध कराने की व्यवस्था कर सकती है। बड़े पैमाने पर ईंट, सीमेंट और लोहे का प्रयोग करने वाली प्रौद्योगिकी को नकारा जाना चाहिए। यथासंभव सीमेंट के बदले स्थानीय तौर पर बनाए गए चूना सुर्खी का प्रयोग किया जाना चाहिए। ईंटों को खरीदने की बजाय लाभार्थियों द्वारा स्वयं बनाई गई ईंटों का प्रयोग किया जाना चाहिए जिससे कि लागत में कमी आए तथा बेहतर मजदूरी रोजगार प्राप्त हो सके।
इंदिरा आवास योजना के मकानों का ले आउट, आकार और डिजाइन की किस्म निर्धारित नहीं की जानी चाहिए बजाए इसके कि मकानों का कुल क्षेत्र लगभग 20 वर्गमीटर हो। मकानों की डिजाइन लाभार्थियों की इच्छा होनी चाहिए जिसमें पर्यावरणीय परिस्थितियों तथा उपयुक्त स्थान, रसोई, वायु संचार, शौचालय सुविधाएँ, धुआंरहित चूल्हा आदि उपलब्ध कराने की आवश्यकता तथा सामुदायिक धारणाओं, अभिरूचियों तथा संस्कृतिक अभिवृत्तियों को ध्यान में रखा गया हो। लाभार्थियों पर किसी डिजाइन की किस्म को नहीं थोपा जाना चाहिए।
विकलांग के लिए बनाए जाने वाले मकान में बाधारहित मकान की संकल्पना अपनायी जानी चाहिए जिससे कि उन्हें मकान में चलने फिरने में आसानी हो। हालाँकि, यथासंभव मकान की डिजाइन लाभार्थी की पेशागत अपेक्षाओं के अनुरूप होनी चाहिए। आगजनी, बाढ़, चक्रवात, भूकंप आदि जैसी प्राकृतिक आपदाओं की बारम्बारता वाले क्षेत्रों में आपदा – रोधी विशेषता वाले डिजाइन को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
ईंधन किफायती चूल्हों का विकास किया गया है तथा इन्हें कई स्थानों पर बनाया जा रहा है। गैर – परम्परागत ऊर्जा स्रोत मंत्रालय ऐसे चूल्हों की स्थापना को बढ़ावा दे रहा है। यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि इंदिरा आवास योजना के अंर्तगत बनाए जाने वाले प्रत्येक मकान में एक ईंधन किफायती चूल्हा प्रदान किया गया हो।
इंदिरा आवास योजना को चलाने के लिए उत्तरदायी एंजेसियों द्वारा पेयजल आपूर्ति की उपलब्धता सुनिश्चित की जानी चाहिए। जहाँ आवश्यक हो, ग्रामीण जलापूर्ति अथवा अन्य इसी प्रकार के कार्यक्रमों के अंतर्गत उपलब्ध निधियों से स्थल पर कार्य शुरू होने से पहले एक हैण्ड पंप लगाया जाना चाहिए।
स्वच्छ शौचालय का निर्माण इंदिरा आवास योजना का एक अभिन्न अंग है। हालाँकि, यह देखा गया है कि अधिकांश मामलों में या तो इन मकानों में स्वच्छ शौचालय नहीं बनाए गए हैं या यदि बनाए गए हैं तो लाभार्थियों द्वारा इसका सही ढंग से प्रयोग नहीं किया जा रहा है। भारत सरकार ने स्वच्छता उपाय के रूप में स्वच्छ शौचालयों के निर्माण को अत्यधिक महत्व दिया है और इस कारण से स्वच्छ शौचालयों को इंदिरा आवास योजना के मकानों का एक अभिन्न अंग मन जाना चाहिए। मकानों से निकासी की व्यवस्था भी की जानी चाहिए जिससे कि रसोईघर, स्नानघर आदि से पानी के फैलाव को रोका जा सके।
