कुमावत Gotr Aur Kuldevi कुमावत गोत्र और कुलदेवी

कुमावत गोत्र और कुलदेवी



Pradeep Chawla on 12-05-2019

कुमावत ( Kumawat ) शब्‍द होने से इसी पर विस्‍तार पर बताने जा रहा हूँ की कुम्‍हार समुदाय में कुमावत शब्‍द की शुरूआत कैसे हुई।

इसके लिये हमें भाषा विज्ञान पर नजर डालनी होगी। कुमावत शब्‍द की स‍न्धि विच्‍छेद करने पर पता चलता है ये शब्‍द कुमा + वत से बना है। यहां वत शब्‍द वत्‍स से बना है । वत्‍स का अर्थ होता है पुत्र या पुत्रवत शिष्‍य अर्थात अनुयायी। इसके लिये हम अन्‍य शब्‍दों पर विचार करते है-

निम्‍बावत अर्थात निम्‍बार्काचार्य के शिष्‍य

रामावत अर्थात रामानन्‍दाचार्य के शिष्‍य

शेखावत अर्थात शेखा जी के वंशज

लखावत अर्थात लाखा जी के वंशज

रांकावत अर्थात रांका जी के शिष्‍य या अनुयायी

इसी प्रकार कुमावत का भी अर्थ होता है कुम्‍हार के वत्‍स या अनुयायी। कुछ लोग अपने मन से कु मा वत जैसे मन माने सन्धि विच्‍छेद करते है और मनमाने अर्थ देते है।
कई बन्‍धु प्रश्‍न करते है कि कुम्‍हार शब्‍द था फिर कुमावत शब्‍द का प्रयोग क्‍यों शुरू हुआ। उसके पीछे मूल कारण यही है कि सामान्‍यतया पूरा समाज पिछड़ा रहा है और जब कोई बन्‍धु तरक्‍की कर आगे बढा तो उसने स्‍वयं को अलग दर्शाने के लिये इस शब्‍द का प्रयोग शुरू किया। और अब यह व्‍यापक पैमाने में प्रयोग होता है। कई बन्‍धु यह भी कहते है कि इतिहास में कुमावतों का युद्ध में भाग लेने का उल्‍लेख है। तो उन बन्‍धुओ को याद दिलाना चाहुंगा कि युद्ध में सभी जातियों की थोड़ी बहुत भागीदारी अवश्‍य होती थी और वे आवश्‍यकता होने पर अपना पराक्रम दिखा भी देते थे। युद्ध में कोई सैनिकों की सहायता करने वाले होते थे तो कोई दुदुभी बजाते कोई गीत गाते कोई हथियार पैने करते तो कोई भोजन बनाते। महाराणा प्रताप ने तो अपनी सेना में भीलों की भी भर्ती की थी। ये भी संभव है कि इस प्रकार युद्ध में भाग लेने वाले समाज बन्‍धु ने कुमावत शब्‍द का प्रयोग शुरू किया।

कुछ बन्‍धु यह भी कहते है कि इतिहास में पुरानी जागीरों का वर्णन होता है अत: वे राजपूत के वंशज है या क्षत्रिय है। तो उन बन्‍धुओं का बताना चाहुंगा की जागीर देना या ना देना राजा पर निर्भर करता था। जोधपुर में मेहरानगढ के दुर्ग के निर्माण के समय दुर्ग ढह जाता तो ये उपाय बताया गया कि किसी जीवित व्‍यक्ति द्वारा नींव मे समाधि लिये जाने पर ये अभिशाप दूर होगा। तब पूरे राज्‍य में उद्घोषणा करवाई गई कि जो व्‍यक्ति अपनी जीवित समाधि देगा उसके वंशजों को जागीर दी जाएगी। तब केवल एक गरीब व्‍यक्ति आगे आया उसका नाम राजाराम मेघवाल था। तब महाराजा ने उसके परिवार जनों को एक जागीर दी तथा उसके नाम से एक समाधि स्‍थान (थान) किले में आज भी मौजूद है। चारणों को भी उनकी काव्‍य गीतों की रचनाओं से प्रसन्‍न हो खूब जागीरे दी गयी। अत: जागीर होना या थान या समाधी होना इस बात का प्रमाण नहीं है कि वे राजपूत के वंशज थे। और क्षत्रिय वर्ण बहुत वृहद है राजपूत तो उनके अंग मात्र है। कुम्‍हार युद्ध में भाग लेने के कारण क्षत्रिय कहला सकता है पर राजपूत नहीं। राजपूत तो व्‍यक्ति तभी कहलाता है जब वह किसी राजा की संतति हो।

