इस्लामी महीने या मास नाम हैं:
इन सभी महीनों में, रमजान का महीना, सबसे आदरणीय माना जाता है। मुस्लिम लोगों को इस महीने में पूर्ण सादगी से रहना होता है दिन के समय।
ओर सबसे अफ्ज्ल रबी अल-अव्वल क महीना माना जाता है। इस्मे प्यारे नबी सल्ल्ल््लाहु अल््य्ही व्स्ल्ल्म की पैदाइष हुई।
इस्लामी सप्ताह, यहूदी सप्ताह के समान ही होता है, जो कि मध्य युगीय ईसाई सप्ताह समान होता है। इसका प्रथम दिवस भी रविवार के दिन ही होता है। इस्लामी एवं यहूदी दिवस सूर्यास्त के समय आरंभ होते हैं, जबकि ईसाई एवं ग्रहीय दिवस अर्धरात्रि में आरम्भ होते हैं। मुस्लिम साप्ताहिक नमाज़ हेतु मस्जिदों में छठे दिवस की दोपहर को एकत्रित होते हैं, जो कि ईसाई एवं ग्रहीय शुक्रवास को होता है। ("यौम जो संस्कृत मूल "याम" से निकला है,يوم" अर्थात दिवस)
अरबी नाम | हिन्दी नाम | उर्दू नाम | फारसी नाम | फारसी में |
---|---|---|---|---|
यौम अल-अहद يوم الأحد | रविवार | इतवार اتوار | एक-शनबेह | ایک شنبہ |
यौम अल-इथनायन يوم الإثنين | सोमवार | पीर پير | दो-शनबेह | دوشنبه |
यौम अथ-थुलाथा' يوم الثُّلَاثاء | मंगलवार | मंगल منگل | सेह-शनबेह | سه شنبه |
यौम अल-अरबिया يوم الأَرْبِعاء | बुद्धवार | बुद्ध بدھ | चाहर-शनबेह | چهارشنبه |
यौम अल-खमीस يوم الخَمِيس | बृहस्पतिवार | जुम्महरत جمعرات | पन्ज-शनबेह | پنجشنبه |
यौम अल-जुमुआ`a يوم الجُمُعَة | शुक्रवार | जुम्मा جمعہ | जोमएह, या अदिनेह | جمعه या آدينه |
यौम अस-सब्त يوم السَّبْت | शनिवार | हफ्ता ہفتہ | शनबेह | شنبه |
इस्लामी कालदर्शक की कुछ महत्वपूर्ण तिथियाँ हैं:
इन के इलावा योम अल जुमा यानी साधारण शुक्रवार भी "ईद उल मोमिनीन" यानी विश्वासियों का पर्व कह्लाता है।
इस्लामी कालदर्शक की कुछ महत्वपूर्ण तिथियाँ हैं:
Milaud nani kab hai
Kunde festival kb h?
इस्लामीक कैलंडर में कितने महीने होते हैं
Kal avkash kyo h
allah ne jab us vyakti ki kurbani maagi tab usi vyakti ki kurbani kabool karni chahiye thi baad me bhale jivandan deta uske badale dusare jeev ki hatya kyun yaha tyohar bakrid galat hai
Bakraid kab ki he
pure
tehevaroke lest
1.इस्लामी नया वर्ष – मुहर्रम
2.आशूरा
3.मीलाद उन-नबी
4.शब-ए-मेराज
5.रम्ज़ान
6.ईद-उल-फितर
7.ईद-उल-अजहा (बक्रिद)
मै इस लेख में आपको मुख्य 5 muslim festival की विशेष तरीके से बताउंगी और साथ-साथ में आपको ये भी बताउंगी कि इस वर्ष उन त्योहारों की कब की छुट्टी है. तो चलिए शुरू करे-
इस्लामी नया वर्ष – मुहर्रम
जिस तरह से इंग्लिश कैलेंडर के हिसाब से हमारा नया साल जनवरी माह से शुरू होता है ठीक उसी तरीके से इस्लाम का भी नया वर्ष जनवरी में ही शुरू होता है.
