स वाक्य से स्पष्ट है कि मानव संसाधन नियोजन एक फर्म यासंगठन की भावी भागों के लिए पूर्वानुमान की एक प्रक्रिया है और इस प्रक्रियाद्वारा योग्य व कुशल व्यक्तियों की सही संख्या में आपूर्ति की जाती है। इसपूर्वानुमान प्रक्रिया की बाद ही HRM विभाग चयन व भरती की क्रिया प्रारम्भकर सकता है। सम्पूर्ण संगठनात्मक नियोजन में HRM एक उप प्रणाली है।इस तरह, मानव शक्ति नियोजन मानवीय संसाधन का सदुपयोग करना है।यह दो शब्दों से बना है -
- मानव संसाधन
- नियोजन ।
मानव संसाधनका अर्थ सभी के संगठित और असंगठित श्रमिक, प्रबन्धक, कर्मचारी, नियोक्ताव पर्यवेक्षक से है जो संस्था के लक्ष्यों व योजनाओं को पूरा करने हेतु संस्थामें कार्यरत हैं या काम करने योग्य है किन्तु अभी काम नहीं मिला है। इसतरह ‘श्रम’ मानव संसाधन के काफी करीब है। दूसरे शब्द ‘नियोजन’ सेतात्पर्य एक ‘प्रक्रिया’ या ‘आयोजन’ से है।
अत: ‘मानव संसाधन नियोजन’ सेतात्पर्य ऐसे कार्यक्रम से है जिसमें संस्था के नियोक्ता द्वारा संस्था के लिएकर्मचारियों की प्राप्ति, उपयोग, अनुरक्षण व विकास सम्भव है। इस प्रकारकिसी संस्था के सन्दर्भ में कर्मचारियों के मॉंग एवं पूर्ति में सामंजस्य स्थापितकरना ही मानव शक्ति का नियोजन कहलाता है। मानवीय आवश्यकताओंका पूर्वानुमान ही मानव संसाधन नियोजन है। मानव संसाधनों का मूल्यांकनएवं पूर्वानुमान और उनकी उपलब्धि के स्रोतों की खोज इत्यादि भी इसकेविषय वस्तु के अन्तर्गत आते हैं। मानव शक्ति नियोजन का उद्देश्य इसकाविवेकपूर्ण उपयोग है। यह एक ऐसा नियोजन है जिसके अन्तर्गत संस्था कीमानव संसाधन की व्याख्या एवं भावी आवश्यकताओं का पूर्वानुमान प्रस्तुतकिया जाता है। कर्मचारियों के चयन एवं भर्ती सम्बन्धी नीति इसी पूर्वानुमानपर आधारित होते हैं।
मानव शक्ति नियोजन का महत्व
किसी संस्था में बिना HRP के कोर्इ भी दूसरा कार्य सही ढंग से पूरा नहीं किया जा सकता है। HRP किसी संगठन की संगठनात्मक उद्देश्यों एवं योजनाओं को कर्मचारियों की संख्या व प्रकार इस प्रकार व्याख्या करता है जिससे संगठन के उद्देश्यों को प्राप्त किया जा सके। बिना स्पष्ट नियोजन के संगठन के HR की आवश्यकता का अनुमान लगाना एक कोरी कल्पना है। HRP निम्नलिखित तरीके से एक संगठन के HR का प्रबन्ध करता है -
- मानव कर्मचारियों की आवश्यकता (Defining Future Personnel Need) - HRP भावी कर्मचारियों की आवश्यकता को परिभाषित करता है जो कर्मचारियों के विकास व नियुक्ति का आधार व श्रोत है। HRP की स्पष्ट नीति के अभाव में संगठन में कर्मचारियों की संख्या में काफी वृद्धि हो जाती है। अत: इस स्थिति से बचने के लिए उचित HRP का होना एक अनिवार्य शर्त है।
- राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय परिवर्तनों के अनुकुूल (Favourable with National and International Charges) - राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर काफी तेज परिवर्तन हो रहे हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था में यह परिवर्तन उदारीकरण के कारण हो रहे हैं किन्तु अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर स्वतंत्र व्यापार की नीति, जिसे विश्व व्यापार संगठन ने प्रेरित किया है, भूमण्डलीकरण प्रतियोगिताओं के कारण, ऐसे परिवर्तन हो रहे है। ऐसे परिवर्तनों के बीच प्रत्येक संगठन अपने प्रबन्धकीय योग्यता एवं विश्वसस्तरीय तकनीकों के आधार पर प्रतियोगिताओं में विजय पाने के लिए तत्पर हैं। परिणामत: भूमण्डलीय बौद्धिक युद्ध (Global talent war) प्रारम्भ हो गया है। इस युद्ध में वही कम्पनियाँ स्थिर रह सकती है जो एक वैज्ञानिक, औपचारिक व स्पष्ट HRP को अपनाती है। साथ ही HRP के द्वारा कर्मचारियों की माँग एवं उपलब्धता में सामन्जस्य काफी पहले से स्थापित किया जा सकता है।
- विकासशील बौद्धिकता के लिए आधार प्रस्तुत करना (Providing Base for Developing Talents) - अब कृत्य (Job) काफी ज्ञान विन्यास ययुक्त हो गये हैं। जिससे मानव शक्ति का स्तर काफी ऊँचा हो गया है। कृत्य में ज्ञान की अति आवश्यकता के कारण, किसी विशिष्ट ज्ञान से युक्त कर्मचारियों की काफी माँग विभिन्न संगठनों में रहती है जिससे ऐसे कर्मचारी एक संगठन से दूसरे संगठन में स्वतंत्रता पूर्वक आना जाना किये रहते हैं। इस स्थिति से बचाव उचित HRP के प्रयोग द्वारा ही संगठन में सम्भव है।
- HRM में शीर्ष प्रबन्ध को प्रेरित करना (Forcing Top Management to Involve in HRM) - उचित व नियमित HRP एक संगठन के शीर्ष प्रबन्ध को HRM क्रियाओं को लागू करने हेतु बल पूर्वक प्रेरित करता है। यदि शीर्ष प्रबन्ध का सक्रिय सहयोग HRM को प्राप्त हो तो HR के द्वारा संगठनात्मक उद्देश्यों व लक्ष्यों को आसानी से प्राप्त किया जा सकता है।
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