Bhawani Prasad Mishra Ki Kavita Prani Wahi Prani Hai भवानी प्रसाद मिश्र की कविता प्राणी वही प्राणी है

भवानी प्रसाद मिश्र की कविता प्राणी वही प्राणी है



Pradeep Chawla on 12-05-2019

तापित को स्निग्ध करे,
प्यासे को चैन दे;
सूखे हुए अधरों को
फिर से जो बैन दे
ऐसा सभी पानी है|

लहरों के आने पर,
काई-सा फटे नहीं;
रोटी के लालच मे
तोते-सा रटे नहीं
प्राणी वही प्राणी है|

लँगड़े को पाँव और
लूले को हाथ दे,
सत की संभार में
मरने तक साथ दे,
बोले तो हमेशा सच,
सच से हटे नहीं;
झूट के डराए से
हरगिज डरे नहीं|
सचमुच वही सच्चा है|

माथे को फूल जैसा
अपने को चढ़ा दे जो;
रूकती-सी दुनिया को
आगे बढा दे जो;
मरना वही अच्छा है|

प्राणी का वैसे और
दुनिया मे टोटा नहीं,
कोई प्राणी बड़ा नहीं
कोई प्राणी छोटा नहीं|




सम्बन्धित प्रश्न



Comments Jyoti singh on 28-09-2023

इस कविता की अंतिम चार पंक्तियों में लेखक ने प्राणी को क्या माना है?

Shivangi on 02-08-2023

काई सा फटे नहीं,तोते सा रटे नहीं कौन‌सा अलंकार है

अर्पण on 02-03-2023

कैसी मृत्यू को हम सार्थक कह सकते है


Mayank on 06-11-2022

Is Kavita ka bhawarth bataye

Varsha rajak on 26-03-2022

Prani wahi prani hai kavita mai prani ko kaisa hona cahiye

Jyoti kumar on 13-02-2022

Jyoti kumar

Shashikal on 14-11-2021

Satya aasatya ke prati sache pardh kin bhav me vidhman hai


Manny on 09-11-2021

माथे को फ़ूल जैसा अपने chada de jo rukati si duniya ko Aage badade jo marna vahi Achha hai Arth batao



sacha prani kaun hai? on 17-09-2018

sacha prani kaun hai ?

Rajesh Gupta on 30-11-2018

Koi prani chhota nahi kavita ka saar
Bataeye

Jagriti on 05-02-2019

Kavita me kavi ne kiski kami na hone ki baat batayi hai?

usha singh on 02-04-2019

satya aur asatya ke prati sache prani me kya vishetha payi jati hai


jogendra on 09-04-2019

प्राणी वही प्राणी है व्याख्या

Nempal rana on 10-04-2019

Thank you

vimlesh kumar on 12-05-2019

तापित को स्निग्ध करे,
प्यासे को चैन दे
सूखे हुए अधरों को
फिर से जो बैन दे
ऐसा सभी पानी है|
लहरों के आने पर,
काई-सा फटे नहीं
रोटी के लालच मे
तोते-सा रटे नहीं
प्राणी वही प्राणी है|
लँगड़े को पाँव और
लूले को हाथ दे,
सत की संभार में
मरने तक साथ दे,
बोले तो हमेशा सच,
सच से हटे नहीं
झूट के डराए से
हरगिज डरे नहीं|
सचमुच वही सच्चा है|
माथे को फूल जैसा
अपने को चढ़ा दे जो
रूकती-सी दुनिया को
आगे बढा दे जो
मरना वही अच्छा है|
प्राणी का वैसे और
दुनिया मे टोटा नहीं,
कोई प्राणी बड़ा नहीं
कोई प्राणी छोटा नहीं|