भाट और रावाें ने अपनी बहियों में अलग अलग कहानीयों के माध्‍यम से लगभग सभी जातियों को राजपूतों से जोडा है ताकि उन्‍हे परम दानी राजा के वंशज बता अधिक से अधिक दान दक्षिणा ले सके।

लेकिन कुमावत और कुम्‍हारों को इस बात पर ध्‍यान देना चाहिए कि राजपूतो में ऐसी गोत्र नहीं होती जैसी उनकी है और जिस प्रकार कुमावत का रिश्‍ता कुमावत में होता है वैसे किसी राजपूत वंश में नहीं होता। अत: उनको भाट और रावों की झूठी बातों पर ध्‍यान नहीं देना चाहिए। राजपूतों मे कुम्‍भा नाम से कई राजा हुए है अत: हो सकता है उनके वंशज भी कुमावत लगाते रहे हो। पर अब कुम्‍हारों को कुमावत लगाते देख वे अपना मूल वंश जैसे सिसोदिया या राठौड़ या पंवार लगाना शुरू कर दिया होगा और वे रिश्‍ते भी अपने वंश के ही कुमावत से ना कर कच्‍छवाहो परिहारो से करते होंगे।

कुछ बन्‍धु ये भी तर्क देते है कि हम बर्तन मटके नहीं बनाते और इनको बनाने वालों से उनका कोई संबंध कभी नहीं रहा। उन बंधुओ को कहते है कि आपके पुराने खेत और मकान जायदाद मे तो कुम्‍हार कुमार कुम्‍भार लिखा है तो वे तर्क देते है कि वे अज्ञानतावश खुद को कुम्‍हार कहते थे। यहां ये लोग भूल जाते है कि हमारे पूर्वज राव और भाट के हमारी तुलना में ज्‍यादा प्रत्‍यक्ष सम्‍पर्क में रहते थे। अगर भाट कहते कि आप कुमावत हो तो वे कुमावत लगाते। और कुमावत शब्‍द का कुम्‍हारों द्वारा प्रयो्ग ज्‍यादा पुराना नहीं है। वर्तमान जयपुर की स्‍थापना के समय से ही प्रचलन में आया है और धीरे धीरे पूरे राजस्‍थान में कुम्‍हारों के मध्‍य लोकप्रिय हो रहा है। और रही बात मटके बनाने की तो हजार में से एक व्‍यक्ति ही मटका बनाता है। क्‍योंकि अगर सभी बनाते इतने बर्तन की खपत ही कहा होती। कम मांग के कारण कुम्‍हार जाति के लोग अन्‍य रोजगार अपनाते। कुछ खेती करते कुछ भवन निर्माण करते कुछ पशुचराते कुछ बनजारो की तरह व्‍यापार करते तो कुछ बर्तन और मिट्टी की वस्‍तुए बनातें। खेतीकर, चेजारा और जटिया कुमार क्रमश: खेती करने वाले, भवन निर्माण और पशु चराने और उन का कार्य करने वाले कुम्‍हार को कहा जाता था।

कुछ कहते है की मारू कुमार मतलब राजपूत। मारू मतलब राजपूत और कुमार मतलब राजकुमार।

- उनके लिये यह कहना है कि राजस्‍थान की संस्‍कृति पर कुछ पढे। बिना पढे ऐसी बाते ही मन मे उठेगी। मारू मतलब मरू प्रदेश वासी। मारेचा मारू शब्‍द का ही परिवर्तित रूप है जो मरूप्रदेश के सिंध से जुड़े क्षेत्र के लोगो के लिये प्रयुक्‍त होता है। और कुमार मतलब हिन्‍दी में राजकुमार होता है पर जिस भाषा और संस्‍कृति पर ध्‍यान दोगे तो वास्‍तविकता समझ आयेगी। यहां की भाष्‍ाा में उच्‍चारण अलग अलग है। यहां हर बारह कोस बाद बोली बदलती है। राजस्‍थान मे कुम्‍हार शब्‍द का उच्‍चारण कुम्‍हार कहीं नही होता। कुछ क्षेत्र में कुम्‍मार बोलते है और कुछ क्षेत्र में कुंभार अधिकतर कुमार ही बोलते है। दक्षिण्‍ा भारत में कुम्‍मारी, कुलाल शब्‍द कुम्‍हार जाति के लिये प्रयुक्‍त होता है।

