धान की बीमारी और नियंत्रण : हमारे देश में धान का प्रति हेक्टेयर औसत उत्पादन दुनिया के कई देशों से काफी कम है। इसकी सबसे बड़ी वजह है धान की फसल में लगने वाले कीट व रोगों का सही समय पर नियंत्रण नहीं होना।
वहीं, दुनियाभर में धान की फसल में लगने कीट तथा रोगों के प्रकोप से सालाना लगभग 10 से 15 फीसदी उत्पादन कम होने का अनुमान है। ऐसे में सही समय पर फसल में कीट व रोगों की पहचान करके इनका नियंत्रण करना आवश्यक होता है।
धान की फसल के रोग :
यहाँ हम आपको निम्नलिखित बिन्दुओं द्वारा धान की फसल के रोगों के बारें में अवगत करा रहे है, जो इस प्रकार है...
झोंका/ब्लास्ट रोग सफेदा रोग खैरा रोग शीथ ब्लाइट रोग भूरा धब्बा रोग जीवाणु झुलसा रोग जीवाणु धारी रोग मिथ्य कण्डुआ रोगइस प्रकार के रोगों के लिए नत्रजन, फास्फोरस व पाटास उर्वरकों का प्रयोग संतुलित मात्रा में करें। थीरम 5 ग्राम / किलोग्राम बीज दर से उपचारित कर के बुवाई करें और रोग लक्षण दिखाई देने पर 25% मैंकोजेब का छिडकाव करें। इसके अलावा और कोई जानकारी के लिए किसी कृषि विशेषज्ञ की सलाह लेकर उपाय करें।
वैसे हमारे देश में किसानों को 3 भागों में बांटा
(types of farming in india) गया है, जो निम्नलिखित है...
1. लघु किसान की परिभाषा :
इसे आम भाषा में समझे तो लघु किसान
(Small Farmers) वो होते है जिनके पास 2 हेक्टेयर यानी (पांच एकड़) या कम जमीन रखते है, ऐसे किसानों को लघु किसान कहा जाता है।
2. सीमांत किसान की परिभाषा :
सीमांत किसान
(Marginal Farmers) वो होते है जिनके पास 1 हेक्टेयर यानी (2.5 एकड़) या कम जमीन रखते है, ऐसे किसानों को सीमांत किसान कहा जाता है।
3. वृहद किसान की परिभाषा :
वृहद किसान
(Large Farmers) वो होते है जिनके पास 10 हेक्टेयर यानी (25 एकड़) या इससे ज्यादा जमीन रखते है, ऐसे किसानों को वृहद किसान कहा जाता है। ध्यान रहे की इस प्रकार के किसानों को "जमींदार" भी कहा जाता है।
इन सब भागों में किसानों को बांटने का सरकार का उद्देश्य ये है की इससे सरकार के पास इनका डाटा रहता है। ताकि अगर कोई आपदा की स्थित आए तो इनकी मदद की जाए आकड़ों के हिसाब से।
वैसे किसानों को लेकर अक्सर नई नई योजनाएं केंद्र सरकार या राज्य सरकारें लाती ही रहती है। किसान हमारे देश का वह महत्वपूर्ण तबका है जो पुरे देश की जनता को खाने पीने की सामग्री मुहैया कराता है। यही कारण है कि किसानों के अक्सर कर्ज माफी से लेकर सस्ते कीटनाशक, खाध और बाकि मशीनों पर सब्सिडी दी जाती है।
भारत में कृषि के प्रकार :
यहाँ हम निम्नलिखित बिन्दुओं द्वारा आपको भारत में कृषि के प्रकारों
(Types of Farming in India) से अवगत करा रहे है, जो इस प्रकार है...
स्थानांतरित कृषि निर्वाह खेती गहन कृषि व्यापक कृषि वाणिज्यिक कृषि बागवानी कृषि सूखी भूमि खेती गीली भूमि की खेती एक्वापोनिक्सभारतीय कृषि की समस्याओं का समाधान :
हमारे देश में तमाम तरीके की कृषि समस्याओं को देखते हुए पिछले कई वर्षों से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना क्रियान्वित किया जा रहा है। इसके अलावा खेती में वित्त की समस्या से निपटने के लिए लोन की सुगमता, किसान क्रेडिट कार्ड और न्यूनतम समर्थन मूल्य जैसे पहल किए जा रहे हैं। सरकार का लक्ष्य 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने की है।
इसलिए जब भी आप अपने खेत को बोए तब आप अपनी फसल का बिमा जरूर बनवा ले जिससे की आपको आगे चलकर किसी भी कृषि की क्षति का सामना ना करना पड़ें।
इसके अलावा और भी किसानों की समस्याएं है और सबके इलाज मिल सकते है, जरूरी है किसान समस्याओं से अधिक समाधान के बारे में सोचें और जागरूक बने। अगर आप भी किसानों से जुड़ी कोई भी समस्या सामने लाना चाहते हैं या किसी समस्या के समाधान बताना चाहते हैं तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं।
Dhaan ma sheteblast ma konsi dawali dali jati