रीतिबद्ध Kavya Ki Visheshtayein रीतिबद्ध काव्य की विशेषताएँ

रीतिबद्ध काव्य की विशेषताएँ



Pradeep Chawla on 12-05-2019

रीतिकाल के कवि राजाओं और रईसों के आश्रय में रहते थे। वहाँ मनोरंजन और कलाविलास का वातावरण स्वाभाविक था। बौद्धिक आनंद का मुख्य साधन वहाँ उक्तिवैचित्रय समझा जाता था। ऐसे वातावरण में लिखा गया साहित्य अधिकतर शृंगारमूलक और कलावैचित्रय से युक्त था। पर इसी समय प्रेम के स्वच्छंद गायक भी हुए जिन्होंने प्रेम की गहराइयों का स्पर्श किया है। मात्रा और काव्यगुण दोनों ही दृष्टियों से इस समय का नर-नारी-प्रेम और सौंदर्य की मार्मिक व्यंजना करनेवाला काव्यसाहित्य महत्वपूर्ण है।







इस समय वीरकाव्य भी लिखा गया। मुगल शासक औरंगजेब की कट्टर सांप्रदायिकता और आक्रामक राजनीति की टकराहट से इस काल में जो विक्षोभ की स्थितियाँ आई उन्होंने कुछ कवियों को वीरकाव्य के सृजन की भी प्रेरणा दी। ऐसे कवियों में भूषण प्रमुख हैं जिन्होंने रीतिशैली को अपनाते हुए भी वीरों के पराक्रम का ओजस्वी वर्णन किया। इस समय नीति, वैराग्य और भक्ति से संबंधित काव्य भी लिखा गया। अनेक प्रबंधकाव्य भी निर्मित हुए। इधर के शोधकार्य में इस समय की शृंगारेतर रचनाएँ और प्रबंधकाव्य प्रचुर परिमाण में मिल रहे हैं। इसलिए रीतिकालीन काव्य को नितांत एकांगी और एकरूप समझना उचित नहीं है। इस समय के काव्य में पूर्ववर्ती कालों की सभी प्रवृत्तियाँ सक्रिय हैं। यह प्रधान धारा शृंगारकाव्य की है जो इस समय की काव्यसंपत्ति का वास्तविक निदर्शक मानी जाती रही है। शृंगारी काव्य तीन वर्गों में विभाजित किया जाता है। पहला वर्ग रीतिबद्ध कवियों का है जिसके प्रतिनिधि केशव, चिंतामणि, भिखारीदास, देव, मतिराम और पद्माकर आदि हैं। इन कवियों ने दोहों में रस, अलंकार और नायिका के लक्षण देकर कवित्त सवैए में प्रेम और सौंदर्य की कलापूर्ण मार्मिक व्यंजना की है। संस्कृत साहित्यशास्त्र में निरूपित शास्त्रीय चर्चा का अनुसरण मात्र इनमें अधिक है। पर कुछ ने थोड़ी मौलिकता भी दिखाई है, जैसे भिखारीदास का हिंदी छंदों का निरूपण। दूसरा वर्ग रीतिसिद्ध कवियों का है। इन कवियों ने लक्षण नहीं निरूपित किए, केवल उनके आधार पर काव्यरचना की। बिहारी इनमें सर्वश्रेष्ठ हैं, जिन्होंने दोहों में अपनी सतसई प्रस्तुत की। विभिन्न मुद्राओंवाले अत्यंत व्यंजक सौंदर्यचित्रों और प्रेम की भावदशाओं का अनुपम अंकन इनके काव्य में मिलता है। तीसरे वर्ग में घनानंद, बोधा, द्विजदेव ठाकुर आदि रीतिमुक्त कवि आते हैं जिन्होंने स्वच्छंद प्रेम की अभिव्यक्ति की है। इनकी रचनाओं में प्रेम की तीव्रता और गहनता की अत्यंत प्रभावशाली व्यंजना हुई है।







रीतिकाव्य मुख्यत: मांसल शृंगार का काव्य है। इसमें नर-नारीजीवन के रमणीय पक्षों का सुंदर उद्घाटन हुआ है। अधिक काव्य मुक्तक शैली में है, पर प्रबंधकाव्य भी हैं। इन दो सौ वर्षों में शृंगारकाव्य का अपूर्व उत्कर्ष हुआ। पर धीरे धीरे रीति की जकड़ बढ़ती गई और हिंदी काव्य का भावक्षेत्र संकीर्ण होता गया। आधुनिक युग तक आते आते इन दोनों कमियों की ओर साहित्यकारों का ध्यान विशेष रूप से आकृष्ट हुआ।







इतिहास साक्षी है कि अपने पराभव काल में भी यह युग वैभव विकास का था। मुगल दरबार के हरम में पाँच-पाँच हजार रूपसियाँ रहती थीं। मीना बाज़ार लगते थे, सुरा-सुन्दरी का उन्मुक्त व्यापार होता था। डॉ॰ नगेन्द्र लिखते हैं- वासना का सागर ऐसे प्रबल वेग से उमड़ रहा था कि शुद्धिवाद सम्राट के सभी निषेध प्रयत्न उसमें बह गये। अमीर-उमराव ने उसके निषेध पत्रों को शराब की सुराही में गर्क कर दिया। विलास के अन्य साधन भी प्रचुर मात्रा में थे। पद्माकर ने एक ही छन्द में तत्कालीन दरबारों की रूपरेखा का अंकन कर दिया है-







