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स्वामी विवेकानंद शिकागो स्पीच इन हिंदी - Swami Vivekanand Shicago Speech In Hindi -43315 Join Telegram

Swami Vivekanand Shicago Speech In Hindi स्वामी विवेकानंद शिकागो स्पीच इन हिंदी

स्वामी विवेकानंद शिकागो स्पीच इन हिंदी




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GkExams on 17-01-2023


स्वामी विवेकानंद के बारें में (swami vivekananda biography) : स्वामी जी का जन्म 12 जनवरी 1863 को हुआ था। पहले इनका नाम "नरेंद्र दत्त" था। नरेंद्र की बुद्धि बचपन से बड़ी तीव्र थी और परमात्मा को पाने की लालसा भी प्रबल थी। 25 वर्ष की अवस्था में नरेंद्र दत्त ने गेरुआ वस्त्र पहन लिए। तत्पश्चात उन्होंने पैदल ही पूरे भारतवर्ष की यात्रा की।


वे सदा अपने को गरीबों का सेवक कहते थे। उन्होंने हमेशा भारत के गौरव को देश-देशांतरों में उज्ज्वल करने का प्रयत्न किया। 04 जुलाई सन्‌ 1902 को उन्होंने देह त्याग किया।


Swami Vivekananda Photo :



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विवेकानंद का शून्य पर भाषण (swami vivekananda speech on zero) :




स्वामी विवेकानंद ने अपने ऐतिहासिक शिकागो भाषण (swami vivekananda speech on zero in hindi) में सनातन धर्म ग्रंथों के अनुसार शून्य की व्याख्या करते हुए कहा कि अनंत कोटी ब्रम्हांडों की उत्पत्ति नीलमणि के चिंतन मात्र से होती है। जिसे विज्ञान की शब्दावली में ब्लैकहोल अर्थात शून्य कहा जाता है। और इन इन सभी अनंत कोटी ब्रम्हांडों का लय भी शून्य में ही हो जाता है।


अनंत कोटि ब्रह्मांड नायक को सनातन धर्म ग्रंथों में महाविष्णु कह गया है। वे नीलवर्ण ही अनंत कोटी ब्रम्हांड के उत्पत्ति के कारक हैं जिनके ब्रह्मांड का नाद ॐ है जिसकी लय पर ब्रह्माड गति करता है। यह ॐ ब्रह्म का नाद है, इसीलिए हम नादब्रह्म के उपासक हैं।


उन्होंने कहा (swami vivekananda speech for students) कि जिस सृष्टि को हम देखते हैं यह स्त्रीलिंग पुलिंग और अभय लिंग के परिमाण में व्याप्त है स्त्रीलिंग सृष्टि का पालक और पुलिंग सृष्टि का कारक है जबकि उभय लिंग संचारण करता है। पूरे ब्रह्मांड का आनंदमय कोश भी वहीं नीले रंग का प्रकाश बिंदु है जब वहां से अनंत कोटि ब्रह्मांड की उत्पत्ति होती है तब हम उसे महा विस्फोट कहते हैं।


और जब उसमें अनंत कोटी ब्रम्हांडों का लय होता है तब हम उसे महा निपात कहते हैं। इन ब्रह्मणों की गति विपत्ति व्युत्पत्ति समय काल परिस्थिति भी ‘कैलकुलेटेड’ पूर्व सुनिश्चित और ‘ऐस्टीमेटेड’ परिमाण तय है। जिस धरा धाम पर हम रहते हैं सृष्टि के लाखों लाख पिंडों में यही एक पिंड है जिसमें नीलकांत की सुंदर प्रकृति का संचरण जिसमें होता है।


इसलिए हमें इस धरा धाम का सम्मान करना चाहिए इसकी प्रकृति का संरक्षण मनुष्य का पहला कर्तव्य है। सुबह उठकर इस धरती को माता मान कर प्रणाम करना चाहिए और इसकी धूल का तिलक माथे पर लगाना चाहिए। इस धरती के सभी प्राणी इस धरती के आवश्यक अंग हैं यदि एक भी कड़ी टूटेगी तो उसका नुकसान भी अंततोगत्वा हम मनुष्यों को ही भुगतना पड़ेगा।


इसलिए चींटी से लेकर हाथी तक और मिट्टी से लेकर वनस्पति तक धरती के सभी प्राणियों को हमें प्यार करना चाहिए और उनके साथ सद्व्यवहार करना चाहिए। युद्धों ने इस धरती का बहुत नुकसान किया है इस धरती की सुरक्षा के लिए शांति सबसे बड़ा हथियार है जिससे हम भी बचेंगे और धरती भी बची रहेगी। मनुष्य यदि सभ्य है तो सभ्यता का एक ही पैमाना है कि वह कितना संस्कारित कितना संयमी कितना अहिंसक और कितना परम कल्याणकारी है।


स्वामी जी के इस ऐतिहासिक भाषण के बाद वहां का सभागार करीब 26 मिनट तक तालियों से गूंजता रहा। इस भाषण में दुनिया को शांति से जीने का संदेश छुपा था।


स्वामी विवेकानंद के विचार :




यहाँ हम निम्नलिखित बिन्दुओं द्वारा आपको स्वामी विवेकानंद के विचारों (Inspirational Quotes Of Swami Vivekananda) से अवगत करा रहे है, जिन्हें अमल में लाकर आप अपने जीवन को संवार सकते है...


  • जितना बड़ा संघर्ष होगा जीत उतनी ही शानदार होगी।
  • जैसा तुम सोचते हो, वैसे ही बन जाओगे।
  • उस व्यक्ति ने अमरत्व प्राप्त कर लिया है, जो किसी सांसारिक वस्तु से व्याकुल नहीं होता।
  • सत्य को हजार तरीकों से बताया जा सकता है, फिर भी हर एक सत्य ही होगा।
  • खुद को कमज़ोर समझना सबसे बड़ा पाप है।
  • बाहरी स्वभाव केवल अंदरुनी स्वभाव का बड़ा रूप है।
  • विश्व एक व्यायामशाला है, जहां हम खुद को मजबूत बनाने के लिए आते हैं।
  • जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते तब तक आप भगवान पर विश्वास नहीं कर सकते।
  • उठो, जागो और तब तक नहीं रुको, जब तक कि लक्ष्य न प्राप्त हो जाए।



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