इस्लामी वर्ष यानी हिजरी सन् का पहला महीना मुहर्रम ही है. और दोस्तों ख़ास बात तो यह है कि यह एक मुस्लिम त्यौहार भी है, और इस वर्ष 14 जनवरी 2018, को रविवार को मुहर्रम है.
इस माह को इस्लाम के चार पवित्र महीनों में शुमार किया जाता है। अल्लाह के रसूल हजरत मुहम्मद ने इस मास को अल्लाह का महीना कहा है. साथ ही इस मास में रोजा रखने की खास बात की है।
एक किताब के अनुसार अल्लाह के रसूल हजरत मुहम्मद ने कहा कि रमजान के अलावा सबसे उत्तम रोजे वे हैं, जो मुहर्रम में रखे जाते हैं.
इत्तिफाक की बात यह है कि आज मुहर्रम का यह पहलू आम लोगो की नजरों से अंजान है और इस माह में अल्लाह की इबादत करनी चाहिये। मुहर्रम इस्लाम धर्म में विश्वास करने वाले लोगों का एक प्रमुख त्यौहार है। इस महिने की बहुत विशेषता और महत्व है.
इब्ने अब्बास के मुताबिक हजरत मुहम्मद ने कहा कि जिसने मुहर्रम की 9 तारीख का रोजा रखा, उसके दो साल के गुनाह माफ हो जाते हैं तथा मुहर्रम के एक रोजे का सवाब 30 रोजों के बराबर मिलता है.
शब-ए-मेराज-
शब-ए-मेराज अथवा शबे मेराज एक इस्लामी त्योहार है जो इस्लामी कैलेंडर के अनुसार रजब के माह (सातवाँ महीना) में 27वीं तिथि को मनाया जाता है। इस साल यह त्योहार 13 अप्रैल, शुक्रवार 2018 है।
इसे आरोहण की रात्रि के रूप में मनाया जाता है और मान्यताओं के अनुसार इसी रात, मुहम्मद साहब एक दैवीय जानवर बुर्राक पर बैठ कर सातों स्वर्गों का भ्रमण किया था। अल्लाह से मुहम्मद साहब के मुलाक़ात की इस रात को विशेष प्रार्थनाओं और उपवास द्वारा मनाया जाता है और मस्जिदों में सजावट की जाती है तथा दीप जलाये जाते हैं.
मेराज के दो भाग हैं, प्रथम भाग को इसरा और दूसरे को मेराज कहा जाता है, लेकिन सार्वजनिक प्रयोग में दोनों ही को मेराज के नाम से याद कर लिया जाता है।
रमजान –
इस साल रमजान का महीना 15 मई, मंगलवार 2018 से 15 जुन, शुक्रवार 2018 तक है रमजान का महीना कभी 28 दिन का तो कभी 30 दिन का होता है। इस महीने में उपवास रखते हैं।
उपवास के दिन सूर्योदय से पहले कुछ खालेते हैं जिसे सहरी कहते हैं। दिन भर न कुछ खाते हैं न पीते हैं। शाम को सूर्यास्तमय के बाद रोज़ा खोल कर खाते हैं जिसे इफ़्तारी कहते हैं।
ज़रूर पढ़े – रमजान के रोज़े रखने के क्या फायदे हैं?
ईद-उल-फितर-(मीठी ईद)
मुस्लमान रमज़ान उल-मुबारक के महीने के बाद एक मज़हबी ख़ुशी का त्योहर मनाते हैं जिसे ईद उल-फ़ितर कहा जाता है. ईद उल-फ़ितर इस्लामी कैलेण्डर के दसवें महीने शव्वाल के पहले दिन मनाया जाता है।
मुसलमानों का त्योहार ईद मूल रूप से भाईचारे को बढ़ावा देने वाला त्योहार है। इस त्योहार को सभी आपस में मिल के मनाते है और खुदा से सुख-शांति और बरक्कत के लिए दुआएं मांगते हैं। पूरे विश्व में ईद की खुशी पूरे हर्ष और उल्लास से मनाई जाती है.
