आयु, कर्म, धन, विद्या एवं मृत्यु ये पांचो चीजें गर्भावस्था में ही विधाता के द्दारा सुनिश्चित हो जाती है, अर्थात मनुष्य के पूर्वकर्मानुसार उसके भाग्य का निर्माण हो जाता है| विवाह पूर्व ज्योतिष द्दारा वर / कन्या की कुण्डली मिलान करते समय वर्णादि अष्टकूट गुण मिलान की संख्या पर कम उसके आधारभूत भावों तथा व्यवहारिक तथ्यों के मिलान पर अधिक ध्यान केन्द्रित करना चाहिए| जयोतिष में फलादेश की पूर्णता और प्रमाणिकता शुद्ध एवं सही जन्मकुण्डली पर ही निर्भर होती है| जयोतिष शास्त्र, काल के मापन का शास्त्र है|
ज्योतिष शास्त्र, विश्व में और प्रत्येक प्राणी की जीवनधारा में हर पल घटने वाली संभाव्य घटनाओं का अनुमान के आधार पर संभाव्य विवरण प्रस्तुत करता है| गृहस्थ आश्रम में प्रवेश हेतु विवाह आवश्यक है| प्राचीनकाल से लेकर आज तक धार्मिक एवं सामाजिक रीति-रिवाजों के अनुसार सम्पन्न होने वाले विवाह को उत्तम माना जाता है| विवाह दो परिवारों के मधुर मिलन के साथ-साथ, पति-पत्नी के बीच एकता, समरसता एवं सामंजस्य की त्रिवेणी का पवित्र संगम है| विवाह पुरुष एवं स्त्री के जीवनकाल का एक ऐसा स्वर्णिम-सुगंधित पल है, जिसमें गत अनेक वर्षों में देखे गए स्वप्रों की मनमोहक छवि और आनन्दमयी सुखी जीवन का रस छिपा है| विवाह के उपरांत वर/कन्या को भविष्य में मृत्यु तुल्य कष्ट, अलगाव, तलाक जैसे समस्याओं का सामना न करना पड़े इसलिए विवाह पूर्व वर/कन्या के माता-पिता, दोनों की जन्मकुण्डली का मिलान करवाते है, जोकि अति आवश्यक है|
वर्णादि अष्टकूट मिलान
कुटांक ज्ञान सारिणी
कूटवर्णवश्यतारायोनीग्रह्मैत्रीगणभकूटनाडीकुल अंक
अंक12345678=36
विचारव्यवहारस्वभावभाग्ययौनसंबंधआपसी सम्बन्धसामाजिकताजीवनशैलीआयु संतान
उपरोक्त सारिणी के अनुसार प्राप्त अंक के अनुसार निम्नांकित फल कहे गए हैं| 18 - 20 गुण निम्न, 21 - 25 मध्यम, 26.30 उत्तम एवं 31-36 उत्तोत्तम गुण कहा गया है|
मीनालिकर्कटा विप्राः क्षत्री मेषो हरिर्धनुः|
शूद्रो युग्मं तुला कुम्भो वैश्यः कन्या वृषो मृगः|| (वर्ण विचार- शीघ्र बोध श्लोक 30)
वर्णब्राम्हण वर्णक्षत्रिय वर्णवैश्य वर्णशुद्र वर्ण
राशिमीन, कर्क, वृश्चिकमेष, सिंह एवं धनुवृष, कन्या एवं मकरमिथुन, तुला एवं कुम्भ
विवाह में वर का वर्ण उच्च तथा कन्या का वर्ण न्यून होना चाहिए| यदि वर कन्या दोनों का वर्ण समान हो या वर का वर्ण न्यून हो तो दोनों के राशि स्वामी के वर्ण के अनुसार विचार करना चाहिए|यदि कन्या का वर्ण उच्च हुआ तो उसका वैधव्य सुनिश्चित है| वश्य विचार- वश्य अर्थात वशीभूत होना| सभी राशियाँ अपने स्वरुप के अनुसार जीवों के वशीभूत होती है| जिसे वश्य कहा जाता है|