सम्पूर्ण बस्ती अथवा निजी मकान के चारों ओर वृक्षारोपण साथ ही साथ किया जाना चाहिए। पेड़ों को आवास समूहों के पास लगाया जाना चाहिए जिससे कि भविष्य में आसपास काफी मात्रा में पेड़ उपलब्ध हों और लाभार्थियों को ईंधन/चारा/ लकड़ी के छोटे लट्ठे प्राप्त नो सकें। ऐसे वृक्षारोपण सामाजिक वानिकी कार्यक्रमों के अंतर्गत किए जा सकते हैं।
जहाँ उपलब्ध हो सके अच्छे रिकार्ड वाली उपयुक्त स्थानीय स्वैच्छिक एजेंसियों को इंदिरा आवास योजना के मकानों के निर्माण में शामिल किया जाना चाहिए। निर्माण के पर्यवेक्षण, निर्देशन और निगरानी का कार्य इन स्वैच्छिक संगठनों को सौंपा जा सकता है। विशेष तौर पर स्वैच्छिक एजेंसियों को स्वच्छ शौचालय के उपयोग का प्रचार करने तथा धुवांरहित चूल्हों के निर्माण में भी लगाया जा सकता है।
कार्यन्वयन एजेंसियों के पास इंदिरा आवास योजना के अंतर्गत निर्मित मकानों की एक पूर्ण सूची जिसमें मकानों का निर्माण शुरू होने तथा पूरा होने की तारीख, कूल लागत आबंटित मकानों की संख्या, गाँव ब्लॉक् के नाम जहाँ मकान स्थित है, लाभार्थियों के नाम, पते व्यवसाय तथा श्रेणी और अन्य सम्बन्धित विवरणों का ब्यौरा दिया गया हो।
इंदिरा आवास योजना का एक मकान बन जाने पर संबंधित जिला ग्रामीण विकास एजेंसी को यह सुनिश्चित करना चाहिए की इस प्रकार निर्मित प्रत्येक मकान के बाहर एक बोर्ड लगाया गया हो जिस पर स्पष्ट शब्दों में लिखा गया जो कि यह मकान इंदिरा आवास योजना के अंतर्गत बनाया गया है। पर इंदिरा आवास योजना के प्रतीक चिन्ह, लाभार्थी का नाम तथा निर्माण का वर्ष भी लिखा जाना चाहिए।
राज्य मुख्यालयों में इंदिरा आवास योजना का काम देख रहे अधिकारीयों को नियमित रूप से जिलों का दौरा करना चाहिए तथा यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कार्यक्रमों का कार्यान्वयन संतोषप्रद हो रहा है और मकानों का निर्माण निर्धरित प्रक्रिया के अनुरूप हो रहा है। इसी तरह से जिला, सब- डिवीजन और ब्लाक स्तरों के अधिकारीयों को सुदूर क्षेत्रों में कार्यस्थलों का दौरा कर इंदिरा आवास योजना के समस्त पहलुओं की गहन निगरानी करनी चाहिए। एक निरीक्षक सूची, जिसमें राज्य स्तर से ब्लाक स्तर तक के प्रत्येक पर्यवेक्षण स्तरीय अधिकारीयों के लिए क्षेत्रीय दौरों की न्यूनतम संख्या दी गई हो, तैयार की जानी चाहिए तथा इसका सख्ती से पालन किया जाना चाहिए।
राज्य सरकारों को सर्वाधिक रिपोर्ट/रिटर्न निर्धारित करनी चाहिए जिसके माध्यम से यह जिलों में इंदिरा आवास योजना के निष्पादन की निगरानी क्र सकें तथा इंदिरा आवास योजना की सही निगरानी के लिए जिला ग्रामीण विकास एजेंसियों/जिला परिषदों के माध्यम से निर्धारित उपयुक्त रिपोर्ट और रिटर्न भी प्राप्त करें। ग्रामीण विकास कार्यक्रमों के लिए राज्य स्तर पर कार्यक्रम की निगरानी का उत्तरदायित्व राज्य स्तरीय समन्वय समिति का होगा। ग्रामीण क्षेत्र और रोजगार मंत्रालय, भारत सरकार के एक प्रतिनिधि अथवा नामित व्यक्ति को सदैव समिति की बैठकों में भाग लेने के लिए बुलाया जाना चाहिए।