प्रजापत और प्रजापति शब्‍द के अर्थ में कोई भेद नहीं।राजस्‍थानी भाषा में पति का उच्‍चारण पत के रूप में करते है। जैसे लखपति का लखपत, लक्ष्‍मीपति सिंघानिया का लक्ष्‍मीपत सिंघानिया। प्रजापति को राजस्‍थानी में प्रजापत कहते है। यह उपमा उसकी सृजनात्‍मक क्षमता देख कर दी गयी है। जिस प्रकार ब्रहृमा नश्‍वर सृष्‍टी की रचना करता है प्राणी का शरीर रज से बना है और वापस मिट्टि में विलीन हो जाता है वैसे है कुम्‍भकार मिट्टि के कणों से भिन्‍न भिन्‍न रचनाओं का सृजन करता है।

कुछ कहते है कि रहन सहन अलग अलग। और कुम्‍हार स्त्रियां नाक में आभूषण नही पहनती। तो इसके पीछे भी अलग अलग क्षेत्र के लोगो मे रहन सहन के स्‍तर में अन्‍तर होना ही मूल कारण है। राजस्‍थान में कुम्‍हार जाति इस प्रकार उपजातियों में विभाजित है-

मारू - अर्थात मरू प्रदेश के

खेतीकर - अर्थात ये साथ में अंश कालिक खेती करते थे। चेजारा भी इनमें से ही है जो अंशकालिक व्‍यवसाय के तौर पर भवन निर्माण करते थे। बारिस के मौसम में सभी जातियां खेती करती थी क्‍योंकि उस समय प्रति हेक्‍टेयर उत्‍पादन आज जितना नही होता था अत: लगभग सभी जातियां खेती करती थी। सर्दियों में मिट्टि की वस्‍तुए बनती थी। इनमें दारू मांस का सेवन नहीं होता था।

बांडा ये केवल बर्तन और मटके बनाने का व्‍यवसाय ही करते थे। ये मूलत: पश्चिमी राजस्‍थान के नहीं होकर गुजरात और वनवासी क्षेत्र से आये हुए कुम्‍हार थे। इनका रहन सहन भी मारू कुम्‍हार से अलग था। ये दारू मांस का सेवन भी करते थे।

पुरबिये - ये पूरब दिशा से आने वाले कुम्‍हारों को कहा जाता थ्‍ाा। जैसे हाड़ौती क्षेत्र के कुम्‍हार पश्चिमी क्षेत्र में आते तो इनको पुरबिया कहते। ये भी दारू मांस का सेवन करते थे।

जटिया- ये अंशकालिक व्‍यवसाय के तौर पर पशुपालन करते थे। और बकरी और भेड़ के बालों की वस्‍तुए बनाते थे। इनका रहन सहन भी पशुपालन व्‍यवसाय करने के कारण थोड़ा अलग हो गया था हालांकि ये भी मारू ही थे। इनका पहनावा राइका की तरह होता था।

रहन सहन अलग होने के कारण और दारू मांस का सेवन करने के कारण मारू अर्थात स्‍थानीय कुम्‍हार बांडा और पुरबियों के साथ रिश्‍ता नहीं करते थे।

मारू कुम्‍हार दारू मांस का सेवन नहीं करती थी अत: इनका सामाजिक स्‍तर अन्‍य पिछड़ी जातियों से बहुत उंचा होता था। अगर कहीं बड़े स्‍तर पर भोजन बनाना होता तो ब्राहमण ना होने पर कुम्‍हार को ही वरीयता दी जाती थी। इसीलिए आज भी पश्चिमी राजस्‍थान में हलवाई का अधिकतर कार्य कुम्‍हार और ब्राहमण जाति ही करती है।

पूराने समय में आवगमन के साधन कम होने से केवल इतनी दूरी के गांव तक रिश्‍ता करते थे कि सुबह दुल्‍हन की विदाई हो और शाम को बारात वापिस अपने गांव पहुंच जाये। इसलिये 20 से 40 किलोमीटर की त्रिज्‍या के क्षेत्र को स्‍थानीय बोली मे पट्टी कहते थे। वे केवल अपनी पट्टी में ही रिश्‍ता करते थे। परन्‍तु आज आवागमन के उन्‍नत साधन विकसित होने से दूरी कोई मायने नहीं रखती।




सम्बन्धित प्रश्न



Comments Rajesh Prajapati on 09-10-2024

भोभारिया गोत्र की कुल देवी कोन है

Kanwal singh sonaye on 03-08-2024

Hastag use share all surname:->
asole
asola
adani
adaniya
bagdi
ichole
isoliya
khatod
pukhwal
pokhwal
jalandhar
jalindhara
nagore
nagora
gaidhar
gedar
jakhde
jakhda
gothwad
gothwal
khannade
khanadiya
ghodile
ghodele
machewar
machiwal
dungarwal
narole
rahanwal
reniwal
sinde
sinddad
dhamane
dhamaniya
sonaye
sonay
sadatkar
sojatwal
Kshatriya kumawat rajput gotra.


