साइबर सुरक्षा इन दिनों चर्चाओं और खबरों में है । इससे जुड़ी दो महत्वपूर्ण घटनाएं पिछले दिनों घटी-चीन के मिलिट्री हैकरों ने पश्चिमी देशों की सरकारों की कम्प्यूटर प्रणाली पर हमला बोला और अमेरिकी एयर फोर्स ने साइबर स्पेस कमान नाम के संगठन का गठन किया ।
इसे संयोग ही कहा जायेगा कि दोनों घटनाएं एक ही समय हुई, लेकिन इनसे इक्कीसवीं सदी में साइबर प्रणाली से जुडे खतरों की वास्तविकता और भयावहता का अनुमान लगाया जा सकता है । आज रोजमर्रा की कार्यप्रणाली में साइबर स्पेस का दायरा उत्तरोत्तर बढ़ता ही जा रहा है । सरकारें, प्रशासन, शिक्षा, संचार और सूचना के विस्तार में इसका बढ़-चढ़कर इस्तेमाल कर रही हैं । वहीं दूसरी ओर आंतकवादी समूह साइबर तकनीक का उपयोग अपने प्रचार, विभिन्न गुटों के साथ समन्वय तथा अर्थ प्रबंधन के लिए कर रहे है ।
साइबर तकनीक का इस तरह दुरुपयोग देखते हुए अब विशेषज्ञ भी खासे चिंतित हैं । आज कम्प्यूटर का उपयोग करने वाला हर व्यक्ति कम्प्यूटर वायरस के हमले के बारे में जानता है । जब यह खतरा बड़े पैमाने पर हो तो इसकी भयावहता और दुष्परिणाम के बारे में सहजता से समझा जा सकता है ।
आज रेलवे, एयरलाइंस, बैंक, स्टॉक मार्केट, हॉस्पिटल के अलावा सामान्य जनजीवन से जुड़ी हुई सभी सेवाएं कम्प्यूटर नेटवर्क के साथ जुडी हैं, इनमें से तो कई पूरी तरह से इंटरनेट पर ही आश्रित हैं, यदि इनके नेटवर्क के साथ छेड़-छाड़ की गयी, तो क्या परिणाम हो सकते हैं यह बयान करने की नहीं अपितु समझने की बात है ।
अब तो सैन्य-प्रतिष्ठानों का काम-काज और प्रशासन भी कम्प्यूटर नेटवर्क के साथ जुड़ चुका है । जाहिर है कि यह क्षेत्र भी साइबर आतंक से अछूता नहीं बचा है । इसीलिए सूचना तकनीक के विशेषज्ञ साइबर सुरक्षा को लेकर बेहद चिंतित हैं ।
साइबर स्पेस एक ऐसा क्षेत्र है जहां बिना किसी खून-खराबे के किसी भी देश की सरकार को आंतकित किया जा सकता है । साइबर के जरिए आतंक फैलाने वाले, कम्प्यूटर से महत्वपूर्ण जानकारियां निकाल सकते हैं तथा इसका इस्तेमाल धमकी देने व सेवाओं को बाधित करने में कर सकते हैं ।
अभी सामान्य तौर पर साइबर अपराध के जो छोटे-मोटे अपराध सामने आते हैं, वह प्राय: युवा या विद्यार्थी वर्ग द्वारा महज मजा लेने या खुराफात करने के होते हैं, लेकिन यदि इन्हीं तौर-तरीकों का उपयोग व्यापक पैमाने पर आतंकवादी समूह करने लगें तो भारी मुश्किलें खड़ी हो जायेंगी ।
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यह सही है कि साइबर से जुड़ी अभी तक कोई बड़ी आतंकवादी घटनाएं प्रकाश में नहीं आई हैं, पर इसका यह मतलब कतई नहीं कि आने वाले दिनों के एक साधारण से मामले से लगा सकते हैं । 1998 में एक बारह वर्षीय बालक ने अमेरिका के अरिजोना स्थित थियोडोर रूजवेल्ट डैम की कम्प्यूटर प्रणाली को हैक कर उस पर अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया ।
