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वीर नारायण सिंह एस्से इन हिंदी - Veer Narayann Singh Essay In Hindi -47016 Join Telegram

Veer Narayann Singh Essay In Hindi वीर नारायण सिंह एस्से इन हिंदी

वीर नारायण सिंह एस्से इन हिंदी




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GkExams on 12-02-2019

सत्रहवीं सदी में सोनाखान राज्य की स्थापना की गई थी। इनके पूर्वज सारंगढ़ के जमींदार के वशंज थे। सोनाखान का प्राचीन नाम सिंघगढ़ था। कुर्रूपाट डोंगरी में युवराज नारायण सिंह के वीरगाथा का जिन्दा इतिहास दफन है। युवराज नारायण सिंह के पास एक घोड़ा था जो कि स्वामीभक्त था। वे घोड़े पर सवार होकर अपने रियासत का भ्रमण किया करत थे। भ्रमण के दौरान एक बार युवराज को किसी व्यक्ति ने जानकारी दी कि सोनाखान क्षेत्र में एक नरभक्षी शेर कुछ दिनों से आतंक मचा रहा है जिसके चलते प्रजा भयभीत है। प्रजा की सेवा करने में तत्पर नारायण सिंह ने तत्काल तलवार हाथ में लिए नरभक्षी शेर की ओर दौड़ पड़े और कुछ ही पल में शेर को ढेर कर दिए। इस प्रकार से वीर नारायण सिंह ने शेर का काम तमाम कर भयभीत प्रजा को नि:शंक बनाया। उनकी इस बहादुरी से प्रभावित होकर ब्रिटिश सरकार ने उन्हें वीर की पदवी से सम्मानित किया। इस सम्मान के बाद से युवराज वीरनारायण सिंह के नाम से प्रसिध्द हुए।


प्रजा हितैषी का एक अन्य उदाहरण सन् 1856 में पड़ा अकाल है जिसमें नारायण सिंह ने हजारों किसानों को साथ लेकर कसडोल के जमाखोरों के गोदामों पर धावा बोलकर सारे अनाज लूट लिए व दाने-दाने को तरस रहे अपने प्रजा में बांट दिए। इस घटना की शिकायत उस समय डिप्टी कमिश्नर इलियट से की गई। वीरनारायण सिंह ने शिकायत की भनक लगते हुए कुर्रूपाट डोंगरी को अपना आश्रय बना लिया। ज्ञातव्य है कि कुर्रूपाट गोड़, बिंझवार राजाओं के देवता हैं। अंतत: ब्रिटिश सरकार ने देवरी के जमींदार जो नारायण सिंह के बहनोई थे के सहयोग से छलपूर्वक देशद्रोही व लुटेरा का बेबुनियाद आरोप लगाकर उन्हें बंदी बना लिया। 10 दिसम्बर 1857 को रायपुर के चौराहे वर्तमान में जयस्तंभ चौक पर बांधकर वीरनारायण सिंह को फांसी दी गई। बाद में उनके शव को तोप से उड़ा दिया गया और इस तरह से भारत के एक सच्चे देशभक्त की जीवनलीला समाप्त हो गई। उल्लेखनीय है कि गोंडवाना के शेर कहे जाने वाले अमर शहीद वीरनारायण सिंह को राज्य का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का दर्जा प्राप्त है।


इनके सम्मान में फिलहाल प्रदेश शासन के आदि जाति कल्याण विभाग ने उनकी स्मृति में पुरस्कार की स्थापना की है। इसके तहत राज्य के अनुसूचित जनजातियों में सामाजिक चेतना जागृत करने तथा उत्थान के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले व्यक्तियों तथा स्वैच्छिक संस्थाओं को दो लाख रुपए की नगद राशि व प्रशस्ति पत्र देने का प्रावधान है।





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