Chand Ka Akaar Chhota Bada Kyon Hota Hai चाँद का आकार छोटा बड़ा क्यों होता है

चाँद का आकार छोटा बड़ा क्यों होता है



Pradeep Chawla on 11-10-2018


चाँद का खुद का कोई प्रकाश नहीं है, यह सूर्य के प्रकाश से रोशन होता है। चाँद एक गोल गेंद की तरह है इसलिए इसका आधा हिस्सा रोशन रहता है और आधा हिस्सा अँधियारा। चाँद का सूर्य की तरफ वाला हिस्सा सूर्य प्रकाश को परावर्तित करते रहने से हमेशा चमकदार दिखाई देता है। लेकिन पूरे चमकदार हिस्से को पृथ्वी से हमेशा देख पाना सम्भव नहीं है। धरती का चक्कर लगाते हुए परिक्रमा कक्ष में चाँद की स्थिति (लोकेशन) में बदलाव होते हैं।


हमें चन्द्रमा कभी पूरा तो कभी आधा तो कभी अर्धचन्द्राकार आकृति के रूप में नजर आता है। पूरे चाँद को हम पूर्णिमा कहते हैं और जब चाँद दिखाई नहीं देता तो इसे अमावस्या कहते हैं। क्या आप जानते हैं कि अमावस्या के दिन चाँद आसमान में होता है या नहीं? यदि होता है तो कहाँ पर हो सकता है? आप इसके बारे में सोचकर देखिए। अभी हम चाँद के छोटे और बड़े होते दिखाई देने पर बात करते हैं। चाँद का खुद का कोई प्रकाश नहीं है, यह सूर्य के प्रकाश से रोशन होता है।


सच तो यह है कि चन्द्रमा कभी छोटा और बड़ा नहीं होता बल्कि यह हमें छोटा और बड़ा होता दिखाई देता है। हमारे सौर मण्डल में मौजूद ग्रह एवं अन्य पिण्ड सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाते हैं। हमारी पृथ्वी जो एक ग्रह है सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाने में लगभग 365 दिन का समय लेती है। हमारी पृथ्वी का एक चन्द्रमा (उपग्रह) है, जो पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाता है। चन्द्रमा पृथ्वी का एक चक्कर लगभग 30 दिन में पूरा करता है।


हमें चन्द्रमा कभी पूरा तो कभी आधा तो कभी अर्धचन्द्राकार आकृति के रूप में नजर आता है। पूरे चाँद को हम पूर्णिमा कहते हैं और जब चाँद दिखाई नहीं देता तो इसे अमावस्या कहते हैं। क्या आप जानते हैं कि अमावस्या के दिन चाँद आसमान में होता है या नहीं? यदि होता है तो कहाँ पर हो सकता है? आप इसके बारे में सोचकर देखिए। अभी हम चाँद के छोटे और बड़े होते दिखाई देने पर बात करते हैं।


चाँद का खुद का कोई प्रकाश नहीं है, यह सूर्य के प्रकाश से रोशन होता है। चाँद एक गोल गेंद की तरह है इसलिए इसका आधा हिस्सा रोशन रहता है और आधा हिस्सा अँधियारा। चाँद का सूर्य की तरफ वाला हिस्सा सूर्य प्रकाश को परावर्तित करते रहने से हमेशा चमकदार दिखाई देता है।


लेकिन पूरे चमकदार हिस्से को पृथ्वी से हमेशा देख पाना सम्भव नहीं है। धरती का चक्कर लगाते हुए परिक्रमा कक्ष में चाँद की स्थिति (लोकेशन) में बदलाव होते हैं। उन बदलावों के अनुरूप ही प्रकाश परावर्तित करने वाली सतह को हम धरती से देख पाते हैं। चाँद की चमकदार सतह को हम क्रमिक रूप से बढ़ते या घटते हुए देखते हैं। जैसे अमावस्या के बाद हर दिन चाँद की चमकदार सतह का आकार बढ़ता जाता है और पूर्णिमा के दिन पूरी चमकदार सतह को देख पाते हैं। इसी तरह पूर्णिमा के बाद चमकदार सतह के दिखाई देने वाले हिस्से का आकार घटने लगता है। और अमावस्या के दिन चाँद का वो हिस्सा हमारे सामने होता है जिस पर सूर्य का प्रकाश नहीं पड़ रहा है। आप ही सोचिए, जब चाँद की सतह से परावर्तित किरणें हम तक पहुँच ही नहीं रही हैं तो चाँद दिखेगा कैसे?


चाँद की कलाएँ: चाँद के जिस हिस्से पर सूर्य का प्रकाश पहुँचता है उसे सफेद रंग में दिखाया गया है और चाँद के जिस हिस्से तक सूर्य की किरणें नहीं पहुँचतीं यानी अँधेरा होता है उसे काले रंग में दिखाया गया है।


चाँद की इन कलाओं के बारे में एक रोचक बात यह है कि यदि पृथ्वी की भूमध्य रेखा से उत्तर या दक्षिण ध्रुव की दिशा में चले तो चाँद की चमकदार सतह को देखने का कोण बदलता जाता है। फलस्वरूप कई दफा दूज का चाँद भूमध्यरेखा के आसपास के इलाकों में लेटी नाव की तरह दिखता है तो वही दूज का चाँद 20 से 60 डिग्री उत्तरी और दक्षिणी अक्षांश पर कुछ कोण बनाता हुआ या खड़ी नाव या चेहरे की तरह दिखाई देता है। आप इंटरनेट का उपयोग करते हुए इसे देख सकते हैं। ऐसा क्यों होता है, इस बारे में यह माना जाता है कि पृथ्वी का भूमध्यरेखीय तल (वह तल जिस पर पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है) अपनी घूर्णन कक्षा के सापेक्ष 23.5 डिग्री झुका हुआ है। चाँद की कक्षा भी भूमध्यरेखीय तल पर 5 डिग्री का कोण बनाती है। इस सबका मिला-जुला प्रभाव यह पड़ता है कि पृथ्वी की अलग-अलग जगहों से चाँद की चमकदार सतह को देखने का कोण बदलता जाता है।


कलाओं की बात करते हुए यह भी बताते चलें कि हम सौर मण्डल में सभी ग्रहों के सूर्य से प्रकाशित हिस्सों को देखते हैं। लेकिन शुक्र ग्रह और बुध ग्रह की बात कुछ निराली है। इन दोनों ग्रहों की दिलकश कलाओं को दूरबीन की मदद से देखा जा सकता है।




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Comments Ankit on 28-09-2021

Vishuat rekha





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