राष्ट्रीय आय देश के निवासियों को प्राप्त उन साधन आयो का योग है जो उन्हेदेश के आर्थिक क्षेत्र के अंदर और बाहर उत्पादन कार्यों के लिए एक वर्ष में प्राप्त होतीहै ये साधन आय कर्मचारियों पारिश्रमिक, किराया, ब्याज, व लाभ के रूप में होती हैराष्ट्रीय आय तीन दृष्टि कोणों से देखी जो सकती है क. मूल्य वृद्धि दृष्टि कोण ख. आयवितरण दृष्टि कोण व ग. अंतिम व्यय दृष्टिकोण उपरोक्त परिभाषा आय वितरण दृष्टिकोण के अनुसार है मूल्य वृद्धि द. दृष्टिकोण के अनुसार राष्ट्रीय आय देश के आर्थिक क्षेत्रके अंदर स्थित सभी उत्पादन इकाइयों चाहे स्वामी निवासी हो या अनिवासी द्वारा साधनलागत पर शुद्ध मूल्य वृद्धि और विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय का योग है
अत:राष्ट्रीय आय = उत्पादन र्इकाइयों द्वारा साधन लागत पर शुद्ध मूल्य वृद्धि + विदेशों सेप्राप्त शुद्ध साधन आय
अंतिम व्यय दृष्टिकोण के अनुसार राष्ट्रीय आय उपभोग और निवेश पर होने वालेअंतिम व्यय में से स्थिर पूंजी का उपभोग व अप्रत्यक्ष कर घटाने आर्थिक सहायता वविदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय जोड़ने पर ज्ञात होती है।
राष्ट्रीय आय = देश के आर्थिक क्षेत्र के अंदर उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं पर होनेवाला
अंतिम व्यय- स्थिर पूंजी का उपभोग- अप्रत्यक्ष कर +
आर्थिक सहायता + विदेशो से प्राप्त शुद्ध साधन आय
राष्ट्रीय आय के तीन दृष्टिकोण -
उत्पादन इकार्इया वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन करता है इसके लिये वे श्रम,भूमि, पूंजी और साहस के साहस के स्वामीयों की सेवाएॅ प्राप्त करती है। जब ये उत्पादके साधन मिलकर उत्पादन करते है तो मूल्य वृद्धि के रूप में आय उत्पन्न होती हैराष्ट्रीय आय का यह प्रथम दृष्टिकोण है. इस दृष्टिकोण से आय का माप मूल्य वृद्धि याउत्पादन विधि द्वारा माप कहलाता है. उत्पादन इकार्इयों में उत्पन्न आय साधन स्वामित्वोंको कर्मचारियों का पारिश्रमिक, किराया, ब्याज और लाभ के रूप में बाटी जाती है. इनसभी साधन आयों का योग घरेलू आय कहलाता है. आय वितरण विधि के रूप में यहराष्ट्रीय आय को दूसरा दृष्टिकोण है साधनों के स्वामी प्राप्त आयों को उपभेाग और निवेशहेतु उत्पादन इकार्इयों से वस्तुएं व सेवाएँ खरीदने के लिए व्यय करते है. इन अंतिम व्ययोंके योग के रूप में राष्ट्रीय आय का माप तीसरा दृष्टिकोण है। दूसरे शब्दों में राष्ट्रीय आयतीन प्रकार से मापी जा सकती है जब यह उत्पन्न होती है उत्पादन विधि,जब यह बाटीजाती है आय वितरण विधि और जब यह उपभोग ओर निवेश पर व्यय की जाती है अंतिमव्यय निधि कहते है।
चाहे हम किसी भी विधि आय मापे हमें सबसे पहले देश के आर्थिक क्षेत्र में स्थितउत्पादन इकार्इयों का विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों में वर्गीकरण आवश्यक होता है।
उत्पादन इकार्इयो का औद्योगिक वर्गीकरण -
देश के आर्थिक क्षेत्र के अंदर स्थित सभी उत्पादन इकार्इयों को सर्वप्रथम एकसमान वर्गो में बांटा जाता है. देश की समस्त उत्पादन गतिविधियों को तीन विस्ततृ वर्गोप्राथमिक, द्वितीयक व तृतीयक क्षेत्रों में बांटा जाता है. इस क्षेत्र का विकास मुख्यतयाप्राथमिक तथा द्वितीयक क्षेत्रों में विकास पर निर्भर होता है. इसलिए इस तीसरे महत्व काक्षेत्र माना जाता है. भारतीय अर्थव्यवस्था को निम्नलिखित क्षेत्रों और उपक्षेत्रों में बांटा गयाहै।
क.प्राथमिक क्षेत्र -
- कृषि
- वानिकी एवं लठ्ठा बनाना
- मत्स्यन
- खनन एवं उत्खनन
ख. द्वितीयक क्षेत्र-
- पंजीकृत विनिर्माण
- अपंजीकृत विनिर्माण
- विद्युत, गैस एवं जल आपूर्ति
- निर्माण
ग. तृतीयक क्षेत्र-
- व्यापार, होटल एवं जलपान गृह
- परिवहन, भंडारण एवं संचार
- बैकिंग एवं बीमा
- स्थावर संपदा, आवासों का स्वामित्व एवं व्यवसायिक सेवाएं
- लोक प्रसाधन एवं रक्षा
- अन्य सेवाए
राष्ट्रीय आय मापने की विधियॉ -
राष्ट्रीय आय मापने की विधियॉ है ये विधियॉ निम्नलिखित है।
1. उत्पादन विधि ‘‘ मूल्य वृद्धि विधि ‘‘ :-
इस विधि में मूल्य वृद्धि दृष्टिकोण से राष्ट्रीय आय मापी जाती है. इसविधि द्वारा राष्ट्रीय आय मापने के नि.लि. चरण है-
- देश के आर्थिक क्षेत्र में स्थित उत्पादन इकार्इयों को औद्योगिक वर्गो मेंबॉटना जैसे - कृषि खनन, विनिर्माण, बैकिंग, व्यापार आदि.