गुलगुली गिल में गलीचा हैं, गुनीजन हैं,



चाँदनी है, चिक है चिरागन की माला हैं।



कहैं पद्माकर त्यौं गजक गिजा है सजी



सेज हैं सुराही हैं सुरा हैं और प्याला हैं।



सिसिर के पाला को व्यापत न कसाला तिन्हें,



जिनके अधीन ऐते उदित मसाला हैं।



तान तुक ताला है, विनोद के रसाला है,



सुबाला हैं, दुसाला हैं विसाला चित्रसाला हैं। ६







ऐहलौकिकता, श्रृंगारिकता, नायिकाभेद और अलंकार-प्रियता इस युग की प्रमुख विशेषताएं हैं। प्रायः सब कवियों ने ब्रज-भाषा को अपनाया है। स्वतंत्र कविता कम लिखी गई, रस, अलंकार वगैरह काव्यांगों के लक्षण लिखते समय उदाहरण के रूप में - विशेषकर श्रृंगार के आलंबनों एवं उद्दीपनों के उदाहरण के रूप में - सरस रचनाएं इस युग में लिखी गईं। भूषण कवि ने वीर रस की रचनाएं भी दीं। भाव-पक्ष की अपेक्षा कला-पक्ष अधिक समृद्ध रहा। शब्द-शक्ति पर विशेष ध्यान नहीं दिया गया, न नाटयशास्त्र का विवेचन किया गया। विषयों का संकोच हो गया और मौलिकता का ह्रास होने लगा। इस समय अनेक कवि हुए— केशव, चिंतामणि, देव, बिहारी, मतिराम, भूषण, घनानंद, पद्माकर आदि। इनमें से केशव, बिहारी और भूषण को इस युग का प्रतिनिधि कवि माना जा सकता है। बिहारी ने दोहों की संभावनाओं को पूर्ण रूप से विकसित कर दिया। आपको रीति-काल का प्रतिनिधि कवि माना जा सकता है।







इस काल के कवियों को तीन श्रेणियों में बाँटा जा सकता है-







(१) रीतिबद्ध कवि







(२) रीतिमुक्त कवि







(३) रीतिसिद्ध कवि







विद्वानों का यह भी मत हॅ कि इस काल के कवियों ने काव्य मर्यादा का पूर्ण पालन किया है। घोर शृंगारी कविता होने पर भी कहीं भी मर्यादा का उल्लंघन देखने को नहीं मिलता है।




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Comments Nisha on 16-07-2024

रीतिबद्ध की रचनाकार

Babita on 24-02-2024

Ritibadh kaviya dhara ki viseshtaye likhe

Swati Kumari on 10-11-2023

Ritibaddh Kavya ke Pramukh visheshta kya h btaiye


Rithibad kavya ke vesista on 15-08-2023

Rithibad kavya ke vesista B.A 2semester Hindi

Sakshi sable on 01-02-2023

रीतिबद्ध रीतिसिद्ध एवं रीतिमुक्त काव्य से आप क्या समझते है स्पष्ट कीजिए

Vishal Goswami on 03-04-2022

रीतिबद्ध

Surjeet on 17-01-2022

ritikalin ritikavya me ras nirupan ki pramukh pravrittiya pr tippani


Chestha on 02-12-2021

रीतिबद्ध काव्य की विशेषताएं लिखिए



Riti badh ko koi assan languagee me on 14-10-2018

Riti kal ka namkaran bata sakta ho

Raj on 01-11-2018

Riti badya kavya ke kavi

Arjun goyal on 05-11-2018

रीती काव्य की विशेषता लिखिए

Minali on 21-12-2018

Ritisidh kavya


questions answers vishyaue on 12-05-2019

Bhushan ke Chand

Shakti bala on 12-05-2019

Riti band kavya se kya tatpray hai

Anita soren on 09-05-2020

Ritibadh kavy dhara ki pramukh pravritiya

Rakt bandh kavya on 11-06-2020

Raktbandh kavya

S D Guru on 06-02-2021

रस चन्द्रोदय किसकी रचना है?

Ashok kisku on 09-09-2021

रीतिवध्द और रीतिमुक्त काव्य मे अन्तर स्पष्ट करे।


Ridhi on 11-09-2021

Godaan ki Katha yojna per prakas dalte huye usk mahatwa ko spasht kijiye



निम्न में से 1857 के विद्रोह के अमरशहीद रावत केसरी सिंह का संबंध मेवाड़ के किस स्थान / जागीर से था ? राज्यपाल अपने पद पर रहता है - माँग प्रेरित मुद्रास्फीति पदार्थ का वर्गीकरण लेजर किरणों की विशेषताएं गया इंडिया आकर्षक स्थल नवजात शिशु में हड्डियों की संख्या कितनी होती है अजंता की गुफाएं भारत के कौनसे राज्य में हैं वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय पीएच मीटर के सिद्धांत इसरो की उपलब्धियां 2016 उद्देश्य प्रस्ताव कब पारित हुआ तारकुंडे समिति तथा गोस्वामी समिति का सम्बन्ध है - पशु निर्माताओं के लिए खनिज मिश्रण भारत का सबसे बड़ा बन्दरगाह कौन सा है a मुम्बई b कोलकाता c विशाखापट्टनम d कोच्चि सेम का वैज्ञानिक नाम समराथल धोरा राजस्थान राजस्थान जनगणना 2001 चटापटी का अभिप्राय है: हल्दीघाटी का युद्ध जेम्स टॉड

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