वश्यराशि
चतुष्पादमेष, वृष, धानुका उत्तरार्ध, मकर का पूर्वाध
द्विपादमिथुन , कन्या, तुला, धनु का पूर्वाध
जलचरमकर का उत्तरार्ध, कुम्भ, मीन
वनचरसिंह (कीट कर्क, वृश्चिक)
इससे वर व कन्या के स्वभाव का विचार किया जाता है| सिंह को छोड़कर सभी चतुष्पाद द्विपदों अर्थात मानव के अधीन हो जाते हैं|
तारा- कन्या के नक्षत्र से वर के नक्षत्र तक गिने और वर के नक्षत्र से कन्या के नक्षत्र तक गिने, गिनने पर जो संख्या प्राप्त होगी उसमे अलग- अलग 9 का भाग देने पर जो शेष बचे वही क्रमशः कन्या, वर की तारा होगी | योनि- जातक जिस नक्षत्र में जन्म लेता है, उस नक्षत्र की के अनुसार उस जातक की समझना चाहिए|
इससे वर-वधु के मध्य संतुष्टि का विचार किया जाता है|
नक्षत्र चक्र
नक्षत्रयोनी
अश्विनी, सतभिषाअश्व
धनिष्ठा, पूर्वाभाद्रपदसिंह
पुष्य, कृतिकामेष
उत्तराषाढ़, अभिजीतनेवला
ज्येष्ठा, अनुराधामृग
पुर्नवसु, अश्लेषाबिल्ली
विशाखा, चित्रासिंह
स्वाति, हस्तमहिष
भरणी, रेवतीगज
श्रवण, पूर्वाषाढ़वानर
रोहणी, मृगशिरासर्प
मूल, आर्द्रास्वान
मघा, पुर्वा, फाल्गुनीचूहा
उत्तराभाद्र, उ. फाल्गुनीगौ
योनी बैर
निम्नांकित स्वाभाविक बैर होता है-
1गज- व्याघ्र, सिंह
2मेष- वानर
3सर्प- नेवला
4मृग- स्वान
5बिल्ली- चूहा
6व्याघ्र- गाय
7अश्व- महिष
ग्रह- मैत्री- इसमे वर कन्या के आपसी संबंधो का विचार किया जाता है| इसमे वर की राशि का स्वामी ग्रह व कन्या की राशि के स्वामी ग्रह में आपसी सम्बन्ध अर्थात मित्रता व शत्रुता का विचार किया जाता है|
गृह मैत्री चक्र
ग्रहमित्रसमशत्रु
रविचन्द्रमा, मंगल, गुरुबुद्धशुक्र, शनि, राहु
चन्द्रसूर्य, बुद्धमंगल, गुरु, शुक्र, शनिराहु
भौमसूर्य, चन्द्र, गुरुशुक्र, शनिबुद्ध, राहु
बुद्धसूर्य, शुक्र,रहूमंगल, गुरु, शनिचन्द्रमा
गुरुसूर्य, चन्द्र, मंगलशनि, राहुबुद्ध, शुक्र
शुक्रबुद्ध, शनि, राहुमंगल, गुरुसूर्य, चन्द्र
शनिबुद्ध, शुक्र, राहुगुरुसूर्य, चन्द्र, मंगल
राहुबुद्ध, शुक्र, शनिगुरुसूर्य, चन्द्र, मंगल
गण - मुख्यतः तीन प्रकार के हैं जिनका नक्षत्रों के अनुसार वर्गीकरण निम्नांकित है-
गणनक्षत्र
देवताअश्विनी,मृग.,पुन.,पुष्य,हस्त,स्वाति, अनु.,श्रवण,रेवती
मनुष्यतीनों पूर्वा, तीनी उत्तरा, भरणी, रोहणी, आर्द्रा
राक्षसकृ.,श्ले., मघा, चित्रा, विशाखा, ज्येष्ठा, मूल,ध., शत.
