चर्चा में क्यों?
पिछले कुछ समय से मध्य प्रदेश एवं महाराष्ट्र में चल रहे किसान आंदोलनों के कारण एक बार फिर से स्वामीनाथन आयोग द्वारा प्रस्तुत सिफारिशों को लागू करने की मांग तेज़ हो गई है। विदित हो कि देश में हरित क्रांति के जनक प्रोफेसर एम.एस. स्वामीनाथन की अध्यक्षता में 18 नवंबर, 2004 को राष्ट्रीय किसान आयोग का गठन किया गया था। इस आयोग के गठन का मुख्य उद्देश्य किसानों की स्थिति में सुधार करने हेतु उपायों की तलाश कर उपयोगी सुझाव प्रस्तुत करना था। अपने गठन के दो साल बाद अक्तूबर 2006 में आयोग द्वारा रिपोर्ट प्रस्तुत की गई।
रिपोर्ट की विशेषताएँ
स्वामीनाथन आयोग द्वारा किसानों की स्थिति में सुधार करने तथा दिनों-दिन बढ़ती आत्महत्या की घटनाओं में कमी लाने के संबंध में निम्नलिखित सिफारिशें पेश की गई।
भूमि सुधार
स्वामीनाथन रिपोर्ट में कहा गया कि सर्वप्रथम फसलों एवं पशुधन के लिये भूमि के आधारभूत मुद्दे को सुलझाना बेहद आवश्यक है, क्योंकि भारत जैसे कृषि प्रधान देश में यह एक अहम् मसला है। भूमि सुधार के संबंध में आयोग द्वारा प्रस्तुत सिफारिशें इस प्रकार हैं -
अतिरिक्त भूमि एवं बंजर भूमि का वितरण किया जाना चाहिये।
मुख्य भूमि खेती एवं वन भूमि को कॉर्पोरेट क्षेत्र को गैर-कृषि उद्देश्यों हेतु प्रदत्त न किया जाए।
ग्रामीणों एवं जनजातियों के वनभूमि में पशु चराने के अधिकार एवं सार्वजनिक संसाधनों के प्रयोग के अधिकार को सुनिश्चित किया जाना चाहिये।
कृषि भूमि की बिक्री को नियंत्रित करने के लिये सरकार द्वारा प्रभावी तंत्र स्थापित किया जाना चाहिये।
सरकार द्वारा ’नेशनल लैंड यूज़ एडवाइज़री सर्विस’ स्थापित की जानी चाहिये, जिसके अंतर्गत मौसम एवं व्यापार जैसे मुद्दों को ध्यान में रखते हुए निर्णय लिए जा सकें।
सिंचाई
सिचाई के संबंध में स्वामीनाथन आयोग द्वारा प्रस्तुत सिफारिशें इस प्रकार हैं-
किसानों को आवश्यकतानुसार तथा बराबर मात्रा में सिंचाई हेतु पानी उपलब्ध कराया जाना चाहिये।
सिंचाई नियमों में विस्तार किया जाना चाहिये।
रेनवाटर हार्वेस्टिंग के माध्यम से पानी की आपूर्ति सुनिश्चित की जानी चाहिये। साथ ही भू-जल में वृद्धि करने के लिये “मिलियन वेल्स रिचार्ज़” प्रोग्राम को शुरू किया जाना चाहिये।
भू-जल वाटर तंत्र के साथ-साथ लघु सिंचाई एवं कुछ नई परियोजनाओं को भी शुरू किया जाना चाहिये।
कृषि उत्पादकता
कृषि के आकार के अतिरिक्त कृषि उत्पादकता में वृद्धि के संबंध में भी आवश्यक कार्यवाही किये जाने की आवश्यकता है। विश्व के अन्य देशों की तुलना में भारत में भूमि की प्रति इकाई उत्पादकता बेहद कम है। इस संदर्भ में आयोग द्वारा निम्नलिखित सिफारिशें पेश की गईं-
कृषि से संबद्ध क्षेत्रों जैसे सिंचाई, जल निकासी, जल संरक्षण, अनुसंधान विकास कार्यों एवं सड़क संपर्क हेतु आवश्यक बुनियादी ढाँचे हेतु सार्वजनिक निवेश में वृद्धि करना।
मिट्टी की पोषण संबंधी खामियों को दूर करने के लिये आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया जाना चाहिये।
इसके अतिरिक्त संरक्षित कृषि को बढ़ावा प्रदान किया जाना चाहिये।
क्रेडिट एवं बीमा
किसानों की स्थिति में सुधार करने के लिये समय पर उचित ऋण की उपलब्धता सुनिश्चित की जानी चाहिये। इस संबंध में आयोग द्वारा प्रस्तुत सिफारिशें इस प्रकार हैं-
प्रत्येक गरीब एवं ज़रूरतमंद किसान की औपचारिक ऋण व्यवस्था तक पहुँच सुनिश्चित की जानी चाहिये।
किसानों की मिलने वाले ऋण की ब्याज़ दरों को 4% तक (कम-से-कम) रखा जाना चाहिये।
जब तक किसान कर्ज़ चुकता करने की स्थिति में न हो तब तक उससे ऋण न वसूला जाए। साथ ही प्राकृतिक आपदा या अन्य किसी कठिन परिस्थिति में उसके ऋण के ब्याज़ को माफ कर दिया जाना चाहिये।