मुसलमानों का त्योहार ईद रमज़ान का चांद डूबने और ईद का चांद नज़र आने पर उसके अगले दिन चांद की पहली तारीख़ को मनाई जाती है।
इसलामी साल में दो ईदों में से यह एक है (दूसरा ईद उल जुहा या बक्रिद कहलाता है)। पहला ईद उल-फ़ितर पैगम्बर मुहम्मद ने सन 624 ईसवी में जंग-ए-बदर के बाद मनाया था जाती है।
उपवास की समाप्ति की खुशी के अलावा इस ईद में मुसलमान अल्लाह का शुक्रिया अदा इसलिए भी करते हैं कि उन्होंने महीने भर के उपवास रखने की शक्ति दी।
ईद के दौरान बढ़िया खाने के अतिरिक्त नए कपड़े भी पहने जाते हैं और परिवार और दोस्तों के बीच तोहफ़ों का आदान-प्रदान होता है। सिवैया इस त्योहार की सबसे जरूरी खाद्य पदार्थ है जिसे सभी बड़े चाव से खाते हैं।
इस ईद में मुसलमान 30 दिनों के बाद पहली बार दिन में खाना खाते हैं। ईद के दिन मस्जिदों में सुबह की प्रार्थना से पहले हर मुसलमान का फ़र्ज़ है कि वो दान या भिक्षा दे। इस दान को ज़कात उल-फ़ितर कहते हैं
ईद-उल-अजहा (बक्रिद)-
इस्लाम धर्म में विश्वास करने वाले लोगों का एक प्रमुख त्योहर है। रमजान के पवित्र महीने की समाप्ति के लगभग 70 दिनों बाद इसे मनाया जाता है।
इस्लामिक मान्यता के अनुसार हजरत इब्राहिम अपने पुत्र हजरत इस्माइल को इसी दिन खुदा के हुक्म पर खुदा कि राह में कुर्बान करने जा रहे थे, तो अल्लाह ने उसके पुत्र को जीवनदान दे दिया जिसकी याद में यह पर्व मनाया जाता है.
इस दिन जानवर की कुर्बानी देना एक प्रकार की प्रतीकात्मक कुर्बानी है। हज और उसके साथ जुड़ी हुई पध्दति हजरत इब्राहीम और उनके परिबार द्वारा किए गये कार्यो को प्रतीकात्मक तौर पर दोहराने का नाम है।
हजरत इब्राहीम के परिवार में उनकी पत्नी हाजरा और पुत्र इस्माइल थे।मान्यता है कि हजरत इब्राहीम ने एक स्वप्न देखा था जिसमे बह अपने पुत्र इस्माइल की कुर्बानी दे रहे थे हजरत इब्राहीम अपने दस वर्षीय पुत्र इस्माइल को ईश्बर की राह पर कुर्बान करने निकल पड़े।
पुस्तको में आता है कि ईश्बर ने अपने फरिश्तो को भेजकर इस्माइल की जगह एक जानवर की कुर्बानी करने को कहा।
इश्माइलिट्स वंश की शुरुआत-
दरअसल इब्राहीम से जो असल कुर्बानी मागीँ गई थी वह थी उनकी खुद की जब की, जब उन्होने अपने पुत्र इस्माइल और उनकी मां हाजरा को मक्का में बसाने का निर्णय लिया।
लेकिन मक्का उस समय रेगिस्तान के सिबा कुछ न था। उन्हे मक्का में बसाकर बे खुद मानव सेबा के लिए निकल गये। इस तरह एक रेगिस्तान में वसना उनकी और उनके पूरे परिवार की कुर्बानी थी.
