सही उत्तर : 7,258 मी॰ लगभग
व्याख्या :
हिन्द महासागर की औसत गहराई 3,741 मीटर है और इसकी अधिकतम गहराई 7,906 मीटर
(How Deep Is the Indian Ocean) है। हिन्द महासागर दुनिया का तीसरा सबसे बङा महासागर है, जो दक्षिणी एशिया, अफ्रीका और पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के बीच स्थित है।
यह विश्व का एकमात्र महासागर है जिसका नाम किसी देश के नाम पर जैसे हिन्दुस्तान के नाम पर पङा है। जानकारी रहे की इसे
"अर्द्धमहासागर" भी कहते है। हिंद महासागर पृथ्वी की सतह पर 70,560,000 किमी. (27, 240, 000 वर्ग मील) या 19.8 प्रतिशत पानी को कवर करता है।
महासागर क्या होते है?
महासागर
(ocean in hindi) वह समग्र लवण जलराशि है, जो पृथ्वी के लगभग तीन चौथाई पृष्ठ पर फैला हुआ है। महासागर के छोटे छोटे भागों को समुद्र तथा खाड़ी कहते हैं। दुनिया में पाँच महासागर हैं, जिनके नाम
(oceans name) तथा क्षेत्रफल इस प्रकार हैं...
1. प्रशांत महासागर - 6,36,34,000 वर्ग मील
2. अटलांटिक महासागर - 3,13,50,000 वर्ग मील
3. हिंद महासागर - 2,83,56,000 वर्ग मील
4. आर्कटिक महासागर - 40,00,000 वर्ग मील
5. अंटार्कटिका महासागर - 57,31,000 वर्ग मील
वैसे महासागरीय नितल अथवा अधस्तल को चार प्रमुख भागों में बांटा जा सकता है, जो इस प्रकार है....
(i) महाद्वीपीय मग्नतट (Continental Shelf) :
यह महासागर का सबसे उथला भाग होता है जिसकी औसत प्रवणता 1 डिग्री या उससे भी कम होती है। महाद्वीपीय मग्नतटों की चौड़ाई में एक महासागर से दूसरे महासागर के बीच भिन्नता पाई जाती है। यहां पर अवसादों की मोटाई भी अलग-अलग होती है। यहां लंबे समय तक प्राप्त स्थूल तलछट अवसाद जीवाश्मी ईंधनों के स्रोत बनते हैं। समुद्र में जो भी प्राकृतिक गैसों एवं पेट्रोलियम के भंडार पाए गए हैं, उन सबका संबंध महाद्वीपीय मग्न तट से ही है। यह महासागरीय नितल के 8.6 प्रतिशत भाग पर फैले हैं।(ii) महाद्वीपीय मग्नढाल (Continental Slope) :
मग्नतट तथा सागरीय मैदान के बीच तीव्र ढाल वाले मंडल को ‘महाद्वीपीय मग्नढाल’ कहते हैं। इसकी ढाल प्रवणता मग्नतट के मोड़ के पास से सामान्यतः 4o से अधिक होती है। मग्नढाल पर जल की गहराई 200 मीटर से 3000 मीटर के बीच होती है। मग्नढाल समस्त सागरीय क्षेत्रफल के 8.5 प्रतिशत पर फैला है। मग्नढालों पर सागरीय निक्षेप का अभाव पाया जाता है।(iii) गहरे समुद्री मैदान (Deep Sea Plain) :
गहरे समुद्री मैदान महासागरीय बेसिनों के मंद ढाल वाले क्षेत्र होते हैं। इनकी गहराई 3000 से 6000 मीटर तक होती है। समस्त महासागरीय क्षेत्रफल के 70 प्रतिशत से अधिक क्षेत्र पर इनका विस्तार पाया जाता है। उल्लेखनीय है कि इनका विस्तार भिन्न-भिन्न महासागरों में भिन्न-भिन्न है। प्रशांत महासागर में इनका सर्वाधिक विस्तार है। ये मैदान महीन कणों वाले अवसादों जैसे मृत्तिका एवं गाद से ढके होते हैं।(iv) महासागरीय गर्त (Oceanic Deeps) :
ये महासागर के सबसे गहरे भाग होते हैं। ये महासागरीय नितल के लगभग 7 प्रतिशत भाग पर फैले हैं। आकार की दृष्टि से महासागरीय गर्तों को दो भागों में विभाजित किया जाता है। लंबे गर्त को ‘खाईं‘ (Trench) जबकि कम क्षेत्रफल वाले किंतु अधिक गहरे गर्त को ‘गर्त’ (Deeps) कहते हैं। विश्व का सबसे गहरा गर्त (Trench) मेरियाना गर्त है जो प्रशांत महासागर में अवस्थित है।