गोबर से बिजली बनाने की विधि को अंग्रेजी भाषा में Biogas कहा जाता है. अगर आप भी रोज़ाना बढ़ रहे बिजली के बिल से परेशान आ चुके हैं तो अब आप घर बैठे बैठे ही फ्री बिजली का लाभ उठा सकते हैं. दरअसल, बायोगैस एक प्रकार की गैस है जो कईं चीज़ों के मिश्रण से तैयार की जाती है. आज के इस आर्टिकल में हम आपको बायोगैस यानि गोबर से बिजली बनाने की विधि के बारे में बताने जा रहे हैं. मगर इससे पहले हम आपको बताते चले कि Biogas घर के कचरे, गाय के गोबर और गले सड़े पदार्थों के मिश्रण से तैयार की जाती है. इसके इलावा ये गैस आक्सीजन की मौजूदगी में बनाई जाती है. बायोगैस को पवन एवं सूर्या उर्जा की श्रेणी में गिना जाता है. क्यूंकि बाकी अन्य उर्जा स्रोतों की तरह ये गैस भी नविकरणीय उर्जा का प्रमुख स्रोत है.
विज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए तो ये गैस मीथेन (CH4), कार्बन डाइऑक्साइड (CO2), Siloxanes, हाइड्रोजन सल्फाइड (H2S) आदि गैसों के मिश्रण से बनाई जाती है. इस गैस का इस्तेमाल ना केवल घर में बल्कि आप अपने डेरी फार्म में भी कर सकते हैं. अगर आप भी कम पैसों में परमानेंट बिजली का स्रोत ढूँढ रहे हैं तो बायोगैस आपके लिए एक अच्छा उदाहरन है.
गोबर से बिजली बनाने की विधि बेहद आसान है. इस गैस को आप चाहे तो मार्किट से खरीद सकते हैं और घर पर भी तैयार कर सकते हैं. गोबर गैस (Gobar Gas) से बिजली पैदा करने के उपकरण को बायोगैस प्लांट (Biogas Plant) कहा जाता है. तो चलिए जानते हैं आखिर बायोगैस प्लांट कैसे काम करता है और इसको बनाने के लिए हमें किन चीज़ों की जरूरत पड़ेगी.
अगर आप बायोगैस उचित मात्रा में प्राप्त करना चाहते हैं तो इसके लिए इसका आकार सही निर्माण विधि से बनाया जाना आवश्यक है. अधिकतर बायोगैस प्लांट 4 से लेकर 20 क्यूबिक मीटर की कैपेसिटी के होते हैं. हर प्लांट की कैपेसिटी के आधार पर ही उसकी उत्पादन क्षमता तय की जा सकती है. इसके इलावा इसका एक खास साइज होता है जिस को अंग्रेजी भाषा में फीड स्टॉक कैपेसिटी कहा जाता है.
अगर आप बायोगैस प्लांट घर पर बनाना चाहते हैं तो इसके लिए आपको कम से कम 35 दिन लगेंगे. आप अपनी जरूरत के हिसाब से इसका साइज तय कर सकते हैं. छोटे साइज वाले बायोगैस प्लांट छोटे परिवार के लिए खाना बनाने और घर को रोशन करने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं जबकि बड़े आकार के बायोगैस प्लांट बड़े उद्योगों एवं कारखानों में इस्तेमाल किए जाते हैं. आपकी जानकारी के लिए हम आपको बता दें कि 1m^3 प्लांट का मूल्य ₹17000 है. यह एक से 5 kg की कैपेसिटी के साथ आता है और यह गैस हम 2 घंटे तक इस्तेमाल कर सकते हैं. जैसे-जैसे प्लांट का मूल्य बढ़ता जाता है वैसे वैसे ही इस की कैपेसिटी और इस्तेमाल करने की क्षमता बढ़ती जाती है.
हर प्लांट के पांच मुख सेक्शन होते हैं इन्हीं 5 सेक्शन पर पूरा प्लांट निर्भर करता है.
गोबर से बिजली बनाने की विधि
सबसे पहले बायोगैस प्लांट में गोमूत्र, गोबर और पानी को इनलेट टैंक में मिलाया जाता है. यह मिश्रित तैयार होने के बाद फीड स्टॉक डाइजेस्टर वेसल में जाता है. इसी डाइजेस्टर में मीथेन गैस द्वारा उत्पन गुबंद में जमा कर लिया जाता है और फिर इसी गुबंद में लगे पाइप के माध्यम से गैस की निकासी करके उसको इस्तेमाल करने लायक बनाया जाता है. अब डाइजेस्टर में बचा हुआ घोल मैनहोल से आउटलेट चैंबर में जमा हो जाता है और अधिक बहाव के चलते कम्पोस्ट पिट्स में पहुंच जाता है. जिसको आप निकाल कर खेतों में खाद के रूप में भी इस्तेमाल कर सकते हैं.
किसी भी प्लांट की क्वालिटी मजबूत करने के लिए उसकी सामग्री अहम भूमिका निभाती है. इसलिए बायोगैस के निर्माण के समय आप उसकी सामग्री की क्वालिटी का खास ध्यान रखें. इसके लिए आप उत्तम क्वालिटी से बनी ईंटें, सीमेंट, मिट्टी, सरिये आदि का इस्तेमाल करें.
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