विस्फोटक रासायनिक पदार्थ का मिश्रण होता है, जिसे हथौड़े से आघात करने
या ज्वाला से छूने, या विद्युत् स्फुलिंग से एकाएक ऊष्मा के विकास के साथ
बहुत बड़ी मात्रा में गैस बनने के कारण विस्फोटन होता है। यदि किसी बंद
कक्ष में विस्फोटन हो, तो कक्ष की दीवारें छिन्न भिन्न हो जाती है। पर
लाभकारी विस्फोटक अपेक्षया निष्क्रिय होते हैं, ताकि उनका निर्माण और
परिवहन निरापद हो सके। कुछ विस्फोटक ऐसे होते हैं कि पंख से छूने पर भी वे
विस्फुटित हो जाते हैं। ऐसे विस्फोटक किसी उपयोगी काम के नहीं होते। उपयोगी
विस्फोटकों में कुछ उच्च विस्फोटक होते हैं और कुछ सामान्य या मंद
विस्फोटक। यह विभेद उनकी सुग्राहिता के आधार पर नहीं किया जाता, वरन् उनके
छिन्न भिन्न करने की क्षमता पर किया जाता है। कुछ विस्फोटक, जैसे मर्करी
फल्मिनेट तथा लेड ऐज़ाइड (Lead azide), जो बड़े सुग्राही होते हैं,
प्राथमिक विस्फोटक के रूप में न्यून सुग्राही विस्फोटक के विस्फोटन में
उपयुक्त होते हैं। कुछ प्रमुख विस्फोटक ये हैं:
1. डायनामाइट -- तीव्र विस्फोटक, शांतिकाल के लिए
2. विस्फोटक जिलेटिन -- तीव्र विस्फोटक, शांतिकाल के लिए
3. टीएनटी (TNT) -- तीव्र विस्फोटक, युद्ध के लिए
4. पिक्रिक अम्ल -- तीव्र विस्फोटक युद्ध के लिए
5. अमोनियम नाइट्रेट -- तीव्र विस्फोटक युद्ध के लिए
6. धूमहीन चूर्ण -- मंद विस्फोटक, युद्ध के लिए
7. कालाचूर्ण या बारूद -- मंद विस्फोटक, शांति और युद्ध दोनों के लिए
8. मर्करी फल्मिनेट --- सहायक विस्फोटक, युद्ध के लिए
9. लेड ऐज़ाइड --- सहायक विस्फोटक, युद्ध के लिए
डायनामाइट
के निर्माण में नाइट्रोग्लिसरीन प्रयुक्त होता है। नाइट्रोग्लिसरीन
आवश्यकता से अधिक सुग्राही होता है। इसकी सुग्राहिता को कम करने के लिए
कीज़लगर का उपयोग होता है। अमरीका में कीज़लगर के स्थान में काठ चूरा, या
काठ समिता और सोडियम नाइट्रेट का उपयोग होता है। डायनामाइट में
नाइट्रोग्लिसरीन की मात्रा 20, 40, या 60 75 प्रति शत रहती है। इसकी
प्रबलता नाइट्रोग्लिसरीन की मात्रा पर निर्भर करती है। 75 प्रतिशत
नाइट्रोग्लिसरीन वाला डायनामाइट प्रबलतम होता है। कीज़लगर, या काष्ठचूर्ण,
या समिता के प्रयोग का उद्देश्य डायनामाइट का संरक्षण होता है, ताकि
यातायात में वह विस्फुटित न हो जाए। नाइट्रोग्लिसरीन 13 डिग्री सें. पर जम
जाता है। जम जाने पर यह विस्फुटित नहीं होता। अत: ठंढी जलवायु में जमकर वह
निकम्मा न हो जाए, इससे बचाने के लिए उसमें 20 भाग ग्लिसरीन
डाइनाइट्रोमोनोक्लो-रहाइड्रिन मिलाया जाता है। यह जमावरोधीकारक का काम करता
है। इसससे नाइट्रोग्लिसरीन -30 डिग्री सें. तक द्रव रहता है।
नाइट्रोग्लिसरीन के स्थान में नाइट्रोग्लाइकोल का उपयोग अब होने लगा है।
विस्फोटक जिलेटिन
में 90 प्रतिशत ग्लिसरीन और 10 प्रतिशत नाइट्रोसेलुलोस रहता है। टी एन टी
ट्राइनाइट्रोटोल्विन है। यह 81 डिग्री सें. पर पिघलता है। डी एन टी के साथ
अमोनियम नाइट्रेट के मिले रहने से टी एन टी अधिक प्रबल विस्फोटक हो जाता
है। पिक्रिक अम्ल विस्फोटक है। फिनोल के नाइट्रेटीकरण से यह बनता है। यह
पीला ठोस है, जो 121 डिग्री सें. पर पिघलता है। इसका सीस लवण पिक्रिक अम्ल
से 5 गुना अधिक सुग्राही होता है। स्वय पिक्रिक अम्ल खोल में भरा जाता है।
अमोनियम नाइट्रेट टी एन टी के साथ मिलाकर प्रयुक्त होता है। यह आक्सीकारक
का भी कार्य करता है। स्वयं यह कठिनता से प्रस्फोटिन (detonate) होता है।
धूमहीन चूर्ण में नाइट्रोसेलुलोस
रहता है। यह ऐसीटोन से जिलेटिनीकृत किया रहता है। स्थायित्वकारी
(stabilizer) के रूप में अल्प मात्रा में डाइफेनिलेमिन और यूरिया प्रयुक्त
होते हैं।
Dina might banane ki vidhi
Explosion aasani se kaise banate hain
Hume banane me madat ki hai
Tnt.karasayneksamekad
Tnt rasayanik samikaran
डायनामाइट बनाने के लिए किस चीज का प्रयोग होता है
Dynamite banane ke liye Kis Kis samagri ki avashyakta hoti hai
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