अकाल से तात्पर्य खाने-पीने की वस्तुओं की पूर्ण कमी से है। यह वह समय होता है जब लोग खाने की कमी से मरने लगते हैं। सन 1943 में बंगाल में ऐसा ही एक अकाल पडा था जिसमें हजारों पुरुषों, महिलाओं और बच्चों की मृत्यु हो गयी थी। आज भारत में अकाल नहीं है लेकिन भारत के किसी भाग में कभी-कभी अकाल जैसी स्थिति बन जाती है। संसार में अनेक देशों ने अकाल जैसे गंभीर अथिति का सामना किया है।
भारत में अकाल : भारत को प्राचीन काल में दूध और मधु की भूमि कहा गया है लेकिन आज यह अकाल, बाढ़ और निर्धनता का देश बनकर रह गया है। हमारे देश में अकाल के अनेक कारण हैं। भारतीय कृषि का पिछड़ापन उनमें से ही एक है। कृषकों को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। अधिकाँश किसानों के अशिक्षित होने के कारण उन्हें आधुनिक कृषि के साधनों का ज्ञान नहीं है। इसके अतिरिक्त उनके खेत अनेक छोटी-छोटी जोतों में बंटे हैं जिससे अधिक पैदावार नहीं हो पाती। उनके पशु कमजोर होते हैं। इसके अतिरिक्त भारतीय किसान सिंचाई के लिए कृषि पर पूरी तरह से निर्भर रहते हैं। अगर समय से वर्षा नहीं होती है तो फसल बेकार हो जाती है।
जनसंख्या की समस्या : भारत की जनसंख्या में बहुत तेजी से वृद्धि हो रही है लेकिन खाद्य सामग्री के उत्पादन में उतनी तेजी से वृद्धि नहीं हो रही है। इसलिए यहाँ खाद्य की कमी हो जाती है। आज भी बिहार और उत्तर प्रदेश में खाद्यानों की कमी है। सरकार को चाहिए की परिवार नियोजन के विषय में गंभीरता से कदम उठाए जाए जिससे जनसंख्या नियंत्रित हो सके और खाद्यानों के उत्पादन को बढाने के लिए तकनीक उपलब्ध कराये।
निर्भरता से छुटकारा : हमें अकाल को जांचने की कोशिश करनी चाहिए। हमें अकाल के समय अन्य देशों से सहायता लेनी चाहिए। लेकिन हर समय खाद्यान पर निर्भर रहना मूर्खता है। ऐसे स्थिति न आये इसके लिए हमें पहने से ही अनाज का पहले से ही भंडारण करना चाहिए। हम आशा करते हैं की परिवार नियोजन भी सफलता से लागू हो जिससे जनसंख्या नियंत्रित हो सके। कृषकों को वैज्ञानिक प्रणालियों के बारे में बताना चाहिए और उन्हें कुशल प्रशिक्षण प्रदान किया जाना चाहिए। सिंचाई की सुविधा भी उन्हें उपलब्ध कराई जानी चाहिए जिससे मानसून पर उनकी निर्भरता में कमी लायी जा सके। अगर यह सभी पद्धितियां पनायी जाएँ तो अकाल पर विजय पायी जा सकती है।
अकाल का प्रभाव : अकाल और सूखा साधारण मनुष्य के लिए एक बहुत बड़ी समस्या है। इस संकट में हजारों की संख्या में लोग एक वक़्त की रोटी के लिए तरस जाते हैं। अनेक लोग छप्परों, और वृक्षों के नीचे रहते हैं। कुपोषण समस्या इस दौरान अपना सर उठाती है। लोग घरों के बर्तन, गहने व अन्य आवश्यक सामान बेचकर खाना खरीदते हैं। हजारों पशु भूख के कारण मर जाते हैं। लोगों को पानी पीने के लिए कई मील तक चलना पड़ता है।
समाज विरोधी तत्त्व इस परिस्थिति का पूर्ण लाभ उठाते हैं। वे पहले से ही बड़े पैमाने पर अनाज इकठ्ठा कर लेते हैं और मनमाने दाम पर बेचकर लाभ कमाते हैं। कोई भी बच्चों, वृद्धों की पीड़ा का वर्णन नहीं कर सकता है। वह जिसे दूध और औषधि नहीं मिली, या फिर वे जिनकी भूख से बिलखते हुए मौत हो गयी, ऐसे नज़ारे अकाल और सूखे के दौरान आम हो जाते हैं।
सरकात की सहायता : इस अकाल से छुटकारा दिलाने के लिए सरकार अपनी तरफ से पूरी मदद करती है। प्रशासन बड़ी मात्रा में पडोसी राज्यों से खाद्यान मंगाकर पीड़ित लोगों में बांटे हैं। पीड़ितों की जांच के लिए डोक्टरों की टीम भेजी जाती हैं। सरकार यह सभी सुविधाएं निशुल्क प्रदान करती है। इस प्रकार अनेक लोगों का जीवन बचा लिया जाता है और पीड़ितों की भी कुछ हद तक मदद हो पाती है।
उपसंहार : कई बार देश के राज्यों में अकाल पड़ जाते हैं और सरकार अपना सर्वश्रेष्ठ कार्य करती है। परन्तु अब हमें चाहिए की देश के किसान कृषि के आधुनिक तरीकों को अपनाए जिससे ज्यादा पैदावार हो सके। सिंचाई की व्यवस्था प्रत्येक गाँव में होनी चाइये जिससे वर्षा पर निर्भरता कम की जा सके। अगर उपरोक्त काम हो जाएँ तो अकाल तो दूर होगा ही साथ ही अनाज का भंडारण भी संभव हो सकेगा।
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