इस प्रणाली के जरिए बाढ़ नियंत्रण व बांध के गेट का संचालन किया जाता था । अब यदि वह हैकर चाहता तो कभी भी बांध के गेट खोल सकता था और इससे कितनी बड़ी आबादी में तबाही मच सकती थी बताने की जरूरत नहीं ।
आज इस बात की पुख्ता खुफिया खबरें हैं कि अलकायदा जैसे कई खतरनाक आतंकवादी संगठन साइबर स्पेस के जरिए दुनिया भर में आतंक फैलाने की फिराक में हैं । ऑन-लाइन से जुड़े आतंकवाद के खतरों को अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने 1996 में ही भांप लिया था और उन्होंने तभी इस चुनौती से निबटने के लिए क्रिटिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोटेक्यान कमीशन का गठन किया था ।
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साइबर स्पेस में आतंकवाद की घुसपैठ का एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि भविष्य में होने वाले युद्धों और संघर्षों में यह एक भयावह वास्तविकता के रूप में उभरकर सामने आ सकता है । साइबर आतंकवादी नई संचार तकनीक के औजारों और तौर-तरीकों का इस्तेमाल करके नेटवर्क को तहस-नहस कर सकते हैं, हैकिग के साथ ही कम्प्यूटरों को बड़े पैमाने पर वायरस से संक्रमित कर सकते हैं, ऑनलाइन नेटवर्क सेवाओं को बाधित कर सकते है ।
यही नहीं वे सरकारों व प्रतिष्ठानों के महत्वपूर्ण ई-मेल पर भी दखल दे सकते हैं । कोई कम्प्यूटर हैकर आंतकवादियों के साथ मिलकर साइबर से जुड़ी किसी भी खतरनाक घटना को अंजाम दे सकता है । आज जब यह सच दुनिया के सामने आ ही गया है कि आंतकवाद के खूनी खेल में पढे-लिखे विषय विशेषज्ञ, आईटी और मेडिकल के होनहार युवक भी शामिल हो चुके हैं, तो ऐसे में इनकी प्रतिभा का इस्तेमाल नागरिक और सैन्य क्षेत्र के साइबर नेटवर्क को भेदने में सहजता से किया जा सकता है ।
वैसे तो अभी दुनिया भर के सभी सैन्य संगठन किसी भी तरह के साइबर हमले से बचने के लिए एक सहज तरीका इस्तेमाल करते हैं कि वे अपनी सूचनाओं को इंटरनेट के साथ नहीं जोड़ते, लेकिन यह व्यवस्था भी अभेद्य नहीं है । सेनाएं शांतिकाल में व युद्ध के समय अपने अभियानों को अंजाम देने के लिए इंटरनेट पर तेजी से आश्रित होती जा रही हैं ।
आज साइबर आतंकवाद और उससे जुड़े अपराधों को गंभीरता से लेते हुए अमेरिका ने साइबर स्पेस कमान गठित करके नई सदी की इस चुनौती से निपटने के लिए कमर कस ली है । भारत जैसे राष्ट्र को भी अपनी सुरक्षा व्यवस्था को चाक-चौबंद करने के लिए ऐसे ही इंतजामों की दरकार है । सौभाग्य से भारत में आईटी के ऐसे बहुत से विशेषज्ञ हैं, जिनकी सेवाएं साइबर आतंकवाद की चुनौती से निपटने के लिए ली जा सकती हैं ।
सरकार को चाहिए कि नागरिक और सैन्य क्षेत्र की सुरक्षा को देखते हुए वह ऐसी नीति व कार्ययोजना तैयार करे, जिससे समय रहते ही आईटी और साइबर से जुड़े अपराधों व आतंक की संभावनाओं से निपटा जा सके ।
मुझे आओके द्वारा दी गए जानकारी काफी उपयोगी लागि कुछ what is cyber crime के बारे मे भी बताए.
Nots
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बहुत सुन्दर साइबर अपराध परनिबंध