(i) प्रत्येक अनुवर्ती महीने की 10वीं तारीख तक प्रोफार्मा – 1 में ओलेक्स/ फैक्स/ई-मेल/निकनेट द्वारा मासिक प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की जानी चाहिए।
(ii) प्रत्येक अनुवर्ती वर्ष के 25 अप्रैल तक एक विस्तृत वार्षिक प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की जानी चाहिए।
राज्यों/ संघशासित प्रदेशों को इंदिरा आवास योजना के कार्यान्वयन पर सर्वाधिक मूल्यांकन अध्ययन करवाना चाहिए। समवर्ती मूल्यांकन द्वारा, भारत सरकार के साथ- साथ राज्यों/ संघशासित प्रदेशों द्वारा किए गए विस्तृत अध्ययन के गुण दोषों से उभरे मामलों पर ख्यातिप्राप्त संस्थाओं और संगठनों द्वारा मूल्यांकन अध्ययन करवाया जा सकता है। राज्यों/ संघशासित प्रदेशों द्वारा किए गए इन मूल्यांकन अध्ययनों की रिपोर्ट की प्रतियाँ भारत सरकार के समक्ष प्रस्तुत की जानी चाहिए। इन मूल्यांकन अध्ययनों में तथा भारत सरकार द्वारा अथवा उसकी तरफ से किए गए समवर्ती मूल्यांकन में भी की गई टिप्पणियों के आधार पर राज्यों/संघ शासित प्रदेशों द्वारा सुधारात्मक करिवाई की जा सकती है।
यह सर्वाधिक महत्वपूर्ण है की केंद्र द्वारा प्रायोजित योजनाएँ उचित रूप से कार्यान्वित की जाती है तथा इनमें दुरूपयोग एवं अन्य अनियमितताएं होती हैं। इसके लिए विभिन्न स्तरों पर इंदिरा आवास योजना के कार्यान्वयन में अधिक पारदर्शिता लाने की तत्काल आवश्यकता है। इसके लिए मुख्य रूप से यह आवश्यक है कि लोगों को कार्यक्रमों के कार्यान्वयन की सभी पहलुओं की सूचना की जानकारी प्रकट करना नियम हो। सूचना की गोपिनियता अपवादस्वरूप ही जानी चाहिए।
गाँव, खंड तथा जिला स्तर पर कार्यक्रम में अधिक पारदर्शिता लेन के लिए उन मदों की सूची,जिनके संबंध में लोगों को अपरिहार्य रूप से सूचना उपलब्ध करायी जानी चाहिए, नीचे दी गई है। मदों की यह सूची उदाहरणार्थ है तथा सर्वांगपूर्ण नहीं है।
(i) गाँव में गरीबी के रेखा से नीचे के लोगों की सूची।
(ii) इंदिरा आवास योजना के अंतर्गत पूर्ववर्ती वर्ष तथा चालू वर्ष के दौरान पहचान किए गए लाभार्थियों की सूची, जिसमें अनुसूचित जाति/अनुसूचित जा-जाति, महिला लाभार्थियों तथा अपंग व्यक्तियों का विस्तृत ब्यौरा हो।
(iii) इन्दिरा आवास योजना के अंतर्गत गाँव को किया गया आबंटन।
(iv) इंदिरा आवास योजना के दिशा निर्देश/ लाभार्थियों के चयन का मानदंड।
(v) आबंटित घरों पर इंदिरा आवास योजना के साईन बोर्ड का प्रदर्शन।
(i) प्रखंड स्तर पर शुरू किए मकानों का ब्यौरा जिसमें लागत निधियों के स्रोतों तथा कार्यान्वयन एजेंसियों का उल्लेख हो।
(ii) उपस्थिति नामावली तक पहुँच।
(iii) योजना के लिए निधियों का ग्राम – वार वितरण।
(iv) इंदिरा आवास योजना के कार्यान्वयन में आबंटन/ निधियों की उपलब्धता तथा प्रगति।
(i) योजना के लिए इंदिरा आवास योजना निधियों का खंड-वार तथा ग्राम – वार वितरण।
(ii) इंदिरा आवास योजना के अंतर्गत चयन के प्रतिमाह सहित खंड/ गाँव स्तर पर निधियों के वितरण का मानदंड।