Kanwal singh rajput on 03-08-2024

Surname:sonaye
Gotra:bharadwaja
Kuldevi:renuka devi,mahurgad,maharashtra
Caste:kumawat
Hindu:kshatriya
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Koi bhi kuch jankari sonaye related yha btao exact information pta chala


amit maru Kumawat on 25-07-2024

पहले बता तू कोन h कुमावत समाज के ठेकेदार? तेरी क्या जाति h और तू कुमावतो के बारे में लिख रहा h माना की कुमावत शब्द 100_200 साल पहले आया पर समाज तो 1300 ईस्वी में बना था अबे नीच तुझे कुमार और कुम्हार में अंतर दिखाई नहीं देता ? या अंधा h तूने मारू कुमार को कुम्हार बना दिया वा अब सुन क्षत्रिय कुमावतो की हिस्ट्री _ कालांतर में जब मुस्लिम आक्रांताओं और अन्य कारणो से वो क्षत्रिय बालक जिन का बाल विवाह हुआ था और क्षत्रिय बालिका जिन्होंने कभी ससुराल का मुंह तक नहीं देखा वो अनेक युद्धों में शहीद हो गए तो उन क्षत्रिय कन्याओं को भी सती होना पड़ता था गुरु गर्वा जी भाटी से इन क्षत्रिय बालिकाओं के उद्धार के लिए बाल विधवा पुनर्विवाह के लिए वचन मांगा और जो क्षत्रिय वचन दे चुके थे उन को समाज से अलग कर दिया गया था जो तत्कालीन क्षत्रिय समाज को दो भागों में बांट बंट गया जीन का नाम मारू कुमार/ कुमाबाबात रखा गया जो वंसावली में भी मारू कुमार नाम से ही h न की कुम्हार तब पहला गोत्र मंगलराव/ मंगलव बना जिन की नख भाटी और कुलदेबी सवांगिया माता जो भाटियो की ही कुलदेवी h or वंसावली में मंगलरव गोत्र की भी बाकी नख क्या होती h वो क्षत्रिय समाज से पूछना कभी अब सुन उस समय 64 गोत्र बने और बाद में और गौत्र बनते चले गए जो अपने पूर्वज या गांव के नाम पर थे बाकी ये सभी गोत्र गूगल पर सर्च कर लगभग 800 के आसपास h वर्तमान में अब सुन हिस्ट्री _ तेरे बापो की मंगलराव गोत्र में हुए घडसी जी मंगलराब जो अलाउद्दीन खिलजी की सेना से लड़ते हुए झुंजार हुए और राव भाटो के अनुसार 40 से ज्यादा खिलजी सैनिकों को मौत के घाट उतारा और घडसी जी की समाधि जैसलमेर दुर्ग में h दुर्ग में मतलब समझ दुर्ग के अंदर समाधि h घडसी ji मंगलराव की कुमार थे वो कुम्हार नही कभी जाए तो सूरजपोल के पास पता करना बाकी जैसलमेर में ही गुरु गर्वा जी भाटी की समाधि h or सुन इन्ही की वंशावली में हुए देदा जी mangalav जो अपनी भूमि रक्षा के लिए पौ भाटीयो के सर काटे और झुंझार हुए नोट कर जीन का मंदिर सुधरना बिकानेर में h और सुन झुझार गाथा तूने आज तक राजपूत समाज में ही सुना होगा अब कमावत समाज में भी सुन अबोहर पंजाब फजलका तहसील डांगरखेड़ा के नंबरदार/ जागीरदार कारगवाल गोत्र के बहादुर सिंग करगवाल जीन के वंशज आज भी वांही h और महाराजा गंगा सिंग के पुत्र उन की हवेली पर साथ में फोटो भी h बहुत सी गोत्र में झुंझार , भोमिया, सती,नंबरदार ,जागीरदार, जैलदेदार , तक रहे जोधपुर के सर प्रताप सिंग जी के समय उदाराम सिंग गोड़ेला गोडेला गोत्र के जीन को तलवार और सोने के कड़े से सम्मानित किया वो भी कुमावत मारू कुमार ही थे और पाता करना h हमारी पुरानी सभा और धर्मशाला और हवेलिया तो insta ya fasbook या गुगल पर सर्च कर "मारू राजपूत अबोहर पंजाब " बाकी मेरे समाज को ये बता देना चाहूंगा की अपने राव भाटो की रेस्पेट करो और उन से अपनी वंसावली पता करो ज्यादा लिख नहीं सकता लेकिन इतना बता सकता हु जो कहा आप मारू राजपूत अबोहर पंजाब सर्च करें अपनी हिस्टी पता करे बाकी हमारी लगभग 800 गोत्र वही h जो कुमावत गोत्र लिस्ट सर्च