संस्कृत साहित्य मानव सभ्यता के प्राचीन इतिहास से जुड़ी विश्व की प्राचीन भाषा है जो कि आधुनिक भाषा के रूप में सर्वथा सार्थक है। संस्कृत भाषा को लोकप्रिय एवं हर व्यक्ति के जीवन की आवश्यकता बनानी चाहिए तभी लोग संस्कृत के प्रति अपना उत्साह दिखाएंगे। आज के भौतिकवादी युग में संस्कृत भाषा को सबसे विषम परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है परन्तु हमेशा ही आम लोगों के प्रोत्साहन एवं विश्वास के कारण यह समृद्ध भाषा रही है। ये विचार दिल्ली संस्कृत अकादमी दिल्ली सरकार द्वारा झंडेवालान करोल बाग नई दिल्ली में आयोजित संस्कृत शिक्षक प्रशिक्षण कार्यशाला के मुख्य अतिथि दिल्ली संस्कृत अकादमी के उपाध्यक्ष एवं शिक्षाविद् डॉ. श्रीकृष्ण सेमवार ने व्यक्त किए। डॉ. सेमवाल ने आगे कहा कि आज की प्रशिक्षण कार्यशाला का उद्देश्य यह है कि शिक्षा के पाठ्य्कमर में शिक्षण की नई-नई विध्यां आ रही हैं। आधुनिक शिक्षा त्वरित एवं तकनीकी माद्यम पर आधारित हो गई है। हमें भी शिक्षम के क्षेत्र में सभी पहलुओं पर आधारित शिक्षा को बढ़ावा देना चाहिए। संस्कृत शिक्षण को भी इसी के अनुरूप बनाना चाहिए। संस्कृत को संस्कृत भाषा के माध्यम से ही पढ़ाना चाहिए। छात्रों में संस्कृत शिक्षा के प्रति लगाव बढ़ाने के लिए संस्कृत को सरल एवं लोकप्रिय पाठ्यक्रम सामग्री से युक्त किया जाना चाहिए। शिक्षा के क्षेत्र में गुणात्मक एवं प्रयोगात्मक शिक्षा का महत्व बढ़ता जा रहा है। संस्कृत भाषा में विषयवस्तु प्राचीन काल से ही निहित है। इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए श्री लाल बहादुर शास्त्राr राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ के प्रशिक्षण विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. चन्द्रहास शर्मा ने कहा कि वर्तमान समय में संस्कृत के महत्व को सभी देश समझ रहे हैं। विदेशों में शोध से ज्ञात हुआ है कि संस्कृतके मनन एवं चिन्तन से व्यक्ति की कार्य क्षमता बढ़ती है। न्याय व्यवस्था बनती है। इसलिए कई देशों में गीता का अध्ययन शिक्षा में शामिल कर दिया है। संस्कृत संसार के लिए सबसे बड़ी निधि है। इसमें समाज के निर्माम की क्षमताएं हैं। संस्कृत में गहराई है। तत्वदर्शन है। विद्यालय स्तर पर संस्कृत अधिक से अधिक छात्रों को संस्कृत से जोड़ा जा सकता है। यही एक कुशल शिक्षक का गुण होता है। कार्यक्रम इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य वक्ता श्री लाल बहादुर शास्त्राr राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ के प्रशिक्षण विभाग के अध्यक्ष प्रो. नागेन्द्र झा ने कहा कि शिक्षकों से मेरा आग्रह है कि वे अधिक से अधिक संस्कृत भाषा काप्रयोग आपस में बातचीत के लिए करें। कोई भी भाषा बोलने से ही जीवंत रहती है। संस्कृत को जीवंत बनाए रखने के लिए अधिक से अधिक बोलचाल में संस्कृत भाषा का प्रयोग किया जाना चाहिए। विद्यालय स्तर पर संस्कृत को संस्कृत भाषा में ही पढ़ाने का प्रयास करन ाचाहिए। इससे छात्रों को संस्कृत बोलने पढ़ने का स्वत ही ज्ञान हो सकेगा। आज के तकीनीकी युग में संस्कृत विषय को उन्नत रूप में पढ़ाया जाना चाहिए। शिक्षकों को शिक्षण के नए-नए प्रयोगों के माध्यम से संस्कृत शिक्षण को अधिक से अधिक लोकप्रिय बनाने का प्रयास करना चाहिए।
Mera ek sawaal hai.
Sanskrit ka adhunik yug mei upyogita likha hai toh ismay sab kush likh sakte hai na sanskrit ke baare mei woh kya mujhe project mila hai banane ke liye usmay sankrit ki upyogita ke baare mei likhna hai toh hum sanskrit ka kush bhi likh hai na?
Aadhunik shikshan parambh
आधुनिक युग में sanskrir भाषा
Aadhunikyugayg hitaya kaaupyogita Aati
Aadhunik yug me neeti shatak ka mahetv
आधुनिक युगेसडंगणकस्यमहत्वम् ससकृत मे
संस्कृत भाषा का महत्व है, आधुनिक युग में उसकी क्या उपयोगिता है बताओ।
Aadhunik yug me Sanskrit ka vigyan in Sanskrit language
Aadunik yug me sankrit bhasha ki upbhogita?
Adunik jivan me bhartiye sanskriti ka mahatv ataiye
Muz vmou ke sanskrit final ke old paper ke solved q answer chaiye
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