इंदिरा आवास योजना केंद्र द्वारा प्रायोजित योजना है जिसका वित्तपोषण लागत में हिस्सेदारी के आधार पर केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा 80.20 के अनुपात में होता है। संघ राज्य क्षेत्रों के मामले में इस योजना के तहत सारे संसाधन भारत सरकार द्वारा उपलब्ध कराये जाते हैं।
इंदिरा आवास योजना के अंतर्गत राज्यों/ संघ क्षेत्र को केन्द्रीय सहायता का आबंटन पूरे देश में गरीबों की संख्या उस राज्यसंघ राज्य में गरीबों की संख्या के अनुपात के आधार पर किया जाता है। योजना आयोग द्वारा इस सम्बन्ध में तैयार किए गए गरीबी प्राक्कलनों का उपयोग इस उद्देश्य के लिए किया जाता है। किसी राज्य/संघ राज्य क्षेत्र में इंदिरा आवास योजना की निधियों का अंतर जिला आबंटन के लिए मानदंड उस राज्य/ संघ राज्य क्षेत्र के लिए जिले की ग्रामीण अनुसूचित जाति/अनुसूचित जन- जाति का अनुपात है। प्रतिवर्ष इन निधियों का आबंटन भारत सरकार द्वारा उपयुक्त मानदंड के आधार पर निधियां उपलब्ध होने पर तय किया जायेगा। एक जिले के संसाधनों को दूसरे जिले में स्थानांतरित करने की अनुमति नहीं की जाएगी।
इंदिरा आवास योजना की निधियों का संचालन जिला-स्तर पर जिला ग्रामीण विकास एजेंसियों/जिला परिषदों द्वारा किया जाता है। केन्द्रीय सहायता जिला ग्रामीण विकास एजेंसियों को प्रति वर्ष दो किस्तों में रिलीज की जाएगी बशर्तें कि वे निम्नलिखित शर्तों को पूरा करें।
(क) पहली किस्त वित्तीय वर्ष के शुरू में रिलीज की जाती है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि पूर्ववर्ती वर्ष के दौरान दूसरी किस्त के लिए दावा किया गया हो तथा किस्त रिलीज की गई हो। तथापि यदि पूर्ववर्ती वर्ष की अंतिम किस्त के रिलीज करने से पहले इस शर्त को पूरा करना आवश्यक होगा।
(ख) निर्धारित प्रारूप में जिला, ग्रामीण विकास एजेंसियों द्वारा प्रारूप III के अनुसार किए जाने पर जिलों के लिए निधियां तब जारी की जाएगी जब निम्नलिखित शर्तों को पूरा किया जायेगा:
1) दूसरी किस्त के लिए आवेदन करते समय उपलब्ध कूल निधियों का 60% अर्थात, वर्ष का आदि शेष तथा प्राप्त राशि जिसमें राज्य अंश भी सम्मिलित हो, का उपयोग हो चुका हो।
2) जिले में आदिशेष अर्थात जिला ग्रामीण विकास एजेंसी के पास कुल शेष पूर्ववर्ती वर्ष में जिले आबंटित राशि का 25% से ज्यादा नहीं होना चाहिए। गर आदिशेष इस सीमा से ज्यादा हो तो दूसरी किस्त को रिलीज करते समय केन्द्रीय अंश की कटौती कर ली जाएगी।
3) जिला ग्रामीण विकास एजेंसियों को चालू वित्त वर्ष के लिए राज्य के प्रावधानों के बारे में सूचित करना होगा। केंद्रीय रिलीज जिला ग्रामीण विकास एजेंसियों के लिए गए। प्रावधान के अनुपात में ही होगा।
4) राज्य सरकार को दूसरी किस्त के लिए आवेदन की तिथि तक देय अपने सारे अंशदान जिनमें पूर्ववर्ती वर्ष के अंशदान भी शामिल हैं, रिलीज कर देने चाहिए। राज्य के अंश में कमी होने की स्थिति में केन्द्रीय अंश की तदनुरूप राशि (अर्थात राज्य अंश का चार गुणा) की दूसरे किस्त से कटौती कर दी जाएगी।