- निम्नलिखित चरणों में प्रत्येक औद्योगिक क्षेत्रों की साधन लागत पर शुद्धमूल्य वृद्धि का अनुमान लगाना.
- उत्पादन के मूल्य का अनुमान लगाना.
- मध्यवर्ती उपभोग के मूल्य का अनुमान लगाना और इसे उत्पादन मूल्य मेंसे घटाकर बाजार कीमत पर सकल मूल्य वृद्धि ज्ञात करना.
- बाजार कीमत पर सकल मूल्य वृद्धि मे से स्थिर पूंजी का उपभोग वअप्रत्यक्ष कर घटाकर और आर्थिक सहायता जोडकर साधन लागत परशुद्ध मूल्य वृद्धि ज्ञात करना संक्षेप में -उत्पादन का मूल्य-मध्यवर्ती उत्पाद का मूल्य=बाजार कीमत पर सकल मूल्य वृद्धिबाजार कीमत पर सकल मूल्य वृद्धि-स्थिर पूंजी का उपभोग- शुद्ध अप्रत्यक्ष कर= साधन लागत पर शुद्ध मूल्य वृद्धि
- सभी औद्योगिक क्षेत्रों की साधन लागत पर शुद्ध मूल्य वृद्धि को जोडकरसाधन लागत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद ज्ञात करना
- साधन लागत पर शुद्ध घरेलु उत्पाद में विदेशो से प्राप्त शुद्ध साधन आयजोडकर राष्ट्रीय आय ज्ञात करना
सावधानियॉं :- उत्पादन विधि द्वारा राष्ट्रीय आय मापने में निम्नलिखितसावधानियॉं रखना आवश्यक है।
- उत्पादन की दोहरी गणना से बचे :-इसके लिए कुल उत्पादन का मूल्य लेने के बजाय प्रत्येक उत्पादनइकाइ्र की केवल शुद्ध मूल्य वृद्धि ही लें इस प्रकार राष्ट्रीय आय के मापनमें दोहरी गणना के समस्या से बचा जा सकता है।
- स्वय उपभोग के लिए किया गया उत्पादन-जिसकी कीमत लगायी जा सकती हो उत्पादन में अवश्य शामिलकिया जाना चाहिए इससे राष्ट्रीय आय का सही अनुमान लगेगा उदाहरणके लिए, यदि एक परिवार गेंहू का उत्पादन करता है और उसका एकभाग परिवार की आवश्यकताओ को पूरा करने के लिए रख लेता है तोइस स्वयं उपभोग के लिए रखे गये उत्पादन का मूल्य उत्पादन मे अवश्यशामिल किया जाना चाहिए।
- पुरानी वस्तुओ का विक्रय-चालू उत्पादन में शामिल नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि इनकामूल्य पहले ही उत्पादन में शामिल किया जा चुका है लेकिन इस विक्रयके पीछे जो सेवाएॅं है उनका मूल्य इसमें अवश्य शामिल किया जानाचाहिए क्योंकि इनका उत्पादन नया है मान लिजिए आप एक पुरानीसार्इकल बेचते है इस सार्इकल का मूल्य उत्पादन मूल्य में शामिल नहींकिया जायेगा क्योंकि इसे उत्पादन में तब शामिल कर लिया गया था जबनर्इ सार्इकिल बेची गर्इ थी।
2. आय वितरण विधि :-
इस विधि में राष्ट्रीय आय उस समय मापी जाती है जब उत्पादनर्इकार्इयॉं आय को साधन के स्वामीयों में बाटती है इसके मापने केनिम्नलिखित चरण हैं।
- उत्पादन इकार्इयों का औद्योगिक क्षेत्रो में वर्गीकण करें जैसे कृषि, वानिकी,विनिर्माण, बैकिग व्यापार आदि।ख. प्रत्येक औद्योगिक क्षेत्र द्वारा भुगतान की गर्इ निम्नलिखित साधन आयो काअनुमान लगाये।
- कर्मचारियों का पारिश्रमिक
- किराया,
- ब्याज,
- लाभएक औधोगिक वर्ग द्वारा भुगतान की गर्इ साधन आयो का योगउस क्षेत्र द्वारा साधन लागत पर शुद्ध मूल्य वृद्धि के समान होता है।
- साधन लागत पर शुद्ध घरेलु उत्पाद ज्ञात करने के लिए सभी औधोगिकक्षेत्रो द्वारा भुगतान की गर्इ साधन आयों को जोडे।
- साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद ज्ञात करने के लिए साधन लागतपर श्शुद्ध घरेलु उतपाद में विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय जोड़ें
