सही उत्तर : मुहम्मद साहब
मोहम्मद साहब के बारें में :
पैगंबर मोहम्मद का जन्म अरब के रेगिस्तान के शहर मक्का में 570 ईस्वी में हुआ था। आपको बता दे की पैगंबर मुहम्मद के पिता की मौत उनके जन्म से पहले ही हो गई थी। इसके बाद उन्हें शुरुआती 5 सालों के लिए पालन पोषण बेदू जनजाति के लोगों ने किया।
जब वे अपनी मां के पास मक्का आए तो एक ही साल के अंदर वे भी चल बसीं। 6 साल की उम्र में अनाथ होने के बाद वे आर्थिक रूप से बहुत कमजोर हो चुके थे। दमस्क में वे एक ऊंट की देखभाल करने वाले लड़के के तौर पर काम करते थे।
मक्का में खुद पर और अपने समर्थकों पर होने वाले अत्याचारों के खिलाफ उन्होंने पहले 12 सालों तक बिल्कुल शांतिपूर्ण विरोध का तरीका चुना। लेकिन उनपर और उनके समर्थकों पर अत्याचार लगातार बढ़ते गए। 622 में वे इतने बढ़ गए कि उन्हें मक्का छोड़कर 200 मील दूर स्थित मदीना जाना पड़ा।
इसके बाद मक्का से उनकी तीन लड़ाईयां हुईं। इसके बाद मक्का ने उनको एक समझौते के तहत स्वीकारते हुए आत्मसमर्पण कर दिया। उनको वापस भी बुलाया। इन आठ सालों में वे मदीना के ही हो गए थे। उन्होंने कहा कि वे मदीना में ही रहेंगे।
मोहम्मद साहब का फोटो :
Note : यह मोहम्मद साहब का काल्पनिक फोटो है GKEXAMS का उद्देश्य किसी धर्म के लोगों की भावना को आहत करना नही है।
मुहम्मद साहब जीवनसाथी :
यहाँ हम आपको निम्नलिखित बिन्दुओं द्वारा मुहम्मद साहब की जीवनसाथीयों से अवगत करा रहे है, जो इस प्रकार है...
खदीजा बिन्त खुवायलद (595–619) सोदा बिन्त ज़मआ (619–632) आयशा बिन्त अबी बक्र (619–632) हफ्सा बिन्त उमर (624–632) ज़ैनब बिन्त खुज़ैमा (625–627) हिन्द बिन्त अवि उमय्या (629–632) ज़ैनब बिन्त जहाश (627–632) जुवैरीया बिन्त अल-हरिथ (628–632) राम्लाह बिन्त अवि सुफ्याँ (628–632) रय्हना बिन्त ज़यड (629–631) सफिय्या बिन्त हुयाय्य (629–632) मयमूना बिन्त अल-हरिथ (630–632) मरिया अल-क़ीब्टिय्या (630–632)मुहम्मद साहब बच्चे :
यहाँ हम आपको निम्नलिखित बिन्दुओं द्वारा मुहम्मद साहब के बेटे और बेटियों
(Muhammad's children) के नामों से अवगत करा रहे है, जो इस प्रकार है...
अल-क़ासिम अब्दुल्लाह इब्राहिम जैनाब रुक़य्याह उम्कु ल्थूम फ़ातिमा ज़हरापैगंबर मुहम्मद के आखिरी पल :
पैगंबर मुहम्मद जीवन के आखिरी में बुरी तरह बीमार थे। वे बिना अपना उत्तराधिकारी घोषित किए ही चल बसे थे। कोई बेटा जीवित न होने के चलते किसी को उत्तराधिकारी घोषित नहीं किया जा सका। जिसके बाद से 'एक अल्लाह, एक जैसे लोगों' के एकता के नारे को मानने वाले धर्म में आज भी शिया और सुन्नी का बंटवारा बना हुआ है।
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