करने से आ रहि h मारू कुमार से कुम्हार और फिर प्रजापत लगाना शुरू कर दिया तो अब एक गधा और खरीद लो शर्म करो जो जानते h कमसे कम उन का साथ तो दो ? मेवाड़ ( उदयपुर, राजसमंद, भीलवाड़ा, पाली, टोंक ) side में कुछ जागरूक h तो उन्होंने अपनी हिस्ट्री बचाने के लिए कुमावत लगाना शुरू किया पंजाब अबोहर side में मारू राजपूत और शेखावटी ( चूरू, झुंझनू, सीकर) और गंगानगर हनुमानगढ़ में मारू कुमार से कुम्हार बनके प्रजापत भी बन गए wa अपनी history पता करो राव भाट से कुछ गोत्र जीन में झुंझार, भोमिया , सती और नंबरदार, जागीरदार रहे वो _ गोत्र _____ 1. मंगलराव,2. नोखवाल ( भाटी नख, निकास नोखा), 3.किरोड़ीवाल ( निर्वाण चौहान नख ,किरोड़ी गांव सीकर से निकास) , 4. गैधर ( गिरधर जी के पंवार नख), गांव रामदेवरा चुरू बिकानेर के महराजा सुरसिंघ के समय से रामदेवजी के पीढ़ीयो से पुजारी वर्तमान में भी 5. टाक चौहान 6. करगवाल चौहान 7. घोड़ेला राठौड़, (कुलडेवी करणी माता) खाटीवाल, कांटीवाल, भाटीवाल, कुलांसिये, पेंसिया, राजेरा, छापोला, टांक, मेलेठिया, घसोलिया, लोहनीवाल, सरस्वा, बोहरीवाल, नाणवाल, निराणिया, बाकी बहुत गोत्र h google कर कुमावत गोत्र pta करे अपनी अपनी गोत्र की हिस्टू राव भट्टो को बुला के पता करे और बाकि "मारू राजपूत अबोहर पंजाब" सर्च करके इंस्टा या गुगल facebook से pta करे जीन में कुछ 1947 से पहले की तस्वीर बंदुको, घोड़े, और उस वक्त की गाड़ियों में सवार जब कुम्हार गधे पर थे आप मारू कुमार कुमावतो के पूर्वज गाड़ी/ घोड़े और तलवार बंदूको साथ थे और कही कही तत्कालीन राजाओं के यहां सेना में या जागीरदारी में भी रहे m मानता हु कि समाज पिछड़ता चला गया h पर आज तो संगठित हो सकते h जब पढ़े लिखे होने के साथ पेसो की भी कोई कमी नही बाकि ये भी मानता हु कि हर कोई जागीरदार या नंबरदार नहीं रहा पर हर जाति में हर कोई राजा भी नहीं रहा वो भी आप की ही तरह राजाओं के यहां नौकरी या खेती या पशुपालन या अन्य कार्य ही करते थे l समाज के कुछ प्रमाण शिल्प कला से भी मिलते h जिस में मेवाड़ side के कुमवातो का अछा खासा योगदान रहा महाराणा कुम्भा के काल से भी पता चलता h जहा कुछ कुमावत शिल्पी दुर्ग निर्माण, भवन स्थापत्य कला से जुड़े थे शेखावाटी में भी बहुत सी शिल्प कला जेसे हवेलियो और इमारतों पर शिल्पियों के नाम दर्ज h जैसा कि मेवाड़ side के कुमावतो की जानकारी में h बाकी हर जाति किसी न किसी कार्य से जुड़ी ही थी जेसे जाट समाज में एक तरफ़ महराजा सूरजमल जेसे महराजा हुए दूसरी ओर वो समाज खेती से भी जुड़े और आज भी जुड़े h इस लिए हर समाज अपने महापूर्षो का सम्मान करता h कुमावत समाज को भी अपने महापुरषों के बारे में जानना और उन का सम्मन करना चाहिए जब आप आज भी पारम्परिक कुम्हार बंदिया और पुरबियो etc से कोई भी किसी प्रकार का संबंध नहीं रखते तो तो आप प्रजापति के वंशज केसे हो गए जो आप बहुत सी बार use करते h और इसी कारण ये सुनने को मिलता h जो इस ने लिखा मारू कुमार को कुम्हार बना रखा h पर आप तो समझो आज भी कुछ मारू कुमार/कुमावत घरों में पुरानी तलवार और बंदूके मिलाती h पर कुम्हार की चाक मिलना? बाकि आप facebook से "मारू राजपूत अबोहर पंजाब " से जुड़े आप को वहा नंबर भी मिल जायेंगे आप बात कर सकते h और जानकारी प्राप्त कर सकते h जितना अभी तक पता चला h वो सारे फैक्ट्स और महापुरषों और अन्य जानकारी बहुत सी प्राप्त तस्वीरों और अन्य प्रमाणों सहित वहा h आप पता करे धन्यवाद