जब इस्माइल बड़े हुए तो उधर से एक काफिला गुजरा और इस्माइल का विबाह उस काफिले में से एक युवती से करा दिया गया फिर प्ररांम्भ हुआ एक वंश जिसे इतिहास में इश्माइलिट्स, या वनु इस्माइल के नाम से जाना गया।
हजरत मुहम्मद सहाब का इसी वंश में जन्म हुआ था। ईद उल अजहा के दो शंन्देश है पहला परिवार के प्रथम सदस्य को स्वार्थ के परे देखना चाहिये।
ईद उल अजहा यह याद दिलाता है कि कैसे एक छोटे से परिवार में एक नया अध्याय लिखा गया।
1.इस्लामी नया वर्ष – मुहर्रम
2.आशूरा
3.मीलाद उन-नबी
4.शब-ए-मेराज
5.रम्ज़ान
6.ईद-उल-फितर
7.ईद-उल-अजहा (बक्रिद)
मै इस लेख में आपको मुख्य 5 muslim festival की विशेष तरीके से बताउंगी और साथ-साथ में आपको ये भी बताउंगी कि इस वर्ष उन त्योहारों की कब की छुट्टी है. तो चलिए शुरू करे-
इस्लामी नया वर्ष – मुहर्रम
जिस तरह से इंग्लिश कैलेंडर के हिसाब से हमारा नया साल जनवरी माह से शुरू होता है ठीक उसी तरीके से इस्लाम का भी नया वर्ष जनवरी में ही शुरू होता है.
इस्लामी वर्ष यानी हिजरी सन् का पहला महीना मुहर्रम ही है. और दोस्तों ख़ास बात तो यह है कि यह एक मुस्लिम त्यौहार भी है, और इस वर्ष 14 जनवरी 2018, को रविवार को मुहर्रम है.
इस माह को इस्लाम के चार पवित्र महीनों में शुमार किया जाता है। अल्लाह के रसूल हजरत मुहम्मद ने इस मास को अल्लाह का महीना कहा है. साथ ही इस मास में रोजा रखने की खास बात की है।
एक किताब के अनुसार अल्लाह के रसूल हजरत मुहम्मद ने कहा कि रमजान के अलावा सबसे उत्तम रोजे वे हैं, जो मुहर्रम में रखे जाते हैं.
इत्तिफाक की बात यह है कि आज मुहर्रम का यह पहलू आम लोगो की नजरों से अंजान है और इस माह में अल्लाह की इबादत करनी चाहिये। मुहर्रम इस्लाम धर्म में विश्वास करने वाले लोगों का एक प्रमुख त्यौहार है। इस महिने की बहुत विशेषता और महत्व है.
इब्ने अब्बास के मुताबिक हजरत मुहम्मद ने कहा कि जिसने मुहर्रम की 9 तारीख का रोजा रखा, उसके दो साल के गुनाह माफ हो जाते हैं तथा मुहर्रम के एक रोजे का सवाब 30 रोजों के बराबर मिलता है.
शब-ए-मेराज-
शब-ए-मेराज अथवा शबे मेराज एक इस्लामी त्योहार है जो इस्लामी कैलेंडर के अनुसार रजब के माह (सातवाँ महीना) में 27वीं तिथि को मनाया जाता है। इस साल यह त्योहार 13 अप्रैल, शुक्रवार 2018 है।
इसे आरोहण की रात्रि के रूप में मनाया जाता है और मान्यताओं के अनुसार इसी रात, मुहम्मद साहब एक दैवीय जानवर बुर्राक पर बैठ कर सातों स्वर्गों का भ्रमण किया था। अल्लाह से मुहम्मद साहब के मुलाक़ात की इस रात को विशेष प्रार्थनाओं और उपवास द्वारा मनाया जाता है और मस्जिदों में सजावट की जाती है तथा दीप जलाये जाते हैं.
