विषाणु का इंग्लिश शब्द वायरस का शाब्दिक अर्थ विष होता है। सबसे पहले सन 1796 में डाक्टर एडवर्ड जेनर ने मालूम लगाया कि बड़ी माता,विषाणु की वजह से होती है। उन्होंने बड़ी माता के टीके का आविष्कार भी किया। इसके बाद सन 1886 में एडोल्फ मेयर ने बताया कि तम्बाकू में मोजेक बीमारी 1 विशेष तरह के वायरस के द्वारा होती है। रूसी वनस्पति शास्त्री इवानोवस्की ने भी 1892 में तम्बाकू में होने वाले मोजेक रोग की पढाई करते वक्त विषाणु के अस्तित्व का पता लगाया। बेजेर्निक और बोर ने भी तम्बाकू के पत्ते पर इसका असर देखा और उसका नाम टोबेको मोजेक रखा। मोजेक शब्द रखने की वजह इनका मोजेक के बराबर तम्बाकू के पत्ते पर चिह्न पाया जाना था। इस चिह्न को देखकर इस विशेष विषाणु का नाम उन्होंने टोबेको मोजेक वायरस रखा।
विषाणु (virus) अकोशिकीय अतिसूक्ष्म जीव हैं जो केवल जिंदा कोशिका में ही वंश विस्तार कर सकते हैं। ये नाभिकीय एसिड और प्रोटीन से मिलकर निर्मित होते हैं,शरीर के बाहर तो ये मृत-समान होते हैं किंतु शरीर के भीतर जिंदा हो जाते हैं। इनको क्रिस्टल के रूप में एकत्रित किया जा सकता है। एक विषाणु बग़ैर किसी चेतन माध्यम के पुनरुत्पादन नहीं कर सकता है। ये सैकड़ों सालों तक सुशुप्तावस्था में रह सकता है और जिस वक्त भी एक जिंदा मध्यम या धारक के सम्पर्क में आता है उस जीव की कोशिका को भेद कर आच्छादित कर देता है और जीव अस्वस्थ हो जाता है। एक बार जिस वक्त विषाणु जिंदा कोशिका में प्रवेश कर जाता है,वह कोशिका के मूल आरएनए और DNA की जेनेटिक रचना को अपने जेनेटिक सूचना से बदल देता है और संक्रमित कोशिका अपने जैसे संक्रमित कोशिकाओं का पुनरुत्पादन शुरू कर देती है।
विषाणु |
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विषाणु |
विषाणु वर्गीकर |
"वायरस कोशिका के बाहर तो मरे हुए रहते है किन्तु जिस वक्त ये कोशिका मैं प्रवेश करते है तो इनका जीवन चक्र प्रारम्भ होने लगता है
विषाणु,लाभदायक और नुकसानदायक दोनों तरह के होते हैं। जीवाणुभोजी विषाणु एक लाभदायक विषाणु है,ये हैजा,पेचिश,टायफायड वगैरह रोग पैदा करने वाले जीवाणुओं को नष्ट कर मनुष्य की बिमारियों से सुरक्षा करता है। कई विषाणु पादप या जन्तुओं में रोग पैदा करते हैं और हानिप्रद होते हैं। HIV,इन्फ्लूएन्जा वायरस,polio वायरस रोग पैदा करने वाले प्रमुख विषाणु हैं। सम्पर्क द्वारा,वायु द्वारा,आहार और पानी द्वारा और कीटों द्वारा विषाणुओं का प्रसारण होता है परन्तु विशेष तरह के विषाणु विशेष विधियों द्वारा प्रसारण करते हैं।
विषाणु के भेद :- परपोषी प्रकति के हिसाब से विषाणु 3 तरह के होते हैं।
जीवाणु | विषाणु |
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* जीवाणु एक कोशिकीय प्राणी है | विषाणु अकोशिकीय होता है। |
* जीवाणु सुसुप्त अवस्था मे नहीं रहते हैं। | विषाणु जिंदा कोशिका के बाहर सुसुप्त अवस्था मे हजारों साल तक रह सकते है एवं जिस वक्त भी इनको जिंदा कोशिका मिलती है ये जिंदा हो जाते हैं। |
* जीवाणु का आकार विषाणु से बड़ा होता है और इनको प्रकाशीय माइक्रोस्कोप द्वारा देखा जा सकता है। | विषाणु का आकार जीवाणु से छोटा होता है। विषाणु को इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप द्वारा देखा जाता है। |
* इनको संग्रह नहीं किया जा सकता। | इनको निर्जीव की तरह क्रिस्टल के रूप में संचय कर सकते हैं। |
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Vishanu kiss kehte hai
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