यदि दोनों पक्षों का एक ही गण हो तो दोनों की मनःस्थिति एक जैसी होगी| यादि एक का देव व दुसरे का मनुष्य हो तो मित्रता पूर्वक जीवन व्यतीत करते हैं| यदि एक का देव व दुसरे का राक्षस हो तो पूरी जिंदगी शत्रुतापूर्वक व्यवहार होता है लेकिन यदि एक का मनुष्य व दुसरे का राक्षस हो तो मृत्यु कारक योग बनता है|
भकूट
कन्या की जन्म राशि से वर की जन्म राशि तक गिनना चाहिए तथा इसी प्रकार की जन्म राशि से कन्या की जन्म राशि तक भी गिनना चाहिए| यदि गिनने में दोनों की राशि 6 व 8 हो तो मृत्यु तुल्य कष्ट, स्वास्थ्य खराब| 5 व 7 हो तो नव पंचयोग बनता है तो दोनों के द्दारा संतति की उत्पत्ति नहीं होती या विलंब से होती है| 2 व 12 हो तो निर्धन होते हैं इससे भिन्न राशियों में दोनों सुखी होते हैं|
नाड़ी
नाड़ी तीन प्रकार की होती, जिनका नक्षत्रों के अनुसार वर्गीकरण निम्नांकित है-
आदिअश्विनीआर्द्रापुनर्वसुउ.फाहस्तज्येष्ठामूलशतभिषापू.भा.
मध्यभरणीमृगशिरापुष्यपू.फा.चित्राअनुराधापू.षा.धनिष्ठाउ.भा.
अन्त्यकृतिकारोहणीश्लेषामघास्वातिविशाखाउ.षा.श्रवणरेवती
नाड़ी दोष विचार- ब्राह्मणवर्ण में नाड़ी दोष का विचार किया जाता| वर व कन्या दोनों की समान नाड़ी या एक नाड़ी नहीं होनी चाहिए| क्षत्रियों में वर्ण दोष का विचार किया जाता है और वैश्यों में गण दोष का विचार किया जाता है तथा शुद्र्वर्ण में दोष विचार किया जाता है|
आदिनाड़ी वरं हन्ति, मध्यनाडी तु कन्यकाम् |
अन्त्यनाड्यं द्योर्मृत्युनार्डी दोषं त्यजेद् बुधः || शीघ्र बोध - श्लोक - 68
अर्थात यदि वर और कन्या दोनों की आदि नाड़ी हो तो विवाहित का निधन हो जाता है यदि वर और कन्या दोनों की नाड़ी मध्य नाड़ी हो तो विवाहित कन्या का निधन हो जाता है यदि वर और कन्या दोनों की अन्त्य नाड़ी हो तो विवाह के बाद वर-वधू दोनों का निधन भी हो सकता है |
विशेष-
1.सर्वप्रथम वर-कन्या की कुण्डली मिलान में मांगलिकादि क्रूरग्रहों पर विचार किया जाता है यदि किसी एक ही कुण्डली मांगलिक दोष से युक्त है तो विवाह करने की सलाह नहीं दी जाती है| विवाह हमेशा मंगला-मंगली का ही होता है|
2.दोनों के नवांश पति में मित्रता होती है तो गण दोष नहीं लगता|
3.यदि ग्रह मैत्री दोष है तथा भकूट उत्तम हो वहाँ पर ग्रह मैत्री का शमन होता है|
4.यदि भकूट दोष उत्पन्न हो रहा हो और ग्रह मैत्री उत्तम हो तब भकूट दोष नहीं लगता है
Divyansh aur sarita me kitne gun mil rahe hai
Aman aur nandita ka kitna gun ban raha hai
Meri shaadi kisse hogi please guru mujhe iska jawab chahiye
Puja kumari sah Or Rajat prasad ka gun kitna milta h dekhna tha shadi ke liye
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राजेश्वरी जोशी or अक्षय परसाई की शादी सफल रहेगी या nhi?
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