मेराज के दो भाग हैं, प्रथम भाग को इसरा और दूसरे को मेराज कहा जाता है, लेकिन सार्वजनिक प्रयोग में दोनों ही को मेराज के नाम से याद कर लिया जाता है।
रमजान –
इस साल रमजान का महीना 15 मई, मंगलवार 2018 से 15 जुन, शुक्रवार 2018 तक है रमजान का महीना कभी 28 दिन का तो कभी 30 दिन का होता है। इस महीने में उपवास रखते हैं।
उपवास के दिन सूर्योदय से पहले कुछ खालेते हैं जिसे सहरी कहते हैं। दिन भर न कुछ खाते हैं न पीते हैं। शाम को सूर्यास्तमय के बाद रोज़ा खोल कर खाते हैं जिसे इफ़्तारी कहते हैं।
ज़रूर पढ़े – रमजान के रोज़े रखने के क्या फायदे हैं?
ईद-उल-फितर-(मीठी ईद)
मुस्लमान रमज़ान उल-मुबारक के महीने के बाद एक मज़हबी ख़ुशी का त्योहर मनाते हैं जिसे ईद उल-फ़ितर कहा जाता है. ईद उल-फ़ितर इस्लामी कैलेण्डर के दसवें महीने शव्वाल के पहले दिन मनाया जाता है।
मुसलमानों का त्योहार ईद मूल रूप से भाईचारे को बढ़ावा देने वाला त्योहार है। इस त्योहार को सभी आपस में मिल के मनाते है और खुदा से सुख-शांति और बरक्कत के लिए दुआएं मांगते हैं। पूरे विश्व में ईद की खुशी पूरे हर्ष और उल्लास से मनाई जाती है.
मुसलमानों का त्योहार ईद रमज़ान का चांद डूबने और ईद का चांद नज़र आने पर उसके अगले दिन चांद की पहली तारीख़ को मनाई जाती है।
इसलामी साल में दो ईदों में से यह एक है (दूसरा ईद उल जुहा या बक्रिद कहलाता है)। पहला ईद उल-फ़ितर पैगम्बर मुहम्मद ने सन 624 ईसवी में जंग-ए-बदर के बाद मनाया था जाती है।
उपवास की समाप्ति की खुशी के अलावा इस ईद में मुसलमान अल्लाह का शुक्रिया अदा इसलिए भी करते हैं कि उन्होंने महीने भर के उपवास रखने की शक्ति दी।
ईद के दौरान बढ़िया खाने के अतिरिक्त नए कपड़े भी पहने जाते हैं और परिवार और दोस्तों के बीच तोहफ़ों का आदान-प्रदान होता है। सिवैया इस त्योहार की सबसे जरूरी खाद्य पदार्थ है जिसे सभी बड़े चाव से खाते हैं।
इस ईद में मुसलमान 30 दिनों के बाद पहली बार दिन में खाना खाते हैं। ईद के दिन मस्जिदों में सुबह की प्रार्थना से पहले हर मुसलमान का फ़र्ज़ है कि वो दान या भिक्षा दे। इस दान को ज़कात उल-फ़ितर कहते हैं
ईद-उल-अजहा (बक्रिद)-
इस्लाम धर्म में विश्वास करने वाले लोगों का एक प्रमुख त्योहर है। रमजान के पवित्र महीने की समाप्ति के लगभग 70 दिनों बाद इसे मनाया जाता है।
इस्लामिक मान्यता के अनुसार हजरत इब्राहिम अपने पुत्र हजरत इस्माइल को इसी दिन खुदा के हुक्म पर खुदा कि राह में कुर्बान करने जा रहे थे, तो अल्लाह ने उसके पुत्र को जीवनदान दे दिया जिसकी याद में यह पर्व मनाया जाता है.