5) पूर्ववर्ती वर्ष के लिए जिला ग्रामीण विकास एजेंसी की लेख परीक्षा रिपोर्ट प्रस्तुत किया जाना।
6) पूर्ववर्ती के लिए जिला ग्रामीण विकास एजेंसी द्वारा संलग्न निर्धारित प्रारूप 4 मेंउपयोगिता प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया जाना।
7) जिला ग्रामीण विकास एजेंसी के शासकीय निकाय द्वारा वार्षिक योजना का अनुमोदन किया जा चुका हो।
8) सभी प्रगति/ मानिटर रिपोर्ट भेजी जा चुकी हो।
9) निधियों का गबन नहीं हुआहै, इसका प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया जाना चाहिए।
10) इस आशय का प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया जाना चाहिए की संसाधनों का एक जिले से दूसरे जिले में स्थानांतरण नहीं हुआ है।
11) समय-समय पर लागू की गई अन्य दूसरी शर्तों का भी अनुपालन किया जाना चाहिए।
ग) दूसरी किस्त की मात्रा उपयोग के बारे में रिपोर्ट करने की अवधि पर निर्भर करेगा। दूसरी किस्त के लिए पूरा प्रस्ताव प्राप्त होने के आधार पर दूसरी किस्त की मात्रा निम्नलिखित रूप में तय की जाएगी।
माह में प्राप्त प्रस्ताव:
दिसम्बर | आबंटित निधियों का | 50% |
जनवरी | आबंटित निधियों का | 40% |
फरवरी | आबंटित निधियों का | 30% |
मार्च | आबंटित निधियों का | 20% |
(घ) किन्नौर, लाहोल एवं स्पीती, लेह कारगिल, अंडमान, तथा निकोबार द्वीप समूह और लक्षद्वीप जैसे जिलों/ संघ राज्य क्षेत्रों तथा अन्य दूसरे यथानिर्णित क्षेत्रों में, जहाँ काम के मौसम सीमित होते है। राज्य भी अपना अंश एक ही किस्त में रिलीज की जा सकती है। राज्य भी अपना अंश एक ही किस्त में रिलीज करेगा। इन जिलों के मामले में जिन्हें निधियां एक ही किस्त में रिलीज की जाती हैं। निधियों की रिलीज निर्धारत शर्तों का पूरा किए जाने के बाद ही होगी।
जिला ग्रामीण विकास एजेंसियों के खातों के रखरखव के संबंध में जिला ग्रामीण विकास एजेंसियों को उनके लिए ग्रामीण क्षेत्र और रोजगार मंत्रालय द्वारा द्वारा निर्धारित लेखा प्रक्रियाओं का अनुपालन किया जाता है । पूर्ववर्ती वर्ष के अंतिम रूप दिए गए खातों को संबंध जिला ग्रामीण विकास एजेंसी के सामान्य निकाय द्वारा 30 जून को या इससे पहले उनकी लेखा परीक्षा की जा चुकी हो। संबंध जिला ग्रामीण विकास एजेंसी के सामान्य निकाय द्वारा यथास्विकृत लेखा परीक्षा रिपोर्ट की प्रतियाँ वर्ष की 30 सितम्बर को या उससे पहले राज्य सरकारों को भेज दी जाएगी । उपयुक्त प्रक्रिया पालन की जाने वाली अन्य प्रक्रियाओं तथा संस्था की नियमवली के अनुच्छेदों के अनुसार जिला ग्रामीण एजेंसी द्वारा पूरी की जाने वाली अपेक्षाओं के अतिरिक्त होगी।
राज्य सरकार जिला ग्रामीण विकास एजेंसियों को केन्द्रीय सहायता के रिलीज के बाद एक महीने के भीतर अपना अंश रिलीज करेगी तथा इसकी एक प्रति ग्रामीण क्षेत्र और रोजगार मंत्रालय को पृष्ठांकित करनी चाहिए।
