औद्योगिक क्रांति के प्रारंभिक दिनों में, जबकि कारखाना संगठन की कोई स्थापित पद्धति मीमांशा नहीं थी, कारखाना मालिक अथवा प्रबंधक प्रबंध कार्य करते हुए आने वाली समस्याओं का समाधान करते समय अधिकांश व्यक्तिगत निर्णयों पर ही निर्भर करते थे। इसे अंगूठा टेक नियम कहा जाता है। अंगूठा टेक नियम अपनाने पर कारखानों का प्रबंध करते समय प्रबंधक परिस्थिति के अनुसार कार्य कर सकते थे लेकिन उन्हें प्रयत्न एवं मूल की पद्धति की सीमाओं का सामना करना पड़ता था। उनके अनुभव को विशिष्टता प्रदान करने के लिए यह जानना महत्त्व रखता था कि कौन कार्य को करता है तथा यह ऐसा क्यों करता है? इसके लिए जिस मार्ग पर चलना था, वह वैज्ञानिक पद्धति पर आधारित थी अर्थात् समस्या को परिभाषित करना, वैकल्पिक समाधानों का विकास करना, परिणामों का पूर्वानुमान लगाना, प्रगति को मापना एवं परिणाम निकालना आदि। इस परिदृश्य में टेलर वैज्ञानिक प्रबंध के जनक के रूप में उभर कर आए। उन्होंने अंगूठा टेक के स्थान पर वैज्ञानिक प्रबंध सुझाया। उन्होंने मानवीय क्रियाओं को छोटे-छोटे भागों में बाँटा तथा यह पता किया कि वह इसे कम समय एवं अधिक उत्पादकता से किस प्रकार से कर सकता है। इसमें व्यावसायिक क्रियाओं को स्तरीय उपकरण, (उत्पादन में वृद्धि हेतु, पद्धतियों एवं प्रशिक्षित कर्मचारियों द्वारा करना, गुणवत्ता में सुधार करना एवं लागत तथा बर्बादी को कम करना निहित था)।
टेलर के शब्दों में
बैथलहम स्टील कंपनी, जिसमें टेलर स्वयं कार्यरत थे, में वैज्ञानिक प्रबंध के सिद्धांतों को लागू करने से उत्पादकता में तीन गुणा वृद्धि हुई। इसलिए इन सिद्धांतों पर विचार करना उचित ही होगा।
टेलर ने प्रबंध के क्षेत्र में वैज्ञानिक पद्धति को लागू करने की पहल की। हम पहले ही प्रबंध अंगूठा टेक नियम की सीमाओं की चर्चा कर चुके हैं। अब क्योंकि सभी प्रबंधक अपने-अपने अंगूठा टेक नियमों को अपनाएँगे इसलिए स्वभाविक है कि सभी समान रूप से प्रभावी नहीं होंगे। टेलर का विश्वास था कि अधिकतम कार्यक्षमता में वृद्धि केवल एक ही सर्वोत्तम विधि थी। इस पद्धति को अध्ययन एवं विश्लेषण के द्वारा विकसित किया जा सकता है। इस प्रकार से विकसित पद्धति को पूरे संगठन में ‘अंगूठा टेक नियम’ के स्थान पर लागू करना चाहिए। वैज्ञानिक पद्धति में प्रारंभिक प्रणालियों का कार्य अध्ययन, सर्वश्रेष्ठ तरीकों का एकीकरण एवं स्तरीय पद्धति के विकास के माध्यम से जाँच पड़ताल सम्मिलित थी, जिसे कि पूरे संगठन में अपनाया जाना चाहिए। टेलर के अनुसार लोहे की छड़ों को डब्बाबंद गाड़ियों में लादने की छोटी सी उत्पादन क्रिया को भी वैज्ञानिक ढंग से नियोजित किया जा सकता है एवं उसका प्रबंधन किया जा सकता है। इससे मानवीय शक्ति एवं समय तथा माल की बर्बादी में भारी बचत होगी। जितनी अधिक व्यवस्थित प्रक्रिया होगी उतनी ही अधिक बचत होगी।
वर्तमान संदर्भ में इंटरनेट का प्रयोग आंतरिक कार्यकुशलता एवं ग्राहक की संतुष्टि में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया है।
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F.W. Teller ka pura naam kya hai