इस दिन जानवर की कुर्बानी देना एक प्रकार की प्रतीकात्मक कुर्बानी है। हज और उसके साथ जुड़ी हुई पध्दति हजरत इब्राहीम और उनके परिबार द्वारा किए गये कार्यो को प्रतीकात्मक तौर पर दोहराने का नाम है।
हजरत इब्राहीम के परिवार में उनकी पत्नी हाजरा और पुत्र इस्माइल थे।मान्यता है कि हजरत इब्राहीम ने एक स्वप्न देखा था जिसमे बह अपने पुत्र इस्माइल की कुर्बानी दे रहे थे हजरत इब्राहीम अपने दस वर्षीय पुत्र इस्माइल को ईश्बर की राह पर कुर्बान करने निकल पड़े।
पुस्तको में आता है कि ईश्बर ने अपने फरिश्तो को भेजकर इस्माइल की जगह एक जानवर की कुर्बानी करने को कहा।
इश्माइलिट्स वंश की शुरुआत-
दरअसल इब्राहीम से जो असल कुर्बानी मागीँ गई थी वह थी उनकी खुद की जब की, जब उन्होने अपने पुत्र इस्माइल और उनकी मां हाजरा को मक्का में बसाने का निर्णय लिया।
लेकिन मक्का उस समय रेगिस्तान के सिबा कुछ न था। उन्हे मक्का में बसाकर बे खुद मानव सेबा के लिए निकल गये। इस तरह एक रेगिस्तान में वसना उनकी और उनके पूरे परिवार की कुर्बानी थी.
जब इस्माइल बड़े हुए तो उधर से एक काफिला गुजरा और इस्माइल का विबाह उस काफिले में से एक युवती से करा दिया गया फिर प्ररांम्भ हुआ एक वंश जिसे इतिहास में इश्माइलिट्स, या वनु इस्माइल के नाम से जाना गया।
हजरत मुहम्मद सहाब का इसी वंश में जन्म हुआ था। ईद उल अजहा के दो शंन्देश है पहला परिवार के प्रथम सदस्य को स्वार्थ के परे देखना चाहिये।
ईद उल अजहा यह याद दिलाता है कि कैसे एक छोटे से परिवार में एक नया अध्याय लिखा गया।
1.इस्लामी नया वर्ष – मुहर्रम
2.आशूरा
3.मीलाद उन-नबी
4.शब-ए-मेराज
5.रम्ज़ान
6.ईद-उल-फितर
7.ईद-उल-अजहा (बक्रिद)
मै इस लेख में आपको मुख्य 5 muslim festival की विशेष तरीके से बताउंगी और साथ-साथ में आपको ये भी बताउंगी कि इस वर्ष उन त्योहारों की कब की छुट्टी है. तो चलिए शुरू करे-
इस्लामी नया वर्ष – मुहर्रम
जिस तरह से इंग्लिश कैलेंडर के हिसाब से हमारा नया साल जनवरी माह से शुरू होता है ठीक उसी तरीके से इस्लाम का भी नया वर्ष जनवरी में ही शुरू होता है.
इस्लामी वर्ष यानी हिजरी सन् का पहला महीना मुहर्रम ही है. और दोस्तों ख़ास बात तो यह है कि यह एक मुस्लिम त्यौहार भी है, और इस वर्ष 14 जनवरी 2018, को रविवार को मुहर्रम है.
इस माह को इस्लाम के चार पवित्र महीनों में शुमार किया जाता है। अल्लाह के रसूल हजरत मुहम्मद ने इस मास को अल्लाह का महीना कहा है. साथ ही इस मास में रोजा रखने की खास बात की है।
एक किताब के अनुसार अल्लाह के रसूल हजरत मुहम्मद ने कहा कि रमजान के अलावा सबसे उत्तम रोजे वे हैं, जो मुहर्रम में रखे जाते हैं.
इत्तिफाक की बात यह है कि आज मुहर्रम का यह पहलू आम लोगो की नजरों से अंजान है और इस माह में अल्लाह की इबादत करनी चाहिये। मुहर्रम इस्लाम धर्म में विश्वास करने वाले लोगों का एक प्रमुख त्यौहार है। इस महिने की बहुत विशेषता और महत्व है.
