लौंग (वानस्पतिक नाम : Syzygium aromaticum मलयालम : കരയാമ്പൂ अंग्रेजी:Cloves) मटेंसी कुल (Myrtaceae) के यूजीनिया कैरियोफ़ाइलेटा (Eugenia caryophyllata) नामक मध्यम कद वाले सदाबहार वृक्ष की सूखी हुई पुष्प कलिका है। लौंग का अंग्रेजी पर्यायवाची क्लोव (clove) है, जो लैटिन शब्द क्लैवस (clavus) से निकला है। इस शब्द से कील या काँटे का बोध होता है, जिससे लौंग की आकृति का सादृश्य है। दूसरी तरफ लौंग का लैटिन नाम पिपर (Piper) संस्कृत/मलयालम/तमिल के पिप्पलि आया हुआ लगता है। लौंग एक प्रकार का मसाला है। इस मसाले का उपयोग भारतीय पकवानो मे बहुतायत मे किया जाता है। इसे औषधि के रूप मे भी उपयोग मे लिया जाता है।
अनुक्रम
1 उत्पादक देश
2 परिचय
3 उपयोग
4 विभिन्न भाषाओं में नाम
5 इन्हें भी देखें
उत्पादक देश
चीन से लौंग का उपयोग ईसा से तीन शताब्दी पूर्व से होता चला आ रहा है तथा रोमन लोग भी इससे अच्छी तरह परिचित थे, किंतु यूरोपीय देशों में इसकी जानकारी 16वीं शताब्दी में तब हुई जब पुर्तगाली लोगों ने मलैका द्वीप में इसे खोज निकाला। वर्षों तक इसके वाणिज्य पर पुर्तगालियों एवं डचों का एकछत्र आधिपत्य रहा।
लौंग, मलैका का देशज है, किंतु अब सारे उष्णकटिबंधी प्रदेशों में बहुतायत से प्राप्य हैं। जंजीबार में समस्त उत्पादन का 90 प्रतिशत लौंग पैदा होता है, जिसका बहुत सा भाग बंबई से होकर बाहर भेजा जाता है। सुमात्रा, जमैका, ब्राजील, पेबा एवं वेस्ट इंडीज़ में भी पर्याप्त लौंग उपजता है।
परिचय
बीज में पौधे धीरे धीरे पनपते हैं, इसलिए नर्सरी के पौधे जब 4 फुट ऊँचे हो जाते हैं तब उन्हें वर्षा के आरंभ होते ही 20-30 फुट की दूरी पर लगा देते हैं। पहले वर्ष तेज धूप एवं हवा से पौधों को हानि पहुंचती है। छठें वर्ष फूल लगने आरंभ हो जाते हैं तथा 12 से 25 वर्ष तक अच्छी उपज होती है, पर 150 वर्ष तक वृक्ष से थोड़ा बहुत लौंग मिलता रहता है : प्रत्येक वृक्ष से ढाई से तीन किलोग्राम तक लौंग निकलता है।
लौंग के फल गुच्छों में सूर्ख लाल रंग के खिलते हैं, किन्तु पुष्प खिलने के पहले ही तोड़ लिए जाते हैं। ताजी कलियों का रंग ललाई लिए हुए या हरा रहता है। लौंग के चार नुकीले भाग बाह्यदल (sepal) हैं तथा अंदर के गोल हिस्से में दल (petal) और उनसे ढँका हुआ आवश्यक भाग है, पुमंग (ardroecium) एवं जायांग (gynaeceum)। नीचे का हिस्सा फूल का डंठल है। जैसे ही इन कलियों का रंग हल्का गुलाबी होता है एवं वे खिलती है, इन्हें चुन चुनकर हाथ से तोड़ लिया जाता है। कभी कभी पेड़ के नीचे कपड़ा बिछा देते हैं और शाखा को पीटकर इन कलियों को गिरा देते हैं। अच्छे मौसम में इन्हें धूप में सूखा लेते हैं, किंतु बदली होने पर इन्हें आग पर सूखाते हैं। कभी कभी कलियों को सुखाने से पहले गरम पानी से धो लेते हैं। सुखाने के बाद केवल 40 प्रतिशत लौंग बचता है।
उपयोग
लौंग को पीसकर, या साबुत खाद्य पदार्थ में डालने से, वह सुगंधमय हो जाता है, अत: भिन्न भिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थों को सुवासित करने के लिए इसका उपयोग मसाले की तरह करते हैं। दाँत का मंजन, साबुन, इत्र वेनिला तथा पौधों की आंतरिक रचना देखने के लिए एवं दवा के रूप में इस तेल का उपयोग होता है। लौंग के फल एवं फूल के डंठल का भी कभी कभी उपयोग किया जाता है।
Long ka beej chiy augany ky liy
बीज मिकहां मिलेगा
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Bazar m laung milti h usi se plant bana sakta hu kaise