मेंडल ने 1856 (1856) तक के बीच मटर के 10,000 पौधे बोए और उनका प्रेक्षण किया। इन्होंने जिस तरह की समस्या हल करने का प्रयास किया उसका एक उदाहरण यह है: मटर के एक ऊँचे और एक छोटे पौधे की संतान ऊँची होगी अथवा छोटी? ऊँचे पौधे और छोटे पौधे से संतान प्राप्त करने के लिए मेंडल ने ऊँचे पौंधे के फूल में से सुनहरी धूलि ली। तथा इसे छोटे पौधे की स्त्री के सिर पर डाला। इससे जो बीज बने उन्हें बोया। सब पौधे 'पिता' पौधे की भाँति ऊँचे थे। मेंडल ने ऊँचेपन को प्रभावी लक्षण कहा है। जब इन ऊँची संतानों के बच्चे हुए, उनके बीज उगाए गए, तो उन्होंने पाया कि दूसरी पीढ़ी अथवा पौधों में सब पौधे ऊँचे नहीं थे। प्रति तीन ऊँचे पौधों के पीछे एक पौधा छोटा था। इस छोटे पौधे को दादी की छोटाई आनुवंशिकता में मिली थी। तथा छोटेपन को अप्रभावी लक्षण कहा।
इसी प्रकार पीले बीजों की मटर को हरे बीजों के साथ संकरित किया। तब वे इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि उनसे उत्पन्न पहली पीढ़ी से सब पौधों के बीज पीले थे। उसमें अगली पीढ़ी अर्थात् पौधों में तीन पीले और एक हरा था। यहां पीला प्रभावी और हरा अप्रभावी लक्षण था। इन्हीं प्रयोगों को असंख्य बार दुहराया पर फल वही निकला। आठ वर्ष तक बड़ी सतर्कता के साथ कार्य करने के बाद, जब इनको पूर्ण विश्वास हो गया, तो कहा कि पौधों की आनुवंशिकता कुछ अमोघ अपरिवर्तनशील नियमों के अनुसार कार्य करती है|
स्वाभाविक ही था कि वे अपने इन नए सिद्धान्तों के विषय में उत्तेजित हों। अब इन्होंने निश्चय किया कि समय आ गया है जब इनको संसार को बताना चाहिए, कि उन्होंने किस बात का पता लगा लिया है। सन् 1865 ई। में इन्होंने एक लेख लिखा और उसे नगर की वैज्ञानिक सभा के सामने पढ़ा: पर इन्होंने महसूस किया कि कोई भी इनकी बात को समझ नहीं पा रहा है। श्रोताओं ने नम्रतापूर्वक तालियाँ बजाई और जो कुछ वहाँ सुना उसे तत्काल ही भूल गए। कदाचित् वे उन्हें अच्छी तरह समझा नहीं सके थे। घर लौटकर उस लेख को पुन: लिखा। कुछ सप्ताह बाद उन्होंने उसे दूसरी सभा में पढ़ा, पर यहाँ पर भी किसी श्रोता ने कोई रुचि नहीं ली। शायद उन्होंने समझा हो कि मटर के पौधों से भी क्या कोई महत्त्वपूर्ण बात सिद्ध हो सकती है। भाषण एक छोटी-सी वैज्ञानिक पत्रिका में प्रकाशित हुआ। वह शीघ्र ही पुस्तकालय की अल्मारियों में अपवित्र और अप्रशंसित तथा धूलि से ढक गया।
Vibhinn tyre kitne prakar ki
hoti hai
Sbse Vidal givit stanyae konsa h
Mater ke phoudha pr Mendel ne kitne bar pryog kiye
MEndel had also worked on one more plant other than pea.that was
Medal me podho me Kya paya
Dusre padp ka nem And. Hiresiyam
Mendel ne matar ke paudhe per kitne varshon Tak prayog kiye
And. Hiresiyam
Mendak ne garden pea par prayog kiya tha
दिमाग से कमी और अधिकता के बीच krass कराने पर
Mendal Ne video ke liye kitne jode production wale prayog Kiya
Mendl avm unke prayog
Mendal ne matar ke podho se pehle kis podhe ka use kiya
Kaun sa matar tha
1 Jangli matar
2 gardan matar
Vibhinn tyre kitne prakar ki hoti hai
Mendal ka prayog
मेंडल ने अपने प्रयोगों में मटर के पौधों की निम्नलिखित में से किस विशेषता का उपयोग नहीं किया था?
Mendel ne matar ke alawa ek aur padpa par karye kiya wah padpa tha
Mendel ne kis janwar par apna prayog kiya tha
Mendeliy anupat ke anusar bij pratidarsh ke vishleshn ka adhyan karna
Medal ne kis pode par paryog kiya
Mental ne apna peryog kiya tha
Mendel ne apne experiment mein kis matar ke paudhe per prayog kiya tha
Which word was used by mendel at the place of genes
Mandel ne prayog kis porhe par kiye
Jangali matar ya garden matar
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Babu ka metlab