किसानों हेतु एक कृषि जोखिम फण्ड बनाया जाना चाहिये।
महिला किसानों को भी संयुक्त पट्टे के साथ किसान क्रेडिट कार्ड उपलब्ध कराए जाने चाहिये।
इसके अतिरिक्त फसलों के साथ-साथ किसानों के पशुधन का भी बीमा किया जाना चाहिये।
खाद्य सुरक्षा
इस संबंध में आयोग द्वारा निम्नलिखित सिफारिशें पेश की गईं-
इसके लिये एक सार्वभौमिक सार्वजनिक वितरण व्यवस्था बनाई जानी चाहिये, ताकि इसके अंतर्गत अधिक से अधिक लोगों को शामिल किया जा सके।
पंचायतों एवं स्थानीय संस्थाओं की सहायता से सरकार द्वारा संचालित सभी कुपोषण संबंधी योजनाओं के सन्दर्भ में पुन: नए सिरे से काम किया जाना चाहिये।
कुपोषण की स्थिति में कमी लाने की दिशा में भी काम किया जाना चाहिये।
महिला स्वयं सहायता समूहों की सहायता से सामुदायिक भोजन एवं वाटर बैंक स्थापित किये जाने चाहिये।
छोटे एवं सीमांत किसानों की कृषि उत्पादकता, गुणवत्ता एवं लाभ में वृद्धि करने हेतु एक ग्रामीण गैर-कृषि आजीविका मिशन शुरू किया जाना चाहिय।
किसानों की आत्महत्या से रक्षा
पिछले कुछ सालों से देश में बड़ी संख्या में किसानों की आत्महत्या करने की घटनाएँ सामने आई हैं। इस गंभीर स्थिति में सुधार करने के लिये आयोग द्वारा प्राथमिक स्तर पर बदलाव लाने की बात कही गई है। आयोग द्वारा इस संबंध में निम्नलिखित सुझाव पेश किये गए हैं-
किसानों को कम कीमत पर बीमा एवं स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध कराई जानी चाहिये। जिन क्षेत्रों में ये आत्महत्याएँ हुई हैं वहाँ राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन को प्राथमिकता दी जानी चाहिये।
राज्य स्तर पर किसान आयोगों का गठन किया जाना चाहिये, ताकि किसानों की किसी भी प्रकार की समस्या का जल्द से जल्द हल निकाला जा सके।
किसानों हेतु सूक्ष्म वित्त नीति के गठन के सम्बन्ध में पुन: विचार किया जाना चाहिये।
किसानों को तकनीकी, प्रबंधन एवं विपणन संबंधी सहायता प्रदान की जानी चाहिये।
गाँवों को इकाई मानते हुए सभी फसलों को बीमा के दायरे में लाया जाना चाहिये।
किसानों को उचित समय पर सस्ती कीमत में उच्च गुणवत्ता वाले बीज उपलब्ध कराए जाने चाहिये।
इसके अतिरिक्त आत्महत्या के लक्षणों की पहचान करने के लिये लोगों के बीच जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना चाहिये।
कुएँ के जल के पुनर्भण्डारण को बढ़ावा देने के साथ वर्षा जल संरक्षण को भी बढ़ावा दिया जाना चाहिये।
किसानों को कम खतरे एवं कम कीमत वाली तकनीकी प्रदान की जानी चाहिये, जिनसे किसानों को अधिकतम आय प्राप्त हो सके।
शुष्क क्षेत्रों की कुछ बहुत अहम् फसलें जैसे जीरा आदि के मामले में बाज़ार हस्तक्षेप योजना की स्थापना के विषय में गौर किया जाना चाहिये।
किसानों की प्रतिस्पर्धात्मकता
आयोग द्वारा प्रस्तुत सिफारिशों में छोटे एवं सीमांत किसानों के मध्य कृषि क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा का माहौल बनाए जाने के प्रयास किये जाने चाहिये, ताकि उनकी उत्पादकता में वृद्धि की जा सके।
कमोडिटी आधारित छोटे किसान संगठनों उदाहरण के तौर पर, लघु कपास किसान एस्टेट आदि को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिये।
इसके अतिरिक्त विकेंद्रीकृत उत्पादन के केंद्रीकरण पर भी ध्यान दिया जाना चाहिये, जैसे - पोस्ट हार्वेस्टिंग प्रबंधन, वैल्यू एडिशन तथा विपणन आदि। इससे जहाँ एक ओर किसानों को लाभकारी संस्थानात्मक समर्थन प्राप्त होगा, वहीं दूसरी ओर किसानों एवं उपभोक्ताओं के बीच सीधा संबंध भी स्थापित हो पाएगा।
न्यूनतम समर्थन मूल्य व्यवस्था में भी सुधार किया जाना चाहिये।
रोज़गार
रोज़गार के संबंध में स्वामीनाथन आयोग द्वारा पेश की गई कुछ महत्त्वपूर्ण सिफारिशें इस प्रकार हैं –
