Gupt Kaal Me Vigyaan Aur Praudyogiki गुप्त काल में विज्ञान और प्रौद्योगिकी

गुप्त काल में विज्ञान और प्रौद्योगिकी



GkExams on 03-12-2018

गुप्त काल में विज्ञान के विकास का पता चलता है। गुप्तकालीन विज्ञान के अंतर्गत मुख्यत: गणित, ज्योतिष और आयुर्वेद का विकास हुआ। आर्यभट्ट, वराहमिहिर और ब्रह्मगुप्त गुप्तकालीन वैज्ञानिक हैं जिन्होंने अपने ग्रन्थों में विज्ञान की विवेचना की। आर्यभट्ट का प्रसिद्ध ग्रन्थ आर्यभट्टीयम् है। उसने गणित को अन्य विषयों से मुक्त कर स्वतंत्र रूप दिया। उसके अन्य ग्रन्थ दशगीतिक सूत्र और आर्याष्टशतक हैं। आर्यभट्ट ने पृथ्वी को गोल बताया और उसकी परिधि का अनुमान किया। इस प्रकार आर्यभट्ट विश्व के पहले व्यक्ति थे जिन्होंने यह स्थापित किया कि पृथ्वी गोल है। आर्यभट्ट ने ग्रहण का राहु-ग्रास वाला जन विश्वास गलत सिद्ध कर दिया। उसके अनुसार चन्द्र ग्रहण चन्द्रमा और सूर्य के मध्य पृथ्वी के जाने और उसकी चन्द्रमा पर छाया पड़ने के कारण लगता है। उसकी इन धारणाओं का वराहमिहिर और ब्रह्मगुप्त ने खंडन किया। आर्यभट्ट ने दशमलव प्रणाली की भी विवेचना की। आर्यभट्ट का शून्य, तथा दशमलव सिद्धान्त सर्वथा नयी देन थी। संसार के गणित इतिहास में आर्यभट्ट का महत्त्वपूर्ण स्थान है। उसने वर्षमान निकाला जो कि टालेमी द्वारा निकाले हुए काल से अधिक वैज्ञानिक है।


आर्यभट्ट के बाद दूसरा प्रसिद्ध गुप्तकालीन गणितज्ञ एवं ज्योतिषी वराहमिहिर है। उसने यूनानी और भारतीय ज्योतिष का समन्वय करके रोमक तथा पोलिश के नाम से नये सिद्धान्तों का प्रतिपादन किया जिससे भारतीय ज्योतिष का महत्त्व बढ़ा। उसके छ: ग्रन्थ उल्लेखनीय हैं- पंथ सिद्धान्तिका, विवाहपटल, योगमाया, बृहत्संहिता, वृहज्जातक और लघुजातक। पंचसिद्धांतिका में पाँच प्राचीन सिद्धान्तों (पैताभट्ट सिद्धान्त, वशिष्ट सिद्धान्त, सूर्य सिद्धान्त, पौलिश सिद्धान्त तथा रोमक सिद्धान्त) को बताया गया है। वराहमिहिर ने ज्योतिष शास्त्र को तीन शाखाओं में विभाजित किया- तंत्र (गणित और ज्योतिष), होरा (जन्मपत्र) और संहिता (फलित ज्योतिष)। वराहमिहिर के बृहज्जातक को विज्ञान और कला का विश्वकोश माना गया है। वराहमिहिर के पुत्र पृथुयश ने भी फलित ज्योतिष पर षट्पञ्चशिका ग्रन्थ की रचना की। इस पर भट्टोत्पल ने टीका लिखी। आचार्य कल्याण वर्मा भी प्रमुख ज्योतिषाचार्य थे जिनका काल 600 ई. के लगभग माना गया है। इन्होंने यवन-होराशास्त्र के संकलन के रूप में सारावली नामक ग्रन्थ की रचना की।


ब्रह्मगुप्त भी गुप्तकालीन गणितज्ञ थे जिन्हें गुरुत्वाकर्षण सिद्धान्त का जनक माना गया है। इनका समय 598 ई. था। इन्होंने ब्रह्मस्फुटसिद्धांत नामक ग्रन्थ की रचना की। ब्रह्मगुप्त ने बाद में खंडखाद्य और ध्यानग्रह की रचना की। उन्होंने न्यूटन से बहुत सी शताब्दियों पहले यह घोषित कर दिया था कि प्रकृति के नियमानुसार सारी वस्तुएँ पृथ्वी पर गिरती हैं क्योंकि पृथ्वी का स्वभाव सभी को अपनी ओर आकृष्ट करना है। कुडरंग, नि:शंकु और लाटदेव अन्य गुप्त-कालीन ज्योतिषी हैं। लाटदेव ने रोमक सिद्धान्त की व्याख्या की थी।


आयुर्वेद यद्यपि बहुत पुराना है तथापि इस पर गुप्त काल में ग्रन्थ लिखे गये। आयुर्वेद से संबंधित कई महत्त्वपूर्ण रचनाओं का प्रणयन हुआ। नालंदा विश्वविद्यालय में ज्योतिष और आयुर्वेद का अध्ययन होता था। चीनी यात्री इत्सिंग ने तत्कालीन भारत में प्रचलित आयुर्वेद की आठ शाखाओं का उल्लेख किया है। नवनीतकम् नामक ग्रन्थ भी है। इसमें प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रन्थों का सार है। इसमें रसों, चूर्णो, तेलों आदि का वर्णन है। इसके अलावा बालकों के रोग और निदान भी इसमें मिलते हैं।