Mukesh sirswa on 23-06-2024

Sirswa gotr ki kuldevi konsi h

Mukesh on 23-06-2024

Ghodela ki kuldevi jinmata h malasi me bheru ji h kuldevta Balaji h

kailash kumawat on 27-02-2024

pilodrya gothar ki kuldevi kon h plz


Hema Devatwal on 21-02-2024

Devatwal ki kuldevi konci



ratan lal rav on 14-08-2018

ratan lal rav k kuldevta kon h

Rohitssh singh on 16-08-2018

Rajput gotra kind bkuldevi ka name kya h

Omprakash chapoola on 18-08-2018

Chapoola ki kul Devi kaon hai .uska esthan kaha hai

R D gedhar on 18-08-2018

Sir aapne puri jankari nhi di h pls puri jankari de kumawat smaj ke bare me ho ske to


pilodiya on 25-08-2018

Piloiya gotra ki kuldevi

navin kumawat marwal on 30-08-2018

my gotra marwal how is my koul devi

S.p. Naik on 31-08-2018

Bagore gotra ki kuldevi name sthal Rajasthan me kaha hai ?

Ram kumawat on 02-09-2018

सिरसवा गोत्र की कुलदेवी कौन है।

SHIV NARAYAN karagwal on 08-09-2018

Karagwal kul ki kuldevi koun hai

नारायण लाल मारू कुमावत on 09-09-2018

मां मारू कुमावत गोत्र की कुलदेवी का स्थान और कुलदेवी का नाम


नरेश के एस कुमावत on 16-09-2018

ये इतिहास जिसने भी लिखा है । बिल्कुल ग़लत लिखा है । कुमावत और प्रजापति दो अलग अलग जातियां है । इसका प्रमाणिक इतिहास मेरे पास है।