इंदिरा आवास योजना की निधियां केंद्रीय अंश तथा राज्य अंश) जिला ग्रामीण विकास एजेंसियों द्वारा किसी राष्ट्रीयकृत/ अनुसूचित या सहकारी बैंक या डाकखाता में एक अन्य तथा अगले खाते में जमा की जाएगी।
इंदिरा आवास योजना की जमा निधियों से प्राप्त ब्याज की राशि इंदिरा आवास योजना के संसाधनों का हिस्सा समझी जाएगी।
खातों से निधियों का आहरण केवल इंदिरा आवास योजना के अंतर्गत होने वाले खर्च के लिए ही होगा।
लाभार्थियों को भुगतान कार्य की प्रगति के आधार पर अलग- अलग समय पर किया जाना चाहिए। लाभार्थियों को पूरी राशि नगद रूप में नहीं दी जानी चाहिए। भुगतान की किस्तें राज्य सरकार द्वारा या जिला स्तर पर तय होनी चाहिए जो कार्य की प्रगति से जुड़ी हों।
ग्रामीण विकास मंत्री श्री बीरेन्द्र सिंह ने लोकसभा में जानकारी दी कि सभी को वर्ष 2022 तक पक्का मकान मुहैया कराने की सरकारी घोषणा पर विचार करते हुए ग्रामीण विकास मंत्रालय ने इंदिरा आवास योजना (आईएवाई) को पुनर्गठित करने के लिए आवश्यक कार्रवाई शुरू कर दी है। मकान की इकाई लागत को बढ़ाने, शौचालय को मकान का अभिन्न हिस्सा बनाने और बुनियादी सुविधाओं के लिए संबद्ध योजनाओं के साथ अनिवार्य तालमेल सुनिश्चित करने का प्रस्ताव किया गया है। इसका क्रियान्वयन मिशन मोड में किया जाएगा।
12वीं पंचवर्षीय योजना में आईएवाई के लिए अनुमोदित परिव्यय 59,585 करोड़ रुपये है और 1.5 करोड़ मकानों के निर्माण का वास्तविक लक्ष्य रखा गया है। इसकी तुलना में 12वीं पंचवर्षीय योजना के पहले दो वर्षों के दौरान 22,208 करोड़ रुपये दिए गए हैं और 54.82 लाख मकानों का लक्ष्य रखा गया था। वर्ष 2014-15 के लिए बजट आवंटन 16,000 करोड़ रुपये है और 25.18 लाख मकानों के निर्माण का वास्तविक लक्ष्य रखा गया है। वर्ष 2015-16 के दौरान 30 लाख मकानों तथा 2016-17 के दौरान 35 लाख मकानों का लक्ष्य तय करने का प्रस्ताव किया गया है। योजना के दिशा-निर्देशों के अनुसार, यह सुनिश्चित किया जाता है कि स्वीकृत किए गए मकान पहली किस्त मंजूर किए जाने की तारीख से दो वर्षों के भीतर पूरे कर लिए जाएं। चूंकि लाभार्थी बीपीएल परिवारों के होते हैं और उन्हें मकानों के निर्माण के लिए आवश्यक संसाधन जुटाने में अक्सर कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, इसलिए विलंब के मामलों पर नजर रखी जाती है, ताकि अधिकतम तीन वर्षों के अवधि में मकानों का निर्माण कार्य पूरा करने में सहायता की जा सके।
तिमाही आधार पर की जाने वाली पीआरसी की बैठकों, मासिक आधार पर की जाने वाली राज्य समन्वय अधिकारियों की बैठकों, क्षेत्रीय अधिकारियों के दौरों तथा राष्ट्र स्तरीय निगरानीकर्ताओं के दौरों में आईएवाई के कार्यान्वयन की समीक्षा की जाती है। इसके अलावा प्रगति रिपोर्ट एमआईएस पर और मासिक प्रगति रिपोर्ट मंत्रालय में प्राप्त होती है।
स्रोत: जेवियर समाज सेवा संस्थान, राँची व पत्र सुचना कार्यालय
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