Shivani on 12-05-2019

Prani aur panime Kya samanta hai

Richa on 12-05-2019

माथे को फूल ज्सजैसा अपने चढ़ा दे जो का क्या अर्थ है

Apurva on 12-05-2019

Bhavarth of this poem


Rama on 12-05-2019

Kavi nay paysay ko sukh pauhuchanevale kya kaha

Aman mishra on 30-07-2019

Asha Hai Ko Sahara De

Pankaj on 25-08-2019


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असाधारण / भवानीप्रसाद मिश्र
भवानीप्रसाद मिश्र »
तापित को स्निग्ध करे,
प्यासे को चैन दे
सूखे हुए अधरों को
फिर से जो बैन दे
ऐसा सभी पानी है|
लहरों के आने पर,
काई-सा फटे नहीं
रोटी के लालच मे
तोते-सा रटे नहीं
प्राणी वही प्राणी है|
लँगड़े को पाँव और
लूले को हाथ दे,
सत की संभार में
मरने तक साथ दे,
बोले तो हमेशा सच,
सच से हटे नहीं
झूट के डराए से
हरगिज डरे नहीं|
सचमुच वही सच्चा है|
माथे को फूल जैसा
अपने को चढ़ा दे जो
रूकती-सी दुनिया को
आगे बढा दे जो
मरना वही अच्छा है|
प्राणी का वैसे और
दुनिया मे टोटा नहीं,
कोई प्राणी बड़ा नहीं
कोई प्राणी छोटा नहीं| hindi me arth


Rasheda on 21-10-2019

Kavi ne sansar me kis ki kami na hone ki baat batai he

Kavi ne sansar me kiski kami n hone ki bat btai h on 07-11-2019

Kavi me sansar me kiski kami n hone ki bat btai h

आत्म त्याग कि क on 24-11-2019

आत्म त्याग कि कसौटी क्या हैं?

Shraddha on 05-12-2019

प्यासे को चैन दे का अर्थ क्या हो गा

Anjali on 09-12-2019

Mathe ko fool jaisa apne chadha de jo ka bhav spasat kijiye

Shivani on 02-03-2020

Prani vahi prani hai ka arth btaiye

Kumari sandhya on 20-04-2020

Atm tyag ki kasauti kya hai

Sangita tandon on 22-04-2020

Prani who prani hai kvita ka poora arth kya hai

Arth on 25-04-2020

Arth btayiye इस poem ka


Anjali on 11-05-2020

माथे को फूल जैसा अपने को चढ़ा दे जो रूकती-सी दुनिया को आगे बढा दे जो मरना वही अच्छा है|meaning this paragraph

Neetesh Gaur on 13-05-2020

Prani wahi prani hai ka arth

G on 18-06-2020

रात की संभार में मरने तक साथ दे। पंक्ति से कवि क्या कहना चाहता है।

Mahi on 20-07-2020

इस कविता की दो पंक्तियां
१. प्राणी का वैसे और दुनिया में टोटा नहीं कोई प्राणी बड़ा नहीं कोई प्राणी छोटा नहीं
२. बोलें तो हमेशा सच ,सच से हटे नहीं झुठ के डराए से हरगिज़ डरे नहीं सचमुच वहीं सच्चा है
इनके भावार्थ और इनकी विशेषता


Bindu on 23-07-2020

Prani wahi prani hai kavita mai manushya ke kin guno ke bare mai bataya hai

Anu on 26-07-2020

Mathe Ko phool jaisa apni Chadha de Jo rukti si duniya Ko aage badha de Jo marna vahi achcha hai bapast
likhiye

Anu on 26-07-2020

Mathe Ko phool jaisa apni Chadha de Jo kisi duniya Ko aage badha de Jo manava hi achcha hai iska bhav first likhi samajh mein nahin a Raha hai humko

Pyase ko on 13-08-2020

Pyase ko chain kaun deta hai?

Dharmendra Mishra on 12-09-2020

Prani vahi prani hai arth chahie

प्राची on 18-10-2020

माथे को फूल जैसा चढ़ा दे जो क्या अर्थ है?


Rahul on 22-10-2020

Prani vai prani kavita

Peom ki vahkaya on 18-11-2020

Koi prani chota nahi poem ki vakhaya

रिया on 02-01-2021

सत्य और असत्य के प्रति सच्चे प्राणी में किन बातों का विद्यमान होना बताया गया है?

स्पर्श on 16-05-2021

लहरे किसकी प्रतीक है

Nitesh sarthi on 05-06-2021

Koi Pradi chota nahi koi pradi bada nahi ka arth bataie

Kartik Singh on 13-07-2021

Aatm tyag ki kasauti kya hai?

Tejswi on 01-09-2021

कविता की अंतिम पंकितयो मे कवि ने परानी को कया माना है?

Ambrish kumar on 13-09-2021

Atma tyag ki kashauti kya hai

Abhishek on 13-09-2021

लहरें किसकी प्रतोक है

Abhishek on 13-09-2021

लहरें किसकी प्रतीक है



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