इसका स्थाई भाव रति होता है नायक और नायिका के मन में संस्कार रूप में स्थित रति या प्रेम जब रस कि अवस्था में पहुँच जाता है तो वह श्रंगार रस कहलाता है इसके अंतर्गत सौन्दर्य, प्रकृति, सुन्दर वन, वसंत ऋतु, पक्षियों का चहचहाना आदि के बारे में वर्णन किया जाता है
उदाहरण :
Shringar Ras ke Udaharan
दरद कि मारी वन-वन डोलू वैध मिला नाहि कोई
मीरा के प्रभु पीर मिटै, जब वैध संवलिया होई
मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई
जाके सिर मोर मुकुट मेरा पति सोई
बसों मेरे नैनन में नन्दलाल
मोर मुकुट मकराकृत कुंडल, अरुण तिलक दिये भाल
अरे बता दो मुझे कहाँ प्रवासी है मेरा
इसी बावले से मिलने को डाल रही है हूँ मैँ फेरा
कहत नटत रीझत खिझत, मिलत खिलत लजियात
भरे भौन में करत है, नैननु ही सौ बात
: Uncaught mysqli_sql_exception: You have an error in your SQL syntax; check the manual that corresponds to your MySQL server version for the right syntax to use near '-7' at line 1 in /home/gkexams/public_html/ask/comment_list.php:111
Stack trace:
#0 /home/gkexams/public_html/ask/comment_list.php(111): mysqli_query(Object(mysqli), 'SELECT cid, com...')
#1 /home/gkexams/public_html/ask/forum.php(59): include('/home/gkexams/p...')
#2 /home/gkexams/public_html/ask/question.php(165): include('/home/gkexams/p...')
#3 {main}
thrown in