इब्ने अब्बास के मुताबिक हजरत मुहम्मद ने कहा कि जिसने मुहर्रम की 9 तारीख का रोजा रखा, उसके दो साल के गुनाह माफ हो जाते हैं तथा मुहर्रम के एक रोजे का सवाब 30 रोजों के बराबर मिलता है.
शब-ए-मेराज-
शब-ए-मेराज अथवा शबे मेराज एक इस्लामी त्योहार है जो इस्लामी कैलेंडर के अनुसार रजब के माह (सातवाँ महीना) में 27वीं तिथि को मनाया जाता है। इस साल यह त्योहार 13 अप्रैल, शुक्रवार 2018 है।
इसे आरोहण की रात्रि के रूप में मनाया जाता है और मान्यताओं के अनुसार इसी रात, मुहम्मद साहब एक दैवीय जानवर बुर्राक पर बैठ कर सातों स्वर्गों का भ्रमण किया था। अल्लाह से मुहम्मद साहब के मुलाक़ात की इस रात को विशेष प्रार्थनाओं और उपवास द्वारा मनाया जाता है और मस्जिदों में सजावट की जाती है तथा दीप जलाये जाते हैं.
मेराज के दो भाग हैं, प्रथम भाग को इसरा और दूसरे को मेराज कहा जाता है, लेकिन सार्वजनिक प्रयोग में दोनों ही को मेराज के नाम से याद कर लिया जाता है।
रमजान –
इस साल रमजान का महीना 15 मई, मंगलवार 2018 से 15 जुन, शुक्रवार 2018 तक है रमजान का महीना कभी 28 दिन का तो कभी 30 दिन का होता है। इस महीने में उपवास रखते हैं।
उपवास के दिन सूर्योदय से पहले कुछ खालेते हैं जिसे सहरी कहते हैं। दिन भर न कुछ खाते हैं न पीते हैं। शाम को सूर्यास्तमय के बाद रोज़ा खोल कर खाते हैं जिसे इफ़्तारी कहते हैं।
ज़रूर पढ़े – रमजान के रोज़े रखने के क्या फायदे हैं?
ईद-उल-फितर-(मीठी ईद)
मुस्लमान रमज़ान उल-मुबारक के महीने के बाद एक मज़हबी ख़ुशी का त्योहर मनाते हैं जिसे ईद उल-फ़ितर कहा जाता है. ईद उल-फ़ितर इस्लामी कैलेण्डर के दसवें महीने शव्वाल के पहले दिन मनाया जाता है।
मुसलमानों का त्योहार ईद मूल रूप से भाईचारे को बढ़ावा देने वाला त्योहार है। इस त्योहार को सभी आपस में मिल के मनाते है और खुदा से सुख-शांति और बरक्कत के लिए दुआएं मांगते हैं। पूरे विश्व में ईद की खुशी पूरे हर्ष और उल्लास से मनाई जाती है.