अर्थव्यवस्था की विकास दर में वृद्धि करने संबंधी उपाय किये जाने चाहिये, ताकि अधिक-से-अधिक रोज़गार के अवसरों का सृजन किया जा सके।
श्रम मानकों के स्तर में गिरावट किये बिना श्रम बाज़ारों की कार्य-पद्धति में सुधार किये जानी चाहिये।
गैर-कृषि क्षेत्रों जैसे – व्यापार, रेस्टोरेंट एवं होटल, यातायात, निर्माण कार्य इत्यादि में में रोज़गार के अवसरों में वृद्घि करने के विकल्प को बढ़ावा दिया जाना चाहिये।
जैव संसाधन
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोग बड़ी संख्या में पोषण एवं आजीविका की सुरक्षा हेतु जैव संसाधनों पर निर्भर होते हैं। इस संबंध में आयोग द्वारा प्रस्तुत सिफारिशें इस प्रकार हैं-
जैव-विविधता तक पहुँच हेतु पारंपरिक अधिकारों का संरक्षण किया जाना चाहिये। इन संसाधनों में गैर-लकड़ी वन उत्पादों जैसे- औषधीय पौधे, गोंद एवं राल, तेलीय पौधे इत्यादि को शामिल किया जाता है।
प्रजनन के माध्यम से फसलों और खेतों के साथ-साथ मछली के संरक्षण एवं सुधार हेतु प्रयास किये जाने चाहिये।
इसके अतिरिक्त स्वदेशी नस्लों के निर्यात एवं अवर्गीकृत पशुओं की उत्पादकता में वृद्धि करने के लिये उपयुक्त नस्लों का आयात किये जाने की अनुमति प्रदान की जानी चाहिये।
निष्कर्ष
वर्ष 2004 में गठित स्वामीनाथन आयोग द्वारा वर्ष 2006 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की गई थी। तब से लेकर अब तक तकरीबन 11 साल बीतने के बाद भी इस विषय में कोई गंभीर कदम नहीं उठाया गया है। किसानों की समस्याओं के संदर्भ में समाधान निकालने की दिशा में निरंतर विफल साबित होती सरकार के समक्ष यह एक प्रभावकारी विकल्प साबित होगा। मौसम के बदलते रुख और किसानों की निरंतर गिरती स्थिति को मद्देनज़र रखते हुए भारत सरकार को जल्द से जल्द इस दिशा में प्रभावी कार्यवाही करने की आवश्यकता है। सारे देश का पेट भरने वाला किसान आज खुद ही भूख से आत्महत्या कर रहा है, भारत जैसे कृषि प्रधान देश के लिये इससे अधिक विडंबना और क्या होगी।
Father/Founder of colour revolutions in INDIA
Name of colour revolutions Dedicated for the field Father of colour Revolutions
Green revolution Agriculture M.S.SWAMINATHAN
White revolution or Operation flood Milk/Dairy products VERGHESE KURIEN
Blue revolution Fish Aqua DR.ARUN KRISHNAN
golden revolution Fruits, Honey, Horticulture NIRPAKH TUTEJ
Silver revolution Eggs INDIRA GANDHI
Black revolution Crude Oil
Yellow revolution Oil Seeds SAM PITRODA
Pink revolution Pharmaceuticals, Prawns, Onion DURGESH PATEL
Gray revolution Fertilizers
Brown revolution Leather, Coco HIRLAL CHAUDRI
Red revolution Meat VISHAL TEWARI
Round revolution Potato
Golden revolution Jute
Silver fiber revolution Cotton
सर मै मछली पालन करना चाहता हू
स्वामीनाथन रिपोर्ट के अनुसार मिनिमम सपोर्ट प्राइस का निर्धारण कैसे किया जाएगा समझाया जाए?
C2+ कया है
phasal ka neinutam mule keya rakha jaya tha
Kishano ko lagat ka ded guna kyu nahi mil raha he
Kishano ko lagat ka ded guna kyu nahi mil raha he
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किसान और मजदूरों के विकास के लिए किसान मजदूर की मांग पूरी करना चाहिए₹700 प्रतिदिन नरेगा से रोजगार फसल की खरीद एसपी से काम नहीं किसान मजदूर को ₹10000 प्रतिमा पेंशन किसान मजदूर को आर्थिक सहायता स्वामीनाथन आयोग सिफारिश लागू करना यह देखा जाए तो हमारे देश के कर्मचारियों के वेतन के बराबर 50 परसेंट भी नहीं है कर्मचारियों का वेतन और किसान मजदूरी की आय बराबर करना चाहिए