इसी दौरान पशु चिकित्सा से संबंधित कई ग्रन्थों की रचना हुई जो घोड़ों व हाथियों से संबधित थे। भारतीय चिकित्सा ज्ञान का प्रसार पश्चिम की ओर हुआ तथा पश्चिमी एशिया के चिकित्सकों ने इसमें रुचि ली। गुप्तकाल का प्रसिद्ध रसायनशास्त्री एवं धातु विज्ञान वेत्ता नागार्जुन था। यह बौद्ध आचार्य था, जिसके प्रमुख ग्रन्थ हैं- लोहशास्त्र, रसरत्नाकर, कक्षपुट, आरोग्यमजरी, योगसार, रसंन्द्रमगल, रतिशास्त्र, रसकच्छापुट और सिद्धनागार्जुन। अब तक जो चिकित्सा प्रणाली थी उसका आधार काष्ठ था। नागार्जुन ने रस चिकित्सा का आविष्कार किया। उसने यह अवधारणा प्रदान की कि सोना, चाँदी, तांबा, लौह आदि खनिज धातुओं में भी रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है। पारद (पारे) की खोज उसका सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण आविष्कार था जो रसायन और आयुर्वेद के इतिहास की एक युगान्तकारी घटना थी। वाग्भट्ट ने भी आयुर्वेद के ऊपर प्रसिद्ध ग्रंथ अष्टांग-हृदय की रचना की। धन्वंतरि भी आयुर्वेद का प्रसिद्ध विद्वान् था। इसे चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य की राजसभा का सदस्य माना गया। यह बहुमुखी व्यक्तित्व व असाधारण प्रतिभा का धनी था। धन्वंतरि को कई नामों से संबोधित किया गया है जैसे आदि देव, अमरवर, अमृतयोनि, अब्ज आदि। धन्वन्तरि को देवताओं का वैद्य कहा गया है। कहा जाता है कि धन्वंतरि समुद्र मंथन के फलस्वरूप अमृत हाथ में लिये हुए समुद्र से निकले थे। कुछ विद्वान् यह मानते हैं कि सुश्रुत संहिता के उत्तरवर्ती भाग की रचना किसी और लेखक ने की थी। नागार्जुन को भी इसका श्रेय दिया जा सकता है।


प्राचीन भारतीय वैज्ञानिकों ने अश्व, गज, गौ, मृग, शेर, भालू, गरुड़, हंस, बाज आदि से संबंधित विस्तृत अध्ययन किया। विभिन्न ग्रन्थों में इनका विवरण उपलब्ध है। पालकाप्य कृत गजचिकित्सा, बृहस्पति कृत गजलक्षण आदि ग्रन्थ पशु-चिकित्सा पर हैं। वाग्भट्ट भी गुप्तकालीन रसायन-शास्त्री था जिसका ग्रन्थ रसरत्न समुच्चय भी उल्लेखनीय है।





Comments गोविंद on 18-04-2023

भक्ति आन्दोलन

Sharwan panwar on 10-04-2023

हम्मीर को था





1830 के दशक में पटना केन्द्र था- कानून का शासन क्या होता है शिवाजी के गुरु का नाम क्या था निम्नलिखित कथनों में से कौन - सा एक सही नहीं है - बिहार में चलाई जाने वाली लक्ष्मीबाई सामाजिक सुरक्षा योजना से सम्बन्धित कौनसा तथ्य सही है ? तौलने के काम आने वाला पत्थर का टुकड़ा पंचायती राज राजस्थान कौनसा चित्रकार भीलों के चितरे के रूप में विख्यात है - ऑक्सीटोसिन हॉर्मोन किसके लिए आवश्यक है ? रूखसती से क्या आशय है ? पियाजे का सिद्धांत pdf रेल राज्य मंत्री का नाम इंदौर संभाग में पूर्वी निमाड़ को क्या कहते हैं ? सूर्योदय तथा सूर्यास्त के समय पूर्ण क्षितिज पर आने के पहले तथा बाद तक सूर्य क्यों दिखाई देता है ? किसानों की आत्महत्या के आंकड़े नेपाल के प्रधानमंत्री कौन है जौनपुर राज्य का अंतिम शासक कौन था माही बजाज सागर परियोजना निम्नलिखित में से कौन-सी नदी उतर से दक्षिण की ओर नहीं बहती है ? किस ग्रन्थ की रचना श्री भीखण जी द्वारा की गई

नीचे दिए गए विषय पर सवाल जवाब के लिए टॉपिक के लिंक पर क्लिक करें Culture Question Bank International Relations Security and Defence Social Issues English Antonyms English Language English Related Words English Vocabulary Ethics and Values Geography Geography - india Geography -physical Geography-world River Gk GK in Hindi (Samanya Gyan) Hindi language History History - ancient History - medieval History - modern History-world Age Aptitude- Ratio Aptitude-hindi Aptitude-Number System Aptitude-speed and distance Aptitude-Time and works Area Art and Culture Average Decimal Geometry Interest L.C.M.and H.C.F Mixture Number systems Partnership Percentage Pipe and Tanki Profit and loss Ratio Series Simplification Time and distance Train Trigonometry Volume Work and time Biology Chemistry Science Science and Technology Chattishgarh Delhi Gujarat Haryana Jharkhand Jharkhand GK Madhya Pradesh Maharashtra Rajasthan States Uttar Pradesh Uttarakhand Bihar Computer Knowledge Economy Indian culture Physics Polity

Labels:
अपना सवाल पूछेंं या जवाब दें।






Register to Comment