सावधानियॉं -आय वितरण विधि द्वारा राष्ट्रीय आय मापने में निम्नलिखितसावधानियॉं रखना आवश्यक है।
- कर्मचारियों के पारिश्रमिक का अनुमान लगाते समय कर्मचारियों को मिलनेवाली नगद मजदूरी के अलावा सुविधाओं के रूप में मिलने वाली सभीलाभ शामिल करने चाहिए कर्मचारियों को मिलने वाला केवल नगदभुगतान ही शामिल नहीं करना चाहिए
- ब्याज का अनुमान लगाते समय केवल उत्पादन के लिए दिये गये ऋण परमिलने वाले ब्याज ही शामिल किया जाना चाहिए उपभोग के लिए ऋणपर दिये जाने वाला ब्याज गैर साधन आय है अत: यह राष्ट्रीय में शामिलनहीं होता।
- उपहार, दान, कर, जुर्माना, लाटरी आदि से आय साधन आय ना होकरहस्तांतरित आय है अत: इन्हें राष्ट्रीय आय के अनुमान में शामिल नहींकरते।
3. अंतिम व्यय विधि :-
राष्ट्रीय आय व्यय बिंदू पर भी मापी जा सकती है इस विधि में हम पहलेबाजार कीमत पर सकल घरेलु उत्पाद मानते है जो कि उपभोग और निवेश हेतुअंतिम उत्पादो पर होने वाला व्यय है इसमें से हम स्थिर पूंजी का उपभोग औरशुद्ध अप्रत्यक्ष कर घटाकर और विदेशो से प्राप्त शुद्ध साधन आय जोड़कर राष्ट्रीयआय प्राप्त करते हैं।
उपभोग उपभोग पर अंतिम व्यय का वर्गीकरण -- परिवार उपभोग व्यय
- सामान्य सरकार उपभोग व्यय में किया जाता हैं
निवेश व्यय दो वर्गो में बाटा जाता है -- आर्थिक क्षेत्र के अंदर निवेश
- आर्थिक क्षेत्र के बाहर निवेश
इस विधि के निम्नलिखित चरण है -- अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों के अंतिम उत्पादों पर होने वाले निम्नलिखितव्ययों का अनुमान लगाये :-
- निजी अंतिम उपभोग व्यय
- सरकारी अंतिम उपभोग व्यय
- सकल घरेलु पूंंजी निर्माण
- शुद्ध निर्यात
उपरोक्त सभी क्षेत्रों के अंतिम उत्पादों पर होने वाले व्ययों को जोड़ने से हमेंबाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद ज्ञात होता है
- बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद में से स्थिर पूंजी का उपभोग औरअप्रत्यक्ष कर घटाकर तथा आर्थिक सहायता जोड़कर साधन लागत परशुद्ध घरेलू उत्पाद ज्ञात होता है।
साधन लागत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद = बाजार कीमत पर सकल घरेलू उत्पाद - स्थिरपूंजी का उपभोग - अप्रत्यक्ष कर + आर्थिक सहायता
- साधन लागत पर शुद्ध घरेलू उत्पाद में विदेशो से प्राप्त शुद्ध साधन आयजोडने पर साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद ज्ञात होता है
साधन लागत पर शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद =साधन लागत पर शुद्ध घरेलूउत्पाद + विदेशों से प्राप्त शुद्ध साधन आय
सावधानियॉं :- व्यय विधि द्वारा राष्ट्रीय आय मापने में निम्नलिखित सावधानियॉं रखनाआवश्यकता हैं :-
- मध्यवर्ती उत्पादों में होने वाले व्यय को शामिल न करें ताकि व्यय कीदोहरी गणना से बचे केवल अंतिम उत्पादों पर होने वाले व्यय को शामिलकरें
- उपहार, दान, कर, छात्रवृित्त्ा आदि के रूप में होने वाला व्यय अंतिमउत्पादों पर होने वाला व्यय नहीं है ये हस्तांतरणीय व्यय है जिन्हें राष्ट्रीयआय में शामिल नहीं करना चाहिए
- पुरानी वस्तुओं के खरीदने पर होने वाला व्यय शामिल नहीं करना चाहिएक्योंकि जब ये वस्तुएं पहली बार खरीदी गर्इ इन पर किया गया शामिलहो चुका था
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