जसराज प्रजापत (मुण्डेल) on 18-09-2018

कृपया मुण्डेल गौत्र कि कुलदेवी और उनका स्थान बतावे

पवन छापरवाल on 20-09-2018

छापरवाल गोत्र की कुलदेवी कुंण हैं

Ritesh maru kumawat on 24-09-2018

रोटागण मारू कुमावत की कुलदेवी

Suresh kumar kavadiya on 25-09-2018

Kabaddi ki Kuldevi ka

ashok kumar Dhamaniya on 26-09-2018

Dhamaniya ke Kuldevi Kon se hi

Nilesh kubawat on 26-09-2018

Kubawat kuldevi

Laxman prajapat Gotra kargval ki samaj Ki kuldevi on 03-10-2018

Kar gval ki kuldevi kon h

Laxman ram kargwal on 03-10-2018

Karega mi kul ki devi kA name bataye plz

जगदीश प्रसाद दम्बीवाल on 08-10-2018

दम्बीवाल गौत्र की कूल देवी कौनसी हैं और कहाँ पर स्थित है

Rajeshwar lal khatuwal on 08-10-2018

Khatuwal vansh ki kul devi kon hai or kha hai

SURENDER s/o Manohar lal on 13-10-2018

गोत्र सथोड की कुल देवी कोन सी है


Omprakash Mandhniya on 13-10-2018

Mandheniya ki kuil DeWi kon he

महावीर प्रसाद खाटूवाल on 13-10-2018

खाटूवाल गौत्र की कुलदेवी कौनसी है कृपया जानकारी देने का कष्ट करें

Mp Mandhaniya on 16-10-2018

मानधनिया कुम्हारों की कुलदेवी कोनसी है और इनके मंदिर कहा पे है।

Ghanshyam on 16-10-2018

Gudiya ki kul devi kon ha

Rohit Kumawat on 17-10-2018

बारावाल गोत्र की कुल देवी बताओ प्लीज

Saroj Kumawat on 17-10-2018

Kumawat Rahoriya ki kul Devi konsi h

MUNNA LAL SIYOTA on 17-10-2018

MUNNA LAL SIHOTA
KUMHAR SAMAZ KI GOTRA SIHOTA KI KULDEVI KA ITIHAS

Om prakash kumawat balodiya on 18-10-2018

बालौदिया गौत्र की कूल देवी कहा है

Suda gotra ki kuldevi konsi he सुडा गोत्र की कुल on 28-10-2018

सुडा गोत्र की कुल देवी कोनसी हे

अल्का कुमावत on 31-10-2018

देवतवालो की कुलदेवी


Ashwini kumawat on 01-11-2018

मरमट गोत्र की कुलदेवता कोनसी है

Chandrakant Kumavat, Aurangabad, Maharashtra on 12-11-2018

Maharashtra Ke Kardiwal / Karodiwal गोत्र की कुलदेवी कौन है

Devilalkumawat on 14-11-2018

Behra gotra ki kuldevi ka nam or aderss

Babu Lal kumawat on 15-11-2018

Sirohiya gotra ki kuldevi konsi h?

Om Prakash baberawal on 15-11-2018

Kul devi

दीपक कुमावत on 18-11-2018

भाई महाराष्ट्रमें कुमावतोमै बगड़ाने गोत्र है।
उनकी कुलदेवी अजमेर ,राजस्तान मैं घिराडी देवी के नाम से जानते है ।लेकिन google youtube और google map पे भी देवीके बारे में कोई जानकारी नहीं है।


Piya kumawat on 28-11-2018

Nokhwal bi kumawat m hi aate h nah

हरीष कैतिक कूमावत on 05-01-2019

कूमावत नागे परीवार का गोञ ओर कूलदैवत कोनसा है

Kuldeep Prajapat on 09-01-2019

Jai ho Prajapati

Kumawat me porwal Kon he on 15-01-2019

Kumawat me porwal Kon

Nisha kumawat on 20-01-2019

Sir thanwla gav ki sirsva priwar ki kuldevi konsi h or address... Or bhat konse h

कुमावत सेवकराम सामरिया on 26-01-2019

कुमावत समाज की सामरिया गोत्र की कुल देवी और भैरू महाराज कहाँ है

Snehal Beldar on 29-01-2019

Hum anavde kul de hai hamara gotr aur kuldevi konsi hai uske bare me bataye plz

Mukesh on 30-01-2019

Chaaparwal gotra ki kooldevi or kahaa h

SANVAr mal jalap on 23-02-2019

Jalap gotr ki kuldave Jon ha


Shyamsunder kumawat on 23-02-2019

Game a Sardewal kumawat ke kuldevi konse haa.

Shyamsunder kumawat on 23-02-2019

Hamre Sardewal kumawat ke kuldevi konse haa.

manak lal jalandara on 04-04-2019

jalandara gotra ki kul davi kha

Kumawat nagor gotre ke kul dev v devi kon hai on 05-04-2019

Kumawat nagor gotre ke kul dev v devi kon hai or kha hai

Subhash kumawat Anawdiya on 07-04-2019

Mujhe kumawat samaj me anawdiya gotr ki kul devi konsi h jan na h

Subhash kumawat Anawdiya on 07-04-2019

Mujhe kumawat samaj me anawdiya gotr ki kul devi konsi h jan na

S.p.naik on 29-04-2019

Bagore gotra ki kuldevi name stal Rajasthan me kaha ?