मुसलमानों का त्योहार ईद रमज़ान का चांद डूबने और ईद का चांद नज़र आने पर उसके अगले दिन चांद की पहली तारीख़ को मनाई जाती है।
इसलामी साल में दो ईदों में से यह एक है (दूसरा ईद उल जुहा या बक्रिद कहलाता है)। पहला ईद उल-फ़ितर पैगम्बर मुहम्मद ने सन 624 ईसवी में जंग-ए-बदर के बाद मनाया था जाती है।
उपवास की समाप्ति की खुशी के अलावा इस ईद में मुसलमान अल्लाह का शुक्रिया अदा इसलिए भी करते हैं कि उन्होंने महीने भर के उपवास रखने की शक्ति दी।
ईद के दौरान बढ़िया खाने के अतिरिक्त नए कपड़े भी पहने जाते हैं और परिवार और दोस्तों के बीच तोहफ़ों का आदान-प्रदान होता है। सिवैया इस त्योहार की सबसे जरूरी खाद्य पदार्थ है जिसे सभी बड़े चाव से खाते हैं।
इस ईद में मुसलमान 30 दिनों के बाद पहली बार दिन में खाना खाते हैं। ईद के दिन मस्जिदों में सुबह की प्रार्थना से पहले हर मुसलमान का फ़र्ज़ है कि वो दान या भिक्षा दे। इस दान को ज़कात उल-फ़ितर कहते हैं
ईद-उल-अजहा (बक्रिद)-
इस्लाम धर्म में विश्वास करने वाले लोगों का एक प्रमुख त्योहर है। रमजान के पवित्र महीने की समाप्ति के लगभग 70 दिनों बाद इसे मनाया जाता है।
इस्लामिक मान्यता के अनुसार हजरत इब्राहिम अपने पुत्र हजरत इस्माइल को इसी दिन खुदा के हुक्म पर खुदा कि राह में कुर्बान करने जा रहे थे, तो अल्लाह ने उसके पुत्र को जीवनदान दे दिया जिसकी याद में यह पर्व मनाया जाता है.
इस दिन जानवर की कुर्बानी देना एक प्रकार की प्रतीकात्मक कुर्बानी है। हज और उसके साथ जुड़ी हुई पध्दति हजरत इब्राहीम और उनके परिबार द्वारा किए गये कार्यो को प्रतीकात्मक तौर पर दोहराने का नाम है।
हजरत इब्राहीम के परिवार में उनकी पत्नी हाजरा और पुत्र इस्माइल थे।मान्यता है कि हजरत इब्राहीम ने एक स्वप्न देखा था जिसमे बह अपने पुत्र इस्माइल की कुर्बानी दे रहे थे हजरत इब्राहीम अपने दस वर्षीय पुत्र इस्माइल को ईश्बर की राह पर कुर्बान करने निकल पड़े।
पुस्तको में आता है कि ईश्बर ने अपने फरिश्तो को भेजकर इस्माइल की जगह एक जानवर की कुर्बानी करने को कहा।
इश्माइलिट्स वंश की शुरुआत-
दरअसल इब्राहीम से जो असल कुर्बानी मागीँ गई थी वह थी उनकी खुद की जब की, जब उन्होने अपने पुत्र इस्माइल और उनकी मां हाजरा को मक्का में बसाने का निर्णय लिया।
लेकिन मक्का उस समय रेगिस्तान के सिबा कुछ न था। उन्हे मक्का में बसाकर बे खुद मानव सेबा के लिए निकल गये। इस तरह एक रेगिस्तान में वसना उनकी और उनके पूरे परिवार की कुर्बानी थी.
जब इस्माइल बड़े हुए तो उधर से एक काफिला गुजरा और इस्माइल का विबाह उस काफिले में से एक युवती से करा दिया गया फिर प्ररांम्भ हुआ एक वंश जिसे इतिहास में इश्माइलिट्स, या वनु इस्माइल के नाम से जाना गया।
हजरत मुहम्मद सहाब का इसी वंश में जन्म हुआ था। ईद उल अजहा के दो शंन्देश है पहला परिवार के प्रथम सदस्य को स्वार्थ के परे देखना चाहिये।
ईद उल अजहा यह याद दिलाता है कि कैसे एक छोटे से परिवार में एक नया अध्याय लिखा गया।
Ilm hashil karo tumhare paas ilm ki bahot Kami hai
Tera te ji Kab he
Muharram kyu manate hai
21 date ko Muslim ka kaun say tyohar hai
Aaj konsa tayohaar h
Aaj kitni trikh h arbi ki
30 April ko kon sa festival h muslimo ka
8th month Muslim Me 22 tarikh ke din kya
Aj Kon sa teuhar he
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Aj Kon sa teuhar he