Answer please

Rajmal Kumawat on 08-05-2019

LIMA BHATI KI KUL DAVI BHADARIYA

Ramjilal kumawat on 11-05-2019

Kanderiya gotra ki kuldevi konsi h aur mandir kha pr h

Chandaram kumawat on 12-05-2019

Gorater

Kalu Ram prajapat on 12-05-2019

Rahoriya gotr ki kull devi Kon h

kamlesh kumawat on 12-05-2019

kumawat samaj ki kul devi name bato

Kailash morwal on 12-05-2019

Kumawat kshatriya samaj ki kul devi konsi he or kaha he unka sthana

कैलाश कुमावत on 12-05-2019

कुमावत गोत्र -डूंगरवाल की कुल देवी कौन है

कुमावत धुंधारिया गोत्र की कुलदेवी कौन है on 12-05-2019

कुमावत और कुम्हार अलग-अलग कब हुई इसकी जानकारी मैं चाहता हूं और धुंधारिया गोत्र कहां से निकला


Pawan bhobhria on 12-05-2019

Kumawat kul kitani gotar Hoti l

नंदकिशोर कुमावत on 12-05-2019

कुमावत और कुम्हार अलग-अलग कब हुई इसकी जानकारी मैं चाहता हूं और धुंधारिया गोत्र कहां से निकला और इनकी कुलदेवी कौन है और कहां पर है


Amar parjapat on 12-05-2019

आईतान कुमार समाज की कुलदेवी का नाम बताओ

अजुनराम on 12-05-2019

हरकियाकुमार.की.कुल.देवी.कौन.है

Om Prakash Kumawat on 12-05-2019

Kumawat Dhundhariyan Gotra ki kuldevi kaun hain

SHRAVAN. KUMAR on 12-05-2019

KUMARGOTR.KUNDALWAL KULDAV. KONHA

Pawan gedhar on 12-05-2019

Gedhar gotr ki kuldevi kon hey

rakesh kumawat on 12-05-2019

maliya gotra ki kuldeyi kon h

BUDHA RAM on 12-05-2019

कुमावत की लिम्बा गोत्र की कुल देवी कोन हे

Murari Lal Kumawat on 12-05-2019

Ujjwal gotra ki Kuldevi kaun hai

राकेश कुमार जोजावर on 12-05-2019

जोजावर की कुलदेवी कौन सी है

Maru kumawat on 12-05-2019

Abe gadhe kuch malum nhi tho likhata kyo hai

Tarun on 12-05-2019

Kumawat samaj me pilodiya gotta go kuldevi long hair

sanjay prajapat on 12-05-2019

Kwadiya gotra ki kuldevi kon h or kaha h

अर्जन प्रजापत लिम्बा on 12-05-2019

लिम्बा की गोत्र

Amrit Kumawat on 12-05-2019

Dungrwal gotr ke kuldave kha h

Paras mal kumawat on 12-05-2019

Kumawat samaj motawat gotra ki Kuldevi kon h sa or istan kaha hai

Gumanaram kumawat on 12-05-2019

Rohdiya kumawat ki nakh kya hai

Ganesh jailwal on 12-05-2019

jailwal gotra ki kuldevi kon h.our kaha Sthith h

सोनू on 12-05-2019

कुमावत समाज मे पोरवाल गोत्र भी है क्या

Goutam shardiwal on 12-05-2019

Sarldiwal gotr ki kuldevi Kon h

शिवजी राम कुमावत on 12-05-2019

सोकल गोत्र की कुलदेवी

Suresh Kumar Kumawat on 12-05-2019

Kumawat samaj,, khowal gotra ki kuldevi kon h aur mandir kha h

Ratan Lal Kumawat on 12-05-2019

Marmat gotra ki kuldevi konsi he or kha pr he...... Jaldi se btane ki kripa kare.. By ratan Lal Kumawat

Hardeenram detwal on 12-05-2019

Detwal ki kul devi nagnechya devi

Bharat saraswa on 12-05-2019

Saraswa gatra ki kuladavi kon hai

Govind on 12-05-2019

Kumawat hardiwal gotar ki kuldevi ma kon h

ललित कुमार कुमावत on 12-05-2019

प्रजापति, प्रजापत, कुम्हार, कुम्भकार, ओर कुम्हार से कुमावत का कोई संबंध नही है,व्यर्थ की पंचायत ने करे

Ram kishan kumawat on 12-05-2019

Gedhar ki kuldevi kon h

Dienesh on 12-05-2019

Goyal gotar ki kul davi

Niranjan kumawat on 12-05-2019

Behra

Vishal mandniya barnagar on 16-06-2019

Madniya gotra ki kuldevi kon OR kaha pe hai

Vishsl on 16-06-2019

Mandniya gotra kikuldevi Jon hai

बागरेचा गोत्र कुमावत की कुलदेवी का नाम क्या है on 19-06-2019

कुलदेवी

G r on 25-06-2019

Jinjnodiya gotr ki kul devi kon h

Urjaram on 27-06-2019

Kumawat samaj me ladva gautra ki kuldevi kaun he

Aman kumawat on 27-06-2019

Ramina gotr ki kuldevi kha he



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